पिछला भाग पढ़ें:- खेल-खेल में बेटी को चोदा-3
राघव, मेरी बीवी अणिमा का 63 साल का पुराना यार, मुझसे गिड़गिड़ाया कि मैं उसे और अणिमा को बदनाम न करूँ। मैंने उससे कसम ली कि वो अपनी बहू संध्या को कभी नहीं छुएगा। राघव ने हार मान ली।
संध्या मेरे लंड पर कुर्सी पर उछल रही थी, उसकी गीली चूत मेरे लौड़े को निगल रही थी। मैंने बिना रुके उसे उठाया, लंड अभी भी उसकी चूत में घुसा हुआ था, और बगल के सोफे पर लिटा दिया। मैंने जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। संध्या सिसकारियाँ भर रही थी, “आह, नरेन… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे!” उसकी चूचियाँ मेरे हर धक्के के साथ उछल रही थीं। अचानक दरवाजा खुला, और विमल, संध्या का पति, बिना नॉक किए अंदर घुस आया।
विमल ने हँसते हुए कहा, “नरेन भैया, कितने दिनों बाद ये मस्त नजारा देख रहा हूँ! बाबूजी भी संध्या को चोदते हैं, लेकिन तब मेरी बीवी का चेहरा उदास रहता है। देखो, अब इसका चेहरा कैसे चमक रहा है!” वो राघव की तरफ मुड़ा, और बोला, “बाबूजी, तूने अपनी बहू को बहुत पेला। अब संध्या को नरेन भैया के साथ मस्ती करने दे। तू उस रंडी अणिमा को चोद। नरेन भैया, तू उस कुतिया को घर से क्यों नहीं निकालता? मेरी बहन नम्रता को भी अपने जैसी रंडी बना देगी।”
मैं संध्या की चूत में लंड पेलते हुए बोला, “विमल, क्या करूँ? वो तेरे बाबूजी की फेवरेट माल है।” विमल संध्या की चूचियाँ सहलाते हुए बोला, “अगर मेरा लंड खड़ा होता, तो मैं उस रंडी की गांड में लौड़ा पेल देता। आज पता चला, साली मेरे भाई विनोद से भी छोटे लौंडे से चुदवाती है।”
संध्या ने अपनी गांड उछालते हुए कहा, “विमल, जब 63 साल का बुड्ढा राघव का लंड अणिमा की चूत के लिए हमेशा तना रहता है, तो जवान लौंडा क्यों नहीं चोदेगा? तेरा भाई तो शाम से मेरी चूत में लंड ठूँसे बैठा है। खाना नहीं बनाया, बाहर से ले आ।” मैंने कुछ देर और धक्के मारे, फिर लंड बाहर निकाला। प्रेम का दिया कैप्सूल असर दिखा रहा था। संध्या ने विमल और राघव के सामने मेरा लंड चूसा, उसकी जीभ मेरे सुपाड़े पर नाच रही थी, लेकिन लंड ने पानी नहीं छोड़ा। मैंने राघव से फिर कहा, “संध्या को अब छूने की सोचना भी मत।” विमल ने भी अपने बाप को मना किया। राघव ने कसम खाई कि वो संध्या को कभी तंग नहीं करेगा।
रात 9:30 बजे मैं घर लौटा। अंदर घुसा, तो अणिमा एक पारदर्शी गाउन में बैठी थी, उसकी चूचियाँ और जाँघें साफ दिख रही थीं। मुझे लगा, साली कोई चक्कर चला रही है। मैंने उसका फोन लौटाते हुए कहा, “तू फोन ऐसे फेंककर बैंक कैसे चली गई? दोपहर में सोफे के नीचे पड़ा मिला। बैटरी डेड थी, प्रेम ने नई डाली। वो तुझे चोदने को पागल है। जल्दी एक रात उसके लिए निकाल।”
