मैंने जीजू से चुदवा ही लिया

मैं जब 24 साल की थी, तब मेरी नौकरी भोपाल में लग गई थी। टेम्परेरी थी, लेकिन जीजू, यानी समीर, ने अपनी जान-पहचान से मुझे वो मौका दिलवाया था। मैं अपनी बड़ी बहन, यानी दीदी, के घर रहने लगी। उन्होंने अपने घर के पीछे वाला कमरा मेरे लिए खाली कर दिया। वो कमरा बड़ा और हवादार था, जिसकी खिड़की से बाहर नीम के पेड़ों की छांव और हल्की हवा आती थी। उस कमरे में मुझे सुकून मिलता था, जैसे वो मेरी अपनी छोटी-सी दुनिया हो। समीर इंजीनियर थे, और दीदी हॉस्पिटल में नर्स थीं। दोनों की नौकरी की वजह से दिन में घर अक्सर खाली रहता, और मैं अपने खयालों में डूबी रहती। Jija Sali Sex Story

कुछ ही हफ्तों में समीर और मेरी अच्छी दोस्ती हो गई। वो मुझसे हंसी-मज़ाक करता, कभी हल्की-सी छेड़छाड़ भी कर लेता। उसकी शरारती मुस्कान और चमकती आँखें मुझे अंदर तक छू जाती थीं। समीर कोई साधारण मर्द नहीं था—लंबा, गोरा, कसी हुई बॉडी, चौड़ी छाती और वो गहरी आवाज़, जो मेरे दिल को धड़का देती थी। उसे देखकर मेरे मन में उलझन-सी होने लगती थी। मैं सोचती, काश कोई मेरे साथ भी ऐसा मज़ा करे, मेरे बदन को वैसे ही प्यार करे, जैसे वो दीदी को करता था।

दीदी की कई बार नाइट ड्यूटी होती थी, और तब घर पर सिर्फ़ मैं और समीर रहते। जब हम तीनों साथ घूमने जाते, मैं गौर करती कि समीर दीदी का हाथ पकड़कर चलता। दीदी भी कभी-कभी चलते-चलते उसके चूतड़ों को हल्के से सहला देतीं। ये देखकर मेरे बदन में सिहरन दौड़ जाती। मेरी गोल-मटोल गांड में भी कोई ऐसा ही स्पर्श चाहता था। समीर भी मेरे साथ खुलने लगा था। कभी-कभी वो मेरा हाथ पकड़ लेता, और मैं जानबूझकर उसका हाथ नहीं छुड़ाती। उसके गर्म स्पर्श से मेरे हाथ कांपने लगते, और मुझे लगता था कि वो इसे महसूस कर लेता है। कई बार उसका हाथ “गलती से” मेरे बूब्स या चूतड़ों से टकरा जाता। मुझे पूरा यकीन था कि वो जानबूझकर ऐसा करता है, लेकिन मैं अनजान बनकर उसकी हरकतों का मज़ा लेती। उसकी एक-एक हरकत मेरे अंदर आग सी लगाती थी।

रात को, जब दीदी की नाइट ड्यूटी होती, मैं चुपके से उनके कमरे के पास जाती और कान लगाकर उनकी आवाज़ें सुनने की कोशिश करती। उनकी चुदाई की आवाज़ें—दीदी की सिसकारियां, समीर की भारी सांसें, बिस्तर की चरमराहट—मेरे कानों में गूंजती थीं। मैं बाहर खड़ी-खड़ी इतनी उत्तेजित हो जाती कि मेरी चूत गीली हो जाती। अपने कमरे में लौटकर मैं उंगली से अपनी आग बुझाती, समीर के लंड की कल्पना में डूबकर पानी निकाल देती। मैं अपने मन को काबू में रखने की पूरी कोशिश करती, लेकिन समीर की हर शरारत मेरी चाहत को और बढ़ा देती। मेरे मन में बस एक ही खयाल था—कैसे समीर मुझे चोदे। अब मैं बताती हूँ कि वो रात कैसे आई, जब मेरी ये तमन्ना हकीकत बन गई।

