मेरी जिंदगी का वो लम्हा, जो मैं आज आपसे साझा करने जा रहा हूँ, उसने मेरी और मेरी बीवी की सेक्स लाइफ को पूरी तरह बदल दिया। ऐसा नहीं है कि हम पहले कम खुश थे, लेकिन इस वाकये ने हमारी जिंदगी में एक नया रंग भर दिया।
मेरा नाम मनु है, उम्र 32 साल, और मैं दिल्ली में रहता हूँ। मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर हूँ, और मेरा लुक एवरेज है – 5 फीट 10 इंच का कद, गेहुंआ रंग, और फिट बॉडी। मेरी बीवी सोनू, 25 साल की है, और उसकी खूबसूरती किसी को भी पागल कर दे। उसका गोरा रंग, भरे हुए 36D के चुचे, पतली कमर, और गोल-मटोल गांड उसे किसी अप्सरा से कम नहीं बनाती। उसकी आँखों में एक शरारती चमक और होंठों पर हमेशा एक खिलखिलाती मुस्कान रहती है। हमारी शादी को 6 साल हो चुके हैं, और हमारा 5 साल का बेटा भी है, जो ज्यादातर अपनी नानी के पास रहता है। हमने लव मैरिज की थी, और हमारा रिश्ता हमेशा से ही खुला और मजेदार रहा है।
हम दोनों को जिंदगी में नए-नए अनुभव करना पसंद है, चाहे वो बाहर घूमना हो या बेडरूम में कुछ नया आजमाना। सोनू और मैं हमेशा अपनी सेक्स लाइफ को रोमांचक बनाए रखते हैं। कभी हम रात को छत पर चुपके से चुदाई करते, तो कभी कार में हाईवे के किनारे रुककर मजे लेते। एक बार हिमाचल की वादियों में हमने एक सुनसान पहाड़ी पर, झाड़ियों के पीछे, बिल्कुल नंगे होकर चुदाई की थी। ठंडी हवा में सोनू की सिसकारियां और उसकी गर्म चूत का स्पर्श आज भी मुझे उत्तेजित कर देता है। वहाँ नदी किनारे उसने नंगी होकर अपनी फोटो खिंचवाई थी, जिसमें वो पानी में खेलती हुई, अपनी चूत को सहलाती हुई नजर आ रही थी। वो तस्वीरें आज भी मेरे फोन में हैं, और जब भी देखता हूँ, मेरा लंड खड़ा हो जाता है।
हमारी बालकनी में भी कई बार खुले में चुदाई हो चुकी है। एक बार पड़ोस की भाभी ने हमें देख लिया था। उसने सोनू से मजाक में कहा, “सोनू, तुम लोग तो बिल्कुल बिंदास हो!” सोनू ने हँसते हुए जवाब दिया, “भाभी, इसमें ही तो मजा है!” उसकी ये बिंदास अदा मुझे और जोश दिलाती है।
एक रात की बात है, मैंने दो पैग व्हिस्की के मार लिए थे, और सोनू को भी एक पैग पिला दिया था। सोनू वैसे तो पीती नहीं, लेकिन मेरे साथ कभी-कभी मूड में आ जाती है। उस रात वो कुछ ज्यादा ही जोश में थी। मैंने बेडरूम में एक ब्लू फिल्म लगा रखी थी, और उसी को देखते हुए हम चुदाई कर रहे थे। सोनू मेरे लंड को अपने मुँह में ले रही थी, और मैं उसकी चूत को चाट रहा था। उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरी जीभ हर बार फिसल रही थी। “आह्ह… मनु, और चाटो… उईई… मेरी चूत को खा जाओ!” वो सिसकारियां ले रही थी। मैंने उसे घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में अपना 7 इंच का लंड पेल दिया। “आह्ह… मर गई… और जोर से… फाड़ दो मेरी चूत!” वो चिल्ला रही थी। मैं उसकी गांड पर थप्पड़ मार रहा था, और वो हर थप्पड़ के साथ और जोर से सिसक रही थी।
फिल्म में एक सीन आया, जिसमें एक लड़की कुतिया बनकर एक लंड चूस रही थी, और दूसरा आदमी पीछे से उसकी चूत में लंड पेल रहा था। ये देखकर सोनू का जोश और बढ़ गया। वो मेरे लंड को मुँह से चूसते हुए अपनी चूत में उंगली करने लगी। “उईई… मनु… कितना मोटा लंड है इसका… आह्ह… मेरी चूत में भी ऐसा चाहिए!” उसकी उंगलियां उसकी चूत में तेजी से अंदर-बाहर हो रही थीं। थोड़ी देर बाद उसका हाथ थक गया, और उसने उंगली निकाल ली।
मैंने मजाक में कहा, “क्या हुआ, मेरी रानी? इतना मन है तो कोई दूसरा लंड लाऊँ क्या?”
