Manju bhabhi ki gaand chudai story हेलो दोस्तो, आप सब कैसे हैं? मेरा नाम राज है, और ये मेरी तीसरी कहानी है। पहले की दो कहानियों में मैंने बताया था कि कैसे मैंने अपनी मंजू भाभी की चूत को खूब चोदा था। लेकिन आज की कहानी कुछ अलग है, क्योंकि इस बार मैं उनकी गांड मारने की ठान चुका था। तो अपनी चूत में उंगली और लंड पर हाथ रखकर इस कहानी का मज़ा लीजिए। मैं आपको बता दूं कि मेरी मंजू भाभी सनी लियोन की तरह दिखती हैं, बस फर्क इतना है कि उनका रंग सांवला है, जो उन्हें और भी सेक्सी बनाता है। उनकी उम्र 32 साल है, 36D के भारी-भरकम चूचे, पतली कमर और 38 की भारी गांड, जो चलते वक्त मटकती है। मैं 25 साल का हूं, हट्टा-कट्टा, 8 इंच का लंड और स्टैमिना जो भाभी को हमेशा तृप्त करता है।
मेरे बड़े भैया को अहमदाबाद जाना था, 5 दिन के लिए। उस सुबह जब मैं उठा, मंजू भाभी किचन में नाश्ता बना रही थीं। उनका बेटा, जो अब 18 साल का था और कॉलेज में पढ़ता था, अपने रूम में पढ़ाई कर रहा था। मैं सीधा किचन में गया। भाभी लाल साड़ी में थीं, उनकी गांड साड़ी में उभरी हुई थी, जैसे मुझे बुला रही हो। मैंने पीछे से जाकर अपना तना हुआ लंड उनकी गांड पर दबाया। वो चौंकीं और बोलीं, “अरे राज, तूने तो डरा दिया!” मैंने हंसकर कहा, “भाभी, आपकी ये मटकती गांड सुबह-सुबह मुझे बेचैन कर देती है।” वो शरमाते हुए बोलीं, “चल हट, जाओ नहा लो, नाश्ता तैयार है।” मैंने कहा, “नहाने से पहले मुझसे कुछ काम है।” वो बोलीं, “क्या काम?”
मैंने उनके कान के पास मुंह ले जाकर फुसफुसाया, “भाभी, मुझे आपकी फिर से चुदाई करनी है।” वो हल्का सा शरमाईं और बोलीं, “अरे, अभी मेरा बेटा घर पर है। दोपहर में जब वो कॉलेज जाएगा, तब कर लेना।” मैंने ज़िद की, “नहीं भाभी, मुझे अभी चाहिए, लेकिन ठीक है, मैं दोपहर तक इंतज़ार कर लूंगा, पर एक शर्त पर।” वो बोलीं, “क्या शर्त?” मैंने कहा, “दोपहर को मैं जो चाहूं वो करूंगा, और आप मना नहीं करेंगी।” वो थोड़ा सोच में पड़ गईं, फिर मुस्कुराकर बोलीं, “ठीक है, राजा।” मैंने उन्हें पकड़कर एक गहरी लिपकिस दी। उनकी जीभ को चूसा, उनके होंठों का रस पिया, और फिर नहाने चला गया। नहाकर बाहर आया तो उनका बेटा कॉलेज के लिए तैयार था। उसने मम्मी को गले लगाया, मुझे बाय कहा और निकल गया। मैं भी बाहर घूमने निकल गया और रास्ते में एक कच्चा केला खरीद लिया। कच्चा केला सख्त और चिकना होता है, जो मेरे प्लान के लिए एकदम सही था।
