मामा की बेटी बनी मेरे लंड की दीवानी | Mama Ki Beti Ki Xxx Chudai Kahani

मेरी Mama Ki Beti Ki Xxx Chudai Kahani लिखी है। मैंने उसे अपने ही घर में जीजू के दोस्त के लंबे और मोटे लंड से चुदाई करते देखा। आप पढ़ने में मज़ा करें।

नमस्कार, मैं राहुल कुमार हूँ।
मैं 19 वर्ष का हूँ।

मैं आपको एक वास्तविक Mama Ki Beti Ki Xxx Chudai Kahani बताने जा रहा हूँ।
मैं पहले से ही अपने मामा जी के घर रहता था और वहीं रहकर पढ़ाई करता था।

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मेरी मामा सरकारी कर्मचारी हैं। उनके चार बच्चों में से तीन बेटे और एक बेटी हैं।
सबसे बड़ी बेटी का नाम मंजू है। उनका विवाह दो साल पहले हुआ था। अब वह अपने घर में रहती है।

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यह सिर्फ एक दिन की बात है। जीजा की मामा ने फोन पर कहा कि मुझे अक्सर ठेके से बाहर जाना होता है, इसलिए किसी को कुछ दिनों के लिए बाहर भेज दीजिए।

मैंने मामा से सिर्फ कहा कि तुम्हारी परीक्षा अभी हुई ही है, तुम्हें स्कूल नहीं जाना होगा। तुम मंजू दीदी की ससुराल चला जाओ और वहीं कुछ दिन रहो।
मैं इसलिए वहां गया।

जीजा साहब एक ठेकेदार थे।
उनके पास शहर में दो मंजिला बहुत अच्छे मकान थे।

सब दीदी जीजाजी नीचे वाले फ्लोर पर रहते थे।
ऊपर सब कुछ खाली रहता था।

मैं सिगरेट पीने की आदत से ऊपर के ही कमरे में रहने लगा।

ये मेरे वहाँ रहने के दो दिन बाद हुआ।

शाम को जीजाजी घर आकर कहा कि मुझे काम से बाहर जाना है, इसलिए मुझे स्टेशन बाइक से छोड़ दो।
मैं जीजाजी को स्टेशन छोड़कर आया, खाना खाकर ऊपर चला गया।

मैं TV देखने लगा।
टीवी देखते हुए करीब 9 बज गए, तो मैंने सोचा कि एक सिगरेट पीकर सो जाऊँगा।

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मैं छत पर टहलने लगा और सिगरेट पीने लगा।

तब मैंने देखा कि नीचे कोई खड़ा था।
मैंने पहचानने की कोशिश शुरू की।

उस आदमी ने अचानक दरवाजा खोला।

मैंने सोचा कि जीजाजी की ट्रेन कैंसिल हो गई है या वे जिस काम के लिए जाना था, उसके लिए वापस आ गए हैं।

मेरी सिगरेट खत्म हो चुकी थी, इसलिए मैंने नीचे जाकर जानना चाहा।
जल्दी से चला गया, हाथ धोकर कुल्ला करके नीचे चला गया।

सीढ़ी से उतरते समय रोशनदान ने मुझे बताया कि वह जीजाजी नहीं थे, बल्कि उनके दोस्त थे।
ये दोस्त इंजीनियर थे और उनके जीजा अक्सर घर आते थे।

घर आते ही, वे वहीं ड्राइंग रूम में खड़े होकर दीदी को चूम रहे थे।

मैं हक्का-बक्का रह गया जब मैंने सीन देखा और चुपचाप सीढ़ी पर बैठकर सब देखने लगा।

थोड़ी देर बाद वह सोफे पर बैठ गए, और दीदी उनकी गोद में बैठकर उनका मुख चूमा जा रही थी।

फिर दीदी ने उनकी शर्ट के बटन खोलकर उनकी छाती को चूमने लगा।
ऐसा करते हुए दीदी सोफे से उतर गईं और पैंट के बटन खोलकर अपने हाथ में लंड निकालकर सहलाने लगी।

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उस बड़े लंड को देखकर लगता था कि दीदी एक लोहे का पाइप पकड़ी हुई है।
दीदी का काफी मोटा, लम्बा लंड मुँह में नहीं आ रहा था, लेकिन वह उसे ले रही थीं।

दीदी आंड चूसने लगतीं या लंड के अगल बगल चाटतीं।
ऐसा दस मिनट तक दीदी ने किया।

दीदी का पूरा मुँह वीर्य से सन गया जब लंड से पिचकारी छूटी।
फिर दीदी ने अपनी सलवार खोलकर अपना चेहरा साफ किया और फिर से उनकी गोद में बैठ गईं।

