desi virgin college girl gangbang sex story: मैं 23 साल की हूँ, और देखने में इतनी हॉट हूँ कि मेरे कर्व्स कॉलेज में हमेशा चर्चा का विषय रहते हैं। मेरा फिगर 32B का है, मेरे हिप्स टोंड और सेक्सी हैं, और जब मैं टाइट नीली जींस और काला क्रॉप टॉप पहनकर कॉलेज जाती हूँ, तो लड़कों की नजरें मुझ पर से हटती ही नहीं। मेरी गोरी त्वचा, लंबे घने काले बाल, और मेरी चाल में एक अदा है, जो हर किसी को दीवाना बना देती है। मैं छत्तीसगढ़ की रहने वाली हूँ और अभी रायपुर में एमकॉम कर रही हूँ। ये कहानी उस वक्त की है, जब मेरी जिंदगी ने एक ऐसा मोड़ लिया, जिसने मुझे पूरी तरह बदल दिया।
उस वक्त मैं अपनी मौसी के घर रह रही थी, ताकि पढ़ाई पर ध्यान दे सकूँ। मौसी का घर बड़ा था, लेकिन उसमें सिर्फ वो, मौसाजी, और उनका छोटा भाई अभिजीत रहता था। अभिजीत 21 साल का था, मेरे ही कॉलेज में पढ़ता था। उसका चेहरा ठीक-ठाक था, मध्यम कद, पतला बदन, और आँखों में एक शरारत, जो मुझे हमेशा असहज करती थी। वो हर मौके पर मेरे करीब आने की कोशिश करता। कभी मेरे कंधे पर हाथ रख देता, तो कभी बेवजह मेरे कमरे में चला आता। “क्या हाल है, दीदी?” वो मजाक में कहता, लेकिन उसकी नजरें मेरे चूचों पर टिक जातीं। मैं उसे नजरअंदाज करती, क्योंकि उसने कभी जबरदस्ती नहीं की थी।
एक दिन अचानक नानाजी की तबीयत खराब हो गई। मौसी और मौसाजी को तुरंत भोपाल जाना पड़ा। घर में सिर्फ मैं और अभिजीत रह गए। मुझे थोड़ा अजीब लगा, लेकिन मैंने सोचा, एक रात की बात है, क्या हो सकता है? उस शाम अभिजीत मेरे कमरे में आया। उसने ग्रे टी-शर्ट और ब्लैक जींस पहनी थी, और उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। “आज मैं अपने दोस्तों के साथ घर पर पार्टी करना चाहता हूँ। तुझे कोई दिक्कत तो नहीं?” उसने पूछा। मैंने हल्के से मुस्कुराकर कहा, “नहीं, मुझे क्या दिक्कत? तुम लोग मजे करो।” मेरे हाँ कहते ही उसके चेहरे पर एक शातिर मुस्कान आ गई। “थैंक्स, तू बेस्ट है,” कहकर वो चला गया।
रात 9 बजे के आसपास उसके तीन दोस्त घर आए—गोविंद, दिव्यम, और रितेश। गोविंद लंबा और मस्कुलर था, उसकी छोटी दाढ़ी और गहरी आवाज उसे और डरावना बनाती थी। दिव्यम पतला था, लेकिन उसकी आँखों में एक चालाकी थी। रितेश सबसे छोटा था, उसका चेहरा थोड़ा मासूम लगता था, लेकिन उसकी हरकतें बता रही थीं कि वो भी बाकियों की तरह ही कमीना था। उनके साथ व्हिस्की की दो बोतलें, चिप्स, और कुछ नॉन-वेज स्नैक्स थे। अभिजीत मेरे पास आया और बोला, “कुछ ग्लास और प्लेट्स दे दे।” मैंने किचन से चार ग्लास और कुछ प्लेट्स निकालकर दे दिए। फिर उसने कहा, “तू भी जॉइन कर ले, मजा आएगा।”
मैंने मना किया, “नहीं, मैं नहीं पीती। मुझे पढ़ाई करनी है।” लेकिन उसने जिद की। “अरे, कुछ नहीं होगा। बस सॉफ्ट ड्रिंक ले ले।” मैंने हिचकते हुए हाँ कर दी। मैंने एक लाल टॉप और काली लेगिंग्स पहनी थी, जो मेरे कर्व्स को और हाइलाइट कर रही थी। रितेश किचन से मेरे लिए एक ग्लास में कोल्ड ड्रिंक ले आया। ग्लास में डार्क कोला था, और उसका स्वाद थोड़ा अजीब लगा। मैंने एक सिप लिया, और तुरंत कुछ गड़बड़ महसूस हुई। “ये क्या है?” मैंने पूछा। “अरे, बस कोल्ड ड्रिंक है,” रितेश ने हँसते हुए कहा। मैंने सोचा, शायद मेरा वहम है। मैंने पूरा ग्लास पी लिया।
कुछ ही मिनटों में मेरी आँखें भारी होने लगीं। कमरा घूमने लगा, और मेरी आवाज धीमी पड़ने लगी। “मुझे… कुछ ठीक नहीं लग रहा,” मैंने बमुश्किल कहा, और फिर सब अंधेरा हो गया।