सोनू जोश में थी, उसकी चूत की आग उस पर हावी थी। उसने कहा, “हाँ, क्यों नहीं! कब से मेरी इच्छा है दो-दो लंड लेने की। तू तो बस अकेले ही चोदता है, कभी कोई और लंड ला मेरे लिए!”
हम अक्सर चुदाई के दौरान ऐसी गंदी बातें करते हैं, तो मैंने हँसते हुए कहा, “बता दे, किसका लंड चाहिए तुझे? जिसका पसंद हो, वही ला दूं!”
सोनू ने तपाक से कहा, “सुनील का लंड चाहिए! उसका तो बहुत मोटा और तगड़ा है!”
मैंने कहा, “ठीक है, कल ही सुनील को बुलाता हूँ। वो तेरी चूत की चटनी बना देगा।”
“पक्का ना?” उसने शरारती अंदाज में पूछा।
“पक्का! लेकिन मेरे सामने चुदना होगा। मैं चुपके से देखूंगा।”
“अरे, तू देखेगा तो दूसरा लंड कहाँ से मिलेगा?”
“तो तू एक और मर्द बता, जिससे चुदने का मन हो।”
“हाँ, दीपक का लंड भी मोटा है!”
हम ऐसी ही गंदी बातें करते रहे, और तभी मैं झड़ गया। मैंने अपना लंड निकाला, साफ किया, और सो गया। सुबह सब कुछ नॉर्मल था। मैं नाश्ता करके ऑफिस चला गया।
दोपहर में अचानक सोनू का फोन आया, “मनु, कहाँ हो? अभी घर आ सकते हो?”
“क्यों, क्या हुआ?” मैंने पूछा।
“बहुत मन कर रहा है!” उसकी आवाज में बेचैनी थी।
“शाम को आकर चोदता हूँ ना!”
“नहीं, अभी आओ, वरना मैं सुनील और दीपक को बुला रही हूँ!”
“बुला ले!” मैंने हँसते हुए फोन रख दिया।
ऑफिस में बैठे-बैठे मैं सोचने लगा। सुनील और दीपक मेरे पुराने दोस्त हैं, दोनों शादीशुदा हैं। अगर वो सोनू को चोदें भी, तो बात घर तक ही रहेगी। वो अपनी बीवियों के डर से किसी को कुछ नहीं बताएंगे। और मेरे और सोनू के लिए ये एक नया सेक्सुअल अनुभव होगा। ये सोचकर मैंने सोनू को फोन किया और कहा, “शाम को सुनील और दीपक को घर बुला। दारू पार्टी का बहाना कर।”
“सच में? तू मुझे दो-दो लंडों से चुदवाएगा?” उसकी आवाज में उत्साह था।
“हाँ, सोच तो ऐसा ही रहा हूँ।”
“ठीक है, लेकिन अगर उनकी चुदाई ने मेरी चूत की प्यास बुझा दी, तो कहीं मुझे उनके लंड का स्वाद न लग जाए?”
“कोई बात नहीं, मेरी जान। चूत की प्यास बुझाना गलत नहीं। पति न सही, तो दोस्त ही सही!”
सोनू थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन फिर मान गई। मैंने शर्त रखी कि सुनील और दीपक को नहीं पता चलना चाहिए कि मैं देख रहा हूँ, और सोनू को ही उन्हें चुदाई के लिए तैयार करना होगा। वो तैयार हो गई।
शाम को सब कुछ प्लान के मुताबिक हुआ। सोनू ने सुनील और दीपक को खाने के बहाने बुलाया। मैं पहले ही घर पहुँचकर अलमारी के पीछे छुप गया, जहाँ से मुझे सब कुछ दिख रहा था। ठीक 7 बजे दोनों घर आ गए, अपने साथ एक व्हिस्की की बोतल लेकर। दोनों सोफे पर बैठकर फिल्म देखने लगे। आधे घंटे बाद दीपक ने मुझे फोन किया, लेकिन मेरा फोन पहले ही स्विच ऑफ था। उसने सोनू से पूछा, “मनु का फोन नहीं लग रहा, क्या बात है?”