उस दिन दीदी की नाइट ड्यूटी थी। हम तीनों मोटरसाइकिल पर दीदी को बीएचईएल की बस पकड़ाने सर्कल तक गए। दीदी बस में चढ़ीं, और तभी आसमान फट पड़ा। तेज़ बारिश शुरू हो गई। समीर और मैं भीगते हुए घर लौटे। बारिश में मेरे कपड़े बदन से चिपक गए थे। मेरी पतली कुर्ती मेरे उभारों को और उजागर कर रही थी, जैसे मेरी चूचियां और कूल्हे सबके सामने नंगे हों। घर पहुंचते ही मैंने देखा, समीर मेरे बदन को भूखी नज़रों से घूर रहा था। उसकी आँखें मेरे गीले बदन को चाट रही थीं। मैं शरमाकर बोली, “जीजू, ऐसे मत देखो ना… मुझे शर्म आ रही है!”

समीर ने शरारती अंदाज़ में आँख मारी और बोला, “अरे नेहा, तू इतनी कयामत लग रही है, नज़रें हटें तो हटें कैसे?” मैं हंसते हुए अपने कमरे में भाग गई, लेकिन मेरे दिल की धड़कन बेकाबू हो चुकी थी। मैंने सोचा, आज मौका है। अगर आज नहीं, तो फिर कब? मैं नहाकर फ्रेश हुई और एक हल्की-सी सिल्क की नाइटी पहन ली, जो मेरे कर्व्स को और निखार रही थी। नाइटी इतनी पतली थी कि मेरे निप्पल और गांड की गोलाई साफ़ झलक रही थी। समीर भी नहाकर अपने कमरे में आ गया। उसने अलमारी से व्हिस्की की बोतल निकाली और बोला, “नेहा, यार, बारिश की ठंड में एक पैग तो बनता है। तू भी थोड़ा ले ले, मज़ा आएगा।”

मैंने मना किया, “नहीं जीजू, मैं नहीं पीती।” लेकिन मन ही मन मैं उसकी हरकतें भांप रही थी। मुझे लग रहा था कि वो आज पूरा मूड में है। मैंने सोचा, अगर नशे का नाटक कर लूँ, तो बात बन सकती है। मैं बोली, “अच्छा, ठीक है, बस थोड़ा-सा दे दो।” उसने एक पैग बनाया और मुझे थमा दिया। मैंने नाटक किया कि पी रही हूँ, लेकिन ज़्यादातर ड्रिंक चुपके से पास में गिरा दी। समीर ने दो-तीन पैग चढ़ाए, और उसकी आँखें चमकने लगीं। वो मस्ती में बोला, “नेहा, बता ना, तेरा कोई बॉयफ्रेंड है क्या?”

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मैंने शरमाते हुए कहा, “हाँ, था… अब नहीं है।” वो हंसा, “अच्छा? तो वो तेरे साथ कुछ मज़ा करता था?” मैंने शरमाकर कहा, “धत्त, जीजू! ऐसी बातें मत करो, मुझे शर्म आती है।” वो बोला, “अरे, चल ना, थोड़ा और पी ले, फिर सब बता देगी!”

मैंने एक और पैग लिया और नशे का नाटक शुरू कर दिया। मैं बोली, “जीजू, तुम तो कहते हो दीदी मस्त है… लेकिन मेरे लिए तो तुम सबसे मस्त हो!” वो हंस पड़ा, “नहीं रे, तू तो असली माल है! ज़रा खुद को देख, क्या आग लगा रही है!”

