खेल-खेल में बेटी को चोदा-2

Dad Daughter Doggy Style Sex Part 1: खेल-खेल में बेटी को चोदा-1

जैसा नम्रता ने सुबह कहा था, वो ठीक दो बजे घर लौट आई। मैं सोफे पर नंगा बैठा था, अणिमा का फोन देखने के बाद मेरे लंड में आग लगी थी। नम्रता ने मुझे नंगा देखा, लेकिन उसकी आँखों में नाराजगी नहीं, बल्कि चुदास की चमक थी। वो मुस्कुराते हुए दौड़ी, और मेरी गोद में कूद पड़ी। उसने मेरा तना हुआ लंड पकड़कर कसके दबाया, और मेरे गालों और होंठों पर चुम्मियों की बौछार कर दी। फिर वो गर्म लहजे में बोली, “पापा, मैं तो पागल हो गई हूँ ये देखकर कि मेरे प्यारे पापा का लौड़ा अपनी बेटी की चूत में धमाका करने को तैयार है। मुझे मेरे बेड पर ले चलो, वही चुदाई का खेल खेलेंगे।”

जब मेरी जवान बेटी खुद अपने पापा से चूत मरवाने को बेताब थी, तो मुझे क्या परेशानी? मेरा लंड तो सुबह से उसकी चिकनी चूत में घुसने को तड़प रहा था। मैंने उसे अपनी बाँहों में उठाया, और उसके कमरे की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसने अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए, और पल्ले फैलाकर अपनी गोरी, टाइट चूचियाँ मेरे सामने खोल दीं। मैं रुक गया, और उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा। उसकी गुलाबी निप्पल सख्त होकर मेरी जीभ से लड़ रही थीं। नम्रता सिसकारियाँ भर रही थी, “पापा, आह… और चूसो!” मैं उसे चूसते-चूसते उसके कमरे में ले गया, और बेड पर पटक दिया।

नम्रता हँसी, और झट से अपनी स्कर्ट और ब्लाउज उतारकर फेंक दिए। अब वो मेरी तरह पूरी नंगी थी। उसका गोरा, चिकना बदन चाँद की तरह चमक रहा था। सुबह की तरह उसने अपनी चूत की झाँटें हटाईं, और उँगलियों से चूत की फाँकें फैलाकर बोली, “पापा, देखो, तुम्हारा बल्ला और मेरी क्रीज तैयार है। जो करना है, जो पूछना है, सब बाद में। पहले पूरी ताकत से मेरी चूत में लौड़ा पेल दो।”

उसकी गंदी बातें सुनकर मेरा लंड और सख्त हो गया। मैं तो सुबह से उसकी चूत में लौड़ा ठूंसने के लिए पागल था। मैं उसके ऊपर चढ़ा, और उसकी टाँगों के बीच अपने लंड को सेट किया। नम्रता ने खुद मेरा लौड़ा पकड़ा, और अपनी गीली चूत के छेद पर रगड़ने लगी। वो जोर से चिल्लाई, “पापा, अब रुको मत! पूरी ताकत से धक्का मारो!”

मैंने अपनी गांड उठाई, उसका एक कंधा और एक चूची कसकर पकड़ी, और पूरी ताकत से लंड पेल दिया। नम्रता चीख पड़ी, “बाप रे! मर गई… आह! रुको मत, पापा! जब तक पूरा लौड़ा अंदर नहीं जाता, पेलते रहो!” उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड उसकी दीवारों को चीरता हुआ अंदर घुस रहा था। मैंने धक्के जारी रखे, और हर धक्के के साथ नम्रता की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। उसका बदन सूखी लकड़ी की तरह अकड़ गया, और उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे। लेकिन उसने मुझे रुकने नहीं कहा।

