खेल-खेल में बेटी को चोदा-6

पिछला भाग पढ़ें:- खेल-खेल में बेटी को चोदा-5

शनिवार मेरे लिए खास था। मेरी बेटी नम्रता ने खुद मुझसे चुदवाया, और रात में अपनी सहेली किरण को भी मेरा लंड चखवाया। दोनों कुंवारी थीं। उसी दिन पता चला कि मेरी बीवी अणिमा 24 साल से राघव से चुदवा रही है। उसका फोन मिला, जिसमें 27 अलग मर्दों के साथ चुदाई के वीडियो थे। मैंने उसे अपने नए यार अशोक, जो मेरे बेटे विनोद से छोटा है, के साथ घर में चुदवाने की इजाजत दी। और जब मैं किरण को नम्रता के कमरे में पेल रहा था, मेरी बेटी माँ के सामने अशोक से चुदवाकर लौटी।

अणिमा और नम्रता की हरकतों से मैं गुस्सा नहीं था, लेकिन बेचैन जरूर हो गया। नींद नहीं आई। करवटें बदलता रहा, फिर लैपटॉप से पेनड्राइव निकाली, हाउसकोट की जेब में डाली, और लिविंग रूम में आया। वहाँ सोफे पर एक जवान लौंडा नंगा बैठा था—अशोक, जिसने माँ-बेटी को एक-दूसरे के सामने चोदा था।

मुझे देखकर वो घबरा गया, और उठने लगा। मैंने उसका कंधा दबाकर बैठाया, और बोला, “घबरा मत, मुझे सब पता है। एक बात सच बता। झूठ बोला, तो अणिमा का बैंक जाना बंद, और जावेरी को पता चल जाएगा कि तू उनकी माल को चोद रहा है।” राघव की तरह अशोक भी तोता बन गया। उसने कहा, “हम बातें कर रहे थे, तभी नम्रता नंगी कमरे में घुसी। मैंने मना किया, लेकिन जब उसने लंड चूसना शुरू किया, तो मैं रुक नहीं सका। दो बार चोदा। दोनों माँ-बेटी ने आज फिर बुलाया है। सर, मैं अणिमा को छोड़ दूँगा, मेरी शादी नम्रता से करवा दो।”

मैंने उसका गाल थपथपाया, और बोला, “बड़ा किस्मतवाला है। दोनों हसीन माँ-बेटी को तू पसंद आ गया। मैं 10 बजे तक बाहर जाऊँगा, रात को लौटूँगा। दिन भर दोनों को जमकर चोद। अगर नम्रता तैयार है, तो शादी भी करवा दूँगा। मैं किसी से नाराज नहीं हूँ।”

“बेचारे लौंडे को डरा रहा है!” अणिमा की आवाज आई। वो नंगी खड़ी थी, उसकी चूचियाँ चमक रही थीं। मैं उसके पास गया, उसकी चूचियाँ दबाईं, और चूत मसली। बोला, “अणिमा, सालों बाद तुझे नंगी देख रहा हूँ। मस्त लग रही है। एक चाय बना, और चाहे तो अशोक को दिन भर रोक ले। मैं बाहर रहूँगा। राघव को अब नहीं धमकाऊँगा।”

अणिमा और अशोक मुझे घूरते रहे। मैंने अणिमा को चूमकर कहा, “मेरा यकीन कर, मैं नाराज नहीं हूँ। लेकिन रात का प्रोग्राम नहीं बदलेगा।” अणिमा किचन चली गई। मैंने अशोक से उसके घरवालों के बारे में पूछा। थोड़ी देर बाद अणिमा तीन कप चाय लेकर आई। हम चाय पी रहे थे, तभी अणिमा ने मेरा हाउसकोट खोला, और मेरा लंड पकड़ लिया। उसे दबाते हुए बोली, “अशोक, अब समझे कि मैं इतने खूबसूरत मर्द को छोड़कर दूसरों से क्यों चुदवाती हूँ? इस लौड़े के शॉट से बचने के लिए। तूने रात में दो बार चोदा, तेरा लंड शांत है। लेकिन नरेन का ये लौड़ा हमेशा मुझे डराता है।”

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हम चाय पीते रहे, और अणिमा एक-एक हाथ से हमारा लंड मुठियाती रही। साली पूरी बेशर्म हो गई थी। अशोक चुप था, लेकिन मैं अणिमा की चूचियाँ सहला रहा था। मैंने सवाल-जवाब शुरू किया।

मैं: “अणिमा, मैं तुझे कब से चोद रहा हूँ? कितनी बार चोदा होगा? तू कह रही है कि मैंने तेरी चूत खोखली कर दी।”

अणिमा: “24 साल से, कम से कम पाँच हजार बार तेरा लौड़ा मेरी चूत में घुसा होगा। सचमुच तूने मेरी चूत ढीली कर दी।”

मैं: “अशोक, तूने मेरी बीवी को पहली बार कब चोदा?”

