Mother daughter sex story – Punjabi bhabhi sex story: मेरा नाम राजेश है, मैं एक कंपनी में जॉब करता हूँ, वहाँ कई औरतें और लड़कियाँ काम करती हैं, उनमें से एक थी किरण, उम्र 38 साल, पंजाबी, भरी-पूरी, गोरी-चिट्टी, बड़ी-बड़ी चुचियाँ और भारी गांड, शादीशुदा थी पर पति ने छोड़ रखा था, दूसरी औरत के पास रहता था, तीन बच्चे थे, सबसे बड़ी लड़की की उम्र उस वक्त करीब 19-20 साल थी, कॉलेज में पढ़ती थी, बला की हसीन, माँ जैसी ही माल,
एक बार मुझे किरण के साथ नागपुर जाना पड़ा, ऑफिस के काम से, हम एक ही होटल में रुके, पता नहीं क्यों उसने दो कमरे नहीं लिये, एक ही कमरा लिया, डबल बेड, रात को जब हम बिस्तर पर लेटे तो मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया, मैंने धीरे से उसकी बांहों में हाथ डाला और फुसफुसाया, आ जाओ ना किरण, आज रात रंगीन कर लो,
वो बोली, सो जाओ चुपचाप राजेश, मैं यहाँ ये सब करने नहीं आई, मेरे तीन बच्चे हैं, मैंने हँसते हुए कहा, मुझे पता है, ये भी पता है कि तुम्हारा पति तुम्हें नहीं चोदता, दूसरी औरत के साथ रहता है, अगर किसी को पता चला कि हम एक ही बिस्तर पर सोये तो सब यही समझेंगे कि तुम चुदी हो, तो फिर नखरे क्यों, असली मजा ले लो,
वो नहीं मानी, मैं ऊपर चढ़ गया, उसने मुझे धक्का दे दिया, मैंने फिर कहा, मेरा लंड एकदम पत्थर हो रहा है, इसका क्या करूँ, बोली, बाथरूम में जाकर मुठ मार लो और सो जाओ, पर मैंने सोचा जब बगल में गरम चूत सो रही है तो मर्द का लंड व्यर्थ नहीं जाना चाहिए,
थोड़ी देर बाद फिर उसके ऊपर चढ़ गया, इस बार वो तैयार नहीं थी, मैंने फटाफट उसकी सलवार का नाड़ा खोला, पैंटी साइड की और दो उंगलियाँ उसकी चूत में घुसेड़ दीं, आहह्ह्ह, वो तड़प उठी, उसकी चूत एकदम गीली थी, उसने हार मान ली, मैंने अपना पजामा नीचे किया, लंड बाहर निकाला और एक ही झटके में उसकी चूत में पेल दिया, ग्ग्ग्ग, ग्ग्ग्ग, वो सिसकियाँ लेने लगी, आहह् ह्ह्ह्ह, इह्ह्ह, पर मैं ज्यादा देर नहीं टिका, दस-बारह धक्के में ही झड़ गया, बहुत देर से लंड खड़ा था ना,
सुबह उठा तो वो शर्मा रही थी, मैंने पूछा, जब चुदना ही था तो इतने नखरे क्यों, बोली, दस साल से पति ने हाथ भी नहीं लगाया, रोज चुदती थी पहले, अब चूत सूखी रहती है, तुम नहीं समझ सकते ये दर्द, उस दिन दोपहर में मैंने कहा, अभी लंड नहीं डालूँगा, पहले मुँह से चूसो और हाथ से हिलाकर माल निकालो, वो हँस दी और घुटनों के बल बैठ गई, लंड मुँह में लिया, ग्ग्ग्ग्ग, गी गी गी, गों गों गोग, ऐसे चूसा जैसे कोई भूखी हो, जीभ लंड के सुपारे पर घुमाती रही, दो मिनट में ही मैंने उसके मुँह में झड़ दिया,
