हाय दोस्तों, मेरा नाम साजिद है। मैं बी.कॉम का स्टूडेंट हूँ और फैसलाबाद का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 22 साल है, और मैं दिखने में ठीक-ठाक हूँ—गोरा रंग, मध्यम कद, और जिम जाने की वजह से बदन में थोड़ी-सी ताकत भी है। ये कहानी आज से तीन महीने पुरानी है, जब मैं अपनी कजिन की शादी में शामिल होने गया था। मेरी कजिन की छोटी बहन, जिसका नाम हिना है, मुझे बहुत पसंद है। हिना 19 साल की है, उसका रंग दूध-सा गोरा, लंबे काले बाल, और एकदम नाजुक-सी शक्ल-सूरत। उसकी आँखें बड़ी-बड़ी और होंठ गुलाबी, जो हर बार मुझे पागल कर देते थे। वो भी मुझे पसंद करती थी, ये मुझे पहले से पता था। हम दोनों के बीच हमेशा से एक अनकहा-सा आकर्षण था, लेकिन कभी बात उस हद तक नहीं बढ़ी थी।
उस रात मेहंदी की रस्म थी। शादी का माहौल था, घर में रौनक बिखरी हुई थी। सब लोग मेहंदी लेकर आंटी के घर के लिए निकल गए, जो वहाँ से काफी दूर था। जब मैं वहाँ पहुँचा, तो पता चला कि हिना साथ नहीं आई। वो नानी अम्माँ के साथ घर पर अकेली रह गई थी। नानी अम्माँ को कम सुनाई देता है और उनकी नजर भी कमजोर है, ये मुझे अच्छे से पता था। मेरे दिमाग में तुरंत ख्याल आया कि ये मौका गँवाना नहीं चाहिए। मैंने बिना देर किए वापस घर की ओर रुख किया। मेरा इरादा हिना को चोदने का नहीं था, लेकिन मन में एक अजीब-सी बेचैनी थी। मैंने पहले कभी किसी लड़की के साथ ऐसा कुछ नहीं किया था, लेकिन हिना की खूबसूरती और उसकी वो नशीली हँसी मुझे हमेशा बेकरार कर देती थी।
घर पहुँचते ही मैंने देखा कि नानी अम्माँ नीचे के कमरे में सोने की कोशिश कर रही थीं। उनका कमरा बंद था, और चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। मैं चुपके से ऊपर फर्स्ट फ्लोर पर गया, जहाँ हिना सो रही थी। कमरे का दरवाजा हल्का-सा खुला था। मैंने धीरे से अंदर झाँका। हिना बिस्तर पर लेटी हुई थी, गहरी नींद में। उसने हल्के गुलाबी रंग की कुरती और शलवार पहनी थी, जो उसके गोरे बदन पर एकदम जच रही थी। उसका एक हाथ उसके सीने पर था, जहाँ उसकी चुन्नी हल्की-सी सरक गई थी, और दूसरा हाथ पेट के पास। उसकी साँसें धीमी और गहरी थीं, जैसे वो किसी खूबसूरत सपने में खोई हो। मैं चुपके से कमरे में दाखिल हुआ और दरवाजा बंद कर लिया। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, जैसे कोई डर और उत्तेजना का मिश्रण मेरे अंदर उबाल मार रहा हो।
मैं धीरे से उसके बिस्तर के पास गया और बगल में बैठ गया। उसकी साँसों की गर्माहट मुझे महसूस हो रही थी। मैंने हिम्मत करके उसका हाथ पकड़ा और धीरे से उसके सीने से हटाया। उसकी कुरती के ऊपर से उसके उभरे हुए मम्मों का आकार साफ दिख रहा था। उसका बदन मुझे पागल कर रहा था। मैंने झुककर धीरे से उसके गुलाबी होंठों को चूमा। उसने कोई हरकत नहीं की, शायद वो गहरी नींद में थी। मेरे अंदर का जुनून अब और बढ़ गया। मैं उसके बगल में लेट गया और उसे अपनी बाहों में ले लिया। उसकी नरम त्वचा मेरे हाथों में जैसे पिघल रही थी। मेरा लंड अब धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था, और मेरे बदन में एक अजीब-सी गर्मी दौड़ रही थी।
