Karwa chauth chudai – Bahu Sasur sex story: मेरा नाम सपना है। मैं 24 साल की हूँ, और मेरी शादी को चार साल हो गए। मेरा फिगर 34-28-36 है, गोरी चमड़ी, लंबे काले बाल, और कजरारी आँखें जो काजल से और निखरती हैं। मेरे पति, रवि, 29 साल के हैं और फौज में हैं। साल में बस एक बार घर आते हैं, और बाकी समय बॉर्डर पर ड्यूटी करते हैं। मेरे ससुर जी, राम लाल, 50 साल के हैं। लंबे, चौड़े कंधे, खेती-बाड़ी से मजबूत जिस्म, और चेहरे पर एक रौबदार ठसक। उनकी सास कई साल पहले गुजर चुकी हैं, और रवि उनका इकलौता बेटा है। घर में बस मैं और ससुर जी हैं। बच्चे नहीं हैं, और मेरी शादीशुदा जिंदगी अधूरी सी है। सेक्स की कमी मुझे अंदर से खाए जा रही है। जब रवि घर होते हैं, तो कुछ दिन मस्ती भरे गुजरते हैं, मगर उनके जाने के बाद ये तनहाई मुझे तोड़ देती है।
पिछले साल करवा चौथ की बात है। मैंने सुबह से व्रत रखा था—ना पानी, ना खाना। दिन भर पूजा-पाठ की तैयारियों में लगी रही। ससुर जी ने मुझे पाँच हज़ार रुपये दिए थे, जिनमें से मैंने तीन हज़ार की लाल रेशमी साड़ी खरीदी। बाकी दो हज़ार ब्यूटी पार्लर में खर्च किए—फेशियल, मैनिक्योर, पेडिक्योर, ब्लीच, सब करवाया। मेरी गोरी चमड़ी और चमक रही थी। साड़ी ने मेरे जिस्म को इस तरह लपेटा था कि मेरी पतली कमर और गहरी नाभि साफ दिख रही थी। मैंने सोने की नथ, मांग टीका, और चूड़ियाँ पहनी थीं। मेरे होंठों पर गुलाबी लिपस्टिक और आँखों में गाढ़ा काजल मेरे चेहरे को और हसीन बना रहा था। आईने में खुद को देखकर मैं मुस्कुराई, मगर मन में एक खालीपन था—मेरे पति तो यहाँ थे ही नहीं।
शाम को चाँद निकलने का वक्त हुआ। मैंने रवि को व्हाट्सएप कॉल किया। वो मोबाइल स्क्रीन पर थे, और ससुर जी मेरे पास खड़े थे, हाथ में छलनी पकड़े। मैंने पहले चाँद को देखा, फिर छलनी से रवि को, और आखिर में ससुर जी को। उनकी आँखों में एक अजीब सी तड़प थी, जैसे वो मेरी साड़ी के पार मेरे जिस्म को देख रहे हों। मैंने उनके पैर छुए, और उन्होंने मुझे एक सोने की अंगूठी गिफ्ट की। उनकी उंगलियाँ मेरे हाथ को छूते हुए रुकीं, और उन्होंने खुद मेरी उँगली में अंगूठी पहनाई। उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे के पास थीं, और मेरे जिस्म में एक सिहरन सी दौड़ गई। मैंने कहा, “ससुर जी, ये क्या? इतना महंगा गिफ्ट?” वो मुस्कुराए और बोले, “सपना, तू मेरी बहू है, तुझे खुश देखना मेरा फर्ज है।”
पूजा के बाद हम घर लौटे। मैं हैरान थी जब ससुर जी ने बताया कि उन्होंने मेरे लिए खाना बनाया है—पूरी, आलू की सब्ज़ी, और गाजर की खीर। वो मुझे बैठाकर अपने हाथों से पहला निवाला खिलाने लगे। उनकी उंगलियाँ मेरे होंठों को छू गईं, और मैंने उनकी आँखों में देखा। वो बोले, “सपना, तू ऐसे चुपचाप, उदास क्यों रहती है? तेरा पति नहीं है, तो क्या? मैं हूँ ना। तुझे किसी चीज़ की कमी नहीं होने दूँगा।” उनकी आवाज़ में एक गर्मजोशी थी, जो मुझे असहज कर रही थी। मैंने चुपचाप खाना खाया, मगर मेरे मन में हलचल मच रही थी।