जब सुबह मेरी आँख खुली, तो मैं अपने बिस्तर पर थी। मेरा शरीर पूरी तरह नंगा था। मेरी चूत में तेज दर्द था, मेरी जांघों पर लाल खरोंच के निशान थे, और मेरे चूचों पर दाँतों के निशान। मैंने आसपास देखा, तो अभिजीत, गोविंद, दिव्यम, और रितेश बिस्तर के आसपास फर्श पर नंगे पड़े थे। मेरे शरीर में कमजोरी थी, और मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैं डर के मारे रोने लगी। “ये… ये क्या हुआ?” मैं बुदबुदाई। तभी दिव्यम उठा और बाकियों को जगाया।
उनके चेहरों पर कोई शर्म नहीं थी। गोविंद ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराया। “क्या माल है, यार,” उसने अभिजीत से कहा। मैं रोते हुए चिल्लाई, “अभिजीत, ये क्या किया तुमने? मैं सबको बता दूँगी!” उसने ठंडे लहजे में कहा, “साली, चुप रह। तेरी नंगी तस्वीरें मेरे फोन में हैं। एक आवाज निकाली, तो इंटरनेट पर डाल दूँगा। फिर देख, तेरी जिंदगी का क्या होता है।” मैं सन्न रह गई। उसने आगे कहा, “हमारी बात मान, और तुझे कोई नुकसान नहीं होगा। चार मर्दों का मजा मिलेगा, और पैसे भी।” मैं रो रही थी, मेरे पास कोई रास्ता नहीं था।
उसने मेरे बाल खींचे और बोला, “पाँच मिनट में नाश्ता बना। नहीं तो तस्वीरें अपलोड हो जाएँगी।” मैंने कंबल लपेटने की कोशिश की, लेकिन उसने मुझे रोक दिया। “नंगी ही जा, साली। अब क्या शरम?” मैं शर्म से मर रही थी। अपने हाथों से चूचे और चूत को छुपाने की कोशिश करते हुए मैं किचन में गई। मेरी गोरी त्वचा लाल हो रही थी, और मेरे गुलाबी निप्पल्स सख्त हो गए थे। तभी रितेश आया और मेरे गाल पर एक जोरदार थप्पड़ मारा। “रंडी, अब हमसे क्या छुपाएगी?” मैं रोते हुए सैंडविच और चाय बनाने लगी। मैंने जल्दी-जल्दी नाश्ता बनाया और टेबल पर रखकर अपने कमरे में भाग आई। मैंने कंबल ओढ़ लिया और फूट-फूटकर रोने लगी।
तभी चारों मेरे कमरे में आ गए। गोविंद ने मेरा कंबल खींचकर फेंक दिया। मेरे गोरे चूचे उजागर हो गए, और मेरे गुलाबी निप्पल्स सख्त थे। उसने एक सिगरेट जलाई और मुझे थमाई। “पी, साली,” उसने कहा। मैंने मना किया, तो उसने मेरे गाल पर एक और थप्पड़ मारा। “पी ले, नहीं तो और मार खाएगी।” डर के मारे मैंने सिगरेट पी ली। धुआँ मेरे गले में चुभा, और मेरी आँखें जलने लगीं। फिर उसने एक ग्लास में व्हिस्की और कोल्ड ड्रिंक मिलाकर दी। “ये भी पी,” उसने हुक्म दिया। वो इतनी कड़वी थी कि मेरी आँखों में आंसू आ गए, पर मैंने डर के मारे पी लिया। मेरा सिर घूमने लगा, और मेरे शरीर में एक अजीब सी गर्मी फैलने लगी।
तभी रितेश बिस्तर पर आया और मुझे धक्का देकर लिटा दिया। वो मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने अपनी जींस उतारी, और उसका लंड बाहर निकला—लगभग 6 इंच लंबा, मोटा, और सुपारा गुलाबी। “चूस, साली,” उसने मेरे बाल पकड़कर कहा। मैं डर रही थी, लेकिन मेरे पास कोई चारा नहीं था। मैंने धीरे-धीरे उसके लंड को मुँह में लिया। उसका सुपारा मेरी जीभ पर फिसला, और उसका स्वाद नमकीन था। “आह्ह… साली, तू तो कमाल चूसती है,” वो सिसकारते हुए बोला। वो मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह को तेजी से हिलाने लगा। मैं शर्म और डर से मरी जा रही थी, लेकिन मेरे शरीर में एक अजीब सी गर्मी जाग रही थी।
उसी वक्त गोविंद मेरे पैरों के पास आया। उसने मेरी लेगिंग्स पहले ही फाड़ दी थी, और मेरी चूत पूरी तरह उजागर थी। उसने मेरी चूत के होंठों को उंगलियों से फैलाया और अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। उसकी गर्म जीभ मेरी गुलाबी क्लिट पर फिसल रही थी। “उम्म्म… आह्ह…” मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। उसने मेरी क्लिट को चूसा, और मेरे शरीर में जैसे बिजली दौड़ गई। “साली, तेरी चूत तो रसीली है,” वो बोला। मैं शर्म से मर रही थी, लेकिन मेरे शरीर ने जवाब देना शुरू कर दिया। मेरी चूत गीली हो गई, और मेरे कूल्हे अपने आप हिलने लगे।