अब माहौल पूरी तरह गरम हो चुका था। समीर ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया। मैं जानबूझकर उसकी गोद में गिर गई। उसने मुझे अपनी मज़बूत बाहों में कस लिया। मैं नशे के नाटक में बोली, “जीजू, ये नीचे क्या सख्त-सा लग रहा है?” मैं थोड़ा कसमसाई, और उसका लंड मेरे चूतड़ों में और सट गया। मैंने जानबूझकर अपनी गांड को हल्का-सा हिलाया, ताकि वो मेरी गोल-मटोल फांकों को अच्छे से महसूस कर ले।

समीर ने मेरे चूतड़ों को ज़ोर से दबाया और बोला, “नेहा, मज़ा आया ना? अब तू बिस्तर पर लेट जा, और असली मज़ा ले!” मैंने नाटक किया, “नहीं जीजू, तुम कुछ गड़बड़ करोगे!” वो हंसा, “अरे, बस थोड़ा-सा प्यार, और कुछ नहीं।”

मेरा मन तो खुशी से नाच रहा था। मैं धीरे से बिस्तर पर लेट गई और बोली, “जीजू, कुछ करोगे तो आँखें बंद कर लूँ?” वो बोला, “हाँ, बंद कर ले, और मज़े ले!”

मैंने आँखें बंद कीं, और समीर मेरे पास आकर बैठ गया। उसका गर्म हाथ मेरे बदन पर फिसलने लगा। पहले उसने मेरी टांगों को हल्के से सहलाया, जैसे कोई नाज़ुक फूल छू रहा हो। फिर धीरे-धीरे उसका हाथ ऊपर बढ़ा और मेरे नितंबों पर रुक गया। वो मेरी गांड की गोलाईयों को प्यार से दबाने लगा, जैसे हर इंच को महसूस करना चाहता हो। मुझे गुदगुदी होने लगी, और मेरी सिसकारियां निकलने लगीं, “सी… आह… जीजू…” उसका हाथ जानबूझकर मेरी चूत को छू लेता, और हर बार मेरे बदन में बिजली-सी दौड़ जाती। Jiju sali sex story

फिर उसने मेरी चूत पर पूरा कब्ज़ा कर लिया। उसकी उंगलियां मेरी नाइटी के ऊपर से मेरी चूत की दरार को सहला रही थीं। मेरी चूत पहले से ही गीली थी, और उसका स्पर्श मुझे पागल कर रहा था। मैं “सी सी” करके सिसकारियां लेने लगी। उसका दूसरा हाथ मेरे बूब्स पर पहुंच गया। वो मेरी चूचियों को हल्के-हल्के दबाने लगा, मेरे निप्पलों को उंगलियों से मसलने लगा। मैंने नशे में बोला, “जीजू, तुम्हारे हाथों में जादू है… और करो ना… कुछ भी करो!”

समीर का जोश अब बेकाबू हो चुका था। उसने मेरी चूचियों को ज़ोर से भींच लिया, और उसकी उंगलियां मेरी चूत की गहराई नापने लगीं। मेरी नाइटी गीली हो चुकी थी। मैंने उत्तेजना में कहा, “जीजू, बस अब और नहीं… हटो ना!” मैं जानबूझकर बिस्तर से नीचे उतरी, ताकि वो मेरा पीछा करे। समीर तुरंत मेरे पीछे आया और पीछे से मेरे बूब्स पकड़ लिए। वो मेरे कान में फुसफुसाया, “नेहा, तुझे देखकर मेरा मन कब से बेकाबू है। तेरे ये उभार, तेरी गांड की गोलाईयां… बस एक बार तुझे पूरा दबा लूँ!”

उसका लंड मेरे चूतड़ों में सट रहा था। मैं उसकी मोटाई और गर्मी को अपनी गांड पर महसूस कर रही थी। मैंने मुस्कराकर कहा, “जीजू, पहले अपना वो मोटा-सा लंड मुझे दिखाओ!”

“लंड” सुनते ही समीर जैसे पागल हो गया। वो बोला, “वाह, नेहा! मेरा लंड तेरा ही है, ले पकड़!” उसने मेरे हाथ को अपने पजामे पर रखा, और मैंने उसके कड़क लंड को महसूस किया। उसकी मोटाई और गर्मी ने मेरे बदन में आग सी लगा दी। मैंने नशे का नाटक करते हुए कहा, “हाय जीजू, ये तो मेरी गांड में घुस रहा था… मत करो ना, गुदगुदी होती है!”