खाना खाने के बाद मैं बर्तन धोने किचन में गई। मेरी साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था, और मैं उसे बार-बार ठीक कर रही थी। ससुर जी मेरे पास आए और बोले, “सपना, तू इतनी खूबसूरत है, फिर भी तनहा क्यों रहती है? एक औरत को प्यार चाहिए, इज्ज़त चाहिए। मैं तुझे वो सब दे सकता हूँ।” मैं चौंक गई। मैंने कहा, “ससुर जी, ये आप क्या कह रहे हैं? मैं आपके बेटे की बीवी हूँ।” मेरी आवाज़ काँप रही थी। वो मेरे और करीब आए, और मेरे कंधे पर हाथ रखा। उनकी हथेली गर्म थी, और मेरे जिस्म में एक करंट सा दौड़ गया। मैंने कहा, “ये गलत है, ससुर जी। मैंने आपके बेटे के लिए व्रत रखा है।” वो हँसे और बोले, “व्रत तूने मेरे सामने खोला, सपना। और तेरा पति तुझे अकेला छोड़कर चला गया। तू क्यों सती-सावित्री बनी रहे?”
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मैं रोने लगी। मेरे आँसू रुक नहीं रहे थे। मेरी तनहाई, मेरी अधूरी इच्छाएँ—सब बाहर निकल रहे थे। ससुर जी ने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया। उनकी चौड़ी छाती मेरे चेहरे से टकराई, और उनकी गर्म साँसें मेरे गालों को छू रही थीं। मैंने विरोध करने की कोशिश की, मगर मेरे जिस्म में ताकत नहीं थी। उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनकी जीभ मेरे होंठों को चूम रही थी, और मैं सिहर उठी। मैंने कहा, “ससुर जी, छोड़िए… ये गलत है…” मगर मेरी आवाज़ कमज़ोर थी। मेरे अंदर की आग मुझे रोक रही थी।
वो बोले, “सपना, मैं तुझे वो खुशी दूँगा जो तेरा पति नहीं दे पाया। पैसा, सोना, चाँदी—सब तेरा। बस तू मेरे साथ रह।” उन्होंने अपनी जेब से पचास हज़ार रुपये निकाले और मेरे हाथ में रख दिए। मैंने वो नोट देखे—मेरे मन में लालच जाग गया। मैंने सोचा, जब रवि मुझे प्यार नहीं दे रहा, मुझे अकेला छोड़ गया, तो मैं क्यों खुद को तड़पाऊँ? मैंने उनकी आँखों में देखा और धीरे से उनके होंठों पर किस कर दिया। वो खुश हो गए। उनकी आँखें चमक उठीं। उन्होंने मुझे गोद में उठाया और बेडरूम की ओर ले गए।
बेडरूम में पहुँचते ही उन्होंने मुझे पलंग पर लिटा दिया। मेरी लाल साड़ी का पल्लू पहले ही सरक चुका था, और मेरी गहरी नाभि साफ दिख रही थी। उन्होंने मेरी नथ उतारी, मेरे मांग टिके को हटाया, और मेरी चूड़ियाँ एक-एक करके खोल दीं। उनकी उंगलियाँ मेरे हाथों को सहला रही थीं, और मेरे जिस्म में सिहरन दौड़ रही थी। उन्होंने मेरी साड़ी को धीरे-धीरे खींचा, जैसे हर सिलवट को महसूस कर रहे हों। साड़ी फर्श पर गिर गई। मैं अब सिर्फ गुलाबी ब्लाउज़ और पेटीकोट में थी। मेरे 34C के मम्मे ब्लाउज़ में कसकर भरे थे, और मेरे गहरे भूरे निप्पल कपड़े के पार हल्के से दिख रहे थे।
