Gaon ki laundiya ki machalti chut sex story: नमस्ते दोस्तों, मैं हूँ आपका दोस्त लक्ष्य! दिल्ली एनसीआर के एक छोटे से गाँव का हूँ, जहाँ की मिट्टी में ही मेरी जड़ें हैं। मैं एक मस्तमौला लड़का हूँ, उम्र 24 साल, रंग गोरा, कद 5 फीट 10 इंच, और बदन ऐसा कि जिम की मेहनत साफ झलकती है। मुझे सेक्सी कहानियाँ पढ़ने का बड़ा शौक है। रात को जब नींद नहीं आती, तो मैं अपने फोन पर इंटरनेट खोलता हूँ और गर्मागर्म कहानियाँ पढ़कर मूड बनाता हूँ। कई बार तो मुठ मारकर ही सुकून मिलता है। आज मैं अपनी ज़िंदगी की एक सच्ची और मसालेदार कहानी आपके साथ शेयर करने जा रहा हूँ। ये मेरी पहली कहानी है, तो अगर कोई गलती हो जाए, तो माफ़ करना।
बात 2012 की है। मैंने जयपुर से कॉलेज खत्म किया और अपने गाँव लौट आया। गाँव में टाइम पास करने के लिए मैंने एक छोटा सा कम्प्यूटर सेंटर खोल लिया। सुबह-सुबह जब मैं सेंटर जाता, तो रास्ते में एक लड़की दिखती थी। वो स्कूल बस का इंतज़ार करती थी। नाम था उसका प्रिया, उम्र 19 साल, बारहवीं में पढ़ती थी। गोरी-चिट्टी, कद 5 फीट 4 इंच, और फिगर ऐसा कि 34-28-36 का, मोटे-मोटे चुचे, और पीछे से निकली हुई गोल-मटोल गांड। उसकी एक मुस्कान ही थी जो मेरे दिल को चुरा लेती थी। मैं बाहर पढ़ा था, तो उसे पहले नहीं जानता था। बस, रोज़ नज़रें मिलतीं, और हम दोनों मुस्कुरा देते। उसकी आँखों में एक शरारत थी, जो मुझे अंदर तक गुदगुदाती थी।
ऐसे ही दस दिन बीत गए। फिर एक दिन प्रिया का छोटा भाई, राहुल, मेरे सेंटर पर आने लगा। वो 16 साल का था, चुलबुला सा लड़का। धीरे-धीरे मैं उनके परिवार को जानने लगा। राहुल को मैं सेंटर पर छोड़कर कभी-कभी काम से चला जाता। वो भरोसेमंद था, पर थोड़ा लापरवाह भी।
एक दिन मेरे फोन पर एक अनजान नंबर से ‘हाय’ का मैसेज आया। मैंने इग्नोर किया, लेकिन अगले दिन फिर मैसेज आया। ऐसे ही रोज़ मैसेज आने लगे। आखिरकार मैंने उस नंबर पर कॉल कर दी। उधर से एक लड़की की मीठी आवाज़ आई। मैं चौंक गया, पर बात शुरू हो गई। हमारी बातें रोज़ होने लगीं, कभी रात को, कभी दिन में। धीरे-धीरे बातें प्यार में बदलने लगीं। दो महीने बाद भी मुझे नहीं पता था कि वो कौन है।
एक दोपहर, मुझे किसी काम से बाहर जाना था। मैंने सेंटर की चाबी राहुल को दी और चला गया। जब वापस आया, तो सेंटर खुला था और राहुल गायब। मैं चिढ़ गया। चाबी लेने मैं उनके घर गया। वहाँ प्रिया, उसकी मम्मी, और कुछ रिश्तेदार थे। मैंने राहुल से चाबी ली, पर कुछ बोला नहीं। तभी प्रिया की मम्मी ने मुझे रोका। बोलीं, “लक्ष्य, ज़रा मेरा फोन देखो, इसमें कुछ प्रॉब्लम है।” मैंने फोन लिया और देखते ही चौंक गया। उसमें वही मैसेज थे, जो मुझे आ रहे थे। मुझे समझ आ गया कि ये नंबर प्रिया का था।
उसके बाद हमारी बातें और गहरी हो गईं। प्रिया को भी पता था कि मैं जान गया हूँ। हम रात-रात भर फोन पर बातें करते। धीरे-धीरे बातें प्यार से सेक्स चैट तक पहुँच गईं। उसकी आवाज़ में एक गर्माहट थी, जो मुझे पागल कर देती थी। जब मौका मिलता, वो मुझे घर बुला लेती। हम चोरी-छिपे मिलते, कभी किस करते, कभी गले लगते। मैं उसकी चूचियों को हल्के से दबाता, और वो सिहर उठती। उसका फिगर एकदम मस्त था। चुचे 34D के, कड़क और रसीले, और गांड ऐसी कि बस देखते ही लंड खड़ा हो जाए।
