मेरा नाम सागर है, और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। ये कहानी एक मासूम हाउसवाइफ श्वेता की है, जो एक गोलगप्पे वाले के हाथों चुदाई की दुनिया में खींच ली गई। श्वेता, 30 साल की एक सुंदर और सीधी-सादी औरत थी, जो अपने पति और सास के साथ रहती थी। उसका फिगर 38-28-36 था, और जब भी मैं उसकी चुचियाँ देखता, मेरा लंड खड़ा हो जाता। उसकी चुचियाँ इतनी भरी-पूरी थीं कि ब्लाउज में जैसे फटने को तैयार रहतीं। उसकी कमर पतली और गांड गोल-मटोल थी, जो साड़ी में और भी उभरकर सामने आती थी। श्वेता का चेहरा इतना मासूम था कि कोई भी उसे देखकर यही सोचे कि ये तो पक्की इज्जतदार औरत है, लेकिन उसकी आँखों में एक छुपी हुई चमक थी, जो शायद उसे भी नहीं पता थी।
श्वेता के घर में एक छोटी सी दुकान थी, जहाँ राशन का सारा सामान मिलता था। दुकान घर के अंदर ही थी, और अक्सर श्वेता और उसकी सास वहाँ रहते थे। मेरा घर ठीक उनके घर के सामने था, जहाँ से मैं रोज़ श्वेता को देखता था। उसकी साड़ी का पल्लू जब हवा में उड़ता, तो उसकी चुचियों की गोलाई साफ दिखती, और मैं बस देखता रह जाता। हमारे घर के पास कुछ बिहारी लोग किराए के कमरे में रहते थे। उनमें से एक गोलगप्पे वाला था, जिसका नाम था रामू। रामू जवान, तगड़ा, और थोड़ा शरारती था। उसकी आँखों में एक भूख थी, जो श्वेता को देखते ही और बढ़ जाती थी।
रामू जब भी दुकान के सामने से गुजरता, श्वेता को देखकर स्माइल पास करता। पहले तो श्वेता ने उसे इग्नोर किया, लेकिन ये उसका रोज़ का रुटीन बन गया। श्वेता ने इस बात का ज़िक्र अपने पति से किया, लेकिन उसने हँसते हुए कहा, “अरे, ये तो इनका काम है, तू इग्नोर कर दे।” श्वेता ने भी सोचा कि ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए, लेकिन रामू की हरकतें बढ़ती गईं। एक दिन जब श्वेता की सास घर के अंदर थी, रामू दुकान के बाहर सामान लेने के बहाने खड़ा हो गया। उसने श्वेता को देखकर स्माइल दी और आँख मार दी। श्वेता ने फिर इग्नोर करने की कोशिश की, लेकिन रामू ने हद कर दी। उसने अपनी लुंगी के ऊपर से अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया। श्वेता ने उसे देखा और गुस्से में घूरते हुए कहा, “ये क्या बदतमीज़ी है? दोबारा ऐसा किया तो पुलिस में शिकायत करूँगी।” लेकिन श्वेता एक इज्जतदार औरत थी, उसने सोचा कि अगर ये बात बाहर गई तो उसकी बदनामी होगी, इसलिए उसने चुप रहना ही बेहतर समझा।
अगले दिन रामू फिर दुकान पर आया और वही हरकत शुरू कर दी। इस बार उसने अपनी लुंगी से लंड बाहर निकाला और दुकान के सामने मुठ मारने लगा। श्वेता ने देखा और शॉक्ड रह गई। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। उसने कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था। तभी गली में कोई आने लगा, जिसे देखकर रामू ने जल्दी से लंड छिपाया और चला गया। श्वेता ने अपनी इज्जत की खातिर किसी से कुछ नहीं कहा, लेकिन उसका मन अंदर ही अंदर घबराया हुआ था। रामू की ये हरकत अब रोज़ की बात हो गई। धीरे-धीरे श्वेता को भी उसकी हरकतें देखने की आदत सी पड़ने लगी। वो गुस्सा तो होती, लेकिन कहीं न कहीं उसका शरीर भी अब उसकी हरकतों पर रिएक्ट करने लगा था।
