मेरी बॉस की प्यासी चूत

दोस्तो, मेरा नाम शेखर है। मैं रतलाम का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 24 साल है, लंबाई 5 फीट 11 इंच, और रंग गेहुंआ। मैं जिम तो नहीं गया कभी, लेकिन मेरी बॉडी फिट और शेप में है, देखने में आकर्षक लगती है। मेरा लंड करीब 7 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है, जो किसी भी औरत को संतुष्ट करने के लिए काफी है। मुझे जवान लड़कियों से ज्यादा शादीशुदा भाभियों और आंटियों को चोदने में मजा आता है, क्योंकि वो बिस्तर पर गजब का रिस्पॉन्स देती हैं, उनकी सिसकारियां और अनुभव हर पल को और गर्म कर देता है।
बात दो साल पुरानी है, जब मैं रतलाम में कॉलेज की पढ़ाई के लिए आया था। पढ़ाई के साथ-साथ मैंने पार्ट-टाइम जॉब शुरू की। मेरे एक दोस्त की मदद से मुझे एक ऑफिस में कंप्यूटर ऑपरेटर की नौकरी मिल गई। पहले दिन मुझे अपने बॉस से मिलने जाना था। मैं सोच रहा था कि कोई सख्त मिजाज का साहब होगा, जिसे सिर्फ काम से मतलब होगा। लेकिन जब मैं ऑफिस पहुंचा, तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं।
मेरी बॉस थीं पूजा मैडम। उम्र करीब 32 साल, लंबाई 5 फीट 8 इंच, गोरा रंग, बड़ी-बड़ी काली आँखें, और खुले हुए लंबे बाल। वो क्रीम रंग के सलवार-सूट में अपनी कुर्सी पर पीछे झुकी हुई थीं, आँखें बंद, मानो किसी गहरी सोच में डूबी हों। उनका बदन पीछे की ओर झुका होने की वजह से उनके 36 इंच के बूब्स सूट में से उभर कर सामने आ रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे बुला रहे हों, कह रहे हों, “आ, हमें दबा, हमें चूस, हमें आजाद कर।” मैं तो बस उन्हें देखता ही रह गया। उनका फिगर 36-30-38 का था, कमर पतली, गांड भारी और रसीली। मैंने एक बार उनके बदन को ऊपर से नीचे तक देखा, और फिर औपचारिक बातचीत शुरू हुई।
पहले कुछ दिन तो ज्यादा बात नहीं हुई। मैं काम में कम, पूजा मैडम को देखने में ज्यादा वक्त बिताता था। वो भी मेरी नजरों को नोटिस करती थीं, कभी-कभी उनकी आँखों में एक हल्की सी मुस्कान तैर जाती थी। दो महीने बाद हमारी बातचीत बढ़ने लगी। हम दोनों में अब एक सहज दोस्ती सी हो गई थी। एक दिन ऑफिस बंद होने का वक्त था। पूजा ने मुझसे पूछा, “शेखर, क्या तुम मेरे घर पर आकर कुछ काम कर सकते हो? ऑफिस में समय कम पड़ता है, और काम बहुत है।”
मेरे दिमाग में लड्डू फूटने लगे। मुझे लगा, शायद आज कुछ खास होने वाला है। मैंने तुरंत हां कर दी। कई बार काम के बहाने वो मुझे अपने घर बुलाने लगीं। एक शाम जब मैं उनके घर पहुंचा, तो वो कुछ परेशान सी लगीं। मैंने पूछा, “मैडम, क्या बात है? आप ठीक तो हैं?”
वो बोलीं, “कुछ नहीं, बस थोड़ा मन उदास है।” मैंने फिर पूछा, “क्यों, क्या हुआ?” पूजा ने पहली बार खुलकर बात की। “शेखर, मेरे पास सब कुछ है। अच्छा पति, प्यारा बेटा, पैसा, रुतबा। लेकिन फिर भी मैं अकेली हूँ। मेरे पति को मेरे लिए वक्त नहीं, और मेरा बेटा बोर्डिंग स्कूल में है, साल में एक बार मिलता है। सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं है।”
मैं उनकी बात का मतलब समझ नहीं पाया। मैंने पूछा, “आपके पति आपके साथ नहीं रहते?” वो बोलीं, “रहते तो हैं, लेकिन वो हमेशा बिजनेस में busy रहते हैं। मेरी जरूरतों का उन्हें ख्याल ही नहीं।” उनकी आवाज में उदासी थी, और वो किसी सोच में खो गईं। मैंने कहा, “मैडम, मैं आपकी निजी जिंदगी में क्या बोलूं?” वो हल्का सा मुस्कुराईं और बोलीं, “छोड़ो, मैं भी क्या बात लेकर बैठ गई। तुम बताओ, चाय लोगे या कॉफी?”