एक दिन मौका मिला। प्रिया के घरवाले खेत गए थे, जो गाँव से काफ़ी दूर था। वो शाम को ही लौटने वाले थे। प्रिया ने मुझे फोन किया, “लक्ष्य, जल्दी आ जाओ, घर खाली है।” मेरी धड़कनें तेज़ हो गईं। मैंने सेंटर बंद किया और उसके घर पहुँच गया। वो अभी-अभी नहाकर निकली थी। गीले बाल, टाइट टी-शर्ट, और नीचे पजामा। उसकी चूचियाँ टी-शर्ट में उभरी हुई थीं, और निप्पल्स साफ दिख रहे थे। उसने गेट बंद किया और मुझे देखकर मुस्कुराई।
मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया। उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर लगीं। मैंने उसे गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया। उसे बेड पर पटका, और वो हँसते हुए मेरे गले लग गई। मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसे किस करने लगा। उसके होंठ मुलायम, रसीले, जैसे गुलाब की पंखुड़ियाँ। वो मेरे मुँह में अपनी जीभ डालकर चूमने लगी। “उम्म्म… आह्ह…” उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। मैंने उसके चुचे टी-शर्ट के ऊपर से दबाए। वो कड़क थे, जैसे पके हुए आम।
मैंने उसकी टी-शर्ट में हाथ डाला। हैरानी की बात, उसने ब्रा नहीं पहनी थी। मैंने उसके नंगे चुचे मसले। “आह्ह… लक्ष्य… धीरे…” वो सिहर रही थी। मैंने उसकी टी-शर्ट उतारी और उसके चुचे चूसने लगा। गुलाबी निप्पल्स, कड़क और रसीले। मैं एक चूची चूसता, तो दूसरी को मसलता। “स्स्स… आह्ह… और चूसो…” वो मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबा रही थी। उसकी साँसें तेज़ थीं, और वो गर्म हो रही थी।
मैंने उसकी पजामा की डोरी खोली। नीचे पिंक पैंटी थी, जो उसकी चूत के रस से गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी जाँघों को चूमा, उसकी चूत की खुशबू सूंघी। मादक, नमकीन सी खुशबू थी। मैंने पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर होंठ रखे और चाटने लगा। “ओह्ह… लक्ष्य… क्या कर रहे हो… आह्ह…” वो अपनी गांड हिलाने लगी। मैंने उसकी पैंटी उतारी। उसकी चूत एकदम साफ, गुलाबी, और चिकनी थी। “तूने तो आज तैयार होकर रखा है,” मैंने हँसते हुए कहा। उसने शरमाते हुए बताया, “हाँ, नहाते वक़्त साफ किया, तुझे पसंद जो है।”
मैंने उसकी चूत चाटनी शुरू की। मेरी जीभ उसकी चूत की फाँकों में घूम रही थी। “आह्ह… उम्म्म… और चाटो… स्स्स…” वो मेरे सिर को अपनी चूत में दबा रही थी। उसकी चूत से रस टपक रहा था, और मैं हर बूंद चाट रहा था। दो मिनट में वो अकड़ गई। “लक्ष्य… मैं… आह्ह… झड़ने वाली हूँ…” उसने मेरे बाल पकड़े और मेरे मुँह को अपनी चूत में दबा दिया। वो झड़ गई, और मैंने उसका सारा रस चाट लिया।
वो निढाल होकर बेड पर पड़ी थी। मैंने अपने कपड़े उतारे। मेरा 7 इंच का लंड तनकर खड़ा था। मैंने उसे अपने लंड के पास लाया। उसने शरमाते हुए उसे हाथ में लिया और हिलाने लगी। “इतना बड़ा… कैसे जाएगा?” उसने डरते हुए कहा। मैंने उसे लंड चूसने को कहा, पर वो हिचकिचाई। “प्लीज़, प्रिया, एक बार ट्राई कर,” मैंने मनाया। आखिरकार वो मान गई। उसने मेरे लंड को मुँह में लिया। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड पर फिरी, तो मैं सिहर उठा। “आह्ह… प्रिया… और चूस…” मैंने उसके बाल पकड़े और उसके मुँह को चोदने लगा। दो मिनट में मैं उसके मुँह में झड़ गया। उसने सारा रस पी लिया, क्योंकि मैंने लंड निकाला ही नहीं।
