कमल ने अपनी मम्मी की चुदाई देखी

सभी पाठकों को मेरा दिल से नमस्कार। मैं कमल, एक साधारण परिवार का लड़का, आज अपनी जिंदगी की वो गर्म और गुप्त कहानी आपके सामने ला रहा हूँ, जो मेरे और मेरी मम्मी के बीच की है। ये कहानी उस रात की है, जब प्यार, पैसे की तंगी, और जिस्म की आग ने हमारी जिंदगी को एक नया मोड़ दे दिया। मेरे परिवार में सिर्फ मैं और मेरी मम्मी रहते हैं। मेरे डैडी, जो एक ट्रक ड्राइवर हैं, महीनों तक घर से दूर रहते हैं, और हमारी छोटी सी दुनिया में बस मैं और मम्मी ही हैं। Maa ki chudai

मम्मी, जिनका नाम राधा है, चालीस साल की उम्र में भी ऐसी खूबसूरत हैं कि कोई भी उन्हें देखकर पलकें झपकाना भूल जाए। उनका गोरा रंग, भरा हुआ जिस्म, कसी हुई चूचियाँ, और गोल-मटोल गांड हर मर्द के दिल में आग लगा देती है। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक है, जो मासूमियत और छुपी हुई चाहत का मिश्रण है। हम एक छोटे से शहर में, एक पुराने किराए के मकान में रहते थे, जहाँ टूटी-फूटी दीवारें और छत की सीलन हमारी तंगहाली की गवाही देती थीं। मम्मी घर का काम करती थीं, और मैं बारहवीं कक्षा में पढ़ता था, सपने देखता था कि एक दिन पढ़-लिखकर हमारी जिंदगी बदल दूँगा।

उन दिनों हमारे पास पैसे की बहुत किल्लत थी। कॉलेज की फीस जमा करने का समय आ गया था, और मेरे पास एक भी रुपया नहीं था। उस दिन जब मैं क्लास से लौटा, तो टीचर की डाँट अभी भी मेरे कानों में गूँज रही थी। मैंने मम्मी से फीस की बात की, तो उनकी आँखें उदास हो गईं। “कमल, अभी तो पैसे का कोई जुगाड़ नहीं है। थोड़े दिन बाद देखते हैं,” मम्मी ने धीमी आवाज में कहा। उनकी आवाज में लाचारी थी, लेकिन चेहरे पर वही मुस्कान, जो वो मेरे लिए हमेशा बनाए रखती थीं।

उसी दिन हमारे दूर के रिश्तेदार, राज अंकल, जो विदेश में रहते थे, हमारे घर आए थे। राज अंकल, पैंतालीस साल के आसपास, लंबे-चौड़े, और रौबदार मर्द थे। उनकी बातों में एक अजीब सा आत्मविश्वास था, और उनकी आँखों में कुछ ऐसा जो मुझे हमेशा असहज करता था। वो मम्मी से बड़े प्यार से बात करते, लेकिन उनकी नजरें मम्मी के जिस्म पर टिकी रहती थीं। उस रात, खाना खाने के बाद मैं अपने छोटे से कमरे में चला गया। मकान छोटा था, बस दो कमरे और एक छोटा सा आँगन। मेरा कमरा मम्मी के कमरे से सटा हुआ था, और पतली दीवारें हर आवाज को मेरे कानों तक पहुँचा देती थीं।

रात के करीब ग्यारह बजे, मैं बिस्तर पर लेटा किताब पढ़ रहा था, तभी मम्मी के कमरे से धीमी-धीमी बातें सुनाई दीं। मैंने कान लगाकर सुना, तो राज अंकल की भारी आवाज थी। “राधा, अगर तुम्हें पैसे चाहिए, तो गेस्ट रूम में आ जाओ… बिना कपड़ों के।” मेरे दिल की धड़कन अचानक तेज हो गई। मैंने सोचा शायद मैंने गलत सुना, लेकिन फिर मम्मी की हल्की सी सिसकी और उनके कदमों की आहट ने सब साफ कर दिया। मैं चुपके से उठा और दरवाजे की झिरी से झाँका। मम्मी अपने सलवार-कुर्ते को धीरे-धीरे उतार रही थीं। उनकी गोरी पीठ, काले बाल, और कसी हुई कमर मेरे सामने थी। वो पूरी तरह नंगी होकर, सिर्फ एक चादर लपेटे, गेस्ट रूम की ओर चली गईं।