अणिमा मुझे घूरती रही। उसे शक हो गया होगा कि मैंने उसके चुदाई के वीडियो देखे। वो बिना कुछ छुपाए बोली, “आज मुझे अशोक के साथ सोने दे, तो कल पूरी रात प्रेम के साथ नंगी रहूँगी।” मैं तो उसे रात भर पेलना चाहता था, लेकिन साली अपने नए यार की बात कर रही थी। मैंने हँसते हुए कहा, “बुला ले, लेकिन कल रात प्रेम के साथ।”
अणिमा खड़ी हुई, मुझे गले लगाया, और मेरा हाथ पकड़कर अपनी चूत पर दबाया। उसकी चूत गीली थी। वो बोली, “तू मेरा ख्याल रखने लगा है। जल्दी तुझे एक नई माल मिलेगी। रात में हमारे कमरे में झाँकना मत। किरण घर में है, उसे पटा और चोद। खाना लगाती हूँ।” वो किचन चली गई।
मैंने कमरे में जाकर एक ढीला हाउसकोट पहना, अंदर कुछ नहीं। पेनड्राइव लिया, और नम्रता के कमरे में गया। नम्रता और किरण, दोनों कुतियाँ, मुझ पर झपट पड़ीं। दोनों ने फ्रॉक पहनी थी, और एक साथ बोलीं, “हमारी चूतें तेरे लौड़े का शॉट खाने को तैयार हैं, इतनी देर कहाँ था? लंड निकाल, और पेलना शुरू कर!” दोनों मेरी बाँहों और छाती पर अपनी चूचियाँ रगड़ने लगीं, मेरे गाल और होंठ चूमने लगीं। मैंने दोनों के फ्रॉक के नीचे हाथ डाला—कोई पैंटी नहीं! दोनों की चूतें गीली थीं। मैंने उनकी चूतें मसलते हुए कहा, “रंडियों, घर की सबसे बड़ी रंडी किचन में है। मैं उसे बेडरूम भेजकर तुम दोनों की चूत में रात भर लंड ठूँसूँगा। तब तक इस पेनड्राइव के वीडियो देखो। खास सिनेमा डलवाया है।”
मैंने दोनों की चूतें और चूचियाँ जोर से मसलीं, और पेनड्राइव दे दिया। हाउसकोट खोलकर लंड दिखाया। किरण बेड से उतरी, और मेरा लंड पकड़कर चूसने लगी। उसने सुपाड़ा चाटकर कहा, “नम्रता, तूने सही कहा, अंकल का लंड जबरदस्त है। जल्दी आकर चोदो।” नम्रता पेनड्राइव लैपटॉप में लगाने लगी। मैंने किरण की चूचियाँ दबाईं, और किचन में गया।
अणिमा खाना लगा रही थी। मुझे देखकर बोली, “खाना तैयार है। अशोक इंतजार कर रहा है, मैं उसके पास जा रही हूँ। विश्वास रख, कल रात प्रेम के साथ रहूँगी, और दो-तीन दिन में तुझे एक मस्त माल दिलाऊँगी।” मैंने उसे भरोसा दिया कि कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा, वो अशोक के साथ मजे ले। मैंने खाना खाया, और अणिमा के बारे में सोचने लगा। मुझे पहले से पता था कि अणिमा शादी के बाद चुदक्कड़ बन गई थी, लेकिन राघव के साथ उसका 24 साल पुराना चक्कर मेरे लिए नया था। मुझे संध्या और ग्रेसी के साथ अपने रिश्तों के बारे में अणिमा को सब पता था, लेकिन वो राघव को छोड़कर बाकी मर्दों के साथ सिर्फ चुदाई का खेल खेलती थी।
खाना खाकर मैं नम्रता के कमरे में गया। दोनों कुतियाँ, नम्रता और किरण, नंगी होकर पॉर्न देख रही थीं। मैंने राहत की साँस ली कि वो अणिमा का वीडियो नहीं, कोई और गंदा सिनेमा देख रही थीं। मैंने हाउसकोट उतारा, और चिल्लाया, “मेरा लौड़ा शॉट मारने को तैयार है! किसकी चूत में पहले पेलूँ?”
