जो भी करना है ऊपर से करो अंदर नहीं डालो

Desi virgin girl first time sex story:  मेरा नाम जीतू है, 22 साल का हूँ, मेरठ में रहता हूँ, कॉलेज में पढ़ता हूँ। दिखने में मैं ठीक-ठाक हूँ—5 फुट 10 इंच का कद, गेहुंआ रंग, गठीला बदन, और चेहरे पर वो देसी वाली मस्त मुस्कान जो लड़कियों को थोड़ा-थोड़ा लुभा लेती है। मेरे पापा के दोस्त की बेटी पूजा, जो गोरखपुर से थी, मेरठ में पढ़ने आई थी। पूजा 18 साल की थी, गोरी-चिट्टी, पतली कमर, 34C की भरी-भरी छातियाँ, लंबे काले बाल, और वो शर्मीली-सी हँसी जो किसी का भी दिल चुरा ले। वो हमारे घर आने-जाने लगी थी, और धीरे-धीरे हमारी अच्छी दोस्ती हो गई थी। लेकिन मेरे दिल में तो कुछ और ही आग लगी थी। उसकी वो कमसिन जवानी, चिकनी त्वचा, और वो नाजुक-सी नजरें—मेरा लंड तो उसे देखकर ही तन जाता था। मैं उसे पाने की सोच रहा था, और थोड़ा-थोड़ा लाइन मारने भी लगा था। मुझे लगता था कि वो भी मुझे पसंद करने लगी थी, क्योंकि उसकी नजरें कभी-कभी मेरे साथ अटक जाती थीं, और वो हल्की-सी मुस्कान दे देती थी।

पूजा को कोई दिक्कत होती, तो पापा मुझे बोलते, “जीतू, जरा पूजा की मदद कर दे।” मैं तो बस मौके की तलाश में रहता था। मैं झट से तैयार हो जाता, चाहे वो उसका कॉलेज का असाइनमेंट हो या कोई और छोटा-मोटा काम। वो जब भी फ्री होती, हमारे घर चली आती। रात को वो मम्मी के साथ सोती थी, लेकिन मेरे दिमाग में तो बस एक ही खयाल था—कब मौका मिले, कब पूजा को अपने करीब लाऊँ? मैं उसकी हर अदा पर फिदा था—जब वो हँसती थी, तो उसके गालों पर हल्के-से डिंपल पड़ते थे, और जब वो शरमाती थी, तो उसकी गोरी त्वचा हल्की गुलाबी हो जाती थी। उस दिन वो नीली कुरती और सफेद सलवार में आई थी, और वो कुरती इतनी फिट थी कि उसकी छातियों का उभार साफ दिख रहा था। मैं तो बस उसे घूरता रह गया।

आखिरकार वो दिन आ गया जब मुझे मौका मिला। एक दिन मम्मी-पापा को किसी रिश्तेदार के यहाँ जाना था, और घर पर सिर्फ मैं था। पड़ोस की लड़की टीना, 18 साल की, कॉलेज में पढ़ती थी, थोड़ी चुलबुली, 5 फुट 2 इंच की, साँवली, और हमेशा कुछ न कुछ सवाल लेकर मेरे पास चली आती थी। उस दिन वो अपने कॉलेज के असाइनमेंट के साथ आई और बोली, “भैया, ये प्रॉब्लम सॉल्व नहीं हो रही। एग्जाम के लिए बहुत जरूरी है।” वो एक लाल टॉप और जींस में थी, और उसका चेहरा थोड़ा परेशान-सा लग रहा था। मैंने उसकी कॉपी देखी। मुझे हल पता था, लेकिन मैं तो चाहता था कि वो जल्दी जाए ताकि मैं पूजा के साथ अकेला रहूँ। मैंने कहा, “टीना, मुझे ये नहीं आता, लेकिन शायद कोई किताब मिल जाए तो सॉल्व हो सकता है।”

टीना बोली, “मेरे पास तो किताब नहीं है, लेकिन करण के पास होगी।” करण हमारा पड़ोसी था, 19 साल का, कॉलेज में पढ़ता था। मैंने तुरंत कहा, “तो जा, करण से किताब ले आ।” टीना मान गई और पूजा से बोली, “चलो दीदी, साथ चलो।” मैंने झट से टोका, “नहीं-नहीं, तुम अकेले जा, हम तब तक दूसरा हल देखते हैं।” मुझे पता था कि टीना 15-20 मिनट में लौट आएगी, और मुझे बस इतना वक्त चाहिए था। पूजा उस वक्त मेरे साथ ड्रॉइंग रूम में थी, और वो एक किताब पढ़ रही थी। उसकी नीली कुरती की बांहें थोड़ी ऊपर चढ़ी थीं, और उसकी गोरी कलाई पर एक पतली-सी चूड़ी चमक रही थी।

