खेल-खेल में बेटी को चोदा-1

मैं नरेंद्र नाथ, एक बड़ी कंपनी का जनरल मैनेजर। लोग मुझे प्यार से नरेन बुलाते हैं। अब तो 52 का हो गया हूँ, लेकिन ये कहानी उस वक्त की है जब मैं 47 का था। उस समय मेरी जिंदगी में ऐसा तूफान उठा कि मेरे लंड और दिल दोनों में आग लग गई। और ये आग मेरी बेटी नम्रता ने लगाई थी। Dad Daughter Sex Story

बात उस शनिवार की सुबह की है। सुबह साढ़े सात बजे मैं ऑफिस जाने को तैयार था। काले सूट में ठाठ से बैठा, डाइनिंग टेबल पर पराठे और दही का नाश्ता ठूंस रहा था। मेरे सामने मेरी बीवी अणिमा बैठी थी, अपनी चाय में डूबी, उसका ढीला-ढाला गाउन उसके भारी-भरकम चूचों को मुश्किल से छुपा पा रहा था। कुछ दूर सोफे पर हमारी जवान बेटी नम्रता बैठी थी, छोटी सी स्कर्ट और टाइट ब्लाउज में, जिससे उसकी गोरी जाँघें और उभरे हुए चूचे साफ चमक रहे थे। मैंने उसे नाश्ता करने को कहा, लेकिन उसने बिंदास अंदाज में जवाब दिया।

नम्रता: “पापा, मैंने दूध पी लिया। अब अपनी सहेली किरण का इंतजार कर रही हूँ। मम्मी, मेरा खाना मत बनाना, हम होटल में खा लेंगे। और हाँ, टेंशन मत लो, मैं किसी लौंडे से मिलने नहीं जा रही। दो-ढाई बजे तक वापस आ जाऊँगी।”

अणिमा ने उसकी तरफ देखे बिना, चाय का घूँट लेते हुए कहा: “अब तू जवान हो गई है, नम्रता। किसी लौंडे से मिलेगी तो मैं क्या रोकूँगी? तेरी उम्र में तो लड़कियाँ शादी कर बच्चे पैदा कर लेती हैं। अगर तुझे भी शादी का मन है तो बता, मेरे पास 2-3 बढ़िया लड़के पड़े हैं।”

नम्रता ने हँसते हुए फिर वही दोहराया: “मम्मी, बस दो-ढाई बजे तक आ जाऊँगी।” लेकिन उसकी आँखें मुझ पर थीं, और उसकी हरकतें कुछ और कह रही थीं। अणिमा अपनी चाय में मस्त थी, उसे क्या पता कि उसकी बेटी ने स्कर्ट को कमर तक चढ़ा लिया था। उसने पैंटी नहीं पहनी थी, और अपनी चिकनी, गुलाबी चूत की फाँकें फैलाकर मुझे दिखा रही थी। उसकी उँगलियाँ चूत पर नाच रही थीं, और वो मुझे आँख मार रही थी। मेरी हालत खराब हो गई। मेरा लंड पैंट में तंबू बनाकर खड़ा हो गया। मन कर रहा था कि अणिमा के सामने ही नम्रता को टेबल पर पटक कर चोद दूँ।

नम्रता ने खेल और बढ़ाया। उसने धीरे-धीरे अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए, और दोनों पल्ले फैलाकर अपनी गोरी, मस्त चूचियाँ मेरे सामने परोस दीं। उसकी चूचियाँ टाइट थीं, गुलाबी निप्पल सख्त होकर तन रहे थे। वो बायाँ हाथ अपनी चूत में अंदर-बाहर कर रही थी, और दायाँ हाथ से अपनी चूची मसल रही थी। उसकी आँखें मुझसे कह रही थीं, “पापा, आओ और मुझे चोद डालो।” मैं पसीने-पसीने हो गया। मेरा लंड पैंट फाड़ने को बेताब था।

2-3 मिनट तक उसने अपनी चूत को उँगलियों से चोदा, फिर अचानक दरवाजे की घंटी बजी। नम्रता ने जल्दी से उँगली बाहर निकाली, और मुझे देखते हुए उसे चूसने लगी, जैसे मेरा लंड चूस रही हो। उसने ब्लाउज के बटन बंद किए, स्कर्ट ठीक की, और दरवाजे की ओर चली गई। दरवाजा खुलते ही उसकी आवाज आई, “आ किरण, तेरा ही इंतजार था!”