नम्रता ने कहा, “पापा, पहले मेरी चूत चाट, जैसे दिन में किया। फिर कुतिया बनाकर चोद।” किरण ने बिना मेरी तरफ देखे कहा, “मैं तेरा लंड चूसूँगी, और देखूँगी कि नम्रता तेरा मोटा लौड़ा कैसे लेती है।” मतलब, नम्रता ने अपनी सहेली को मेरे साथ चुदाई की सारी बात बता दी थी। लैपटॉप पर चल रहे सिनेमा में ग्रुप चुदाई हो रही थी—एक औरत तीन लंड संभाल रही थी, एक चूत में, एक गांड में, और एक मुँह में।
नम्रता ने कुतिया का पोज लिया, उसकी गोल गांड मेरे सामने थी। मैं नीचे बैठा, और उसकी चूत चाटने लगा। मेरी जीभ उसकी चूत की फाँकों में घुसी, और वो सिसकारियाँ भरने लगी। किरण बेड से उतरी, मेरे सामने बैठी, और मेरा लंड पकड़कर चूसने लगी। उसकी जीभ मेरे सुपाड़े पर लपलप कर रही थी। मैंने हँसते हुए कहा, “किरण, तू तो लंड चूसने की उस्ताद है। बहुत प्रैक्टिस की लगती है!”
किरण चुप रही, और लंड चूसती रही। मैंने नम्रता की चूत को 25 मिनट तक चाटा, उसकी क्लिट को दाँतों से कुरेदा, और जीभ अंदर-बाहर की। नम्रता चिल्लाई, “कुत्ता, चाटता ही रहेगा? तुझे पता था कि घर में दो चुदक्कड़ कुतियाँ तेरे लंड की भूखी हैं, फिर उस रंडी संध्या को दो घंटे क्यों पेला? जल्दी लौड़ा डाल!” वो रुककर बोली, “तेरे जाने के बाद राघव का फोन आया था। उसने मम्मी को सब बता दिया। साली बहुत दुखी है।”
मैंने नम्रता की गांड पर जोर का चाँटा मारा, और लंड उसकी चूत में पेल दिया। हर धक्के के साथ उसकी चूत मेरे लंड को निचोड़ रही थी। मैंने कहा, “रानी, मैंने संध्या को राघव के सामने चोदा, और उस बेटीचोद से कसम ली कि वो अब संध्या को नहीं छुएगा।” किरण हमारी चुदाई देख रही थी, और बोली, “तू खुद अपनी बेटी को चोद रहा है, और राघव को बहू चोदने से मना करता है? मेरे पापा ने भाभी के आने के बाद मम्मी को चोदना छोड़ दिया। भैया ट्रेनिंग के लिए विदेश गए हैं, और भाभी ससुर से चुदवाती है।”
मैंने किरण की चूचियाँ चूसते हुए कहा, “तेरी चूचियाँ मस्त हैं। अगर संध्या को ससुर से चुदवाने में मजा आता, तो मैं कभी नहीं रोकता। वो डर से चुदवाती है, खुशी से नहीं।” किरण मेरी बात समझ गई। उसने मेरा हाथ अपनी चूत पर दबाया, जो गीली हो चुकी थी। उधर सिनेमा खत्म हो गया। नम्रता ने लैपटॉप बंद किया, और बोली, “तेरे जाने के बाद बबली का फोन आया। उसने कहा कि कल सुबह तुझे प्रेम के घर भेजूँ। साली खुद चुदवाएगी, और शीला आंटी, सुधा बुआ भी चूत मरवाएँगी। मैंने कह दिया कि तेरी जरूरी मीटिंग है। तू 11 बजे से शाम तक हमारे साथ संगम होटल में रहेगा। एक मस्त रूम बुक कर ले। एक दिन में हमारी चूत ढीली कर देगा क्या? अब लंड निकाल, मुझे चूसना है।”