उसके बाद दो महीने तक मैंने उसे दर्जनों बार चोदा, हर तरह से, ब्लू फिल्म दिखाकर वैसी-वैसी पोजिशन में, कभी डॉगी बनाकर, कभी घोड़ी बनाकर, गाण्ड भी मरवाती थी, लंड को मुँह में लेकर बबल गम की तरह चबाती थी, झांटें हमेशा साफ रखती थी मेरे लिए, जब मन करता होटल ले जाता और घंटों चोदता, वो भी पागल हो जाती थी मेरे लंड के लिए,
धीरे-धीरे मुझे उसकी बेटी पर भी लाइन मारनी शुरू की, नाम था उसका प्रीति, 19-20 साल, कॉलेज में पढ़ती थी, माँ से भी ज्यादा गदराई हुई, बड़ी-बड़ी चुचियाँ, पतली कमर, भारी गांड, घर आता-जाता था तो दोनों को लगता मैं उसके लिए आया हूँ, माँ को रत्ती भर शक नहीं था,
एक बार हम लोग एक प्रोग्राम में गए, वहाँ देर थी तो प्रीति ने कहा पार्क चलते हैं, घूमते-घूमते मैंने उसका हाथ पकड़ा, उसने हाथ नहीं छुड़ाया, फिर रेस्टोरेंट में ले गया, उसने अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया, मैं आसमान में उड़ने लगा, सोचा एक और गरम चूत तैयार है,
फिर एक दिन साइबर कैफे में बंद केबिन में ले गया, टॉप ऊपर किया, ब्रा के ऊपर से चुचियाँ दबाईं, फिर ब्रा ऊपर की और गुलाबी निप्पल मुँह में लेकर चूसने लगा, वो गरम हो गई, मुझे जोर से भींच लिया, तभी मम्मी का फोन आ गया, मुझे मम्मी को चोदने जाना पड़ा,
फिर चार-पाँच दिन बाद किरण बाहर गई तो प्रीति का फोन आया, अगर मेरे साथ वक्त बिताना है तो घर आ जाओ, मैं पहुँचा तो वो अपनी सहेली के यहाँ से सेक्सी ड्रेस पहनकर आई थी, मिनी स्कर्ट और टाइट टॉप, मैं उसे मूवी ले गया, डार्क कॉर्नर में हाथ उसकी जाँघ पर फेरते-फेरते पैंटी में घुसा दिया, उंगली चूत में डालकर अंदर-बाहर करने लगा, आहह्ह्ह, ओह्ह्ह, वो काँपने लगी,
फिर एक सुनसान जगह पर ले जाकर कार में ही चुचियाँ निकालकर चूसने लगा, निप्पल को दाँतों से काटा, वो तड़प रही थी, पर चुदाई का जुगाड़ नहीं बना, अब मुझे माँ के फोन से चिढ़ होने लगी थी, 20 साल की टाइट चूत मिल रही थी तो 38 वाली कौन पूछता,
फिर एक दिन मेरे घर पर कोई नहीं था, मैंने प्रीति को साइबर कैफे बुलाया, ब्लू फिल्म दिखाई, लंड बाहर निकालकर उसके हाथ में थमा दिया, वो सहलाने लगी, फिर घर लाया, दरवाजा बंद करते ही लिप्त हो गए, लंबा फ्रेंच किस, जीभ एक दूसरे के मुँह में, मैंने उसके सारे कपड़े उतारे, एकदम नंगी कर दिया, चुचियाँ चूसते हुए नीचे आया, उसकी चूत पर हल्के बाल, मैंने दोनों टाँगें फैलाईं और जीभ से चाटना शुरू किया, आहह्ह्ह, ह्ह्ह्ह, ऊईईई, वो कमर उछाल रही थी,
फिर मैंने लंड उसके मुँह में दिया, वो बिना कहे चूसने लगी, ग्ग्ग्ग्ग, गी गी गी, गों गों, गहरा मुँह में लेती थी, मैंने कहा, जल्दी करो, वो बोली, डालो ना, मैंने लंड चूत पर रखा और चार तेज झटकों में पूरा अंदर, कोई दर्द नहीं, सिर्फ आह्ह्ह्ह, ओह्ह्ह, ऊउइइ, वो चिपक-चिपक कर चुदवा रही थी, मुझे समझ आ गया कि ये पहले भी चुद चुकी है, मैंने तेज-तेज धक्के मारे, वो पागल हो रही थी, आह ह ह ह ह्हीईईई, आअह्ह्ह्ह, फिर मैं झड़ गया,