इसे भी पढ़ें   मौसी भी प्यासी थी

किरण अंदर आई, और उसने मुझे देखते ही बिंदास अंदाज में कहा, “गुड मॉर्निंग, अंकल! वाह, आप तो दिन-ब-दिन और जवान लग रहे हो! आंटी, आप नरेन अंकल को तलाक दे दो, मैं इनसे शादी कर लूँगी!” ये कहकर वो मेरे पास आई, मेरे दोनों गालों पर चुम्मियाँ जड़ दीं, और फिर अणिमा के पास जाकर उससे गले मिली। दोनों ने एक-दूसरे के गाल चूमे।

अणिमा ने हँसते हुए जवाब दिया, “तलाक की क्या जरूरत? आज रात मेरे साथ रुक जा, किरण। हम दोनों मिलकर देखेंगे कि नरेन में दो-दो रंडियों को ठंडा करने का दम है या नहीं।” किरण और अणिमा की ये गंदी बातें सुनकर मेरा लंड और सख्त हो गया। नम्रता सब देख रही थी, और उसने किरण को झिड़कते हुए कहा, “कुतिया, आज रात तू मेरे साथ सोएगी, इनके साथ नहीं। चल जल्दी, लेट हो रहा है।”

दोनों लड़कियाँ मुझे आँख मारकर, अपने बैग उठाकर बाहर निकल गईं। अणिमा ने किरण की हरकतों पर कुछ नहीं कहा, लेकिन मेरे दिमाग में बस नम्रता और किरण को चोदने की आग लगी थी। कॉलेज के दिनों से ही मेरी चुदाई की भूख थी। एक टीचर की बीवी, जो मुझसे दोगुनी उम्र की थी, उसे चोदकर मैंने शुरुआत की थी। वो औरत मुझसे इतनी खुश हुई कि उसने अपनी सहेलियों और कॉलेज की लड़कियों को मुझसे चुदवाया। फिर तो जैसे लत लग गई। हर महीने 2-3 नई चूत मेरे लंड के नीचे आती थी।

अणिमा से शादी के बाद भी मेरी भूख कम नहीं हुई। वो खुद इतनी खूबसूरत थी कि कोई भी उसे देखकर पागल हो जाए, लेकिन फिर भी मैं इधर-उधर मुंह मारता रहा। मेरी नौकरी ऐसी थी कि औरतों की कमी कभी नहीं पड़ी। लेकिन अब मेरा लंड सिर्फ नम्रता और किरण की चूत में घुसना चाहता था। बेटी को कैसे चोदूँ, ये सोच ही रहा था कि नम्रता की बात याद आई, “मैं दो बजे तक आ जाऊँगी।”

अणिमा बैंक में बड़ी अधिकारी थी। सुबह साढ़े नौ बजे जाती थी, और शाम छह बजे के बाद लौटती थी। मैं आठ बजे ऑफिस जाता था, और आमतौर पर सात बजे के बाद आता था। लेकिन उस दिन मैंने फैसला किया कि डेढ़ बजे तक घर पहुँच जाऊँगा। अचानक अणिमा बोली, “क्या बात है, नरेन? किरण की याद आ रही है?”

मैंने नाश्ता खत्म किया, उठकर अणिमा के पीछे गया, और उसके गाउन में हाथ डालकर उसकी भारी चूचियाँ मसलने लगा। मैंने झूठ बोला, “किरण की नहीं, तेरी जवानी की याद आ रही है। पहले तू मेरा कितना ख्याल रखती थी।”

