मेरे प्यारे दोस्तों, मेरा नाम अनुज है और मैं नवी मुंबई का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 22 साल है। दोस्तों, मुझे चुदाई करने में और चुदाई की कहानियाँ पढ़ने में बहुत मज़ा आता है। मैं कई सालों से ऐसा करता आ रहा हूँ। मैंने अपनी एक सच्ची चुदाई की कहानी आप लोगों के साथ पहले भी शेयर की थी, जिसे आप सभी ने बहुत पसंद किया और मुझे इसके लिए ढेर सारे ईमेल मिले। मैं सभी लड़कियों से कहना चाहता हूँ कि हर लड़की को कम से कम एक बार चूत चटवाने और चुसवाने का मज़ा ज़रूर लेना चाहिए, क्योंकि इसमें जो सुख मिलता है, वो कहीं और नहीं मिलता।
ये कहानी करीब एक साल पहले की है। हमारी सोसाइटी में, जहाँ मैं रहता हूँ, बहुत सारी लड़कियाँ हैं। सभी एक से बढ़कर एक, सेक्सी और हॉट। उन्हें देखकर मेरा मन डोल जाता है। मैं तो हमेशा से चूत का दीवाना रहा हूँ, लेकिन मुझे कभी दो लेस्बियन लड़कियों को एक साथ चोदने का मौका नहीं मिला था। मैं इस मौके की तलाश में था। मेरी किस्मत ने मेरा साथ दिया और मुझे वो मौका जल्दी ही मिल गया। मैंने उस मौके का पूरा फायदा उठाया और दो चूतों का मज़ा लिया। अब आप भी इस कहानी को पढ़कर समझ जाएँगे कि आखिर हुआ क्या था।
हमारी सोसाइटी में दो लड़कियाँ कोचिंग के लिए आती थीं। वो दोनों छत पर जाकर एक-दूसरे को गालों पर किस करती थीं। एक दिन मेरे दोस्त ने उन्हें ऐसा करते देख लिया और उसने मुझे तुरंत उनकी हरकतों के बारे में बता दिया। ये सुनकर मेरा दिल जोश से भर गया। मैंने ठान लिया कि मैं इन दोनों को एक साथ, एक ही बिस्तर पर चोदूँगा। इसके बाद, जब भी वो दोनों सोसाइटी में आतीं, मैं उन्हें लाइन देने की कोशिश करता। लेकिन कई बार कोशिश करने के बाद भी मुझे उनकी तरफ से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। उन्होंने मेरी तरफ ध्यान भी नहीं दिया। फिर मैंने एक हफ्ते बाद उनसे बात करने का फैसला किया। मैं उनके पास गया और “हाय” कहा।
उन्होंने ठंडे लहजे में जवाब दिया, “हम किसी अनजान आदमी से बात नहीं करते।” मैंने बिना वक्त गँवाए साफ-साफ कह दिया, “ये तुम्हारे ही फायदे की बात है।” वो चौंकी और बोली, “जल्दी बोल, क्या कहना है?” मैंने पहले उनका नाम पूछा। तब पता चला कि एक का नाम रानी और दूसरी का नाम रवीना था। फिर मैंने कहा, “मुझे अच्छे से पता है कि तुम दोनों छत पर जाकर क्या-क्या छिछोरी हरकतें करती हो। मुझे तुम दोनों के घर का पता भी मालूम है।” मेरी बात सुनकर वो हक्का-बक्का रह गईं। उन्होंने पूछा, “ये तुम क्या बोल रहे हो? इसका मतलब क्या है?” मैंने कहा, “अब मेरे सामने ज़्यादा समझदार मत बनो।”