दीदी की पीठ पर हाथ फेरते हुए उन्होंने उन्हें अपनी बांहों में बाँध लिया।
फिर उन्होंने दीदी को दोनों चूचियों से बाहर निकाला।

दीदी के दोनों तने हुए चूचों को हाथों से मसलने लगे।
दीदी को सिसकारी आने लगी।

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कुछ देर बाद, उन्होंने दीदी को घुमाया और बारी बारी से उनकी दोनों चुचियों को मुँह में लेकर चूसने लगे।

ऐसा करते हुए, वे दीदी के चूतड़ों पर हाथ फेरने लगे और उसके पजामे का नाड़ा खोलने लगे।
यह कहते ही दीदी सोफे से उतरीं और अपनी टांगों में फंसा अधखुला पजामा निकालकर फेंक दिया।

दीदी अब सिर्फ चड्डी पहनी हुई थीं। टांगें खोलकर सोफे पर बैठ गईं।
फिर वह उठे और दीदी के पास नीचे बैठ गए, अपनी आधी खुली पैंट को निकालकर उसके पैरों को चूमने लगे।

कुछ देर में उन्होंने दीदी की चड्डी उतारी। बाद में मैंने भी दीदी की गुलाबी चूत को देखा।

दीदी की छोटी सी चूत देखकर मुझे आश्चर्य हुआ कि इतना बड़ा, मोटा लंड अंदर कैसे जा सकता है।

फिर उन्होंने दीदी की चूत में एक उंगली डालकर उसे हिलाने लगे।
दीदी का मुँह आह-आह करने लगा।

कुछ देर बाद, दीदी ने उनका मुँह अपनी चूत के पास ले जाकर उनका सर अपनी तरफ खींचा।
फिर जीजा के दोस्त ने दीदी की चूत चूसने लगे।

दीदी आह करने लगी।
थोड़ी देर ऐसा करते हुए, दीदी ने उनके सर के बाल पकड़े और उनके टांगों में दबाने लगीं।

मैंने सोचा कि वह जीजाजी के दोस्त की मुंडी को अपनी चूत में डाल देगी।
दीदी तेज आवाज से गिर पड़ी।

दीदी की चूत से जीजा के दोस्त का मुँह अलग हो गया था।
उनके बाल बिखरे हुए थे, आंखों में नशा था और मुँह पर दीदी की चुत की मलाई लगी हुई थी।

यह सब करते हुए, जीजाजी के दोस्त का लंड अब तक कड़क और खूंखार हो गया था।
किसी घोड़े का लंड दिखाई दे रहा था।

जीजाजी के दोस्त ने दीदी को चुदाई की मुद्रा में किया और उनकी दोनों टांगों को फैलाकर लंड पेलना चाहा।
राजा, आप सब कुछ यहीं करेंगे, दीदी ने कहा। बेड पर चलो। बाकी काम वहीं होगा।

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वह एक मदमस्त हाथी की तरह कमरे की ओर चले और दीदी को फूल की तरह अपनी गोदी में उठाया।

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अब तक की स्थिति देखकर मैं पागल हो गया; अब मैं अपनी दीदी की चुदाई की पूरी फ़िल्म देखना चाहता हूँ।

मैं भी तुरंत उतरा और गैलरी से निकलकर कमरे की खिड़की के पास पहुंचा।
द्वार बंद था।

जब मैं खिड़की के सनशेड के ऊपर चढ़ गया, तो मैंने वहां से ऊपर के रोशनदान को देखा।
वह खुला था।
मैं अंदर झाँककर देखने लगा।

वह बेड पर चित पड़ी हुई दीदी की दोनों टांगों को अपने कंधों पर रखकर पेलने की तैयारी में था।
जीजाजी के दोस्तों ने उसके मोटे लंड पर थूक लगाकर मालिश की।

दीदी उनके मूसल को देखते हुए उत्सुक हो गईं।
हाथ भर के लंड ने उनकी छोटी सी चूत को चिरा दिया।

लौड़े को दीदी की चूत के मुँह पर रखकर जीजा जी के दोस्त ने उसकी चूत पर एक छोटा सा थूक लगाया।
तब दीदी कसमसा कर बोली, “राजा, धीरे-धीरे करो।” अगर नहीं, तो पिछली बार की तरह चोदकर जाना पड़ेगा।

“यह पहली बार था, इसलिए इतना दर्द हुआ,” उन्होंने कहा। आपकी चूत से भी खून निकला था। मेरी रानी, अब ऐसा नहीं होगा।
ऐसा कहकर उन्होंने एक जोरदार धक्का देकर लंड को चूत की फांकों में धंसा दिया।

दर्द से दीदी कराहीं और उछल गईं।
उस समय दीदी की चूत में जीजाजी के दोस्त का लंड फिसल गया।