मैंने 8-10 तेज धक्के मारे, और लंड बाहर खींचा। फचाक की आवाज के साथ लंड निकला। किरण ने झट से लंड पकड़ा, और चाटने लगी। नम्रता बेड पर लेटी, और मेरी तरफ देखकर मुस्कुराई। मैंने किरण की चूचियाँ सहलाते हुए देखा कि वो कितने प्यार से लंड चूस रही थी। सुबह मैंने सोचा था कि नम्रता चुदक्कड़ होगी, लेकिन वो कुंवारी थी। किरण के बारे में कुछ नहीं सोचा, लेकिन उसका लंड चूसना देखकर लग रहा था कि वो माहिर है।
नम्रता ने पहले की बात दोहराई, “पापा, तू संध्या को चोदता है, राघव चोदता है, तो विमल भैया क्या करता है? अपने बाप से गांड मरवाता है?” मैंने नम्रता की चूचियाँ मसलीं, और बोला, “रानी, मैं बहुत किस्मतवाला हूँ कि तुम दोनों जैसी मस्त कुतियाँ मुझे मिलीं। जब मैं कॉलेज में था, मैंने संध्या की सील तोड़ी, जैसे आज तेरी तोड़ी। तीसरी बार चोदने के बाद वो गालियाँ देती हुई गई कि मेरे जैसे हरामी के पास कभी नहीं आएगी। लेकिन अगले दिन कॉलेज छोड़कर मेरे पास चुदवाने आ गई। दिन भर मेरे लंड पर उछली।”
मैंने किरण का मुँह लंड पर दबाया, और बोला, “छुट्टी के बाद संध्या घर गई, लेकिन मेरी माँ और बुआ रश्मि ने मुझे रात भर लूटा। उन्होंने दिन में मेरी और संध्या की चुदाई देखी थी। रश्मि भी कुंवारी थी, जैसे तू थी। ऐसा एक साल चला। रश्मि की शादी हुई, तो मैं संध्या से शादी की जिद करने लगा। उसके अमीर घरवालों ने मना कर दिया। एक महीने में उसकी शादी विमल से हो गई। उसी रात मेरी माँ और बुआ ने मेरी छोटी बहन कांता को मेरे सामने चुदवाया।”
नम्रता बोली, “कांता बुआ तो बहुत सुंदर हैं!” मैंने दोनों की चूचियाँ मसलते हुए कहा, “सुंदर हैं, लेकिन तुम दोनों से कम। तीनों रंडियों ने मुझे इतना तंग किया कि मैं हॉस्टल चला गया। प्रेम भी मेरे साथ था। कांता की शादी हुई, तो छुट्टियों में हम घर गए। कांता ने प्रेम की माँ और दोनों बहनों को मेरे सामने चुदवाया। फिर मैं और प्रेम एक-दूसरे के घर की औरतों को मिलकर चोदने लगे।”
नम्रता ने टोका, “लेकिन प्रेम अंकल तो बदसूरत हैं!” मैंने उसकी चूत मसली, और बोला, “अपनी रश्मि और कांता बुआ से पूछ। 25 साल बाद भी वो प्रेम से चुदवाती हैं। तू भी एक बार चुदवा ले, तुझे भी मजा आएगा। मर्द की खूबसूरती चेहरे में नहीं, उसके लंड और चुदाई के स्टाइल में होती है।”
मैंने नम्रता के दिमाग में प्रेम से चुदवाने का बीज बोया। वो तैयार हो गई, और बोली, “एक कुत्ता दूसरे कुत्ते की तारीफ कर रहा है, तो जरूर मस्त होगा। जरूरत पड़ी, तो प्रेम अंकल से भी चुदवा लूँगी। पहले बता, संध्या तेरे पास वापस कैसे आई?”
किरण मेरा आधा लंड मुँह में लेकर चूस रही थी, उसकी जीभ मेरे लंड को प्यार से सहला रही थी।