मैंने आगे कहा, “जब तुम दोनों एक-दूसरे के साथ मज़े लेती हो, तो क्या तुम्हें कभी लंड की ज़रूरत महसूस नहीं होती?” ये सुनकर वो दोनों सन्न रह गईं। उनके पास शायद मेरी बात का जवाब नहीं था। वो चुपचाप खड़ी थीं। मैंने कहा, “घबराओ मत। मैं तुम्हारी इस बात को अच्छे से समझता हूँ। मुझे भी चुदाई का अच्छा अनुभव है।” उन्होंने मेरी बात सुनकर पूछा, “तुम हमसे चाहते क्या हो?” मैंने कहा, “मैं तुम्हारे ग्रुप में शामिल होना चाहता हूँ। मुझे यकीन है कि तुम मुझे मना नहीं करोगी।” फिर वो दोनों एक तरफ गईं और आपस में कुछ बात की। इसके बाद उन्होंने कहा, “ठीक है, लेकिन हमारी एक शर्त है। इस काम में तुम्हारी तरफ से कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं होनी चाहिए।” मैंने खुशी-खुशी हामी भर दी।
मैंने उनसे कहा, “ठीक है, एक बार मुझे चुदाई का मौका दो, फिर देखो।” मैंने उनका मोबाइल नंबर ले लिया और कुछ बातें करके खुशी-खुशी घर लौट गया। इसके बाद मैं उन्हें रोज फोन करने लगा। रात को वो भी मुझे फोन करतीं। हम फोन पर चुदाई की बातें करने लगे, जिससे हम तीनों बहुत गर्म हो जाते। कुछ दिन बाद उन्होंने मुझे अपने घर बुलाया। उस दिन उनके घर पर कोई नहीं था। मैं ठीक समय पर उनके घर पहुँच गया। उनका घर बहुत बड़ा और शानदार था। उन्होंने मुझसे चाय-पानी पूछा और मुझे सोफे पर बिठाया। फिर वो दोनों बोलीं, “आज हम तुझे आज़माएँगे। देखते हैं, तेरे लंड में कितना दम है?”
मैंने हँसते हुए कहा, “देर किस बात की? मेरा जैसा भी टेस्ट लेना है, लो। मुझे सब मंजूर है।” उन्होंने कहा, “ठीक है, तुम यहीं बैठो।” फिर वो दोनों एक-दूसरे को चूमने लगीं। उन्हें देखकर मेरा दिल जोश से भरने लगा। मैंने सोचा कि इनके बीच जबरदस्ती घुस जाऊँ, लेकिन मैंने अपने दिल पर काबू रखा और चुपचाप उन्हें देखता रहा।
वो दोनों जोश में आकर एक-दूसरे को चूम रही थीं। उन्हें देखकर मैं भी मदहोश हो गया। थोड़ी देर बाद उन्होंने एक-दूसरे का टॉप उतार दिया। फिर ब्रा भी उतार फेंकी। अब वो एक-दूसरे के बूब्स को चूसने लगीं। उनके बूब्स गोल, सुडौल, और चिकने थे। उन्हें देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया। मेरा लंड पूरी तरह तन गया। मैंने भी अपनी शर्ट उतार दी और उन्हें देखने लगा। वो कभी एक-दूसरे को चूमतीं, कभी बूब्स चूसतीं, तो कभी एक-दूसरे से चिपककर बूब्स को बूब्स से दबातीं।
फिर वो दोनों पूरी तरह नंगी हो गईं। अब वो एक-दूसरे की चूत पर हाथ फेरने लगीं। दोनों सिसकियाँ ले रही थीं। “आह्ह… उह्ह…” उनकी सिसकियों की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। फिर वो बेडरूम की तरफ चली गईं। मैं भी थोड़ी देर बाद उनके पीछे गया और उनका खेल देखने लगा। वो दोनों एक-दूसरे में पूरी तरह खोई हुई थीं। मैं चुपचाप गर्म होता रहा। मैंने अपनी पैंट भी उतार दी। मेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा था और उनकी चुदाई के लिए तैयार था।