हम दोनों थककर लेट गए। वो बाथरूम गई, कुल्ला करके लौटी, और मेरे सीने पर सिर रखकर लेट गई। उसकी गर्म साँसें मेरी छाती पर लग रही थीं। थोड़ी देर बाद मैं फिर से उसके चुचे चूसने लगा। वो फिर गर्म हो गई। “लक्ष्य… अब और बर्दाश्त नहीं होता… डाल दो…” वो मेरे लंड को हिलाते हुए बोली।
मैंने उसकी चूत के नीचे तकिया रखा, ताकि उसकी चूत ऊपर उठ जाए। मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा। “आह्ह… लक्ष्य… डाल दो ना… चूत में आग लगी है…” वो तड़प रही थी। उसने खुद मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत में सेट किया। मैंने धीरे से धक्का मारा। मेरा लंड उसकी चिकनी चूत में फिसलने लगा, पर तंग थी। “आह्ह… दर्द हो रहा है…” वो चीखी। मैंने उसे किस किया और उसके चुचे सहलाए, ताकि उसका ध्यान बँट जाए।
मैंने एक जोरदार धक्का मारा। मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। वो दर्द से बिलबिला उठी। “लक्ष्य… रुको… बहुत दर्द हो रहा है…” उसकी आँखों में आँसू थे। मैंने उसे समझाया, “बस थोड़ा सा दर्द, फिर मज़ा ही मज़ा।” मैंने उसे किस किया और उसके चुचे चूसे। थोड़ी देर में वो नॉर्मल हुई। मैंने एक और धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। “आह्ह… मर गई…” वो चीखी, पर मैंने उसके होंठ बंद रखे।
थोड़ी देर बाद उसकी कमर हिलने लगी। मैं समझ गया कि अब वो मज़े ले रही है। मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। “उम्म्म… आह्ह… और चोदो… तेज़…” वो अपनी गांड उठाकर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी। उसकी चूत से ‘पच-पच’ की आवाज़ें आ रही थीं। दस मिनट बाद वो फिर झड़ गई। “आह्ह… लक्ष्य… मैं गई…” उसका रस मेरे लंड पर बह रहा था। मैं रुका, और उसने बाथरूम जाकर चूत साफ की।
वो लौटी, तो मैंने उसे घोड़ी बनाया। उसकी गोल गांड देखकर मेरा लंड फिर तन गया। मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया। “आह्ह… कितना मज़ा आ रहा है…” वो सिसकार रही थी। मैंने उसके बाल पकड़े और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे। उसकी चूत से फिर रस टपकने लगा। “लक्ष्य… मेरी चूत फाड़ दो… और तेज़…” वो चिल्ला रही थी।
मैं भी झड़ने वाला था। “प्रिया, कहाँ निकालूँ?” मैंने पूछा। “चूत में ही छोड़ दो… मैं इसे फील करना चाहती हूँ,” उसने कहा। मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे और उसकी चूत में झड़ गया। मेरे साथ वो भी फिर से झड़ गई। “आह्ह… उम्म्म… कितना गर्म है तेरा रस…” वो सिहर रही थी।
मैं उसके ऊपर लेट गया। मेरा लंड बाहर निकला, तो उसकी चूत से हम दोनों का रस बहने लगा। उसकी चूत सूज गई थी, और वो लंगड़ाकर चल रही थी। मैं उसे बाथरूम ले गया। उसने अपनी चूत और मेरे लंड को साफ किया। फिर हमने कपड़े पहने। दो घंटे हो चुके थे।
जाते वक़्त उसने कहा, “लक्ष्य, पेनकिलर और गर्भनिरोधक गोली ला देना।” मैंने हामी भरी और उसे किस करके निकल गया। बाद में मैंने गोलियाँ दीं। अब जब भी मौका मिलता है, हम चुदाई का मज़ा लेते हैं।
अगली कहानी में बताऊँगा कि कैसे मैंने प्रिया की गांड मारी। मेरी ये कहानी आपको कैसी लगी? ज़रूर बताएँ।