समीर जोश में बोला, “तेरी गांड इतनी मस्त है, नेहा, कि लंड अपने आप घुसने को बेताब है!” उसने मेरी नाइटी को ऊपर खींचा और मेरे चूतड़ों को ज़ोर से मसला। उसकी उंगलियां मेरी गांड की दरार में फिसलने लगीं, और मेरी चूत और गीली हो गई। वो मेरी चूचियों को मसल रहा था, मेरे निप्पलों को खींच रहा था, और नीचे से कमर हिलाकर अपना लंड मेरी गांड में रगड़ रहा था। मैं पूरी तरह तरंग में डूब चुकी थी।

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मैं बोली, “जीजू, कोई आ जाएगा ना!” वो बोला, “कोई नहीं आएगा, मेरी जान!” उसने अपना पजामा उतारा, फिर कुरता भी फेंक दिया। उसका कड़क लंड हवा में तनकर फुफकार रहा था, जैसे कोई सांप फन उठाए हो। मैंने शरमाते हुए कहा, “जीजू, ये क्या… मुझे शर्म आ रही है!”

उसने मेरी बात अनसुनी की और मुझे बाहों में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया। उसने मेरी नाइटी खींचकर उतार दी, और मेरी पैंटी भी नीचे सरका दी। मैं अब पूरी नंगी थी। मेरी चूत पहले से ही रस से चिकनी हो चुकी थी। मैंने अपनी टांगें फैलाईं और समीर को अपने ऊपर बुलाया। वो मुस्कराया और मेरी टांगों के बीच आकर बैठ गया। उसने मेरी चूत को हल्के से सहलाया, फिर अपना चेहरा नीचे लाकर मेरी चूत के दाने को जीभ से चाटने लगा। उसकी गर्म जीभ मेरे क्लिट पर गोल-गोल घूम रही थी, और मैं सिहर उठी। मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं, “आह… जीजू… हाय… और चाटो… मज़ा आ रहा है… आह्ह!”

उसने मेरी चूत को और गहराई से चाटा, जैसे कोई भूखा शहद चाट रहा हो। उसकी जीभ मेरी चूत की गहराई में उतर रही थी, और मेरे रस को चूस रही थी। मैंने अपनी टांगें और फैलाईं, ताकि वो और अंदर तक जाए। उसने मेरे क्लिट को हल्के से दांतों से कुरेदा, और मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया। मैं चीख पड़ी, “हाय… जीजू… और चूसो… मेरी चूत का सारा रस निकाल दो!”

फिर समीर ने मेरी टांगें और ऊपर उठाईं, और मेरी गांड उसके सामने आ गई। उसने मेरी गांड के छेद को देखा और बोला, “नेहा, तूने तो पहले से चिकनाई लगा रखी है, शरारती!” मैंने शरारत से कहा, “हाँ जीजू, मुझे पता था तुम आज कुछ ना कुछ करोगे… मैंने खुशबूदार क्रीम लगाई है… चाटो ना… पूरी जीभ अंदर डाल दो!”

उसने अपनी जीभ मेरी गांड के छेद में घुसा दी। उसकी जीभ मेरे छेद को चाट रही थी, और मैं आनंद से पागल हो रही थी। वो मेरी गांड को चाटता रहा, और उसके हाथ मेरी चूचियों को मसल रहे थे। उसने मेरे निप्पलों को उंगलियों से खींचा, और मैं सिसकारियां लेने लगी, “हाय जीजू… मज़ा आ रहा है… मेरी गांड को चाट डालो… आह… और करो!”

फिर समीर उठा और उसने मेरी कमर के नीचे एक तकिया रख दिया, ताकि मेरी गांड थोड़ी ऊपर हो जाए। उसने अपने लंड की मोटी सुपारी मेरी गांड के छेद पर टिकाई और बोला, “नेहा, मेरी प्यारी, अब गांड मराने को तैयार हो जा!” मैंने जोश में कहा, “हाँ मेरे राजा, घुसा दो… मेरी गांड मार लो… मुझे पूरा मज़ा दो!”