थोड़ी देर बाद मैंने अपनी अंडरवियर भी उतार दी और अपने लंड को सहलाने लगा। फिर मैंने देखा कि रानी ने रवीना को बेड पर लिटा दिया और उसकी चिकनी, गीली चूत को चाटने लगी। रवीना जोश में छटपटा रही थी। “आह्ह… ओह्ह… रानी… और चाट… उह्ह…” वो सिसकियाँ ले रही थी। उसकी चूत से रस टपक रहा था। रानी की नंगी, रसभरी चूत मेरे सामने थी। मुझसे अब रहा नहीं गया। मैं धीरे-धीरे रानी के पीछे गया और उसकी चूत पर अपनी जीभ रख दी। मेरी जीभ के स्पर्श से रानी छटपटा उठी। “आह्ह… ये क्या… उह्ह… अनुज…” वो सिसकने लगी।
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मैंने उसके कूल्हों को कसकर पकड़ लिया और उसकी चूत को चाटने लगा। “उम्म… आह्ह… कितना मज़ा… चाटो और…” रानी सिसक रही थी। रानी रवीना की चूत चाट रही थी, और मैं रानी की चूत चाटकर उसे पागल कर रहा था। रानी बहुत गर्म हो चुकी थी। उसकी सिसकियाँ तेज हो रही थीं। “आह्ह… उह्ह… और तेज… ओह्ह…” थोड़ी देर बाद रानी ने रवीना की चूत को चाट-चाटकर ठंडा कर दिया। रवीना झड़ चुकी थी। उसकी चूत से रस बह रहा था।
इधर, रानी भी झड़ने वाली थी। वो तेज-तेज सिसक रही थी। “आह्ह… अनुज… बस… उह्ह… मैं… आह्ह…” और फिर वो झड़ गई। मैंने उसका सारा रस चाट-चाटकर पी लिया। रानी मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा रही थी। “चाटो… और चाटो… सारा पी जाओ…” उसे बहुत मज़ा आ रहा था। मेरा लंड अब तड़प रहा था। दोनों के चेहरों से साफ पता चल रहा था कि वो मेरा लंड चाहती थीं।
उन्होंने मुझे बेड पर लिटा दिया। रानी मेरे होंठों पर अपने नरम, रसभरे होंठ रखकर स्मूच करने लगी। “उम्म… अनुज… तेरे होंठ कितने रसीले…” उसके बूब्स मेरे सीने से टकरा रहे थे। उसका स्पर्श मुझे जन्नत का मज़ा दे रहा था। नीचे रवीना मेरे 7 इंच के लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। “आह्ह… रवीना… चूस… और जोर से…” मैं जोश में आ गया। रवीना मेरे लंड को किसी रंडी की तरह चूस रही थी। “गप्प… गप्प…” चूसने की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी।
थोड़ी देर बाद रानी बोली, “रवीना, अब मुझे भी इसका लंड चूसना है। मैं भी देखूँ, असली लंड चूसने में कितना मज़ा है।” रवीना ने मेरा लंड बाहर निकाला और अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी। “चाट, अनुज… मेरी चूत चाट…” मैं उसकी चूत को पागलों की तरह चाटने लगा। रानी मेरे लंड को चूस रही थी। “उम्म… कितना मस्त लंड… गप्प… गप्प…” उसकी चूसने की आवाज़ मुझे और गर्म कर रही थी। रवीना फिर से झड़ गई। “आह्ह… उह्ह… अनुज… तू कमाल है…”
मैं भी अब झड़ने वाला था। दो-तीन मिनट बाद मैं झड़ गया। हम तीनों बेड पर लेट गए। मेरा शरीर लाल पड़ गया था। कमरे में AC चल रहा था, फिर भी मुझे गर्मी लग रही थी। दस मिनट बाद मैं थोड़ा शांत हुआ। रवीना फिर से मेरे लंड को सहलाने लगी। रानी मेरे गोरे बदन को चूम रही थी। “अनुज… तेरा बदन कितना चिकना है…” मैंने रानी को अपनी बाहों में खींच लिया और उसके बूब्स चूसने लगा। उसके निप्पल तने हुए थे। “आह्ह… चूस… और जोर से…” रानी सिसक रही थी।
मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। रानी ने उसे मुँह में लिया और चूसने लगी। “गप्प… गप्प… कितना सख्त है…” मैंने कहा, “रानी, अब मुझे तुम्हारी चूत मारनी है।” रानी बोली, “ठीक है, लेकिन तुम्हें हम दोनों की एक साथ चोदना होगा।” मैंने कहा, “मैं पूरी कोशिश करूँगा।”
मैंने रानी और रवीना को बेड पर लिटा दिया। पहले मैं रानी के ऊपर चढ़ा। मैंने अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रखा और एक धक्का मारा। मेरा लंड उसकी गीली चूत में फिसल गया। “आह्ह… उह्ह… धीरे…” रानी सिसक रही थी। मैंने महसूस किया कि उसकी चूत की सील नहीं टूटी थी। मैंने एक और ज़ोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। “आह्ह… उह्ह… दर्द हो रहा है…” रानी चीखने लगी।
रवीना ने रानी का मुँह बंद कर दिया और उसे चूमने लगी। “चुप, रानी… मज़ा आएगा…” रवीना अपनी चूत में उंगली कर रही थी। “आह्ह… उह्ह…” मैंने रवीना के बूब्स पकड़ लिए और दबाने लगा। रानी की चूत में मेरा लंड “थप… थप…” की आवाज़ के साथ अंदर-बाहर हो रहा था। रानी झड़ गई। उसकी चूत से रस बह रहा था। रवीना भी गर्म थी। मैंने अपना लंड रानी की चूत से निकाला और टोपे को दबाया ताकि मैं झड़ न जाऊँ।
मैंने पैंट की जेब से सिगरेट निकाली और पीने लगा। दो कश के बाद मैंने रवीना की चूत में लंड डाला और धक्के मारने लगा। “थप… थप… आह्ह… उह्ह…” रवीना सिसक रही थी। मैं सिगरेट पीते हुए चुदाई कर रहा था। सिगरेट खत्म होने के बाद मैंने लंड बाहर निकाला और रगड़ा। फिर मैंने रवीना की चूत में लंड डालकर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे। “आह्ह… अनुज… और जोर से… उह्ह…” रवीना चीख रही थी। मैंने उसके बूब्स दबाए और चुदाई की।
रवीना झड़ गई। मैंने लंड निकाला और रवीना के मुँह के पास ले जाकर मुठ मारी। 15 सेकंड बाद मेरा सारा वीर्य उसके मुँह पर और बूब्स पर गिर गया। दोनों मेरे वीर्य को चाटने लगीं। “उम्म… कितना मज़ा…” वो खुश थीं।
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थोड़ी देर बाद मैंने कपड़े पहने और घर चला गया। तीन घंटे बाद रानी का फोन आया। उसने कहा, “अनुज, आज का मज़ा बहुत अच्छा था, लेकिन अब तुम इसे भूल जाओ। ये हमारा पहला और आखिरी बार था।” मैंने पूछा, “ऐसा क्यों?” उसने कहा, “तुम चुदाई तो मस्त करते हो, लेकिन लंबे समय तक ऐसा करना खतरनाक है।” मैंने उसकी बात मानी और कहा, “क्या हम फोन पर तो बात कर सकते हैं?” उसने मना कर दिया और फोन काट दिया।
दोस्तों, उसकी बात सही थी। लंबे समय तक नाजायज़ रिश्ते रखना ठीक नहीं। मैंने उससे बहुत कुछ सीखा। अब मैं किसी लड़की के साथ एक महीने से ज़्यादा ऐसा रिश्ता नहीं रखता।
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