मामा ने मुझे खेत पर चोदा – 1

अभी अभी अपने पति के मामा यानी अपनी सास के भाई के मोटे लंड से चुदकर लड़की से औरत बनी हूँ। पिछली कहानी में आपने पढ़ा मामा ने कैसे मुझे चोदा और गार्ड ने भी एक राउंड मुझे चखा। पिछली कहानी(मामा ने अपने मोटे लण्ड से मेरी हवस शांत कर दिया) ज़रूर पढ़ें।

अब आगे बढ़ते हैं। अगले दिन सुबह उठी मैं और किचन में चाय बनाने लगी। मामा जी की चुदाई का नशा मेरे जिस्म में बाकी था। उनकी मोटी लंड ने मेरी चूत को ऐसा मज़ा दिया था कि मैं हर वक्त उनकी चुदाई के ख्यालों में डूबी थी। चाय की केतली चढ़ाते वक्त मामा जी किचन में आए। वो मेरी सास के बड़े भाई हैं, जवान, मज़बूत, और हवस से भरे। उनकी नज़रें मेरी हल्की हरी साड़ी के नीचे मेरी चूचियों पर टिकी थीं। मेरी फुद्दी तुरंत गीली हो गई। वो मेरे पास आए, मेरी कमर पर हाथ रखा, और बोले, “प्रिया, आज फिर तेरी टकली चूत चोदनी है।” मैं सिहर गई, और फुसफुसाया, “मामा जी, सास जाग रही हैं!” तभी सास की खाँसी की आवाज़ आई, और मैंने उन्हें धक्का देकर दूर किया।

खाने की मेज़ पर, जब हम सब बैठे थे, मामा जी ने कहा, “बहन, मैं सोच रहा हूँ एक हफ्ता और रुक जाऊँ। दिल्ली में कुछ काम बाकी है, और तुम्हारे साथ वक्त बिताना अच्छा लग रहा है।” मेरी सास, उनकी छोटी बहन, खुश हो गईं, बोलीं, “अरे, ज़रूर रुक भैया। हमें और बात करने का मौका मिलेगा।” मेरा पति भी मान गया, और मेरे मन में मामा जी की लंड की तस्वीरें घूमने लगीं। मैंने चुपके से उनकी तरफ देखा—वो मेरी साड़ी के नीचे मेरी जाँघों को घूर रहे थे। मेरी चूत रस छोड़ रही थी, और मैं उनके साथ अकेले होने के लिए बेताब थी।

दो दिन बीत गए। मामा जी और मैं सिर्फ़ नज़रों से एक-दूसरे को तड़पा रहे थे। तीसरे दिन सुबह, मामा जी ने सबके सामने कहा, “प्रिया, मेरे साथ खेत तक चलो। बहन ने कहा था कि गन्ने की फसल देखनी है, और कुछ टूल्स भी लाने हैं। मुझे अकेले समझ नहीं आएगा।” सास ने तुरंत कहा, “हाँ, प्रिया, जा। खेत का मुआयना कर ले, दोपहर तक लौट आना।” मैं समझ गई कि ये बहाना है, और मेरी बुर ने फड़फड़ाना शुरू कर दिया। मैंने अपनी साड़ी ठीक की और मामा जी के साथ निकल पड़ी।

मामा जी ने अपनी बाइक निकाली, और मैं उनके पीछे बैठ गई। खेत 10 किलोमीटर दूर था, और रास्ता गांव की कच्ची सड़कों से होकर जाता था। धूप चमक रही थी, और हवा मेरी साड़ी को उड़ा रही थी। मैंने मामा जी की कमर पकड़ी, मेरी चूचियाँ उनकी पीठ से दब रही थीं। बाइक की कंपन मेरी फुद्दी को और गीली कर रही थी, और हर गड्ढे में मेरी जाँघें उनकी कमर से रगड़ रही थीं। मामा जी जानबूझकर बाइक धीरे चला रहे थे, जैसे मेरी चूत की आग को और भड़काना चाहते हों। उन्होंने कहा, “प्रिया, तेरी चूचियाँ मेरी पीठ पर रगड़ रही हैं, साली रंडी। कितनी रसीली हैं, अभी इन्हें चूस लूँ?” मेरी चूत में आग लग गई। मैंने धीरे फुसफुसाया, “मामा जी, धीरे बोलो, कोई सुन लेगा। मेरी बुर पहले ही भीग रही है।”