मैंने कहा, “कुछ नहीं।” लेकिन वो जिद करने लगीं, “ऐसा कैसे? तुम फ्रेश हो लो, मैं चाय बनाकर लाती हूँ।” वो किचन में चली गईं। मैं बाथरूम में गया, हाथ-मुंह धोया, और बाहर आया तो वो अभी भी किचन में थीं। मेरी आवाज सुनकर वो चाय लेकर आईं। हम दोनों चाय पीते हुए बात करने लगे।
“तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?” पूजा ने अचानक पूछा। मैं हंस पड़ा, “गर्लफ्रेंड? मेरी? नहीं, मैडम!” वो बोलीं, “क्यों? तुम तो अच्छे-खासे, हैंडसम लड़के हो। फिर गर्लफ्रेंड क्यों नहीं?” मैंने कहा, “मैडम, गर्लफ्रेंड बनाना आसान है, लेकिन आजकल की लड़कियां पैसा खर्च करवाती हैं। शॉपिंग, मूवी, रेस्तरां… मेरे पास इतना पैसा कहां? और साल-दो साल घुमाने के बाद भी कुछ मिले, इसकी गारंटी नहीं।”
वो हंसीं और बोलीं, “तुम्हारी सोच तो अच्छी है। लेकिन बताओ, तुमने कभी सेक्स किया है?” उनका सवाल इतना सीधा था कि मैं एकदम चुप हो गया। “नहीं,” मैंने रुखाई से जवाब दिया। “क्यों?” उन्होंने फिर पूछा। मैंने कहा, “मुझे आज तक कोई ऐसी मिली ही नहीं, जो मेरे साथ सेक्स करे। और बिना गर्लफ्रेंड के भला किसके साथ करूं?”
पूजा ने मेरी आँखों में देखा और बोलीं, “क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगे? मैं तुम्हारी हर जरूरत पूरी करूंगी। पैसा, ख्वाहिश, जो चाहिए, सब दूंगी। बस तुम मेरी इस प्यास को बुझा दो। मेरी चूत को चुदाई की जरूरत है।” उनकी बात सुनकर मेरा लंड तन गया। मैंने मन में सोचा, जब ऐसी मस्त चूत खुद चुदवाने को तैयार है, तो इसे छोड़ना मूर्खता होगी।
मैंने उनकी गर्दन पकड़ी और उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनके रसीले होंठों का स्वाद ऐसा था जैसे शहद में डूबी कोई मिठास। वो भी मेरे किस का जवाब देने लगीं। उनकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी। किस करते-करते उन्होंने अपनी टी-शर्ट उतार दी। मैंने देखा तो उनके 36 इंच के बूब्स ब्रा में कैद थे, जो बाहर आने को बेताब थे। वो बोलीं, “यही देखता है ना तू ऑफिस में?” मैंने उनकी ब्रा की स्ट्रैप खींची और उनके बूब्स को आजाद कर दिया। उनके गोल, भरे हुए दूध मेरे सामने थे, गुलाबी निप्पल सख्त हो चुके थे।
मैंने एक बूब अपने मुंह में लिया और चूसने लगा। “आह्ह… शेखर… और जोर से…” पूजा की सिसकारी निकली। मैंने उनका दूसरा बूब अपने हाथ से मसलना शुरू किया। उनकी सिसकारियां तेज हो गईं, “उम्म… हां… ऐसे ही… चूस मेरे दूध…” वो मेरे सिर को अपने बूब्स पर दबा रही थीं। मैंने उनके निप्पल को हल्के से काटा, तो वो चिहुंक उठीं, “आह… शरारती… धीरे…” लेकिन उनकी आवाज में शरारत थी।
कुछ देर बूब्स चूसने के बाद वो बोलीं, “बस ये ही करेगा, या बेडरूम में भी ले जाएगा?” मैंने उन्हें गोद में उठाया और उनके बेडरूम में ले गया। बेड पर लिटाते ही मैं उनके होंठों पर फिर टूट पड़ा। उनके होंठ चूसते हुए मैंने उनकी केपरी उतारी। उनकी गुलाबी पैंटी गीली हो चुकी थी। मैंने उनकी चूत पर उंगली फेरी, वो गर्म और गीली थी। “उम्म… शेखर… छू ना…” वो सिसकारी। मैंने उनकी पैंटी उतारी और उनकी चिकनी, साफ चूत मेरे सामने थी। मैंने अपनी उंगली उनकी चूत में डाली, वो सिहर उठीं, “आह्ह… हां… और अंदर…”
वो पूरी तरह गर्म हो चुकी थीं। उन्होंने मेरी शर्ट और पैंट उतार दी। मेरा 7 इंच का लंड तनकर लोहे की रॉड जैसा हो गया था। पूजा ने उसे अपने हाथ में लिया और बोलीं, “कितना मोटा है तेरा लंड…” वो उसे सहलाने लगीं, फिर अपने मुंह में ले लिया। उनका गर्म मुंह मेरे लंड पर जादू कर रहा था। “उम्म… कितना टेस्टी है…” वो चूसते हुए बोलीं। मैंने कहा, “मैडम, मुझे भी तुम्हारी चूत चूसनी है।” वो मुस्कुराईं और 69 की पोजीशन में आ गईं।