ससुर जी की नज़रें मेरे जिस्म पर टिकी थीं। उन्होंने मेरे ब्लाउज़ के हुक खोले, एक-एक करके, जैसे कोई कीमती तोहफा खोल रहे हों। मेरी गुलाबी ब्रा बाहर आई, और मेरे मम्मे उसमें कैद थे। उन्होंने ब्रा का हुक खोला, और मेरे गोरे, भरे-भरे मम्मे आजाद हो गए। मेरे निप्पल सख्त हो चुके थे, गहरे भूरे रंग के, छोटे-छोटे दाने जैसे। वो बोले, “सपना, तेरे ये मम्मे तो दूध की कटोरी जैसे हैं।” मैं शरमा गई, मगर मेरी चूत में गीलापन बढ़ रहा था। उन्होंने मेरा पेटीकोट का नाड़ा खींचा, और मेरी गुलाबी पैंटी भी उतार दी। मेरी चूत, हल्की भूरी, गुलाबी होंठों वाली, पूरी तरह नंगी थी। मेरे प्यूबिक हेयर हल्के से ट्रिम किए थे, और मेरी चूत का दाना सख्त हो चुका था।
उन्होंने अपनी धोती उतारी। उनका 8 इंच का लंड, मोटा, काला, और सख्त, बाहर आया। सुपारा गुलाबी था, और उस पर चमकती हुई नमी थी। मैं दंग रह गई। मैंने कहा, “ससुर जी, ये तो… बहुत बड़ा है।” वो हँसे और बोले, “ये तेरा है, सपना। आज तुझे जन्नत दिखाऊँगा।” मैंने उनका लंड हाथ में लिया, उसका गर्म सुपारा मेरी हथेली में धड़क रहा था। मैंने उसे धीरे-धीरे सहलाया, और वो सिसकार उठे, “आह… सपना… और कर…” मैंने उनके लंड को मुँह में लिया, और मेरी जीभ उनके सुपारे पर चक्कर काटने लगी। “उम्म… आह… चूस मेरी रानी…” वो मेरे बालों को सहला रहे थे। मैं उनके लंड को गहराई तक चूस रही थी, और मेरी चूत गीली हो रही थी।
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उन्होंने मुझे पलंग पर लिटाया और मेरी चूत को चाटना शुरू किया। उनकी जीभ मेरे दाने को छू रही थी, और मैं तड़प उठी। “आह… ससुर जी… ओह…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। उनकी जीभ मेरी चूत के होंठों को चाट रही थी, और फिर वो मेरी गाँड के छेद तक गए। मैं सिहर उठी। “ससुर जी… ये क्या… आह…” मेरी चूत से गर्म पानी बह रहा था, जो मेरी जाँघों तक पहुँच रहा था। वो बोले, “सपना, तेरी चूत का रस तो अमृत है।” मैं पागल हो रही थी। मेरे जिस्म में करंट सा दौड़ रहा था, और मेरे होंठ सूख रहे थे।
मैंने कहा, “ससुर जी, अब बस… मुझे चोद दो… मैं तड़प रही हूँ।” वो हँसे और बोले, “अरे, मेरी बहू, अभी तो रात शुरू हुई है। तुझे ऐसी चुदाई दूँगा कि तू अपने पति को भूल जाएगी।” उन्होंने अपने लंड का सुपारा मेरी चूत के मुँह पर रगड़ा। मैं चिल्ला उठी, “आह… डाल दो… प्लीज़…” उन्होंने एक जोरदार धक्का मारा, और उनका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मैं चीख पड़ी, “आह… मर गई… इतना बड़ा… ओह…” उनकी चुदाई शुरू हुई। “चप… चप… चप…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मेरे मम्मे हर धक्के के साथ उछल रहे थे। मैं उनकी पीठ पर नाखून गड़ा रही थी और चिल्ला रही थी, “और जोर से… आह… फाड़ दो मेरी चूत… ससुर जी…”