पाँचवें धक्के पर मुझे लगा कि मेरा लंड उसकी चूत की झिल्ली को फाड़कर अंदर घुस गया। मैंने नीचे देखा, तो चूत से खून रिस रहा था। मैं चौंक गया। नम्रता की सुबह की हरकतों से मुझे लगा था कि वो कई बार चुद चुकी है, लेकिन वो कुंवारी थी। मैं उसका पहला मर्द था। उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन चेहरे पर मुस्कान थी। वो बोली, “पापा, रुको मत! ऐसे ही धक्के मारते रहो!” मैंने धक्कों की स्पीड और ताकत बरकरार रखी, और उसकी चूत को चोदता रहा।

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कुछ देर बाद नम्रता की सिसकारियाँ मस्ती में बदल गईं। वो अपनी गांड उठा-उठाकर मेरे धक्कों का जवाब देने लगी। उसकी चूचियाँ उछल रही थीं, और मैं उन्हें मसलते हुए चोद रहा था। नम्रता के हाथ मेरी पीठ और गांड पर फिसल रहे थे, और वो गंदी-गंदी बातें कर रही थी, “पापा, आह… तुम्हारा लौड़ा मेरी चूत को फाड़ रहा है… और जोर से पेलो!” मैंने उसकी चूत में और गहराई तक धक्के मारे, और उसका बदन फिर मुलायम हो गया।

पता नहीं कितना वक्त गुजरा, अचानक नम्रता ने मुझे अपनी बाँहों और टाँगों से कसकर जकड़ लिया। वो डेढ़-दो मिनट तक ऐसे ही जकड़ी रही, और फिर पस्त होकर लंबी-लंबी साँसें लेने लगी। मैंने धक्के जारी रखे, और 2-3 मिनट बाद मेरा लंड उसकी चूत में झड़ गया। उसकी चूत मेरे रस से भर गई। हम दोनों ने एक-दूसरे को पागलों की तरह चूमा।

नम्रता बोली, “पापा, तुमने तो पहली पारी में ही डबल सेंचुरी मार दी। मैंने जितना सोचा था, तुमने उससे कहीं ज्यादा मजा दिया।” मैंने उसकी चूचियाँ और होंठ चूमते हुए कहा, “बेटी, मैं तो सुबह से सोच रहा था कि तू कई लौंडों से चुद चुकी है। लेकिन रानी, तू तो कुंवारी थी। तेरी टाइट, गर्म, और रसीली चूत ने मेरे लंड को पागल कर दिया। तूने अपने पापा को बहुत खुश किया। बोल, क्या चाहिए?”

नम्रता ने मुझे नीचे गिराया, और मेरे ऊपर चढ़कर बोली, “पापा, मैं जब भी, जहाँ भी चुदाई का मन करे, तुम्हें मेरा लौड़ा पेलना होगा।” मैंने उसे अपनी बाँहों में कसकर जकड़ लिया, और कहा, “मेरी रानी, तेरा हर हुक्म सर-आँखों पर।” हमने फिर कुछ देर चुम्मा-चाटी की। मैंने पूछा, “बेटी, होटल में खाना खा लिया, या कुछ और खाएगी?”

नम्रता बोली, “पापा, करिश्मा रेस्टोरेंट में मस्त खाना खाकर आई हूँ। हमारी सहेली गरिमा की बर्थडे पार्टी थी। पार्टी के बाद कई लड़कियाँ अपने लौंडों के साथ बगल के संगम होटल में चुदवाने गईं।” मैंने उसकी चूत मसलते हुए पूछा, “रानी, तू इतनी खूबसूरत है, तेरे तो ढेर सारे दीवाने होंगे। कोई लौंडा नहीं पसंद?”

नम्रता मेरे लंड को अपनी चूत पर रगड़ते हुए बोली, “पापा, एक लड़का बहुत खुशामद करता था कि मैं उसके साथ होटल चलूँ। हमारे क्लास में 27 लड़कियाँ हैं, 5-6 को छोड़कर बाकी सब किसी न किसी से चुदवाती हैं। कई तो बड़े-बूढ़े प्रोफेसरों से भी चूत मराती हैं। मेरा भी एक आशिक था। मैंने कई बार उसकी छाती पर अपनी चूचियाँ रगड़ीं, जाँघें दिखाईं, लेकिन उस हरामी को अपनी खूबसूरत बीवी को चोदने से फुर्सत ही नहीं थी। इसलिए आज सुबह मैंने उसके सामने रंडीपना किया, और मेरे उस इकलौते आशिक ने मुझे चोद ही लिया। पापा, मैं चाहती थी कि मेरी पहली चुदाई यादगार हो। तुमने इतना मस्त चोदा कि शायद कोई और ऐसा नहीं चोद सकता। तुम्हारा लौड़ा मेरी चूत को बहुत भाया। मुझे और चाहिए।”