अब मेरा लंड उनके गले तक जा रहा था, और मैं उनकी चूत को चूस रहा था। मेरी जीभ उनकी चूत के दाने को छू रही थी, जिससे वो पागल हो रही थीं, “आह्ह… शेखर… और चूस… उह्ह…” उनकी चूत से रस टपक रहा था। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत के अंदर डाली, और वो जोर से चीखीं, “उम्म… हां… ऐसे ही… और गहरा…” उनकी जांघें मेरे चेहरे को दबा रही थीं। करीब 10 मिनट तक हम एक-दूसरे को चूसते रहे। अचानक पूजा का बदन अकड़ा, और उन्होंने अपनी चूत का पानी मेरे मुंह पर छोड़ दिया। मैंने उसे चाटकर साफ किया।
लेकिन मेरा लंड अभी भी तना हुआ था। मैंने पूजा को बेड पर बैठाया और उनके मुंह में अपना लंड डालकर चोदने लगा। वो मेरे लंड को गटक रही थीं, “उम्म… ग्लप… ग्लप…” उनकी आँखों में पानी आ गया था, लेकिन वो रुकी नहीं। 5 मिनट बाद मैंने अपना सारा माल उनके मुंह में निकाल दिया, और वो उसे चटखारे लेकर पी गईं।
हम दोनों थक गए थे। पूजा ने पूछा, “क्या लोगे?” मैंने कहा, “जो आप पिलाओ।” उन्होंने दो-दो पैग व्हिस्की बनाई। पीते-पीते मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैंने पूजा को फिर किस करना शुरू किया। उनके बूब्स को दबाते हुए मैंने उनकी पैंटी फिर उतारी। वो बोलीं, “शेखर, अब और बर्दाश्त नहीं होता। चोद दे मुझे।” मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और उनके ऊपर चढ़ गया।
वो बोलीं, “धीरे करना, मैंने 15 महीने से सेक्स नहीं किया।” मैंने उनके होंठ चूमे और कहा, “चिंता मत करो।” मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर सेट किया और हल्का सा धक्का मारा। मेरा आधा लंड उनकी चूत में घुस गया। वो चीखीं, “आह्ह… धीरे… दर्द हो रहा है…” मैं रुक गया और उनके बूब्स चूसने लगा। जब उनका दर्द कम हुआ, मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया। “उम्म… हां… शेखर… चोद मुझे…” वो सिसकारी।
मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उनकी चूत गीली और टाइट थी। हर धक्के के साथ उनकी सिसकारियां बढ़ रही थीं, “आह्ह… उह्ह… और जोर से… फाड़ दे मेरी चूत…” 5-6 धक्कों में ही उनका बदन अकड़ गया, और उन्होंने फिर पानी छोड़ दिया। मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उन्हें चूमने लगा। वो हांफ रही थीं, “शेखर… तू तो कमाल है…” उन्होंने मुझे थैंक्यू कहा।
मैंने हंसकर कहा, “थैंक्यू तो मेरे लंड को बोलो।” वो हंसीं और फिर से मेरा लंड मुंह में ले लिया। 5 मिनट में वो फिर गर्म हो गईं। उन्होंने मुझे लिटाया और मेरा लंड अपनी चूत पर सेट करके एक झटके में बैठ गईं। “आह्ह… कितना गहरा गया…” वो मेरे ऊपर उछलने लगीं। उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। लेकिन वो जल्दी थक गईं और नीचे आ गईं।
मैंने उन्हें डॉगी स्टाइल में आने को कहा। वो बेड पर घुटनों के बल झुक गईं। उनकी गोल, रसीली गांड मेरे सामने थी। मैंने उनके पीछे आकर लंड उनकी चूत में डाला और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। “थप… थप… थप…” चुदाई की आवाज कमरे में गूंज रही थी। पूजा चीख रही थीं, “आह्ह… शेखर… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे…” 15 मिनट तक मैंने उन्हें चोदा। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर पानी छोड़ा।
जब मेरा माल निकलने वाला था, मैंने पूछा, “कहां निकालूं?” वो बोलीं, “अंदर ही डाल दे।” मैंने जोरदार धक्के मारे, और मेरे लंड ने पिचकारी मार दी। मेरा सारा माल उनकी चूत में भर गया। हम दोनों हांफते हुए एक-दूसरे की बाहों में लिपटकर सो गए।
उस दिन के बाद पूजा मैडम की चूत की प्यास बुझाने का सिलसिला शुरू हो गया। ऑफिस में अब काम कम और चुदाई की बातें ज्यादा होने लगीं। मैंने उनके साथ कई बार चुदाई की, हर बार एक नया मजा।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसी चुदाई का मजा लिया है? अपने अनुभव कमेंट में बताएं।

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