अचानक हिना की नींद खुली। उसने मुझे देखा और एकदम चौंक गई। उसकी बड़ी-बड़ी आँखों में हैरानी थी। “साजिद, तुम यहाँ क्या कर रहे हो?” उसने धीमी आवाज में पूछा, जैसे डर रही हो कि कोई सुन न ले। मैंने बिना कुछ कहे फिर से उसके होंठों को चूमा। इस बार उसने हल्का-सा मेरा साथ दिया। मैंने उसे और जोर से अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसकी जीभ को चूसने लगा। उसकी साँसें तेज हो रही थीं, और उसके होंठ गर्म और नरम लग रहे थे। “उफ्फ्फ, साजिद… ये क्या कर रहे हो?” उसने सिसकते हुए कहा, लेकिन उसकी आवाज में एक अजीब-सी मिठास थी। मैंने उसकी गरदन पर किस करना शुरू किया, धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ते हुए। उसकी साँसें अब और तेज हो गई थीं। “प्लीज, अभी नहीं… शादी के बाद,” उसने मुझसे कहा, लेकिन उसकी आँखों में वही चाहत थी जो मेरे अंदर थी।
“हिना, मेरी जान, मुझसे अब बर्दाश्त नहीं होता,” मैंने कहा और उसकी कुरती के ऊपर से उसके मम्मों को हल्के से दबाया। उसने मुँह से एक हल्की-सी सिसकारी भरी, “उफ्फ्फ…” वो मुस्कुराई और बोली, “तड़पते रहो, अभी वक्त नहीं आया।” उसकी ये बात सुनकर मेरा जुनून और भड़क गया। मैंने उसे फिर से चूमा और उसकी कुरती को ऊपर उठाने की कोशिश की। उसने रोकने की कोशिश की, लेकिन मेरे जुनून के सामने उसकी कोशिश नाकाम रही। मैंने उसकी कुरती उतार दी। अब वो सिर्फ ब्रा और शलवार में थी। उसकी गोरी त्वचा चाँदनी की तरह चमक रही थी। उसकी ब्रा के ऊपर से उसके मम्मे उभरे हुए थे, और उसकी चूत शलवार के ऊपर से साफ दिख रही थी।
हिना ने अचानक खुद को छुड़ाने की कोशिश की और भागने लगी। “साजिद, प्लीज, मुझे छोड़ दो!” उसने कहा, लेकिन मैंने उसे पकड़ लिया और वापस बिस्तर पर लिटा दिया। मैं उसके ऊपर चढ़ गया। “हिना, अब तू मेरी है,” मैंने कहा और अपने कपड़े उतार दिए। मुझे नंगा देखकर वो गुस्से में आ गई। “छोड़ दो मुझे, वरना मैं सबको बता दूँगी!” उसने चिल्लाकर कहा। लेकिन मेरी बाहें उसके चारों ओर कस चुकी थीं। उसके नरम मम्मे मेरे सीने से टकरा रहे थे, और उसकी गर्म त्वचा मेरे बदन को और उत्तेजित कर रही थी। मैंने बेदर्दी से उसके मम्मों को दबाना शुरू किया। वो सिसक रही थी, “उफ्फ्फ… आह्ह्ह… प्लीज, साजिद, मत करो!” लेकिन मेरे अंदर की आग अब बेकाबू हो चुकी थी।
मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। अब वो मेरे सामने पूरी तरह नंगी थी। उसके गोल, नरम मम्मे मेरे सामने थे, जिनके निप्पल गुलाबी और सख्त हो चुके थे। मेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा था, करीब 7 इंच लंबा और मोटा। मैंने उसके मम्मों को चूसना शुरू किया। “आह्ह्ह… साजिद, प्लीज, धीरे…” उसने सिसकारी भरी। मैंने एक मम्मे को मुँह में लिया और दूसरे को अपने हाथ से दबाया। उसकी सिसकियाँ अब तेज हो रही थीं, “उफ्फ्फ… आह्ह्ह… मत करो, प्लीज!” लेकिन उसकी आवाज में अब वो मना करने वाला जोर नहीं था। मैंने उसकी चूत को शलवार के ऊपर से सहलाया। वो गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी शलवार भी उतार दी। उसकी चूत पूरी तरह साफ थी, जैसे उसने हाल ही में शेव किया हो। उसकी गुलाबी चूत चमक रही थी, और उसकी खुशबू मुझे और पागल कर रही थी।
मैंने उसकी चूत को अपनी उंगलियों से सहलाना शुरू किया। “उफ्फ्फ… साजिद, ये गलत है… प्लीज, रुक जाओ,” उसने फिर कहा, लेकिन उसकी साँसें अब बेकाबू थीं। मैंने उसकी चूत में एक उंगली डाली। वो इतनी टाइट थी कि मेरी उंगली को अंदर जाने में मुश्किल हो रही थी। “आह्ह्ह… दर्द हो रहा है!” उसने चिल्लाकर कहा। मैंने पास में पड़ा जैल लिया और उसकी चूत पर लगाया। अब मेरी उंगली आसानी से अंदर-बाहर होने लगी। वो सिसक रही थी, “उफ्फ्फ… आह्ह्ह… साजिद, धीरे करो!” मैंने अब अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रखा। वो एकदम सिहर उठी। “नहीं, साजिद, प्लीज, ये मत करो!” उसने मinnat की, लेकिन मैंने धीरे से अपने लंड को उसकी चूत में दबाया।