जैसे ही टीना गई, मैंने दरवाजा बंद किया और चटकनी लगा दी। पूजा चौंकी, “जीतू, ये क्या कर रहे हो?” उसकी आवाज में हल्का-सा डर था। मैंने उसे शांत करते हुए कहा, “घबरा मत, पूजा, मैं कोई गलत हरकत नहीं करूँगा। बस तुमसे कुछ बात करनी है।” वो थोड़ा घबराई, लेकिन बोली, “क्या बात?” मैंने हिम्मत जुटाई और धीरे से कहा, “पूजा, मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ।” मेरी बात सुनकर वो शरमा गई। उसकी नजरें जमीन पर टिक गईं, और उसकी गोरी त्वचा हल्की गुलाबी हो गई। मैं थोड़ा और करीब गया, उसके कंधों पर हाथ रखा, और धीरे से पूछा, “क्या तुम भी मुझे पसंद करती हो?” वो चुप रही, लेकिन उसकी साँसें तेज हो रही थीं। उसकी कुरती के गले से उसकी छातियों का हल्का-सा उभार दिख रहा था, और मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था।

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मैंने हौसला बढ़ाया और कहा, “पूजा, क्या मैं तुम्हें किस कर सकता हूँ?” वो एकदम से बोली, “नहीं-नहीं, अभी कुछ नहीं, मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता।” उसने मेरे हाथ हटाए और बेडरूम की तरफ भाग गई। मेरा खून तो गर्म हो चुका था। मैं उसके पीछे दौड़ा, उसे पकड़ा, और हल्के से बेड पर धकेल दिया। वो नीली कुरती और सफेद सलवार में बेड पर गिरी, और उसकी कुरती थोड़ी ऊपर उठ गई, जिससे उसकी पतली कमर दिखने लगी। मैं उसके ऊपर था, और उसकी साँसें मेरे चेहरे पर गर्म-गर्म लग रही थीं। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। पहले तो वो विरोध करती रही, अपने नाजुक हाथों से मुझे धकेलने की कोशिश की, लेकिन मैंने उसे कसकर पकड़ रखा था।

मैंने उसे करीब पाँच मिनट तक पागलों की तरह चूमा। उसके होंठ इतने नरम थे कि मैं खो सा गया। उसकी साँसें तेज थीं, और उसकी कुरती के नीचे उसकी छातियाँ ऊपर-नीचे हो रही थीं। धीरे-धीरे उसका विरोध कम हुआ, और वो भी किस में शामिल होने लगी। उसने मेरे होंठों को हल्के से काटा, और मैं समझ गया कि वो अब मूड में आ रही थी। मैंने धीरे से उसके कुरते के ऊपर से उसकी छातियों को छुआ। वो 34C की छातियाँ इतनी मुलायम थीं कि मेरा 7 इंच का लंड मेरी जींस में तन गया। लेकिन कुरते के ऊपर से मजा नहीं आ रहा था। मैंने उसका कुरता ऊपर उठाने की कोशिश की, लेकिन वो बोली, “जीतू, प्लीज, छोड़ दो। कोई आ जाएगा।” उसकी आवाज में डर था, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक भी थी।

मैंने कहा, “कोई नहीं आएगा, पूजा। बस थोड़ा मजा लेने दे।” मैंने उसके कुरते के नीचे हाथ डाला और उसकी काली ब्रा के ऊपर से उसकी छातियों को दबाया। उसकी ब्रा में कसी हुई छातियाँ मेरे हाथों में पूरी तरह से समा रही थीं। वो सिसकने लगी, “आहह, जीतू, प्लीज, धीरे… कोई देख लेगा।” तभी मुझे टीना के आने की आहट सुनाई दी। मैं जल्दी से पूजा के ऊपर से हटा, और हम दोनों ने अपने कपड़े ठीक किए। पूजा ने अपनी कुरती नीचे की, और मैंने अपनी जींस ठीक की। टीना ने दरवाजा खटखटाया, और मैंने खोल दिया। पूजा चुपचाप बेडरूम से बाहर आई, और बिना कुछ बोले चली गई।

