माँ की बुर से निकला हुआ पानी चाटने लगा

मेरा नाम शंभू है, उम्र 19 साल, हाइट 6 फीट, और शरीर ऐसा कि जिम में घंटों पसीना बहाने का नतीजा साफ दिखता है। मेरी माँ, शालिनी, 38 साल की हैं, हाइट 5 फीट 1 इंच, और फिगर 38-25-37। माँ की हर अदा, हर नजाकत, हर कर्व इतना कामुक है कि बस उन्हें देखकर ही मेरा लंड सलामी देने लगता है। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक, होंठों पर हल्की सी मुस्कान, और चलने का वो अंदाज़, जैसे वो किसी को ललकार रही हों। जब मैं 17 साल का था, तभी से मेरे मन में माँ को चोदने की आग सुलगने लगी थी। लेकिन माँ बहुत सीधी-सादी थीं, और मेरे मन में डर था कि कहीं वो पापा को बता देंगी, तो मेरी जिंदगी की आफत पक्की। इसलिए मैं हर रात माँ की नंगी तस्वीर अपने दिमाग में बनाकर मुठ मारता और अपने दिल को तसल्ली देता। ऐसे ही दो साल बीत गए, लेकिन जब मैं 19 का हुआ, तो वो दिन आ ही गया, जिसका मुझे बरसों से इंतज़ार था।

एक रात मेरी तबीयत अचानक खराब हो गई। बुखार ने मुझे जकड़ लिया, और मैं अपने कमरे में एक पतले से कम्बल में लिपटा हुआ कांप रहा था। रात के करीब 1:30 बजे, ठंड से मेरे दाँत बज रहे थे। वो पतला कम्बल मेरी ठंड को रोकने में बेकार था। मैं बिस्तर से उठा और कंपकंपाते हुए माँ के कमरे की ओर बढ़ गया। माँ का कमरा हल्की रोशनी में नहाया हुआ था। माँ जाग रही थीं, शायद पापा के देर से आने का इंतज़ार कर रही थीं। मुझे देखते ही माँ की आँखों में चिंता उमड़ पड़ी। “शंभू, बेटा, क्या हुआ? इतनी रात को?” उनकी आवाज़ में ममता थी, लेकिन उनकी साड़ी के नीचे उभरते कर्व्स मुझे पागल कर रहे थे।

“माँ, मुझे बहुत ठंड लग रही है… मैं आपके पास सो जाऊँ?” मैंने कांपते हुए कहा। माँ ने तुरंत अपने बिस्तर पर जगह बनाई और बोलीं, “आ जा, बेटा, मेरे पास लेट जा।” मैं उनके बिस्तर पर लेट गया। जैसे ही मेरा शरीर माँ के गर्म शरीर से टकराया, मेरा 7 इंच का लंड पत्थर की तरह सख्त हो गया। मैंने सोने का नाटक किया, लेकिन मेरा दिल और लंड दोनों बेकाबू हो रहे थे। मेरा एक हाथ धीरे से माँ के पेट पर चला गया, जहाँ उनकी नरम त्वचा मेरे होश उड़ा रही थी। मेरा मुँह उनकी चुचियों के पास था, जो उनकी पतली नाइटी के नीचे साफ दिख रही थीं। मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ नीचे सरकाया और माँ की बुर पर रख दिया। उनकी बुर इतनी मुलायम थी, जैसे मखमल, और पहले से ही हल्की सी गीली।

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माँ अचानक सिहर उठीं और जोर से सीसकारी भरी, “आह्ह… शंभू, ये क्या कर रहा है? मैं तेरी माँ हूँ!” उनकी आवाज़ में हिचकिचाहट थी, लेकिन उनकी साँसें तेज़ थीं। मुझे पता था कि माँ की चुदाई को बरसों बीत चुके थे। पापा ज्यादातर काम में डूबे रहते थे, और माँ का बदन वासना की आग में तप रहा था। मैंने धीरे से कहा, “माँ, मुझे बहुत ठंड लग रही है… बस आपकी बुर से थोड़ी गर्मी ले रहा हूँ।” माँ ने कुछ पल मुझे देखा, उनकी आँखों में एक अजीब सी कशमकश थी। फिर वो धीरे से बोलीं, “ठीक है, बेटा… लेकिन ये गलत है…” उनकी आवाज़ में कमजोरी थी, जैसे वो खुद को रोकना चाहती थीं, लेकिन उनका शरीर कुछ और कह रहा था।

“माँ, आपके कपड़े उतार दूँ? मुझे और गर्मी चाहिए…” मैंने शरारत से कहा। माँ हल्का सा मुस्कुराईं और बोलीं, “तू भी ना, शंभू… ठीक है, उतार दे… लेकिन सिर्फ गर्मी के लिए, और कुछ नहीं।” मैंने माँ की नाइटी को धीरे-धीरे उतारा। उनकी नंगी चुचियाँ मेरे सामने थीं, गोल, भारी, और निप्पल्स सख्त। मैंने अपने कपड़े भी उतार फेंके, और अब हम दोनों कम्बल के अंदर पूरी तरह नंगे थे। माँ की गर्म साँसें मेरे चेहरे पर टकरा रही थीं, और उनकी बुर की गर्मी मेरे लंड को छू रही थी।