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ये सुनकर मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया। अपनी बेटी की सील तोड़ना और उसकी तारीफ सुनना किसी भी बाप के लिए सबसे बड़ी खुशी थी। मैंने उसे कसकर जकड़ लिया, और बोला, “बेटी, तूने मुझे जो सुख दिया, उसके लिए तुझे क्या दूँ?” नम्रता ने मेरी छाती पर चूमा, और बोली, “पापा, मैं कब से ऐसी जोरदार पकड़ के लिए तरस रही थी।”

मैंने कहा, “रानी, पहली पारी तूने अपने तरीके से खेली। अब दूसरी पारी मुझे अपने स्टाइल में खेलने दे।” नम्रता ने मुझे जकड़ते हुए कहा, “पापा, ये तेरी कुतिया है। जैसा चाहे, वैसा चोद।” उसने खुद को पूरी तरह मेरे हवाले कर दिया। मैंने उसे बगल में लिटाया, और उसके पास बैठ गया। नम्रता ने झट से मेरा लंड पकड़ लिया, और बोली, “क्या मस्त लौड़ा है! किरण को भी बहुत पसंद आएगा।”

मैं किरण को भी चोदना चाहता था, लेकिन अभी सिर्फ नम्रता पर फोकस था। मैंने उसकी टाइट चूचियाँ मसलते हुए कहा, “किरण आएगी, तो तेरे सामने उसे चोदूँगा। लेकिन अभी सिर्फ तू और मैं।” मैंने उसकी चूचियों को छोड़कर उसके चिकने बदन को सहलाना शुरू किया। नम्रता का बदन उसकी माँ अणिमा जैसा ही गोरा और गुलाबी था। उसकी बड़ी-बड़ी काली आँखें, पतले होंठ, और 34 इंच की टाइट चूचियाँ मुझे पागल कर रही थीं। मैं उसकी चूचियों को प्यार से सहलाने लगा।

नम्रता ने मेरा लंड जोर से दबाया, और बोली, “पापा, मैं कितना कोशिश करती हूँ, लेकिन कुछ हरामी मेरी चूचियों को बस दबा देते हैं।” मैंने उसकी दोनों निप्पल चूसते हुए कहा, “बेटी, चूचियाँ दबाना तो आम बात है। मैंने इस घर की हर लड़की और औरत की चूचियाँ दबाई हैं। तेरी भी, जब तू छोटी थी, तब कई बार दबाईं।”

नम्रता ने मेरा लंड और जोर से दबाया, और हँसते हुए बोली, “हरामी बेटीचोद! तू तो एक नंबर का मादरचोद और बहनचोद भी है। अभी जो कर रहा है, कर ले, फिर तुझे एक मजेदार बात बताऊँगी।” मुझे अच्छा लगा कि उसने मुझे ‘आप’ कहना छोड़कर ‘तू’ कहना शुरू कर दिया। मैंने कहा, “रानी, मैं तेरा कुत्ता हूँ, और तू मेरी कुतिया।”

नम्रता बोली, “अगर मेरा कुत्ता है, तो अपनी कुतिया को वैसा ही चोद, जैसे सड़क का कुत्ता अपनी कुतिया को पेलता है।” उसकी चुदास देखकर मेरा लंड फिर तन गया। मैंने उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी चूसा, फिर उसके पूरे बदन को जीभ से चाटा—गर्दन से लेकर जाँघों तक। उसका बदन गीला हो गया, जैसे नहाकर आई हो। मैं बेड से उतरा, और उसके पैर पकड़कर खींचे, ताकि उसकी गांड बेड के किनारे आ जाए। मैंने उसके घुटने अपने कंधों पर रखे, और उसकी चूत को जोर से मसलते हुए बोला, “मेरी कुतिया, बगल के शीशे में देख, तेरा कुत्ता तेरी चूत को कैसे चाटता है।”