अशोक: “तीन महीने पहले। तब से लगभग रोज चोदता हूँ।”

मैं: “लेकिन तेरी माल कह रही है कि मेरे लंड ने उसकी चूत फैला दी। फिर तुझे ऐसी चूत में लंड पेलने में मजा कैसे आता है?”

अशोक जोश में बोल गया, “नहीं सर, अणिमा किसी जवान लड़की को टक्कर देती है। रात मैंने नम्रता को दो बार चोदा। उसकी चूत बहुत टाइट है। लेकिन अणिमा की चूत रसीली, गर्म, और अभी भी टाइट है।” अणिमा ने लंड मुठियाना बंद कर दिया।

अणिमा: “नरेन, यकीन कर, मैंने नम्रता को अशोक या किसी से चुदवाने को नहीं कहा। वो नंगी कमरे में घुसी, और लंड चूसने लगी। ऐसी हालत में तू भी अपनी बेटी को चोद लेता। नम्रता को अशोक की चुदाई इतनी पसंद आई कि उसने उसे फिर बुलाया।”

मैंने कहा, “अशोक, अगर नम्रता तुझसे चुदवाना चाहती है, तो जब चाहे चोद। मैं नहीं रोकूँगा। लेकिन उसकी चुदाई की बात सुनकर मैं गर्म हो गया हूँ। क्या मैं तेरी माल को अभी चोद सकता हूँ?”

अशोक: “सर, ये आपकी बीवी है। जब चाहे चोदो।”

मैं: “अणिमा, इतनी मस्त माल, नंगी बैठी है, फिर भी तेरे यार का लंड ढीला है। इसे तना, तब तक मैं अपनी गर्मी ठंडी करता हूँ।”

अणिमा अशोक का लंड चूसने लगी। मैंने अणिमा के चूतड़ उठाए, और बोला, “मेरी कुतिया बन जा।” उसने बिना बोले कुतिया पोज लिया। मैंने उसकी कमर पकड़ी, लंड चूत के छेद पर रखा, और जोर का धक्का मारा। अणिमा सिसकारी, “आह… धीरे!” सुबह 6 बजे मंदिर का घंटा बजा। मैं आराम से चोदने लगा। आधे घंटे तक अशोक और मैं चुप रहे। अणिमा बोली, “अशोक, जिस दिन मैं नरेन से पहली बार मिली, उसी रात इसने मुझे चोदा। मेरी पहली चुदाई थी। मजा आया, लेकिन इसके लंड की मोटाई और लंबाई से डर गई। मैंने अपनी माँ से डर बताया, तो उस रंडी ने कहा कि हर औरत मोटा लंड और लंबी चुदाई के लिए मरती है। बोली, धीरे-धीरे मजा आएगा। लेकिन मेरा डर नहीं गया। दो महीने बाद हमारी शादी हुई। रोज चुदवाती थी, लेकिन डरती रही। चार महीने बाद तेरी एक रंडी ने मुझे अपने भाई से चुदवाया। उसका लंड 6 इंच का था, और 20 मिनट चोदा। वो चुदाई इतनी मस्त थी कि मैं अब तक उससे चुदवाती हूँ। अशोक, तेरा लंड भी वैसा ही है, जैसा मुझे पसंद है। नरेन, अब तुझे मेरे रंडीपन का पता चल गया। मुझे चोदना छोड़ दे। इतना चुदवाने के बाद भी तेरी चुदाई अच्छी नहीं लगती। चाहे तो किसी और को घर में रख ले। मुझे अपने यारों के साथ रातें गुजारने दे।”

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मैंने धक्के मारते हुए कहा, “अणिमा, इस घर में रहोगी, तो रोज चोदूँगा। लेकिन अब हर हफ्ते दो रात अपने यारों के साथ सो सकती है। चाहे तो मेरा घर छोड़कर कहीं और जा। नम्रता भी तेरे साथ जाना चाहे, तो ले जा।” मैं चोद रहा था, और अशोक झड़ गया।

“पापा, चुदाई का खेल सुबह-सुबह खेलते हो?” नम्रता की आवाज आई। वो और किरण फ्रॉक पहने खड़ी थीं। मैंने कहा, “बेटी, तेरी माँ नंगी थी। उसकी जवानी देखकर कंट्रोल नहीं हुआ। तुम या किरण, जो चाहे, अशोक से चुदवा लो।”

कोई नहीं बोला। अणिमा पस्त हो गई। मैं धक्के मारता रहा। अशोक बोला, “सर, आप इतनी देर कैसे चोदते हो? मैं अणिमा को 25-30 मिनट चोद लेता हूँ, लेकिन नम्रता ने दोनों बार 15 मिनट में ठंडा कर दिया।”

अणिमा: “मुझे 15-20 मिनट से ज्यादा की चुदाई पसंद नहीं, और ये हरामी 40-45 मिनट से कम नहीं चोदता।”