उसने धीरे से लंड दबाया, और उसकी मोटी सुपारी मेरी गांड में सरक गई। मैं सिहर उठी, “हाय… घुस गया… जीजू… और करो!” उसने धीरे-धीरे लंड को अंदर-बाहर किया, और मेरी चिकनी गांड उसका साथ देने लगी। चिकनाई की वजह से लंड आसानी से फिसल रहा था। फिर उसने एक जोरदार झटका मारा, और उसका पूरा लंड मेरी गांड में जड़ तक उतर गया। मैं चीख पड़ी, “आह… जीजू… मज़ा आ गया… धक्के मारो… जोर से!”

समीर ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। उसका लंड मेरी गांड में फटाफट चल रहा था, जैसे कोई मशीन चालू हो। चिकनाई की वजह से दर्द कम था, और मज़ा दोगुना हो रहा था। वो बोला, “नेहा, तेरी गांड तो मक्खन जैसी है… देख, मेरा लंड कैसे मज़े ले रहा है!” मैं सिसकारियां ले रही थी, “हाँ जीजू… मारो… मेरी गांड फाड़ दो… आह… और जोर से!”

उसके धक्के तेज़ होते गए। मेरी गांड में उसका लंड अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ मेरे बदन में आनंद की लहर दौड़ रही थी। मैं नीचे से अपनी कमर हिला-हिलाकर उसका साथ दे रही थी। उसने मेरी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसला, मेरे निप्पलों को खींचा, और मैं चीख रही थी, “हाय… जीजू… मेरी चूचियां दबा दो… और जोर से मारो… आह… मेरी गांड में आग लगा दो!”

करीब दस मिनट तक उसने मेरी गांड मारी, फिर अचानक रुक गया। उसने लंड बाहर निकाला, और मेरी गांड में ठंडी हवा का अहसास हुआ। वो मेरे ऊपर लेट गया और मेरे होंठों को चूमने लगा। उसकी जीभ मेरे मुंह में थी, और वो मेरे होंठों को चूस रहा था। नीचे उसका लंड मेरी चूत को ढूंढ रहा था। मेरी चूत पहले से ही रस से चिकनी हो चुकी थी। मैंने अपनी कमर हिलाकर उसका लंड निशाने पर लगाया। उसकी मोटी सुपारी मेरी चूत में सरक गई। मैं सिहर उठी, “आह… जीजू… ये तो और मज़ा दे रहा है!”

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उसने अपनी कोहनियों पर वज़न लिया और मेरे बदन को आज़ाद किया। फिर उसने लंड को थोड़ा बाहर खींचा और एक जोरदार धक्का मारा। उसका पूरा लंड मेरी चूत में जड़ तक घुस गया। मैं चीख पड़ी, “हाय… मर गई… जीजू… क्या कर दिया!” मेरी चूत गीली थी, और उसके धक्कों से फच-फच की आवाज़ें कमरे में गूंजने लगीं।

मैं बोली, “जीजू… और जोर से… पूरा घुसा दो… मेरी चूत फाड़ दो!” वो जोश में बोला, “हाँ मेरी रानी, तुझे देखकर मेरा लंड कब से तड़प रहा था… आज तुझे चोद-चोदकर तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा!”

उसके धक्के और तेज़ हो गए। मैं नीचे से अपनी चूत उछाल-उछालकर उसका साथ दे रही थी। मेरी कमर उसके लय में चल रही थी। मेरी चूचियां उछल रही थीं, और वो उन्हें ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था। मैं चीख रही थी, “हाय जीजू… मेरी चूचियां दबा दो… निप्पल खींचो… और जोर से चोदो… आह… फाड़ दो मेरी चूत!”