वो टॉयलेट गई, चूत साफ की और बोली, मुझे जाना है, मैंने उसे पीछे के दरवाजे से निकाला, फिर कहा, अभी तो पूरा मजा नहीं आया, ढंग से चोदूँगा, वो हँस दी, कभी मना किया है क्या, मुझे उसकी माँ की बात याद आ गई, वो भी यही बोलती थी,
फिर हमारा फोन सेक्स शुरू हो गया, मैं लंड हिलाता, वो चूत में उंगली डालकर गंदी-गंदी बातें करती,
एक रात मैंने ड्रिंक की और चुदाई का मन हुआ, साढ़े दस बजे फोन किया, मैं आ रहा हूँ, वो साइड गेट खोलकर इंतजार कर रही थी, वही नाइटी पहनी थी जो उसकी माँ पहनकर चुदवाती थी, मैं नशे में था, दरवाजा बंद करते ही उसे दीवार से सटा दिया, नाइटी ऊपर की, पैंटी नहीं थी, लंड मुँह में ठूँसा, ग्ग्ग्ग्ग, ग्ग्ग्ग, वो जोर-जोर से चूसने लगी, मैंने उसे गोदी में उठाया, बेड पर पटका और लंड एक झटके में चूत में, आज मेरा लंड बहुत मोटा लग रहा था, उसकी चूत फट जाएगी जैसे, मैंने ऐसे ठोका कि बेड हिलने लगा, आहह्ह्ह, ओह्ह्ह, राजेश और जोर से, ह्ह्हीईई, ऊईईई मम्मीईई, वो पागल हो गई, 25 मिनट तक लगातार चोदा, फिर उसके मुँह में झड़ गया,
फिर एक सर्द रात को फोन सेक्स करते-करते वो बोली, आ जाओ नही तो मर जाऊँगी, रात का एक बजा था, मैं जैकेट पहनकर निकल पड़ा, घर के बाहर मिस कॉल की तो उसने गेट खोला, चौकीदार की सीटी बजी, मुझे छुपना पड़ा, फिर उसके नाना उठ गए, उसने खांसकर टाल दिया, फिर मेरा हाथ पकड़कर अपने कमरे में ले गई, उसकी छोटी बहन भी उसी बेड पर सो रही थी,
वो मेरी जैकेट उतारकर मुझसे लिपट गई, नाइटी ऊपर की तो पता चला पैंटी नहीं पहनी, बोली, तुमसे बात करते वक्त उंगली चूत में थी, मैंने कहा, दूसरे कमरे चल, बोली, नहीं यहीं, ये कुम्भकरण सोती रहेगी, मैं डर गया, फिर भी वो मेरे कपड़े उतारने लगी, लंड मुँह में लिया, ग्ग्ग्ग्ग, गी गी गी, कभी चुचियों में दबाती, कभी गहरा गला में लेती, जिंदगी में पहली बार इतना आनंद आया,
फिर मैंने उसे लिटाया, टाँगें कंधे पर रखीं और चूत चाटने लगा, हल्के बाल थे, जीभ अंदर तक डाली, वो सिसक-सिसक कर आह्ह्ह्ह, ह्ह्ह्ह, ऊउइइ, दबा रही थी मेरा सिर, फिर मैंने लंड चूत पर रखा और जोर का झटका, पूरा अंदर, वो उछल पड़ी, मैंने मुहँ पर हाथ रखा और तेज-तेज धक्के मारने लगा, 15 मिनट बाद झड़ गया, लेटा रहा उसके ऊपर, फिर कपड़े पहनने लगा तो वो लंड पकड़कर बोली, अभी नहीं, खुद ऊपर चढ़ गई, चूत में लंड लिया और उछलने लगी, पर रात बहुत हो गई थी, मैं चुपके से निकल आया,
उसके बाद मौका नहीं मिला, ना माँ को चोद पाया, ना बेटी को, मैं शादी कर लिया, अब दोनों मुझसे नहीं चुदवातीं, पर सबसे छोटी बहन पर नजर है, वो भी अब 18 की हो चुकी है, मुझे पूरा यकीन है कि एक दिन उसे भी चोदूँगा, क्योंकि ये साली सब की सब चुदक्कड़ निकलीं।