मेरा दिमाग सुन्न हो गया। मैं समझ गया कि मम्मी मेरे लिए, मेरी फीस के लिए ये सब करने जा रही थीं। लेकिन मेरे जिस्म में एक अजीब सी गर्मी दौड़ रही थी। मैं चुपके से गेस्ट रूम के पास गया, जहाँ दरवाजा हल्का सा खुला था। अंदर का नजारा मेरे होश उड़ा देने वाला था। मम्मी कमरे के बीच में खड़ी थीं, उनकी चादर जमीन पर गिरी हुई थी। उनका गोरा जिस्म, भारी चूचियाँ, और गोल गांड मद्धम रोशनी में चमक रहे थे। तभी राज अंकल बाथरूम से निकले, पूरी तरह नंगे। उनका लौड़ा, साढ़े सात इंच का, मोटा और तना हुआ, किसी हथियार की तरह लग रहा था। मेरी साँसें थम गईं।

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राज अंकल मम्मी के पीछे आए और उनकी गांड पर धीरे से हाथ फेरा। मम्मी की साँसें तेज हो गईं, लेकिन वो चुप रही। अंकल ने अपना लौड़ा मम्मी की गांड की दरार से सटाया और एक जोरदार झटका मारा। मम्मी के मुँह से “आह्ह…!” की चीख निकली, जो मेरे कानों तक गूँजी। अंकल ने मम्मी की कमर पकड़ी और अपनी कमर को तेजी से हिलाने लगे। “कितने दिन हो गए, राधा, चुदाई किए?” अंकल ने पूछा, उनकी आवाज में लालच था। मम्मी ने कराहते हुए कहा, “तीन साल… आह्ह… धीरे करो!” लेकिन अंकल पर कोई असर नहीं हुआ। वो मम्मी की गांड में अपना लौड़ा और तेजी से पेलने लगे। मम्मी की सिसकियाँ, “उह्ह… आह्ह… धीरे…!” कमरे में गूँज रही थीं।

कुछ देर बाद अंकल ने मम्मी को ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ा किया। टेबल का शीशा मम्मी के जिस्म को पूरा दिखा रहा था। अंकल ने मम्मी की चूत पर हाथ फेरा, जो पहले से गीली थी। “ये तो जल रही है, राधा,” अंकल ने हँसते हुए कहा। फिर उन्होंने मम्मी की गांड में फिर से लौड़ा घुसाया, इस बार पूरा। मम्मी की आँखें बंद थीं, उनके चेहरे पर दर्द और मस्ती का मिश्रण था। अंकल की कमर की स्पीड बढ़ गई, और मम्मी की चूचियाँ हर झटके के साथ उछल रही थीं। कुछ ही मिनटों में अंकल ने मम्मी के कंधे पर सिर टिकाया और उनका माल मम्मी की गांड में ही छोड़ दिया। मम्मी बाथरूम चली गईं, और अंकल उनके पीछे।

जब वो दोनों बाहर आए, तो मम्मी ने अंकल का लौड़ा पकड़ रखा था, जो अभी भी आधा तना हुआ था। अंकल बेड पर बैठ गए और मम्मी को इशारा किया। मम्मी फर्श पर घुटनों के बल बैठीं और अंकल के लौड़े को मुँह में ले लिया। उनकी जीभ लौड़े के सुपारे पर घूम रही थी, और अंकल मम्मी की चूचियों को मसल रहे थे। मम्मी की सिसकियाँ और चूसने की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। पाँच मिनट बाद अंकल का लौड़ा फिर से पूरी तरह तन गया। “अब चूत की बारी, राधा,” अंकल ने कहा और मम्मी को बेड पर लिटा दिया।

मम्मी की चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, जो उनकी गोरी त्वचा पर चमक रहे थे। अंकल ने मम्मी की चूत को सहलाया, फिर पास की अलमारी से सरसों का तेल निकाला। उन्होंने मम्मी की चूत पर तेल मला, जिससे मम्मी की साँसें और तेज हो गईं। “ये चूत तो कुँवारी जैसी टाइट है,” अंकल ने कहा। फिर उन्होंने अपने लौड़े पर भी तेल लगाया और मम्मी की जाँघों के बीच बैठ गए। मम्मी की चूत के छेद पर लौड़ा सटाकर उन्होंने हल्का सा धक्का मारा। मम्मी की “उह्ह…” की सिसकी निकली। अंकल ने मम्मी के पैर मोड़कर फैलाए और लौड़े को चूत पर रगड़ने लगे। मम्मी गर्म हो रही थीं, उनकी साँसें तेज थीं, और वो खुद अपनी चूत को हाथों से फैलाने लगीं।