अणिमा ने मेरी बात काट दी, “अगर तू स्वार्थी न होता, तो आज भी मैं वैसा ही करती।” मैं चौंक गया। मैंने पूछा कि मैंने कब उसका ख्याल नहीं रखा। अणिमा ने मेरे हाथ हटाए, दो कदम पीछे हटी, और बोली, “मैंने सब हिसाब रखा है। शादी के बाद सात साल तक मैंने अपनी 47 सहेलियों और जान-पहचान की औरतों को तुझसे चुदवाया। उनमें कई कुंवारी थीं। लेकिन तू मेरे लिए एक भी मर्द नहीं लाया। फिर मैंने तेरे लिए माल ढूँढना बंद कर दिया। किरण की बातों से साफ है कि वो तुझसे चुदवाना चाहती है। या तो उसे पटा, या नम्रता से बोल कि अपनी सहेलियों को तुझसे चुदवाए।”

इसे भी पढ़ें   छोटी बहना को प्यार दिया | Family Sex Story in Hindi

अणिमा बिना जवाब सुने किचन में चली गई। उसकी बातों ने मुझे हिला दिया। मैं सोचता था कि मैं चुदाई का बादशाह हूँ, इसलिए वो मेरे लिए माल लाती थी। मुझे कभी नहीं लगा कि उसे भी किसी और मर्द की जरूरत हो सकती थी। लेकिन मैं अपनी खूबसूरत बीवी को किसी और से चुदवाने की सोच भी नहीं सकता था।

मैं समय पर ऑफिस निकल गया। सुबह की तीन मीटिंग निपटाकर मैंने अपनी सेक्रेटरी ग्रेसी (32 साल की, मस्त माल) से कहा, “मेरी तबीयत बेचैन है, मैं घर जा रहा हूँ। बाकी मीटिंग दूसरी तारीखों में डाल दे।”

ग्रेसी मेरे पास आई, मेरा हाथ अपनी चूचियों पर दबाया, और बोली, “नरेन, तुझे आराम नहीं, एक जबरदस्त चुदाई चाहिए। चल, पुराने अड्डे पर चलते हैं। बता, इतनी बेचैनी क्यों?”

मैंने उसकी चूचियाँ दबाते हुए कहा, “ग्रेसी, मुझे लगता है अणिमा किसी और से चुदवाती है।”

ग्रेसी जोर से हँसी, “अरे, मैं शादीशुदा हूँ, और तू मुझे छह साल से चोद रहा है। इस फैक्ट्री में 250 औरतें हैं, तूने लगभग सबको चोदा है। ज्यादातर किसी न किसी की बीवी हैं। बाकी मैनेजरों की 3-4 माल हैं, लेकिन तू तो हर किसी को चोद लेता है। फिर अगर अणिमा किसी से चुदवाती है, तो तुझे क्या? वो इतनी खूबसूरत है कि दुनिया उसे एक मर्द की औरत रहने देगी नहीं। मेरे जैसी साधारण औरत को तू चोद रहा है, तो अणिमा जैसी परी को कोई नहीं चोदेगा, ऐसा तू कैसे सोच सकता है? उसकी चिंता छोड़, नई चूत ढूँढ। मैं देखती हूँ, फैक्ट्री में कोई नई माल आई है या नहीं।”

ग्रेसी की बातें मेरे दिमाग में नहीं घुसीं। मुझे बस नम्रता को चोदना था। मैं डेढ़ बजे से पहले घर पहुँच गया। घर की चाबी मेरे पास थी। मैं अंदर घुसा, तो देखा कि उसी सोफे के नीचे, जहाँ नम्रता ने अपनी चूत दिखाई थी, एक मोबाइल पड़ा था। मैंने उठाया, वो अणिमा का था। हैरानी हुई कि जो औरत हर वक्त फोन पकड़े रहती थी, वो इसे कैसे भूल गई?