नम्रता ये सुनकर चली गई, शायद अपने कमरे में। किरण मेरे बगल में बैठी, और बोली, “अंकल, आपके मूसल जैसे लंड से एक रात में तीन बार चुदवाने के बाद मुझे छोटे-पतले लंड से मजा नहीं आएगा। मैंने सुना है, जितना लंबा लंड चूत में टाइट रहता है, औरत को उतना मजा आता है। अशोक, अपनी माँ से पूछो, उन्हें कैसा लंड और कितनी देर की चुदाई पसंद है।”

मैंने अणिमा की चूत से लंड निकाला, उसका मुँह घुमाया, और होंठों में लंड पेल दिया। उसके सिर को पकड़कर बोला, “अणिमा, तू कहती है कि मेरा लंड और लंबी चुदाई पसंद नहीं, इसलिए दूसरों से चुदवाती है। इतने साल मुझसे छुपाकर चुदवाया। अब चोरी की जरूरत नहीं। जब चाहे अपने यार बुलाकर चुदवा। जैसे नम्रता को अशोक से चुदवाया, वैसे अपने बाकी यारों से भी चुदवाओ। मुझे किरण जैसी प्यार करने वाली लड़की मिल गई है। तू खुद मेरे पास न आए, तो मैं तुझे छूँगा नहीं। लेकिन आज रात तुझे प्रेम के साथ गुजारनी होगी। चाहे तो नम्रता को भी उससे चुदवा दे।”

अशोक को प्रेम की बात पसंद नहीं आई। वो उदास होकर बोला, “अणिमा, नम्रता को अब किसी और से मत चुदवाओ। मैं उससे शादी करने को तैयार हूँ। मैं तुझे चोदना छोड़ दूँगा, और किसी को नहीं चोदूँगा। मेरी शादी नम्रता से करवा दो।”

मैंने कहा, “नम्रता जवान है। वो जिससे चाहे चुदवाए, जिससे चाहे शादी करे। लेकिन अशोक, अणिमा जैसी मस्त माल और नहीं मिलेगी। इसे चोदना मत छोड़।”

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अणिमा कुछ बोलना चाहती थी, लेकिन मेरा आधा लंड उसके मुँह में था। मैं उसे अशोक और किरण के सामने मुँह में चोद रहा था। मैंने अणिमा को हजारों बार चोदा, रोज लंड चुसवाया, लेकिन उसके यार और नई प्रेमिका के सामने चोदने का मजा अलग था। मैं तेजी से लंड अंदर-बाहर करते हुए बोला, “अशोक, कोई कितना भी लंड चूसे, अणिमा जैसा कोई नहीं चूस सकता। इसकी सदाबहार जवानी का राज जानता है? ये रोज मेरा रस पीती है। मेरे रस की वजह से इस 42 साल की औरत को चोदने में तुझे इतना मजा आता है कि तीन महीने से रोज चोद रहा है।”

किरण सब देख-सुन रही थी। उसने हिम्मत दिखाई, और अणिमा की चूचियाँ दबाते हुए बोली, “सच, आंटी की चूचियाँ कितनी गुदाज हैं! मेरी माँ भी आंटी की उम्र की हैं, लेकिन पापा ने उन्हें चोदना छोड़ दिया। और यहाँ आंटी को बेटे से छोटा लौंडा तीन महीने से पेल रहा है। अंकल, मैं भी अब रोज आपका रस पिऊँगी। मुझे भी आंटी जैसी जवानी चाहिए। अशोक, नम्रता ने तेरा लंड चूसा? तेरा रस पिया?”

अशोक: “नहीं, नम्रता ने दो बार चूसा, अणिमा ने भी दो बार। लेकिन किसी ने रस नहीं पिया। अणिमा रोज लंड चूसती है, लेकिन रस नहीं पीती। मैं आज पहली बार सुन रहा हूँ कि कोई औरत रस पीती है।”

किरण ने अणिमा की चूचियाँ चूसकर फिर दबाईं, और बोली, “अशोक, अंकल ने रात मेरी सील तोड़ी। एक रात में तीन बार, हर बार एक घंटा चोदा। मुझे लंड चुसवाया, और रस पिलाया। अंकल का रस बहुत टेस्टी है।”

मैंने कहा, “अशोक, मेरी सारी माल मेरा रस खुशी से पीती हैं। अणिमा, इन बच्चों को दिखा, लंड कैसे चूसते हैं, रस कैसे पीते हैं।”

अणिमा ने किरण का हाथ अपनी चूचियों से हटाया, मेरा लंड मुँह से निकाला, और अशोक का ढीला लंड पकड़कर बोली, “मुझे बेशर्म बनाना चाहता है? देख, मैं कितनी बेशर्म हूँ। किरण, अगर नरेन से ऐसे चुदवाएगी, तो चूत भोसड़ा बन जाएगा। देख, लंड कैसे चूसते हैं, रस कैसे पीते हैं।” उसने अशोक का लंड मुँह में लिया, और चूसने लगी।

 

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