“घुसा दो, राज… अब और मत तड़पाओ!” मम्मी ने कराहते हुए कहा। अंकल ने एक जोरदार झटका मारा, और उनका लौड़ा आधा मम्मी की चूत में घुस गया। मम्मी “आह्ह… मर गई!” चीखीं और बेड की चादर को कसकर पकड़ लिया। अंकल ने धीरे-धीरे कमर हिलानी शुरू की, और मम्मी हर झटके के साथ सिसक रही थीं। “दर्द हो रहा है?” अंकल ने पूछा। “हाँ… आह्ह… थोड़ा धीरे!” मम्मी ने कहा, लेकिन उनकी आँखों में मस्ती की चमक थी। अंकल ने मम्मी की चूचियों को मुँह में लिया और धीरे-धीरे चूसने लगे, साथ ही अपनी कमर को तेज करते गए।

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मैं दरवाजे की झिरी से सब देख रहा था। मेरा जिस्म गर्म हो रहा था, और मेरा लौड़ा मेरी पैंट में तन गया था। मम्मी की सिसकियाँ, “आह्ह… उह्ह… धीरे…!” और अंकल की भारी साँसें मेरे दिमाग में आग लगा रही थीं। अंकल ने मम्मी की कलाइयाँ पकड़ीं और एक जोरदार झटका मारा। मम्मी का पूरा जिस्म काँप उठा, और उनकी चीख “आआह्ह… उईई…!” कमरे में गूँजी। “अभी तो आधा गया है, राधा। आज तेरी चूत का कुँवारापन तोड़ दूँगा,” अंकल ने हँसते हुए कहा।

अंकल ने मम्मी की चूचियों को मसलना शुरू किया, और उनकी निप्पल्स को दाँतों से हल्के से काटा। मम्मी “उह्ह… राज… मर गई!” चीखीं, लेकिन अब उनकी सिसकियों में दर्द कम और मस्ती ज्यादा थी। अंकल ने लौड़ा थोड़ा बाहर निकाला, फिर एक जोरदार झटका मारा। मम्मी की चूत अब पूरी तरह उनके लौड़े को निगल चुकी थी। अंकल की कमर की स्पीड बढ़ गई, और मम्मी “आह्ह… उह्ह… हाय…!” की आवाजें निकाल रही थीं। कमरे में चादर की सरसराहट, मम्मी की सिसकियाँ, और अंकल की भारी साँसें एक गर्म माहौल बना रही थीं।

कुछ देर बाद अंकल ने मम्मी को पलटा और उन्हें घोड़ी बना दिया। मम्मी की गांड हवा में थी, और उनकी चूत गीली होकर चमक रही थी। अंकल ने मम्मी की गांड पर हल्के से थप्पड़ मारा और अपना लौड़ा फिर से चूत में घुसा दिया। “ये चूत तो स्वर्ग है, राधा!” अंकल ने कहा और तेज-तेज झटके मारने लगे। मम्मी की चूचियाँ हर झटके के साथ लटक रही थीं, और वो बेड की चादर को कसकर पकड़े हुए थीं। “आह्ह… राज… और तेज…!” मम्मी ने कराहते हुए कहा, और ये सुनकर अंकल का जोश दोगुना हो गया।

मम्मी की चूत अब इतनी गीली थी कि हर झटके के साथ “पच-पच” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। अंकल ने मम्मी की कमर पकड़ी और अपने लौड़े को और गहराई तक पेलने लगे। मम्मी “आआह्ह… उईई… मर गई…!” चीख रही थीं, लेकिन उनकी आवाज में अब सिर्फ मस्ती थी। अंकल ने मम्मी के बाल पकड़े और उन्हें खींचते हुए और तेजी से चोदने लगे। “बोल, राधा, मजा आ रहा है?” अंकल ने पूछा। मम्मी ने सिर हिलाकर हाँ कहा, और उनकी सिसकियाँ “आह्ह… हाय… और…!” में बदल गईं।