दोपहर को जब मैं घर लौटा, भाभी ने टेबल पर खाना लगा रखा था। हमने साथ में खाना खाया। खाना खाते वक्त मैं उनकी तरफ देख रहा था। उनकी साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था, और उनके चूचे ब्लाउज़ में उभर रहे थे। खाना खाकर भाभी बर्तन साफ करने किचन में गईं। मैंने सोचा, अब सही मौका है। दोपहर के 1 बजे वो मेरे पास आईं और बोलीं, “राज, मैं तैयार हूं।” मैंने फट से घर के सारे दरवाजे-खिड़कियां बंद किए और भाभी को गोद में उठाकर बाथरूम ले गया। वहां मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरी तरह नंगा हो गया। मेरा 8 इंच का लंड पहले से ही तनकर पत्थर जैसा सख्त था। भाभी ने मेरे लंड को हाथ में लिया और धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करने लगीं। वो बोलीं, “राज, ये तो लोहे की रॉड जैसा है।”
मैंने भाभी को अपनी तरफ खींचा और उनकी साड़ी का पल्लू खींचकर उतार दिया। उनका ब्लाउज़ उनके चूचों को मुश्किल से समेटे था। मैंने धीरे-धीरे उनके ब्लाउज़ के बटन खोले, हर बटन खुलने के साथ उनके चूचे और उभर रहे थे। ब्लाउज़ उतारते ही उनके भारी चूचे बाहर आ गए। मैंने उनका पेटीकोट भी नीचे खींच दिया। अब वो सिर्फ काली ब्रा और पैंटी में थीं। मैंने बाथरूम का गीज़र ऑन किया और शॉवर चालू कर दिया। गर्म पानी हम दोनों पर गिरने लगा। पानी की बूंदें भाभी की सांवली त्वचा पर चमक रही थीं। मैंने उनकी ब्रा के हुक खोले, और उनके 36D के चूचे आज़ाद हो गए। उनके निप्पल सख्त थे, जैसे छोटे-छोटे काले अंगूर। मैंने एक निप्पल को मुंह में लिया और चूसने लगा। भाभी सिसकारी, “आह्ह… राज, धीरे… उह्ह…” मैंने उनके चूचों को दोनों हाथों से दबाया, उन्हें मसला, और उनके निप्पल को जीभ से चाटा। भाभी की सांसें तेज़ हो गई थीं, “उह्ह… राज, तू तो मुझे पागल कर देगा।”
मैंने उनकी पैंटी नीचे खींची। उनकी चूत गीली थी, उसकी खुशबू मेरे होश उड़ा रही थी। मैंने उन्हें शॉवर के नीचे घुटनों के बल बिठाया और उनके चूचों को पानी की धार में भिगोया। मैंने उनके चूचों को फिर से चूसा, उनके निप्पल को दांतों से हल्का सा काटा। भाभी चिहुंकी, “आह्ह… राज, तू कितना बदमाश है!” मैंने हंसकर कहा, “भाभी, अभी तो शुरुआत है।” मैंने उन्हें उठाकर शॉवर के नीचे ‘कुत्तिया स्टाइल’ में बिठाया। उनकी भारी गांड मेरे सामने थी, दो बड़े-बड़े चूतड़, जिनके बीच उनका गांड का छेद हल्का सा दिख रहा था। मैंने साबुन लिया और उनकी गांड पर लगाने लगा। मेरी उंगलियां उनके चिकने चूतड़ों पर फिसल रही थीं। भाभी सिसक रही थीं, “उफ्फ… राज, ये क्या कर रहा है?” मैंने कहा, “भाभी, आज आपकी गांड की बारी है।”
मैंने साबुन को उनकी गांड के छेद पर रगड़ा, फिर शॉवर की धार से उसे साफ किया। उनकी गांड अब चमक रही थी। मैंने फेसवॉश लिया और अपनी उंगली पर लगाकर धीरे-धीरे उनके छेद में डालने लगा। भाभी की सांसें तेज़ हो गईं, “आह्ह… राज, धीरे… ये अजीब सा लग रहा है।” मैंने एक हाथ से उनके चूचे दबाए और दूसरी उंगली उनकी गांड में अंदर-बाहर करने लगा। भाभी की सिसकियां बढ़ गईं, “उह्ह… राज, तू ये क्या जादू कर रहा है?” मैंने उनकी गांड में दो उंगलियां डालीं, धीरे-धीरे अंदर-बाहर किया। उनकी गांड धीरे-धीरे ढीली हो रही थी। मैंने उन्हें गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया।