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मुझसे रहा नहीं गया। मैं माँ के ऊपर चढ़ गया। उनकी आँखों में एक मिश्रित भाव था—शर्म, डर, और वासना। मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रखे और उनकी जीभ को चूसने लगा। माँ ने हल्का सा विरोध किया, “शंभू… ये ठीक नहीं… आह्ह…” लेकिन उनकी सीसकारी उनकी असली इच्छा बता रही थी। मैंने एक हाथ से उनकी बुर को सहलाना शुरू किया। उनकी बुर पूरी तरह गीली थी, जैसे वो बरसों से इस पल का इंतज़ार कर रही थीं। मेरे दूसरे हाथ ने उनकी चुचियों को मसला, और माँ की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह्ह… बेटा… उह्ह… ये गलत है… लेकिन… आह्ह…” मैंने उनकी एक चुची को मुँह में लिया और चूसने लगा। माँ का बदन कांप रहा था, और वो मेरे बालों में उंगलियाँ फिरा रही थीं।

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“माँ, आप कितनी खूबसूरत हो… मैं बरसों से आपको चाहता हूँ,” मैंने उनके कान में फुसफुसाया। माँ ने शर्माते हुए कहा, “बेटा… तू पागल है… लेकिन… तेरी माँ भी तो इंसान है… मेरी भी आग बुझा दे…” उनकी आवाज़ में वासना और बेबसी थी। हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए। माँ ने मेरा 8 इंच का लंड अपने मुँह में लिया और चूसने लगीं। उनका गर्म मुँह मेरे लंड पर जादू कर रहा था। मैंने उनकी बुर को चाटना शुरू किया। उनकी बुर की खुशबू और स्वाद मुझे दीवाना बना रहे थे। मैंने अपनी जीभ उनकी बुर के अंदर डाल दी, और माँ जोर से सिसक उठीं, “आह्ह… शंभू… और चाट… मेरी बुर को चाट ले… उह्ह…” कुछ देर बाद माँ झड़ गईं। उनकी बुर से गर्म, गाढ़ा पानी निकला, जिसे मैंने जीभ से चाट-चाटकर साफ कर दिया। माँ की सिसकारियाँ अब कमरे में गूंज रही थीं, “आह्ह… बेटा… तूने तो अपनी माँ को पागल कर दिया… ऊऊ…”

माँ अब पूरी तरह बेकाबू थीं। उन्होंने मेरे लंड को हल्का सा काटा, और मैं गुस्से में उनकी बुर पर जोर से थप्पड़ मारने लगा। माँ और जोश में आ गईं और बोलीं, “हाय… शंभू… और मार… तेरी माँ की बुर को और तड़पा… चोद दे इसे… आह्ह…” मैं समझ गया कि माँ अब चुदाई के लिए तड़प रही हैं। मैंने फिर 69 पोजीशन लिया और माँ की बुर पर अपना लंड रगड़ने लगा। माँ की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं, “आह्ह… बेटा… डाल दे… और मत तड़पा… तेरी माँ की बुर को फाड़ दे… ऊऊ…” मैंने अपना लंड उनकी बुर पर रखा और धीरे-धीरे धक्का देना शुरू किया। उनकी बुर इतनी टाइट थी कि मेरा लंड अंदर जाने में थोड़ा रुक रहा था। मैंने जोर से धक्का मारा, और मेरा पूरा 8 इंच का लंड माँ की बुर में समा गया।

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माँ जोर से चिल्लाईं, “आआआ… शंभू… बस… बहुत दर्द हो रहा है… आह्ह…” लेकिन उनकी आँखों में वासना की चमक थी। मैंने उनकी एक न सुनी और जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। हर धक्के के साथ माँ की बुर से “पच… पच… पच…” की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। माँ की चुचियाँ मेरे धक्कों के साथ उछल रही थीं। वो बार-बार चिल्ला रही थीं, “आह्ह… हाँ… शंभू… और जोर से… चोद अपनी माँ को… फाड़ दे मेरी बुर… ऊऊ… आआ…” मैंने उनके होंठों को चूमा और बोला, “माँ, तुम्हारी बुर तो जन्नत है… मैं इसे रोज चोदना चाहता हूँ…” माँ ने हँसते हुए कहा, “पागल… तूने तो अपनी माँ को रंडी बना दिया… लेकिन चोद… और चोद… आह्ह…”

मैंने माँ को अलग-अलग पोजीशन में चोदा। कभी उन्हें घोड़ी बनाकर, कभी उनकी टाँगें उठाकर। हर धक्के के साथ माँ की सिसकारियाँ और तेज हो रही थीं, “आह्ह… ऊऊ… बेटा… और जोर से… तेरी माँ की बुर को मसल दे… आआ…” मैंने करीब एक घंटे तक माँ को चोदा। उनकी बुर अब पूरी तरह गीली थी, और कमरे में सिर्फ उनकी सिसकारियाँ और “पच… पच…” की आवाजें गूंज रही थीं। आखिरकार मैं झड़ गया, और माँ की बुर में अपना सारा माल छोड़ दिया। माँ की साँसें अभी भी तेज थीं। वो मेरे सीने पर सिर रखकर लेट गईं और बोलीं, “शंभू… ये गलत था… लेकिन इतना मजा मुझे कभी नहीं आया…”

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