मैंने फोन स्टार्ट करने की कोशिश की, लेकिन बैटरी खत्म थी। मैंने उसे चार्ज पर लगाया, और अपने बेडरूम में जाकर नंगा हो गया। फिर किचन में जाकर कॉफी बनाई, और नंगा ही सोफे पर बैठकर कॉफी पीने लगा। बार-बार नम्रता की नंगी जवानी मेरे दिमाग में घूम रही थी। मैं सोच रहा था कि उसे चुदाई के लिए कैसे तैयार करूँ। कॉफी खत्म हो गई, लेकिन मेरे लंड में आग लगी थी।

अचानक एक मर्द की आवाज आई, “अणिमा रानी, तीन महीने से चोरी-छिपे तुझसे प्यार करते-करते थक गया हूँ।” मैंने चौंककर इधर-उधर देखा, तो पता चला कि आवाज फोन से आ रही थी। मैंने फोन उठाया, और जो देखा, उससे मेरी आँखें फटी रह गईं। उसी सोफे पर, जहाँ मैं बैठा था, मेरी बीवी अणिमा नंगी लेटी थी, और एक 20-21 साल का गबरू जवान उसे चोद रहा था। मैं आँखें फाड़कर वीडियो देखने लगा।

इसे भी पढ़ें   मेरे बुली ने मेरी माँ को पटाया और चोदा | maa ki chudai kahani

वो लड़का चोदते हुए बोल रहा था, “रानी, नरेन के साथ 20-25 साल हो गए, अब उसे छोड़कर मुझसे शादी कर ले।” वीडियो खत्म हो गया। मैंने चेक किया, वीडियो उसी दिन का था, सुबह 9:45 से 10:25 तक का। मैंने फिर से शुरू किया। लड़के ने अणिमा को चूमते हुए सोफे पर लिटाया। अणिमा ने सिर्फ पेटीकोट और ब्रा पहनी थी। मतलब साफ था, वो अपने यार का इंतजार कर रही थी। लड़के ने पहले उसकी ब्रा खोली, और उसकी भारी चूचियों को मसलते हुए दोनों निप्पल चूसने लगा। फिर उसने पेटीकोट का नाड़ा खींचकर उसे पैरों से निकाला।

अणिमा ने अपनी बेटी की तरह पैंटी नहीं पहनी थी। उसकी चिकनी, गीली चूत साफ दिख रही थी। लड़के ने उसकी चूत को न चूमा, न चाटा, बस अपने कपड़े उतारे। उसका लंड टाइट था, लेकिन मुझे गुस्सा आया कि मेरा लंड उससे 2 इंच लंबा और मोटा था। फिर भी अणिमा ने उसके लंड को पकड़कर चूमा, और मुस्कुराते हुए बोली, “अशोक, जल्दी चोद, आज डायरेक्टर साहब के साथ मीटिंग है।”

तो उस लड़के का नाम अशोक था। अशोक अणिमा के ऊपर चढ़ा। अणिमा ने एक पैर फर्श पर फैलाया, और अशोक ने धक्का मारा। अणिमा जोर से चिल्लाई, “वाह राजा, मजा आ गया!” उसकी चूत में अशोक का लंड अंदर-बाहर हो रहा था, और वो सिसकारियाँ भर रही थी। मैं वीडियो देख रहा था, मेरा लंड पत्थर की तरह सख्त था, लेकिन दिल में गुस्सा भी था।

तभी मेन डोर का दरवाजा खुलने की आवाज आई। मैंने जल्दी से फोन ऑफ किया, उसे एक मैगजीन के नीचे छुपाया। लेकिन कपड़े पहनने का मौका नहीं मिला। नम्रता अंदर घुसी, और उसने दरवाजे को पैर से धक्का देकर बंद किया। उसने अपना बैग फेंका, और दौड़कर मेरी गोद में कूद पड़ी। मेरे गालों और होंठों पर चुम्मियों की बौछार कर दी। उसने मेरा तना हुआ लंड पकड़कर कसके दबाया, और जोर से बोली, “पापा, मैं बहुत खुश हूँ कि मेरे प्यारे पापा का लंड अपनी बेटी की चूत में धमाका करने को तैयार है। मुझे मेरे बेड पर ले चलो, हम वही चुदाई का खेल खेलेंगे।”

मैंने कुछ नहीं कहा, लेकिन मेरा लंड उसकी बातों से और सख्त हो गया। नम्रता मुझे बेडरूम की ओर खींचने लगी। मैं समझ गया कि मेरी बेटी चुदाई के लिए पूरी तरह तैयार थी, और अब खेल शुरू होने वाला था।

Related Posts

Report this post

Leave a Comment