करीब दस मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद अंकल की साँसें भारी हो गईं। “राधा… मेरा निकलने वाला है…!” अंकल ने कहा। मम्मी ने कराहते हुए कहा, “बाहर निकालो…!” लेकिन अंकल ने उनकी बात अनसुनी की और एक जोरदार झटका मारकर अपना सारा माल मम्मी की चूत में उड़ेल दिया। मम्मी का जिस्म काँप उठा, और वो भी झड़ गईं। उनकी सिसकियाँ “आह्ह… उह्ह…!” धीमी पड़ गईं, और वो बेड पर ढेर हो गईं। अंकल भी उनके ऊपर लेट गए, दोनों की साँसें अभी भी तेज थीं।

कुछ देर बाद अंकल ने अपना लौड़ा निकाला, जो अभी भी गीला और चमक रहा था। मम्मी की चूत से उनका माल और खून की हल्की सी धार टपक रही थी। मम्मी चुपचाप बाथरूम चली गईं, और अंकल उनके पीछे। जब वो बाहर आए, तो मम्मी के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी। वो कमल की तरफ देख रही थीं, जैसे कुछ कहना चाहती हों। अंकल बेड पर बैठ गए और मम्मी को फिर से इशारा किया। मम्मी ने उनका लौड़ा फिर से मुँह में लिया और चूसने लगीं। इस बार अंकल ने मम्मी की चूचियों को और जोर से मसला, और मम्मी “उम्ह…!” की आवाजें निकाल रही थीं।

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अंकल का लौड़ा फिर से तन गया। “राधा, अब एक बार गांड की बारी,” अंकल ने कहा। मम्मी ने हल्का सा विरोध किया, “नहीं, राज… वो बहुत दर्द करेगा!” लेकिन अंकल ने उनकी बात नहीं मानी। उन्होंने मम्मी को पेट के बल लिटाया और सरसों का तेल उनकी गांड के छेद पर मला। मम्मी की साँसें फिर से तेज हो गईं। अंकल ने अपना लौड़ा मम्मी की गांड पर सटाया और धीरे-धीरे दबाव डाला। मम्मी “आह्ह… नहीं…!” चीखीं, लेकिन अंकल ने उनकी कमर पकड़कर एक जोरदार झटका मारा। उनका लौड़ा आधा मम्मी की गांड में घुस गया। मम्मी की आँखों से आँसू टपक रहे थे, लेकिन वो चुप रही।

अंकल ने धीरे-धीरे अपनी कमर हिलानी शुरू की, और मम्मी की सिसकियाँ “उह्ह… आह्ह…!” में बदल गईं। कुछ देर बाद मम्मी की गांड उनके लौड़े की आदत पड़ गई, और वो खुद अपनी गांड को पीछे धकेलने लगीं। अंकल ने मम्मी की चूचियाँ पकड़ीं और तेज-तेज झटके मारने लगे। “राधा, तेरी गांड तो चूत से भी टाइट है!” अंकल ने कहा। मम्मी “आह्ह… हाय…!” की आवाजें निकाल रही थीं, और अब उनकी सिसकियों में मस्ती साफ झलक रही थी।

करीब पाँच मिनट की गांड चुदाई के बाद अंकल फिर से झड़ गए। इस बार उन्होंने अपना माल मम्मी की गांड पर छोड़ा। मम्मी बेड पर लेट गईं, उनकी साँसें अभी भी तेज थीं। अंकल ने मम्मी के माथे पर एक चुम्मी दी और कहा, “राधा, तेरे जैसा माल मैंने विदेश में भी नहीं देखा।” मम्मी चुप रही, लेकिन उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। वो बाथरूम गईं, अपने जिस्म को साफ किया, और जब बाहर आईं, तो उनके चेहरे पर वही मुस्कान थी, जो मुझे हमेशा सुकून देती थी।

अगले दिन सुबह, मम्मी ने मुझे कॉलेज की फीस के पैसे दिए। “कमल, अब तू सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे,” उन्होंने कहा। उनकी आवाज में वही ममता थी, लेकिन मैं जानता था कि इसके पीछे क्या हुआ था। मैं चुप रहा, लेकिन मेरे दिल में एक अजीब सी आग जल रही थी। मम्मी की वो सिसकियाँ, उनका गोरा जिस्म, और अंकल का मोटा लौड़ा मेरे दिमाग से नहीं निकल रहा था।

दोस्तों, ये कहानी यहीं खत्म नहीं होती। उस रात के बाद मम्मी और राज अंकल के बीच कई बार ऐसे पल आए, और मैं हर बार चुपके से देखता रहा। धीरे-धीरे मेरे मन में भी मम्मी के लिए कुछ और ही खयाल आने लगे। लेकिन वो सब मैं आपको अगली कहानी में बताऊँगा।

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