सोनू ने कहा, “अरे, मैं बताना भूल गई। मनु ने कहा था कि वो आज लेट आएगा।”
“ये मनु भी ना, हमेशा ऐसा करता है! अब हमारी दारू पार्टी का क्या होगा? पूरी बोतल लाए हैं!” दीपक ने शिकायत की।
सुनील बोला, “कोई बात नहीं, मैं दिनु और पप्पू को बुला लेता हूँ। हम चारों मिलकर बोतल खत्म कर देंगे।”
सोनू ने सुना कि दिनु और पप्पू भी आ रहे हैं, जो मेरे ही दोस्त हैं। उसने कोई आपत्ति नहीं की। उसने पहले ही पूरी तैयारी कर रखी थी। उसने पूरे शरीर की वैक्सिंग कराई थी, अपनी चूत को बिल्कुल चिकना कर लिया था, और एक सेक्सी काली ब्रा-पैंटी सेट पहना था, जिसके ऊपर एक टाइट, गहरे गले का टॉप और घुटनों तक की स्कर्ट। उसका टॉप इतना टाइट था कि उसके चुचे बाहर आने को बेताब थे, और स्कर्ट में उसकी गोरी, गोल जांघें साफ दिख रही थीं। मैं देख रहा था कि सुनील और दीपक की नजरें उसकी जांघों और चूचों पर टिकी थीं।
सुनील और दीपक ने दारू पीना शुरू कर दिया। सोनू उनके बगल वाले सोफे पर बैठ गई। उसने जानबूझकर अपनी स्कर्ट को थोड़ा ऊपर खिसकाया, ताकि उसकी जांघें और दिखें। सुनील की नजरें उसकी जांघों पर अटक गईं, जैसे वो सोच रहा हो कि इनके बीच में उसका लंड होता तो कितना मजा आता। दीपक भी कम नहीं था, वो सोनू के चूचों को घूर रहा था, जैसे उन्हें निचोड़ देना चाहता हो।
दोनों ने दो-दो पैग लिए और तीसरा बनाने लगे। तभी सोनू बोली, “मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को लाती हूँ।” वो किचन गई और जब वापस आई, तो मेज पर झुककर नाश्ता रखने लगी। उसका टॉप नीचे खिसक गया, और उसके चुचे ब्रा से बाहर झांकने लगे। सुनील और दीपक की आँखें फट गईं। सोनू फिर सोफे पर बैठ गई और अपनी टांगें ऊपर करके बैठी, ताकि उसकी स्कर्ट और ऊपर चढ़ जाए। अब उसकी पैंटी की झलक साफ दिख रही थी। दोनों की हालत खराब हो रही थी, और मैं समझ गया कि सोनू का जाल काम कर रहा है।
सुनील उठा और सोनू के पास बैठ गया। उसने बात शुरू की, “और बताओ, सोनू, आजकल क्या चल रहा है?” कहते हुए उसने सोनू की जांघ पर हाथ रख दिया और धीरे-धीरे सहलाने लगा। सोनू ने कोई विरोध नहीं किया, बल्कि मुस्कुराई। दीपक से रहा नहीं गया, वो भी सोनू के दूसरी तरफ आकर बैठ गया और उसकी दूसरी जांघ पर हाथ फेरने लगा। अब माहौल गर्म हो चुका था।
सोनू ने बिना देर किए सुनील की जींस की जिप पर हाथ रखा और उसे खोलने लगी। अपने दूसरे हाथ से उसने दीपक के लंड को पैंट के ऊपर से दबाना शुरू किया। सुनील का लंड बाहर आ चुका था – 8 इंच लंबा और मोटा, जैसे कोई हथियार। सोनू ने उसे देखकर कहा, “हाय राम, ये तो बबली को रोज फाड़ता होगा!” वो बारी-बारी से दोनों के लंड अपने हाथों में लेकर सहलाने लगी। मैं बाहर से ये सब देख रहा था, और मेरा लंड भी तन गया। मेरी बीवी मेरे सामने मेरे दोस्तों के लंडों के साथ खेल रही थी।
सोनू अब घुटनों के बल बैठ गई और सुनील का लंड अपने मुँह में ले लिया। “उम्म… कितना मोटा है… आह्ह…” वो चूसते हुए सिसक रही थी। दीपक ने उसका टॉप ऊपर उठाया और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके चुचे दबाने लगा। “सोनू, तेरे ये चुचे तो जन्नत हैं!” उसने कहा। सोनू ने दीपक का लंड भी मुँह में लिया और चूसने लगी। “आह्ह… दीपक, तेरा भी कम नहीं… उईई…” वो दोनों के लंड बारी-बारी से चूस रही थी।
सुनील ने सोनू की ब्रा उतार दी। उसके गोरे, भरे हुए चुचे बाहर आ गए, और उनके निप्पल गुलाबी और सख्त थे। दीपक ने उसकी स्कर्ट ऊपर उठाई और पैंटी नीचे खींच दी। सोनू की चिकनी, गीली चूत अब सबके सामने थी। “दीपक, ये क्या! मैं तुम्हें पूरा मजा दे रही हूँ, और तू बस देख रहा है? आ, मेरी चूत को चाट!” सोनू ने कहा। दीपक ने अपने कपड़े उतारे और नंगा होकर सोनू की चूत पर टूट पड़ा। उसकी जीभ सोनू की चूत के दाने को चाट रही थी, और सोनू चिल्ला रही थी, “आह्ह… उईई… दीपक, और चाट… मेरी चूत को खा जा!”