एक रात रामू सामान लेने दुकान पर आया। उस वक्त श्वेता के परिवार वाले वहाँ बैठे थे। रामू ने उस दिन लंड नहीं सहलाया, बल्कि एक सिगरेट माँगी और 500 का नोट दिया। श्वेता छुट्टे ढूंढने लगी, लेकिन तभी बिजली चली गई और चारों तरफ अंधेरा हो गया। रामू ने मौके का फायदा उठाया और श्वेता की चुची को ज़ोर से दबा दिया। श्वेता चौंक गई, उसने छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन रामू ने उसकी एक चुची को और ज़ोर से दबाया और निप्पल को पिंच कर दिया। श्वेता कुछ बोल नहीं पाई, क्योंकि परिवार वाले पास ही थे। अगर वो शोर मचाती, तो उसकी इज्जत खराब हो जाती। रामू ने उसकी चुची को और मसला, फिर छुट्टे लेकर चला गया। श्वेता ने किसी को कुछ नहीं बताया, लेकिन उसका शरीर अब गर्म होने लगा था।
अगले दिन श्वेता की सास बाहर गई थी। रामू फिर दुकान पर आया और श्वेता को देखकर लंड सहलाने लगा। श्वेता ने गुस्से में कहा, “अगर तूने ये बदतमीज़ी की, तो मैं शोर मचा दूँगी।” रामू हँसा और बोला, “शोर मचा दे, मेरा क्या, मैं तो पिट जाऊँगा, लेकिन तेरी इज्जत खराब हो जाएगी।” श्वेता चुप हो गई। रामू ने फिर 500 का नोट दिया और कुबेर माँगा। श्वेता छुट्टे ढूंढने लगी, तभी रामू ने उसकी दोनों चुचियाँ पकड़ लीं और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। श्वेता ने छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन रामू का जोश इतना था कि वो नहीं रुका। उसने निप्पल्स को मसला और श्वेता की साड़ी के ऊपर से उसकी जांघों को सहलाने लगा। तभी गली में कोई आया, तो रामू ने चुचियाँ छोड़ दीं और छुट्टे लेकर चला गया। श्वेता का दिल तेज़ी से धड़क रहा था, लेकिन अब उसे रामू की हरकतों में एक अजीब सा मज़ा आने लगा था।
धीरे-धीरे ये रोज़ का खेल बन गया। रामू जब भी आता, श्वेता की चुचियाँ दबाता, निप्पल्स मसलता, और श्वेता चुपचाप उसे करने देती। एक दिन श्वेता और उसकी सास मार्केट गईं गोलगप्पे खाने। सास ने अनजाने में उसी रामू के ठेले पर ले जाकर श्वेता को हैरान कर दिया। श्वेता ने आँखें चुराने की कोशिश की, लेकिन रामू ने उसे देखकर मुस्कुरा दिया। जब सास का फोन आया और वो दूसरी तरफ मुँह करके बात करने लगी, रामू ने मौका देखकर श्वेता की गांड को ज़ोर से दबा दिया। श्वेता घबरा गई, लेकिन कुछ बोल नहीं पाई। रामू ने चटनी ली और श्वेता की चुची पर लगा दी, फिर पल्लू के नीचे छिपा लिया। सास ने कहा कि उसे कुछ काम है और वो चली गई।
अब रामू ने श्वेता को पीछे से पकड़ लिया और उसकी चुचियाँ दबाने लगा। उसका लंड श्वेता की गांड पर रगड़ रहा था। श्वेता ने छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन रामू ने उसे होंठों पर किस कर लिया। फिर उसने अपना लंड निकाला और श्वेता का हाथ उस पर रख दिया। श्वेता ने मिन्नतें की, “मुझे छोड़ दो, प्लीज़,” लेकिन रामू ने कहा, “अगर तू मेरी मुठ मार देगी, तो मैं तुझे छोड़ दूँगा।” श्वेता मजबूर थी। उसने इधर-उधर देखा और डरते-डरते लंड पकड़कर सहलाने लगी। रामू की तो जैसे लॉटरी लग गई। श्वेता का डर बढ़ता जा रहा था कि कहीं कोई आ न जाए। तभी रामू ने उसका ब्लाउज खोल दिया। श्वेता मना करती रही, लेकिन रामू ने कहा, “अगर तू कल दुकान पर मेरे साथ चुदाई करेगी, तो मैं आज तुझे छोड़ दूँगा।” श्वेता ने घबराहट में हाँ कह दी और वहाँ से भाग गई।