उसके धक्कों की रफ्तार बढ़ती गई। फच-फच की आवाज़ें और हमारी सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थीं। मैंने अपनी टांगें और फैलाईं, ताकि उसका लंड और गहराई तक जाए। वो मेरे निप्पलों को चूस रहा था, कभी उन्हें हल्के से काट लेता। हर काटने पर मेरे बदन में करंट दौड़ जाता। मैं चीख रही थी, “आह… जीजू… और जोर से… चोद डालो… मेरी चूत को रगड़ डालो… हाय… मज़ा आ रहा है!”

वो मेरी चूत को अलग-अलग कोणों से चोद रहा था। कभी वो लंड को पूरा बाहर निकालता, फिर एक झटके में जड़ तक घुसा देता। कभी वो मेरी टांगें अपने कंधों पर रखकर गहरे धक्के मारता। मेरी चूत बार-बार पानी छोड़ रही थी, और उसका लंड मेरे रस से चिकना हो चुका था। मैंने अपनी उंगलियां अपनी चूत के दाने पर रगड़नी शुरू कीं, और मज़ा दोगुना हो गया। मैं चीख रही थी, “जीजू… मेरी चूत को चोद डालो… हाय… मेरा पानी निकल रहा है… और जोर से… आह… चोद डालो!”

करीब बीस मिनट तक उसने मुझे बेदर्दी से चोदा। मेरी चूत ने तीन बार पानी छोड़ा, और मैं आनंद के सागर में डूब चुकी थी। अचानक उसकी सांसें भारी हुईं, और वो बोला, “नेहा… मैं गया… हाय… मेरा निकलने वाला है… कसके पकड़ ले!”

मैंने उसे ज़ोर से बाहों में भरा और अपनी टांगें ऊपर उठाकर उसका लंड अपनी चूत में और गहराई तक दबा दिया। मैं भी झड़ने के कगार पर थी। मैं चीखी, “हाय… जीजू… मेरी चूत भी गई… चोदो… जोर से… आह… निकल गया… हाय… मर गई!” मेरी चूत ने फिर पानी छोड़ दिया, और उसी वक्त समीर ने अपना लंड बाहर निकाला। उसने मेरे बूब्स पर अपना गर्म-गर्म लावा उगलना शुरू किया। उसका लंड रुक-रुककर रस उछाल रहा था, और मेरे बूब्स और पेट उसके वीर्य से भीग गए।

मैंने तुरंत उसका लंड अपने मुंह में लिया और उसके रस को चाटने लगी। उसका चिकना-चिकना वीर्य मेरी जीभ पर मज़े दे रहा था। मैंने लंड को पूरा साफ किया, और उसकी हर बूंद को चूस लिया। फिर मैं थककर लेट गई। समीर मेरे बगल में लेट गया, हांफते हुए। मैं करवट लेकर उससे लिपट गई। उसकी गर्म सांसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। हम दोनों नंगे ही एक-दूसरे की बाहों में पड़े रहे। थकान और आनंद में हमें नींद आ गई, और पता ही नहीं चला कब सुबह हो गई।

समीर के साथ मेरी चुदाई का सिलसिला कई महीनों तक चला। हर बार वो मुझे नए-नए तरीकों से चोदता। कभी मेरी गांड मारता, कभी मेरी चूत को चाट-चाटकर रस निकालता, कभी मेरे बूब्स के बीच अपना लंड रगड़कर मज़ा लेता। लेकिन ऐसी बातें ज़्यादा दिन छुपती नहीं। दीदी को शक हो गया। उन्होंने समझदारी दिखाई और बिना कोई हंगामा किए मेरी नौकरी इंदौर की एक इंस्टिट्यूट में पक्की करवा दी। मुझे इंदौर जाना पड़ा, लेकिन समीर के साथ बिताए वो पल मेरे दिल में हमेशा जिंदा रहेंगे। हर रात, जब मैं अकेली होती, उसकी गर्म सांसें, उसका मोटा लंड, और वो आनंद भरे लम्हे मेरे खयालों में तैरते।

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