सुनील भी नंगा हो चुका था। उसने सोनू को बेड पर ले जाकर कुतिया बनाया। उसने अपना लंड सोनू की चूत पर रगड़ा और धीरे से अंदर पेल दिया। “आह्ह… मर गई… सुनील, तेरा लंड तो मेरी चूत को चीर देगा!” सोनू सिसक रही थी। दीपक ने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया, और वो उसे चूसने लगी। मैं बाहर से ये सब देखकर मुठ मार रहा था।
तभी डोरबेल बजी। सोनू घबराकर उठी, “अब ये कौन आ गया?”
दीपक बोला, “शायद मनु होगा!”
“नहीं, वो अभी नहीं आएगा!”
“तो फिर कौन?”
सुनील ने कहा, “दिनु और पप्पू होंगे। मैंने उन्हें बुलाया था।”
सोनू ने मजाक में कहा, “अरे, अभी तो फिल्म शुरू भी नहीं हुई, और तुमने इंटरवल कर दिया!”
सुनील बोला, “कोई बात नहीं, मेरी रानी। दो दोस्त हैं, तो दो और सही। आज पूरी मस्ती कर!”
सोनू ने हँसते हुए कहा, “ठीक है, बुला लो। जहाँ दो से चुद रही हूँ, वहाँ चार से क्या फर्क!” दीपक बाहर गया और दिनु-पप्पू को लेकर आया। दोनों अंदर आए और सोनू को नंगी देखकर समझ गए कि क्या चल रहा है। दिनु बोला, “साली, कब से तेरी चूत चोदने का मन था। आज तो रात भर फाड़ूंगा!” पप्पू भी नंगा होकर बेड पर आ गया।
अब सोनू बिल्कुल नंगी, चार मोटे-मोटे लंड वाले मर्दों के बीच थी। दिनु ने उसे बेड पर लिटाया और अपनी जीभ से उसकी चूत चाटने लगा। “उईई… दिनु, तू तो मेरी चूत को खा जाएगा!” सोनू सिसक रही थी। पप्पू ने अपना 7 इंच का लंड उसके मुँह में डाल दिया। “चूस, सोनू… आह्ह… तेरा मुँह तो जादू करता है!”
सोनू ने जोश में कहा, “नहीं, ऐसे मजा नहीं आएगा। मुझे सब लंड एक साथ चाहिए!” वो कुतिया बनकर उनके बीच आ गई। दिनु नीचे लेट गया और सोनू को अपने ऊपर खींच लिया। उसने अपना 8 इंच का लंड सोनू की चूत में पेल दिया। “आह्ह… मर गई… दिनु, तेरा लंड तो मेरी जान लेगा!” सोनू चिल्लाई। सुनील ने पीछे से उसकी गांड पर थूक लगाया और अपना लंड धीरे-धीरे उसकी गांड में घुसा दिया। “उईई… सुनील, धीरे… मेरी गांड फट जाएगी!” पप्पू ने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया, और दीपक का लंड सोनू अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी। “दीपक, तू रुक। जो पहले झड़ेगा, उसकी जगह तू ले लेना!”
अब चुदाई का खेल शुरू हो गया। दिनु नीचे से सोनू की चूत में धक्के मार रहा था, “आह्ह… सोनू, तेरी चूत तो कितनी टाइट है!” सुनील उसकी गांड में लंड पेल रहा था, “उईई… सुनील, और जोर से… मेरी गांड का कुआं बना दे!” पप्पू उसके मुँह को चोद रहा था, “चूस, रानी… आह्ह… तेरा मुँह तो स्वर्ग है!” दीपक का लंड सोनू के हाथ में था, और वो उसे जोर-जोर से हिला रही थी।
“आह्ह… उईई… मर गई… तुम चारों ने तो मेरी चूत और गांड को फाड़ दिया!” सोनू चिल्ला रही थी। “दिनु, और जोर से चोद… मेरी चूत की प्यास बुझा!” “सुनील, मेरी गांड को और फाड़… आह्ह…” “पप्पू, तेरा लंड तो मेरे गले तक जा रहा है!” हर धक्के के साथ सोनू की सिसकारियां बढ़ रही थीं। उसकी चूत से रस टपक रहा था, और उसकी गांड सुनील के लंड से लाल हो गई थी।
करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद पप्पू पहले झड़ गया। उसने सोनू के मुँह में अपना माल छोड़ दिया, और सोनू ने उसे चाट लिया। “आह्ह… पप्पू, तेरा माल तो मीठा है!” उसने हँसते हुए कहा। दीपक ने तुरंत उसका मुँह पकड़ा और अपना लंड अंदर पेल दिया। “अब मेरी बारी, सोनू!”