तभी मेरी चूत से पानी की एक धार निकली। “आआह्ह…” मैं चीख पड़ी, और मेरा शरीर थरथराने लगा। ये मेरा पहला ऑर्गेज्म था, और मैं हैरान थी कि मेरा शरीर ऐसा भी कर सकता है। उसी वक्त रितेश ने मेरे मुँह में अपना वीर्य छोड़ दिया। “ले, साली, पी जा,” उसने कहा। उसका गर्म, नमकीन वीर्य मेरे गले में उतर गया। मैंने डर के मारे निगल लिया।
अब दिव्यम की बारी थी। उसने कुछ पेपर में रोल किया और सिगरेट की तरह पीने लगा। “भाई, अब ये मेरा शिकार है,” उसने कहा। बाकी लोग हट गए। मैं डर से काँप रही थी। उसने मेरे दोनों हाथ बेड की रेलिंग से बाँध दिए। मेरी टाँगें खुली थीं, और मेरी गुलाबी चूत पूरी तरह उजागर थी। उसने अपनी जींस उतारी, और उसका लंड बाहर निकला—लगभग 7 इंच, मोटा, और सुपारा गहरा गुलाबी। उसने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ा। “प्लीज… धीरे,” मैंने गिड़गिड़ाई।
उसने मेरी बात अनसुनी की और एक जोरदार धक्का मारा। “आआह्ह…!” मेरे मुँह से चीख निकल गई। उसका लंड मेरी चूत में आधा घुस गया, और दर्द इतना तेज था कि मेरी आँखों से आंसू बहने लगे। “साली, कितनी टाइट चूत है,” वो बोला और एक और धक्का मारा। इस बार उसका पूरा लंड मेरी चूत में था। “थप… थप… थप…” हर धक्के के साथ मेरी चूत में दर्द और उत्तेजना का मिश्रण बढ़ता गया। वो मेरे चूचों को जोर-जोर से दबाने लगा, मेरे गुलाबी निप्पल्स को चूसने लगा। “आह्ह… उम्म्म…” मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं।
उसने मेरी टाँगें और ऊपर उठाईं और गहरे धक्के मारने लगा। “ले, रंडी, मजा आ रहा है ना?” वो बोला। मैं कुछ नहीं बोली, बस सिसकारियाँ लेती रही। फिर उसने मुझे पलटा और घोड़ी बनाया। मेरी गोल गांड हवा में थी। उसने मेरी गांड पर तेल लगाया और अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर रगड़ा। “नहीं… प्लीज, वहाँ नहीं,” मैं चीखी। लेकिन उसने मेरी कमर पकड़ी और धीरे-धीरे अपना लंड मेरी गांड में डालने लगा। “आआह्ह…!” मैं दर्द से चीख पड़ी। उसने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “साली, तेरी गांड तो चूत से भी टाइट है,” वो बोला। दर्द धीरे-धीरे कम हुआ, और मेरे शरीर में फिर से उत्तेजना जागने लगी। “उम्म्म… आह्ह…”
आखिरकार गोविंद की बारी आई। उसने मुझे अपनी गोद में बिठाया। उसका लंड—लगभग 6.5 इंच, मोटा और सख्त—मेरी चूत में सेट किया। “चल, रंडी, अब उछल,” उसने कहा। मैं डर के मारे धीरे-धीरे उछलने लगी। “थप… थप…” हर उछाल के साथ मेरे चूचे उछल रहे थे, और वो उन्हें जोर-जोर से दबा रहा था। “आह्ह… उम्म्म…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। उसने मेरे निप्पल्स को चूसा और मेरी कमर को और तेजी से हिलाने लगा। मैं थक रही थी, लेकिन वो रुका नहीं।
जब सब अपनी हवस मिटा चुके, वो अपने कपड़े पहनकर चले गए। सिर्फ अभिजीत मेरे पास रहा। उसने मेरे पास आकर कहा, “तू हमें मजा देती रह, और तू सेफ रहेगी। हम जो अपनी गर्लफ्रेंड्स पर खर्च करते हैं, वो तुझ पर करेंगे। तेरा डबल फायदा—पैसा भी, और चुदाई भी।” मैं चुप थी। मेरे पास कोई जवाब नहीं था। उस दिन से मैं उनकी गुलाम बन गई। वो जब चाहते, मेरे कमरे में आते, मेरे साथ चुदाई करते। कभी-कभी मुझे स्लट जैसे कपड़े पहनाकर अपनी पार्टियों में ले जाते। शुरू में मुझे सब गंदा लगता था, लेकिन धीरे-धीरे मुझे इसकी आदत पड़ गई। अब मेरा फ्रेंड सर्कल भी वैसा ही है, और मैं अपनी जिंदगी में इस मजे को एंजॉय करने लगी हूँ।
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