बेडरूम में मैंने उन्हें उल्टा लिटाया, उनकी गांड ऊपर उठी हुई थी। मैंने उनके चूतड़ों को फैलाया और उनकी गांड के छेद पर जीभ फिराई। भाभी चिहुंकी, “आह्ह… राज, ये गंदा है!” मैंने कहा, “भाभी, इसमें मज़ा है।” मैंने उनकी गांड को चाटा, मेरी जीभ उनके छेद के अंदर तक गई। भाभी की सिसकियां तेज़ हो गईं, “आह्ह… उह्ह… राज, ये क्या कर रहा है?” मैंने उनकी गांड को चाटते हुए उनके चूचों को मसला, उनकी चूत को उंगली से सहलाया। उनकी चूत पूरी तरह गीली थी, और वो कमर हिलाने लगी थीं।
मैंने बाजार से लाया हुआ कच्चा केला लिया। उसका छिलका निकालकर मैंने उसे उनकी गांड के छेद पर रगड़ा। भाभी घबरा गईं, “राज, ये क्या डालने जा रहा है? मैंने पहले कभी गांड में कुछ नहीं लिया, प्लीज़ मत डालो।” मैंने कहा, “भाभी, आपने वादा किया था कि मना नहीं करेंगी।” वो चुप हो गईं। मैंने केले को धीरे से उनके छेद में डाला। वो चीखीं, “उई मां… राज, दर्द हो रहा है!” मैंने धीरे-धीरे केला अंदर-बाहर किया। उनकी गांड धीरे-धीरे ढीली होने लगी। मैंने केला निकाला और अपने 8 इंच के लंड को उनके छेद पर रखा। एक हल्का सा धक्का मारा, लंड का सुपारा अंदर गया। भाभी चीखीं, “आह्ह… राज, रुक जाओ!”
मैंने धीरे से दूसरा धक्का मारा, आधा लंड अंदर चला गया। भाभी के चूतड़ सिकुड़ गए, उनकी आंखों में आंसू आ गए। मैंने कहा, “भाभी, बस थोड़ा सा और।” तीसरे धक्के में मेरा पूरा 8 इंच का लंड उनकी गांड में समा गया। “थप… थप…” की आवाज़ गूंजने लगी। भाभी की सिसकियां मज़े में बदल रही थीं, “आह्ह… राज… धीरे… उह्ह…” मैंने धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाई। उनकी गांड अब मेरे लंड को आसानी से ले रही थी। भाभी भी अपनी कमर हिलाने लगीं, “राज… और जोर से… चोद मेरी गांड को…”
मैंने उन्हें ‘घोड़ी बनाकर’ चोदा, फिर रुककर उनकी चूत को चाटा। उनकी चूत का रस मेरे मुंह में आ रहा था। मैंने उन्हें सीधा लिटाया और ‘चटाई स्टाइल’ में उनकी गांड में लंड डाला। “थप-थप-थप” की आवाज़ कमरे में गूंज रही थी। भाभी चीख रही थीं, “आह्ह… उह्ह… राज, और जोर से… फाड़ दे मेरी गांड!” मैंने आधे घंटे तक उनकी गांड मारी, फिर उनकी गांड में ही झड़ गया। भाभी पसीने से तर थीं। मैंने वो कच्चा केला लिया और उनकी चूत में डाल दिया। उनकी चूत पहले से गीली थी। मैंने केले को अंदर-बाहर किया, और 20 मिनट में वो दो बार झड़ गईं। वो बोलीं, “राज, मुझे नहीं पता था कि गांड की चुदाई में इतना मज़ा आता है। मैं तुम्हें पहले कभी मना नहीं करती।”
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