करीब 40 मिनट तक वो मुझे उसी तरह चोदते रहे। मैं बार-बार झड़ रही थी, और मेरी चूत का पानी बेडशीट पर फैल रहा था। फिर उन्होंने मुझे उल्टा किया। मैं घोड़ी बन गई। वो बोले, “सपना, तेरी गाँड तो मक्खन जैसी है।” उन्होंने मेरी गाँड पर थूक लगाया और अपने लंड का सुपारा मेरे छेद पर रगड़ा। मैं डर गई, “ससुर जी, वहाँ नहीं… बहुत दर्द होगा।” वो बोले, “अरे, मेरी रानी, थोड़ा दर्द, फिर मज़ा।” उन्होंने धीरे-धीरे अपने लंड को मेरी गाँड में डाला। मैं चीख पड़ी, “आह… नहीं… धीरे…” मगर वो रुके नहीं। उनका मोटा लंड मेरी गाँड में पूरा घुस गया। “पच… पच…” की आवाज़ के साथ वो मेरी गाँड मारने लगे। मैं दर्द से चिल्ला रही थी, “आह… ससुर जी… मेरी गाँड फट रही है… ओह…” मगर धीरे-धीरे दर्द मज़े में बदल गया। मेरी चूत से पानी टपक रहा था, और मैं पागल हो रही थी।
उन्होंने मुझे फिर सीधा किया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। उनका लंड फिर मेरी चूत में गया। इस बार वो और जोर से चोद रहे थे। मैं चिल्ला रही थी, “आह… और जोर से… फाड़ दो मेरी चूत… उम्म…” वो मेरे निप्पल्स को चूस रहे थे, मेरे होंठों को काट रहे थे। मैं उनके जिस्म को टटोल रही थी, उनके कंधों पर काट रही थी। करीब दो घंटे तक उन्होंने मुझे हर तरह से चोदा—घोड़ी बनाकर, टाँगें ऊपर करके, मुझे उनके ऊपर बिठाकर। मैं बार-बार चिल्ला रही थी, “ससुर जी… और चोदो… मेरी चूत तुम्हारी है…” आखिर में उनका गर्म वीर्य मेरी चूत में गिरा। मैंने उसे अंदर ही लिया। हम दोनों हाँफते हुए बेड पर गिर पड़े, नंगे, एक-दूसरे की बाहों में।
तीन घंटे बाद मैं नींद से जागी। ससुर जी मेरे मम्मों को सहला रहे थे। वो बोले, “सपना, तूने मुझे फिर जगा दिया।” वो फिर मेरे ऊपर चढ़ गए। इस बार उन्होंने मेरी चूत को चाटा, मेरे दाने को चूसा। मैं सिसकार उठी, “आह… ससुर जी… फिर से… उम्म…” उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से मेरी चूत में लंड डाला। “पच… पच…” की आवाज़ फिर गूँजने लगी। मैं चिल्ला रही थी, “आह… चोदो मुझे… और जोर से…” वो मेरे बाल खींच रहे थे, मेरी गाँड पर थप्पड़ मार रहे थे। मैं पागल हो रही थी। इस बार उन्होंने एक घंटे तक मुझे चोदा, और फिर हम थककर सो गए।
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सुबह जब मैं उठी, तो आईने में खुद को देखा। मेरा काजल बिखर चुका था, लिपस्टिक फैल गई थी, सिंदूर माथे पर बेतरतीब था। मेरे मम्मों पर ससुर जी के दाँतों के निशान थे, और मेरी जाँघों पर उनकी उंगलियों के निशान। मैं मुस्कुराई—ये रात मेरी सुहागरात से भी ज्यादा यादगार थी। करवा चौथ की वो रात मेरे लिए कभी न भूलने वाली बन गई।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी? क्या आपने कभी ऐसी रात का मज़ा लिया है? कमेंट में बताइए।