अगले 3-4 दिन तक पूजा हमारे घर नहीं आई। मैं डर गया था कि कहीं वो टीना या मम्मी को कुछ बता न दे। लेकिन उसने किसी से कुछ नहीं कहा। फिर एक दिन मम्मी-पापा को मामा के यहाँ जाना पड़ा। मैं कॉलेज की वजह से रुक गया। पूजा को नहीं पता था कि घर पर कोई नहीं है। वो अचानक हमारे घर आ गई। उसने डोर बेल बजाई, मैंने दरवाजा खोला। वो उस दिन गुलाबी कुरती और काली सलवार में थी। उसकी कुरती का गला हल्का-सा गहरा था, और उसकी गोरी त्वचा चमक रही थी। उसने पूछा, “मम्मी कहाँ हैं?” मैंने झूठ बोला, “अंदर हैं, बेडरूम में, तुम्हारा इंतजार कर रही हैं।” वो अंदर चली गई, और मैं पीछे-पीछे। उसने बेडरूम में देखा तो कोई नहीं था। वो बाहर आई और बोली, “जीतू, कोई तो है नहीं!”

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मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ मेरी रानी, कोई नहीं है। मम्मी-पापा गाँव गए हैं, अब सिर्फ तू और मैं।” वो घबराकर दरवाजे की तरफ भागी, लेकिन मैंने उसे पकड़ लिया और अपनी बाहों में उठा लिया। उसकी गांड को मैंने हल्के से दबाया—वो इतनी मुलायम थी कि मेरा लंड तुरंत तन गया। मैं उसे बेडरूम में ले गया और बेड पर लिटा दिया। वो बोली, “जीतू, प्लीज, मुझे जाने दे। कोई देख लेगा तो क्या कहेगा?” मैंने उसे अपनी बाहों में भरा और कहा, “कोई नहीं देखेगा, पूजा। तू तो रोज यहाँ आती है, किसी को शक भी नहीं होगा। बस मुझे वो करने दे जो मैं चाहता हूँ।”

मैंने उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए। इस बार वो थोड़ा कम विरोध कर रही थी। मैंने धीरे से उसकी कुरती के ऊपर से उसकी छातियों को दबाया, और फिर उसकी सलवार की चैन पर हाथ रखा। मैंने चैन खोली, और उसकी काली पैंटी दिखने लगी। वो बोली, “जीतू, प्लीज, जो भी करना है ऊपर से करो, इसे मत उतारो।” मैंने कहा, “जानेमन, इसके बिना मजा नहीं आएगा।” मैंने उसकी सलवार धीरे-धीरे नीचे खींची। उसकी गोरी टाँगें और काली पैंटी मेरे सामने थीं। वो बार-बार कह रही थी, “प्लीज, ऐसा मत करो।” लेकिन मैं अब रुकने के मूड में नहीं था।

मैंने उसकी गुलाबी कुरती उतारने की कोशिश की। वो नहीं मानी, लेकिन मैंने उसे प्यार से समझाया, “देख पूजा, मैं तुम्हें आज जाने नहीं दूँगा। बस थोड़ा मजा लेने दे।” आखिरकार उसका विरोध कम हुआ, और मैंने उसकी कुरती उतार दी। अब वो सिर्फ काली ब्रा और काली पैंटी में थी। उसकी गोरी त्वचा पर वो काला रंग ऐसा लग रहा था जैसे कोई अप्सरा मेरे सामने हो। उसकी 34C की छातियाँ ब्रा में कसी हुई थीं, और उसकी पैंटी उसकी चूत को मुश्किल से ढक रही थी। मैंने अपने हाथ उसके शरीर पर फिराए। उसकी चिकनी त्वचा, मुलायम छातियाँ, और उसकी साँसों की गर्मी—सब कुछ मुझे पागल कर रहा था।