नम्रता के ड्रेसिंग टेबल के शीशे में हमारी हर हरकत साफ दिख रही थी। मैंने उसकी चूत की क्लिट को दाँतों से हल्के से काटा। वो चिल्लाई, “आह, पापा! मस्त… और करो!” मैंने कहा, “कुतिया, अब पापा नहीं, कुत्ता बोल!” फिर मैं उसकी क्लिट को चूसने लगा, और एक हाथ की उँगलियों से उसकी चूत की फाँकें रगड़ने लगा। दूसरा हाथ उसकी चूचियों पर फिसल रहा था। क्लिट चूसने के बाद मैंने झाँटें हटाकर उसकी चूत को 7-8 मिनट तक जीभ से चाटा। मेरी जीभ उसकी चूत के अंदर तक घुसी, और मैंने उसे इधर-उधर घुमाकर चोदा। नम्रता का चेहरा चुदास से लाल हो गया था, और वो सिसकारियाँ भर रही थी।

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वो चिल्लाई, “पापा, अब बस! लौड़ा पेल दो, मेरी चूत में खुजली हो रही है!” लेकिन मैं उसे और तड़पाना चाहता था। मैंने जीभ निकाली, और अपनी नाक उसकी चूत में घुसाकर लंबी-लंबी साँसें लेने लगा। नम्रता का बदन मछली की तरह छटपटाने लगा, और वो साँप की तरह फुफकार रही थी। कुछ देर बाद मैंने नाक निकाली, और उसकी चूत की फाँकों को होंठों के बीच लेकर चूसने और चबाने लगा।

नम्रता बर्दाश्त नहीं कर पाई, और चिल्लाई, “हरामी बेटीचोद! अगर तूने अभी मेरा लौड़ा मेरी चूत में नहीं पेला, तो मैं बाहर जाकर किसी भी कुत्ते से चुदवा लूँगी! जल्दी पेल, मादरचोद!” मैंने हँसते हुए कहा, “कुतिया, अभी तू बेटी की तरह लेटी है। कुतिया बन, तब पेलूँगा।”

नम्रता ने झट से कुतिया का पोज लिया, अपनी गांड ऊपर उठाकर चूत मेरे सामने कर दी। मैंने उसकी मस्त, गोल गांड पर चार जोरदार चाँटे मारे, और लंड उसकी चूत पर रगड़ा। मैंने कहा, “तेरी गांड तो कमाल है, रानी। इसमें लौड़ा पेलने का मजा आएगा।” नम्रता बोली, “कोई कुतिया गांड नहीं मराती, लेकिन अपनी बेटी की गांड चोदनी है, तो वो मौका भी दूँगी। अभी मेरी चूत की आग बुझा, कुत्ते!”

मैंने जोर का धक्का मारा, और मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। हर धक्के के साथ मैं और गहराई में जाता था। मैंने कहा, “कुतिया, शीशे में देख, तेरा कुत्ता तेरी चूत को कैसे पेल रहा है।” नम्रता शीशे में देख रही थी, और सिसकारियाँ भर रही थी, “पापा, आह… बहुत मस्त… और जोर से पेलो!” मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ाई, और उसकी चूत को चोदता रहा।

अचानक नम्रता बोली, “पापा, तुम इतना मस्त चोदते हो, फिर मम्मी उस मोटे राघव और अपने बेटे से भी छोटे लड़के से क्यों चुदवाती है?” मुझे दो घंटे पहले ही पता चला था कि अणिमा अशोक से चुदवाती है, लेकिन नम्रता को अपनी माँ के रंडीपन की खबर पहले से थी। मैं और जोर-जोर से धक्के मारते हुए अपनी बेटी को दूसरी बार चोदने लगा।

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