अब दिनु और सुनील और जोर से धक्के मार रहे थे। सोनू की चूत और गांड एक साथ फट रही थी। “आह्ह… उईई… तुम लोग मुझे मार डालोगे!” वो चिल्ला रही थी। तभी दिनु ने कहा, “सोनू, अब बारी मेरी है!” उसने सोनू को उठाया और उसे उल्टा करके घोड़ी बनाया। उसने अपना लंड फिर से उसकी चूत में पेल दिया, और सुनील ने उसकी गांड में। दीपक अब उसके मुँह को चोद रहा था, और पप्पू ने अपना लंड उसके हाथ में दे दिया।
तभी डोरबेल फिर बजी। सोनू ने घबराकर कहा, “अब ये कौन?” सुनील ने कहा, “शायद मेरा दोस्त राजू है। मैंने उसे भी बुलाया था।” सोनू ने हँसते हुए कहा, “अरे, तुम लोग तो मेरी चूत और गांड का मेला लगा दोगे!” दीपक बाहर गया और राजू को लेकर आया। राजू ने सोनू को नंगी देखा और तुरंत अपने कपड़े उतार दिए। उसका 9 इंच का लंड देखकर सोनू की आँखें चमक उठीं। “हाय राम, ये तो मेरी चूत को फाड़ देगा!”
अब पांचों मर्द सोनू के इर्द-गिर्द थे। दिनु उसकी चूत चोद रहा था, सुनील उसकी गांड, दीपक उसके मुँह को, पप्पू का लंड उसके हाथ में था, और राजू ने अपना लंड उसके दूसरे हाथ में दे दिया। “आह्ह… उईई… पांच-पांच लंड… मेरी चूत और गांड को बर्बाद कर दोगे!” सोनू सिसक रही थी। उसकी चूत से रस की धार बह रही थी, और उसकी गांड सुनील के धक्कों से लाल हो चुकी थी।
करीब एक घंटे तक ये चुदाई चलती रही। हर मर्द बारी-बारी से सोनू की चूत, गांड, और मुँह को चोद रहा था। “आह्ह… दिनु, और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे!” “सुनील, मेरी गांड का भोसड़ा बना दे!” “दीपक, तेरा लंड तो मेरे गले में अटक रहा है!” “पप्पू, और तेज हिला!” “राजू, तेरा लंड तो मेरी चूत को चीर देगा!” सोनू की सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थीं।
आखिरकार, एक-एक करके सब झड़ गए। दिनु ने सोनू की चूत में, सुनील ने उसकी गांड में, दीपक ने उसके मुँह में, और पप्पू और राजू ने उसके चूचों पर अपना माल छोड़ दिया। सोनू बेड पर लेट गई, उसका शरीर पसीने और रस से भीगा हुआ था। “आह्ह… तुम लोग ने तो मुझे बर्बाद कर दिया!” उसने हँसते हुए कहा।
थोड़ी देर बाद सबने एक-एक पैग और लिया और फिर से शुरू हो गए। इस बार सोनू ने राजू का लंड अपनी चूत में लिया, पप्पू का गांड में, और दीपक का मुँह में। सुनील और दिनु उसके चूचों को चूस रहे थे। “आह्ह… उईई… तुम लोग मुझे जन्नत दिखा रहे हो!” सोनू चिल्ला रही थी।
रात भर ये चुदाई चलती रही। सोनू की चूत और गांड बार-बार फटी, लेकिन उसका मन नहीं भरा। आखिर में सब थक गए और वादा करके गए कि अगली बार छह दोस्त मिलकर उसे चोदेंगे। मैं सोच रहा था कि सोनू छह लंड कैसे संभालेगी, लेकिन वो इसके लिए तैयार थी।
आपको क्या लगता है, सोनू अगली बार छह लंडों का मजा कैसे लेगी? अपनी राय कमेंट में बताएं!