अगले दिन रामू दुकान पर आया। श्वेता अकेली थी। वो उसकी चुचियाँ दबाने लगा। श्वेता ने मना किया, लेकिन रामू ने धमकी दी, “अगर तूने मुझे चुसवाने नहीं दिया, तो मैं सबको बता दूँगा कि तू मेरे साथ चक्कर चला रही है।” श्वेता डर गई और चुप हो गई। रामू दुकान के अंदर आया और श्वेता का ब्लाउज खोल दिया। उसकी चुचियाँ ब्रा में इतनी बड़ी लग रही थीं कि रामू पागल हो गया। उसने ब्रा नीचे की और श्वेता की नंगी चुचियाँ देखकर उसका लंड और सख्त हो गया। उसने एक चुची को हाथ में लिया और पागलों की तरह चूसने लगा। श्वेता बाहर देख रही थी कि कहीं कोई आ न जाए। रामू ने निप्पल को दाँतों से काटा, तो श्वेता ने हल्की सी चीख मारी। रामू ने तुरंत उसके होंठों पर किस कर लिया। फिर उसने अपना 10 इंच लंबा और 4 इंच मोटा लंड निकाला और श्वेता के हाथ में दे दिया। श्वेता ने इतना बड़ा लंड पहली बार देखा था। वो डरते-डरते मुठ मारने लगी, और रामू उसकी चुचियाँ चूसता रहा। तभी सास का फोन आया कि वो आने वाली है। श्वेता ने रामू को जाने को कहा।
रामू ने कहा, “पहले मुठ मार दे, फिर जाऊँगा।” श्वेता ने तेज़ी से मुठ मारी, और जब रामू झड़ने वाला था, उसने श्वेता की चुचियों पर अपना माल छोड़ दिया। श्वेता ने जल्दी से ब्रा पहनी और रामू चला गया। अब ये रोज़ का खेल बन गया। श्वेता को भी अब मज़ा आने लगा था। वो रामू के लंड को सहलाने और उसकी चुचियाँ चुसवाने में खोने लगी थी। लेकिन रामू का मन अब और बढ़ गया। उसने सोच लिया कि वो श्वेता को चोदेगा।
एक रात श्वेता मार्केट से लौट रही थी। रामू ने उसे इशारा करके अपने ठेले पर बुलाया। श्वेता ने सोचा कि रोज़ की तरह मुठ मारकर चला जाएगा। लेकिन जैसे ही वो ठेले के पास गई, रामू ने उसे टेबल पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया। श्वेता ने कहा, “ये क्या कर रहे हो?” रामू ने हँसते हुए कहा, “मेरी जान, आज तेरी चूत के दर्शन करवा दे।” श्वेता घबरा गई और बोली, “मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूँ, ये नहीं करूँगी।” रामू ने जवाब दिया, “अगर प्यार करती होती, तो मेरी मुठ न मारती।” उसने श्वेता की साड़ी कमर तक उठा दी और उसकी गोरी जांघों को देखकर पागल हो गया। उसने श्वेता की पैंटी पर हाथ फेरना शुरू किया। श्वेता चिल्ला नहीं सकती थी, क्योंकि गली में कोई सुन लेता। रामू ने उसकी पैंटी उतार दी और पहली बार उसकी चूत देखी। उसने चूत को सूंघा, उसकी महक से वो और मदहोश हो गया। फिर उसने अपनी जीभ से चूत चाटना शुरू कर दिया। श्वेता को भी मज़ा आने लगा, लेकिन वो डर भी रही थी।
रामू ने श्वेता को पूरा नंगा कर दिया और उस पर टूट पड़ा। श्वेता ने कहा, “मुझे जाने दे, रात के 9 बज गए हैं।” रामू बोला, “ज़रूर, लेकिन चूत पेलने के बाद।” उसने श्वेता की टाँगें खोलीं और अपना 10 इंच का लंड उसकी चूत पर रखा। एक ज़ोरदार झटका मारा और लंड चूत के अंदर घुस गया। श्वेता की चीख निकल गई, लेकिन रामू ने उसके होंठों पर किस करके उसे चुप कर दिया। थोड़ी देर बाद जब श्वेता नॉर्मल हुई, रामू ने तेज़-तेज़ झटके मारने शुरू किए। श्वेता को अब मज़ा आने लगा था। उसकी चूत गीली हो चुकी थी, और हर झटके के साथ वो सिसकारियाँ ले रही थी। रामू ने 30 मिनट तक उसकी चूत मारी और आखिर में चूत के अंदर ही झड़ गया। इस बीच श्वेता तीन बार झड़ चुकी थी। उसे पहली बार इतना सुकून और मज़ा मिला था।
श्वेता ने कपड़े पहने और जाने लगी। रामू ने उसे पकड़ा और बोला, “जान, अभी तो तेरी गांड भी मारनी है।” श्वेता घबरा गई, लेकिन रामू का जोश देखकर चुप रही। अगले तीन साल तक रामू उसे रोज़ चोदता रहा। कभी दुकान के पीछे, कभी ठेले पर, कभी गली के कोने में। श्वेता ने कभी नहीं सोचा था कि एक बिहारी गोलगप्पे वाला उसकी चूत और गांड का ऐसा दीवाना बन जाएगा। लेकिन अब वो इस चुदाई के मज़े में डूब चुकी थी। हर रात वो रामू के लंड के लिए तरसती, और रामू उसे हर बार नई तरह से चोदता।