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वो हँसे, “भीग रही है? बहनचोद, अभी तो मज़ा शुरू हुआ है। खेत में तेरी टकली चूत में मेरा लंड पेलूँगा, मेरी घोड़ी, इतना चोदूँगा कि तेरा चूत का रस टपकेगा।” मैं सिहर गई, मेरे निप्पल सख्त हो गए। मैंने फुसफुसाया, “मामा जी, चूत को टकली क्यों बोल रहे?” वो बोले, “क्यों? तेरी चिकनी चूत टकली सी चमकती है, इसीलिए। आज इसे चोदकर फाड़ दूँगा।” मैं शरम से लाल हो गई, पर मेरी फुद्दी और गीली हो गई। मैंने फुसफुसाया, “मामा जी, ऐसी बातें मत करो, मेरी चूत की आग बेकाबू हो रही है।”

वो गंदा बोलने लगे, “बेकाबू? साली छिनाल, मैं तेरी बुर को जीभ से चाटूँगा, तेरा चूत का रस चूस लूँगा।” मेरी चूचियाँ उनकी पीठ पर और ज़ोर से रगड़ रही थीं, मेरी पैंटी मेरे रस से तर थी, और साड़ी मेरी जाँघों पर चिपक रही थी। वो और गंदे हुए, “मेरा लंड 9 इंच का है, लंड की गुलाम, तेरी फुद्दी को चीर देगा। तू उस रात मेरे लंड का माल कैसे चाट रही थी? आज फिर तुझे मेरे टट्टे चटवाऊँगा।” मैं साँसें तेज़ कर रही थी, जाँघें आपस में दबाईं। मैंने फुसफुसाया, “मामा जी, मेरी बुर को और मत तड़पाओ।”

उनकी बातें और गंदी हो गईं, “तड़पाओ? साली कुत्तिया, मैं तेरी चूचियों को मसलूँगा, निप्पल को दाँतों से काटूँगा। फिर तेरी टकली चूत में लंड डालकर धक्के मारूँगा, तू सिसकियाँ लेगी।” मेरी चूत में बिजली दौड़ गई। मैंने साड़ी को जाँघों के बीच दबाया, मेरा रस रिस रहा था। मैं सिसकाई, “मामा जी, मेरी फुद्दी जल रही है।” वो बोले, “जल रही है? मेरी घोड़ी, खेत में तुझे पेड़ से टिकाकर चोदूँगा, तेरा भोसड़ा बना दूँगा। मेरे लंड का माल तेरी चूत में डालूँगा।” मैं फुसफुसाई, “मामा, धीरे बोलो, मेरी बुर फट रही है!”

उनकी बातें सबसे गंदी हो गईं। वो बोले, “साली रंडी, मैं तेरी गांड का छेद चोदूँगा, तुझे घोड़ी बनाकर पेलूँगा। रास्ते में ही तुझे बाइक पर चोद दूँ, सब देखें कि तू मेरी लंड की गुलाम है।” फिर वो हँसते हुए मेरी नकल करने लगे, “ ‘मामा जी, और जोर से! मुझे चोद दो!’—वैसे ही चिल्ला रही थी ना उस रात, छिनाल? अब फिर चीखेगी।” उनकी नकल ने मेरे जिस्म में आग और लगा दी। मैं पागल हो रही थी, मेरी फुद्दी बाइक की कंपन और उनकी बातों से फट रही थी। मैंने फुसफुसाया, “मामा जी, बाइक तेज करो, मुझे अब चुदना है!”

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वो बोले, “तेज चलो? बहनचोद, अभी तुझे और तड़पाऊंगा।” फिर वो बोले, “बाहू, शरम छोड़, पूरा मज़ा ले। जो पूछूँ, डिटेल में बता। मुझे भी पता है तुझे मज़ा चाहिए, और वो मैं ही दे सकता हूँ, सेफ्टी के साथ।” उनकी बात सुनकर मैं शरम से सिहर गई, पर मेरी चूत में रस बहने लगा। मैंने फुसफुसाया, “मामा जी, धीरे… ठीक है, पूछो।” मेरी फुद्दी उनकी बातों से थरथराने लगी, और मैं धीरे-धीरे खुलने लगी।

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वो बोले, “तेरी टकली चूत को और कितना तड़पाऊँ, मेरी घोड़ी? बता, कभी खीरा-मूली डाली चूत में? तेरी सील पैक कैसी थी? तेरा पति तो नल्ला है।” मैं शरम से मर रही थी, पर मेरी बुर और गीली हो गई। मैंने फुसफुसाया, “मामा जी, नहीं… खीरा-मूली नहीं डाला। सील पैक… बस पहली रात थोड़ा दर्द हुआ था।” वो हँसे, “साली रंडी, तेरा पति नल्ला है, कुछ कर ही नहीं सकता।” मेरी चूत में आग लग गई, और मेरी साड़ी नीचे से रस से चिपकने लगी।