वो सिसकारियाँ ले रही थी, “आहह, जीतू, प्लीज, धीरे… कोई देख लेगा।” लेकिन मैं तो अब उसकी जवानी के नशे में था। मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से उसकी छातियों को जोर-जोर से दबाया। वो बोली, “आहह, जीतू, धीरे… दर्द हो रहा है।” मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए। उसकी छातियाँ मेरे सामने थीं—गोरी, गोल, और हल्के गुलाबी निप्पल्स जो सख्त हो चुके थे। मैंने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा, जबकि दूसरी छाती को मैं जोर-जोर से दबा रहा था। पूजा सिसक रही थी, “आआहह, जीतू, प्लीज… गुदगुदी हो रही है।”

मैंने धीरे-धीरे उसकी पैंटी पर हाथ रखा और उसकी चूत को सहलाने लगा। वो गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी पैंटी को हल्के से नीचे खींचा। उसकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, और वो गीली चमक रही थी। मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए। मेरा 7 इंच का लंड पूरी तरह से सख्त था, और उसका सुपारा गुलाबी और चमकदार था। पूजा ने अपनी आँखें बंद कर लीं। मैंने उसे फिर से अपनी बाहों में लिया और चूमना शुरू किया। अब वो भी मूड में आ रही थी, और मेरे होंठों का जवाब दे रही थी।

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मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी टाँगें चौड़ी कीं। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसका नमकीन स्वाद मुझे और उत्तेजित कर रहा था। मैं अपनी जीभ से उसकी चूत के दाने को चाट रहा था, और वो पागलों की तरह सिसक रही थी, “आआहह, जीतू, ओहह, ये क्या कर रहे हो… आहह, प्लीज…” उसकी चूत और गीली हो गई थी। मैंने अब अपना लंड उसकी चूत पर रखा और हल्का सा रगड़ा। वो बोली, “जीतू, प्लीज, अंदर मत डालो… जो भी करना है, ऊपर से करो।”

लेकिन मैं तो अब रुकने वाला नहीं था। मैंने एक जोरदार झटका मारा, और मेरा लंड उसकी चूत में आधा घुस गया। वो जोर से चिल्लाई, “आआहह, जीतू, निकालो… प्लीज, दर्द हो रहा है… ऊईई, माँ!” उसकी आँखों में आँसू आ गए थे। मैंने कहा, “बस थोड़ा सा दर्द है, अब मजा आएगा।” मैंने धीरे से अपना लंड थोड़ा बाहर निकाला और फिर एक और झटका मारा। इस बार मेरा लंड पूरा अंदर चला गया। पूजा सिसक रही थी, “आहह, जीतू, प्लीज, धीरे… मैं मर जाऊँगी।”

मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में और सख्त हो रहा था। कुछ देर बाद उसका दर्द कम हुआ, और वो भी मजे लेने लगी। वो सिसक रही थी, “आहह, जीतू, ओहह… ये कैसा मजा है?” मैंने अब उसकी टाँगें और चौड़ी कीं और जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। कमरे में पच-पच की आवाजें गूँज रही थीं। पूजा की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आआहह, जीतू, जोर से… आहह, चोदो मुझे…” मैंने उसे पलटा और उसे घोड़ी बनाया। उसकी गांड इतनी गोल और मुलायम थी कि मैं खुद को रोक नहीं पाया। मैंने उसकी गांड पर हल्के से थप्पड़ मारा और फिर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। वो चिल्लाई, “आहह, जीतू, ये क्या… ओहह, जोर से मारो…”

मैंने उसकी कमर पकड़ी और जोर-जोर से धक्के मारे। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और हर धक्के के साथ वो सिसक रही थी, “आआहह, जीतू, फाड़ दो मेरी चूत… ओहह, ये मजा… आहह!” मैंने बीच-बीच में उसकी छातियों को दबाया, उसके निप्पल्स को चूसा, और उसकी गांड को सहलाया। करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था। मैंने पूजा से कहा, “मैं झड़ने वाला हूँ।” वो बोली, “जीतू, अंदर मत झड़ना, प्लीज बाहर निकालो।” मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसकी पेट पर झड़ गया। उसकी चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी, और बेड पर हल्के-हल्के खून के दाग थे।

थोड़ी देर बाद हम दोनों शांत हो गए। पूजा खड़ी हुई, लेकिन उससे ठीक से चला नहीं जा रहा था। वो मेरे सीने से लिपट गई और बोली, “जीतू, प्लीज किसी से मत कहना। अब जब भी मौका मिलेगा, मैं तुमसे चुदवाऊँगी।” इसके बाद, जब भी हमें मौका मिला, हमने खूब चुदाई की और मजे लिए।

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