दीदी ने मीठा दर्द महसूस करते हुए हंसते हुए कहा कि चूक गया लक्ष्य अब आराम करो। मैं भी दुखी हूँ।

उन्हें फिर से लंड पर थूक लगाकर दीदी की चूत पर थूक लगाया।
इस बार वह लौड़े को चुत की दरार में धीरे-धीरे दबाने लगे।

दीदी की आंखों की पुतलियां फैलने लगीं और मुट्ठियां भिंचने लगीं।
लंड का सुपारा चूत की फांकों में फंस गया।

दीदी ने कहा, “आह इस्स मर गई आह धीरे..।”
धीरे-धीरे, जीजाजी के दोस्त ने आधा लंड चूत में डाल दिया।

दीदी ने रोते हुए कहा, “उई मां..।” दर्द है..। बाहर निकालो..। हाय मेरी..। निकालें।

दीदी थोड़ा चुप हुईं जब जीजा जी के दोस्त ने अपने लंड को पीछे की तरफ खींचा।

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उसने दीदी को चुप करते ही फिर से एक जोरदार धक्का देकर पूरा लंड उतार दिया।
उसने दीदी का मुँह भी दबा दिया।

दीदी को दर्द हुआ और वे हाथ-पैर पटकने लगीं; उन्हें गूँ गूँ की आवाज आई।

जीजाजी के दोस्त ने दीदी के मुँह को लगभग एक मिनट तक दबाए रखा।
दीदी ने मुँह छोड़ा।

अब भी बेचारी दीदी दर्द से सिसक रही थीं।
दीदी की चूत में इतना बड़ा लौड़ा कैसे घुसा? मैं उससे अधिक परेशान था।

जीजाजी के दोस्तों ने कहा, “मेरी जान, अभी कुछ और दर्द सहना पड़ेगा।” राजा, पूरा पेल देना इतना मजा आएगा।
दर्द से मुँह दबाकर दीदी ने हंसने की कोशिश की।

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उनके ऊपर चढ़े हुए जीजाजी के दोस्त दीदी के होंठों और चूचियों को चूसते थे।
धीरे-धीरे दीदी भी चूतड़ उछालने लगी।

थोड़ी देर बाद, दीदी उनसे जोर से लिपटने लगी और फिर शांत हो गई।
कुछ देर बाद वे लंड को धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगे, तब तक दीदी फिर से झड़ गईं।

अब थक चुकी दीदी ने कहा, “अब छोड़ दो राजा।” दूसरे दिन करेंगे।
मैं भी छोड़ दूँगा, उन्होंने कहा।

दीदी ने कहा कि आप नहीं जानते कि कब झड़ेगा। मैं दो बार ऐसा कर चुका हूँ!
तो उसने कहा कि अगर मैं ऐसे ही धीरे-धीरे काम करूँगा, तो मैं पूरी रात झड़ने भी नहीं पड़ूँगा। हां, मैं बहुत जोर से करूँगा, इसलिए दस मिनट में पूरा हो जाएगा। तुम सिर्फ दर्द बर्दाश्त करो।

दीदी ने भी शायद सोचा कि चलो कुछ देर बर्दाश्त कर लेंगे. दीदी ने कहा, “ठीक है, अपनी मर्जी करो, लेकिन दस मिनट से अधिक नहीं।”

यह सुनते ही जीजाजी के दोस्त ने दीदी के टांगों को फिर से ऊपर उठाया और बैठकर जोर से लंड पीना शुरू कर दिया।
दीदी की मां फिर रोने लगी जब वह चुद गई।

लेकिन जीजा के दोस्त को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा; वह अपनी ही खुशी से चुदाई कर रहे थे।

दीदी के रोने और फच फच की आवाज ही कमरे से निकलती थी।
कमरे में भूकम्प आया था।

कुछ देर बाद, वह दीदी से जोर से लिपट गया, और दीदी ने भी अपनी टांगें उनकी कमर में फंसाकर उनसे जोर से लिपट गया।
कमरे में अब सिर्फ लंबी-लंबी सांस लेने और छोड़ने की आवाज आती थी।

कुछ देर बाद दोनों चुपचाप लेटे रहे।
मैं भी शांति से वहां से उतरा और ठंडा होकर अपने लंड की मुठ मार दी।

उन्होंने छत पर जाकर सिगरेट पीकर कमरे में जाकर सो गया।

आप कमेंट सेक्शन में Mama Ki Beti Ki Xxx Chudai Kahani को कैसा लगा?
मैं आगे भी अपनी छिनाल दीदी की चुदाई कहानी लिखूँगा, जो मैंने खुद देखा है।

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