फिर वो बोले, “पति के बारे में कुछ बता, छिनाल। वो तेरी चूत को कैसे सहलाता है?” मैं उदास हो गई, और फुसफुसाया, “मामा जी, वो तो कुछ कर ही नहीं सकता। शादी के बाद बस एक-दो बार कोशिश की, पर ना मज़ा दे पाया, ना कुछ। उसका लंड तो खड़ा भी नहीं होता। मैं हर रात तड़पती थी, सोचती थी कोई मर्द आए जो मुझे औरत बनाए। वो मेरी चूत की आग को बुझाने की बात तो दूर, मुझे छूता भी नहीं।” मेरी आँखें नम हो गईं, पर मेरी फुद्दी और रस छोड़ रही थी। वो बोले, “मेरी घोड़ी, चिंता मत कर, मैं तेरी सारी तड़प मिटा दूँगा।”

वो बोले, “बता, लंड की गुलाम, तुझे कैसा मज़ा चाहिए? चूत में लंड लेना पसंद है, या गांड में धक्के खाना?” मैं शरम से काँप रही थी, पर अब खुल रही थी। मैंने फुसफुसाया, “मामा जी, मुझे चूत में लंड लेना अच्छा लगता है… जब धक्के ज़ोर-ज़ोर से लगते हैं, और मैं सिसकियाँ लेती हूँ।” मेरी साड़ी नीचे से पूरी तरह भीग चुकी थी, मेरा रस जाँघों तक बह रहा था। वो बोले, “कुत्तिया, तुझे चुदने का शौक है। बता, कभी ख्याल आया कि तेरा पति तुझे चुदते देखे, और कोई मर्द तेरी चूत फाड़े?”

मेरी फुद्दी में बिजली दौड़ गई। मैंने फुसफुसाया, “हाँ, मामा जी… मैंने ख्याल किया है। मैं सोचती हूँ कि मैं किसी मज़बूत मर्द के नीचे हूँ, उसका लंड मेरी चूत में ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा है, और मेरा पति पास बैठा देख रहा है। वो देखता है कि मैं कैसे सिसकियाँ ले रही हूँ, कैसे उस मर्द का लंड मेरी चूत का रस निकाल रहा है। मैं चिल्लाती हूँ, और वो बस देखता रहता है, कुछ कर नहीं पाता।” उनकी आँखें चमक उठीं। वो बोले, “साली रंडी, तू तो पूरी चुदक्कड़ है। खेत में तुझे ऐसा चोदूँगा कि तू सिसकियाँ लेगी।”

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वो बोले, “बता, मेरी घोड़ी, तुझे चूत चटवाना कैसा लगता है? जीभ से चूत का रस चूसने का मज़ा लिया कभी?” मैं अब पूरी खुल चुकी थी, शरम गायब हो गई थी। मैंने फुसफुसाया, “मामा, मुझे चूत चटवाना बहुत खूबसूरत लगता है। मैं सोचती हूँ कि कोई मेरी चूत में जीभ डाले, मेरे रस को चाटे, मेरी फुद्दी को चूमे। मैं तड़पती हूँ, और वो मेरी चूत को और गीला करता है।” मेरी साड़ी नीचे से लथपथ थी, मैं बाइक की कंपन से पागल हो रही थी।

वो बोले, “छिनाल, तुझे हर तरह का मज़ा चाहिए। कभी सोचा कि तुझे दो मर्द एक साथ चोदें, एक चूत में, एक गांड में?” मैं सिहर गई, पर मेरी चूत ने और रस छोड़ा। मैंने फुसफुसाया, “नहीं, मामा जी, वो नहीं सोचा… बस एक मज़बूत लंड ही काफी है।” वो हँसे, “लंड की गुलाम, खेत में तुझे मेरे लंड का मज़ा दूँगा।” मैंने उनकी कमर को ज़ोर से पकड़ा, मेरी चूचियाँ उनकी पीठ पर रगड़ रही थीं। मैंने फुसफुसाया, “मामा जी, प्लीज़, बाइक तेज करो! मेरी चूत की आग बर्दाश्त नहीं हो रही!”

वो बोले, “बर्दाश्त नहीं? मेरी घोड़ी, खेत में तुझे चारों खाने चित करूँगा। तेरी टकली चूत को चोद-चोदकर भोसड़ा बना दूँ!” मेरी साड़ी नीचे से पूरी तरह भीग चुकी थी, मेरा रस मेरी जाँघों पर बह रहा था। मैं फुसफुसाई, “मामा, तेज चलो, मैं पागल हो जाऊँगी!” रास्ता जैसे खत्म ही नहीं हो रहा था। धूप मेरे जिस्म को झुल्साना रही थी, और उनकी गंदी बातों ने मेरी चूत को आग की भट्टनी बना दिया। आखिरकार मुझे खेत दिखा, और मैं उनकी लंड के नीचे होने को तैयार थी, मेरी फुद्दी उनकी चुदाई के लिए तड़प रही थी। इस कहानी का अगला हिस्सा जल्द ही आएगा।

कहानी का अगला भाग: मामा ने मुझे खेत पर चोदा – 2

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