मेरा लंड मुश्किल से 2 इंच अंदर गया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि वो दर्द से चिल्ला उठी, “आह्ह्ह… मर गई… प्लीज, निकाल लो!” मैंने एक और जोरदार धक्का मारा। अब मेरा लंड 4 इंच अंदर था। उसकी चूत से खून निकलने लगा। “उफ्फ्फ… साजिद, तुमने मुझे मार डाला!” उसने चीखकर कहा। मैंने पास में पड़ा रुमाल लिया और उसका खून साफ किया। उसकी चीखें मेरे जुनून को और बढ़ा रही थीं। मैंने एक और जोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। “आह्ह्ह… मर गई… छोड़ दो, प्लीज!” वो चिल्ला रही थी, लेकिन अब उसकी आवाज में थकान थी। उसने विरोध छोड़ दिया था। उसकी बाहें बेजान-सी बिस्तर पर पड़ी थीं, और वो सिर्फ सिसक रही थी, “हाय… मर गई… प्लीज, धीरे करो…”
मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया। हर धक्के के साथ उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। “फच… फच… फच…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। उसकी सिसकियाँ अब सिसकारी में बदल रही थीं, “उफ्फ्फ… आह्ह्ह… साजिद, धीरे…” मैंने उसके होंठों को फिर से चूसना शुरू किया। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर टकरा रही थीं। “हिना, मेरी जान, तू कितनी मस्त है,” मैंने कहा और उसके मम्मों को फिर से दबाया। अब वो भी धीरे-धीरे मेरा साथ देने लगी। उसने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दीं और मुझे जोर से जकड़ लिया। “आह्ह्ह… साजिद, और जोर से…” उसने सिसकारी भरी।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। “फच… फच… फच…” की आवाज अब और तेज हो गई थी। उसकी चूत पूरी तरह गीली थी, और मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। “उफ्फ्फ… आह्ह्ह… साजिद, मार डालो मुझे!” वो चिल्ला रही थी। मैंने उसे और जोर से चोदा। उसकी सिसकियाँ अब चीखों में बदल गई थीं, “आह्ह्ह… ओह्ह्ह… और जोर से… पुरा अंदर डाल दो!” मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और अचानक उसका बदन अकड़ गया। उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और मेरे होंठों को अपने दाँतों से काट लिया। “आह्ह्ह… मैं गई!” उसने चिल्लाकर कहा, और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। उसी वक्त मेरा भी पानी निकल गया। हम दोनों एक साथ झड़ गए। मेरे बदन में जैसे बिजली-सी दौड़ गई। ऐसा मजा मुझे पहले कभी नहीं मिला था।
हम दोनों हाँफते हुए बिस्तर पर लेट गए। हिना मेरी तरफ देखकर शरमाई और अपना सिर मेरे सीने पर रख दिया। “साजिद, ये गलत था…” उसने धीमी आवाज में कहा। मैंने उसके बालों को सहलाया और कहा, “हिना, मेरी जान, आज तेरी बहन की सुहागरात है, और हमारी भी।” वो हल्के से मुस्कुराई, लेकिन उसकी आँखों में आँसू थे। थोड़ी देर बाद वो फिर रोने लगी। मैंने उसे चुप कराने की कोशिश की, लेकिन वो चुप नहीं हुई। “साजिद, अगर किसी को पता चल गया तो?” उसने डरते हुए कहा। मैंने उसे अपनी बाहों में लिया और कहा, “कोई नहीं जानेगा, मेरी जान।” मैंने उसके होंठों को फिर से चूमा और मेहंदी की रस्म के लिए निकल गया।
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