Big boobs bhabhi sex story: मेरा नाम सुदाम है, मैं वही हूं जो अपनी भाभी की सहेली सीमा के साथ कमरे में चुदाई के मजे ले रहा था, सीमा की चूत में मेरा काला मोटा लंड जोर-जोर से धक्के मार रहा था, तभी अचानक दरवाजा खुला और भाभी अंदर आ गईं,
कहानी का पिछला भाग: भाभी की सेक्सी सहेली से प्यार और चुदाई
सीमा ने झटके से कपड़े पहने और बाहर भाग गई, मैं वहीं नंगा खड़ा रह गया, दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, जैसे बाहर निकल आएगा, सोच रहा था आज सब खत्म हो जाएगा, लेकिन भाभी की नजर मेरे थरथराते लंड पर अटक गई—वो काला, नसों से भरा मोटा लंड जो अभी सीमा की चूत की गर्मी से चमक रहा था,
हवा में मेरे वीर्य की हल्की गंध फैल रही थी, और तभी अनकंट्रोल होकर जोरदार पिचकारी निकल पड़ी, सफेद गाढ़ी धारें फर्श पर गिरती हुईं, भाभी की सांसें जैसे रुक गईं, उनकी आंखें वासना से चमक उठीं, होंठ थोड़े खुले, मैं मन ही मन सोच रहा था—क्या भाभी गुस्सा होंगी या ये नजरें कुछ और कह रही हैं,
मुझे पहले से पता था कि भाभी लंड की प्यासी हैं, भैया उनकी जरूरत कभी पूरी नहीं कर पाते, मैं तो उनकी पैंटी-ब्रा चुराकर सूंघ-सूंघकर मुठ मारता था, लेकिन ये नहीं जानता था कि भाभी खुद मेरी ये हरकतें छुपकर देखती रही हैं, और रातों में उंगली करके अपनी आग बुझाती थीं,
मैंने जल्दी से अंडरवियर पहना और भाभी के पास गया, वे दरवाजे पर खड़ी थीं, मैं हाथ जोड़कर बोला, भाभी प्लीज किसी को मत बताना, आप जो कहेंगी वो करूंगा, भाभी चुप रहीं, लेकिन उनकी नजरें आग उगल रही थीं, अचानक उनका हाथ सीधा मेरे लंड पर चला गया, गर्म उंगलियां उसे सहलाने लगीं, मसलने लगीं, लंड फिर तनने लगा,
मैं समझ गया, आज रिश्तों की सारी दीवारें गिरने वाली हैं, मैंने हिम्मत जुटाई, धीरे से करीब आया, भाभी की सांसों की गर्माहट मेरे चेहरे पर लग रही थी, उनकी औरताना खुशबू—वो मादक मस्क—मुझे पागल बना रही थी, मैंने उनके गुलाबी होंठों को छुआ, पहले हल्के से, फिर दबाकर चूस लिया,
भाभी ने तुरंत जोर से मुझे चूसना शुरू कर दिया, आह्ह्ह… ऊउइ… उनके होंठ शहद जैसे मीठे और नरम थे, जीभें आपस में लड़ने लगीं, लार मिल रही थी, हम पागलों की तरह एक-दूसरे को खा रहे थे, भाभी मेरी पीठ सहला रही थीं, मैं उनके बदन को चूमते हुए नीचे सरक रहा था,
कमरे का दरवाजा बंद किया, भाभी को दीवार से चिपका लिया, पास के आईने में हमारी परछाईं दिख रही थी—भाभी के बूब्स दबते हुए, वो दृश्य और जोश बढ़ा रहा था, मैं फिर उनके होंठ चूसते हुए बड़े-बड़े बूब्स हाथों में ले दबाने लगा, पहले हल्के से सहलाया, फिर जोर से मसला,
भाभी ने आनंद से आंखें बंद कर लीं, आह्ह… ह्ह्ह… इह्ह… ऊईई… उनके निप्पल्स कड़े होकर ब्रा से बाहर झांक रहे थे, मैंने कमीज उतार दी, लाल ब्रा में बूब्स और सेक्सी लग रहे थे, ब्रा से निकले हिस्से को जीभ से चाटा, भाभी के बदन पर पसीने की चमक थी, मेरे बालों को कोमल हाथों से सहला रही थीं,
भाभी सिसकारी भरकर बोलीं, आह्ह… देवर जी, मैं आपसे कितना प्यार करती हूं, कितने दिनों से तुम्हारे लंड की कल्पना करती हूं, मैंने कहा, भाभी मैं भी आपको रोज सपने में चोदता हूं, फिर हाथ पीठ पर ले जाकर ब्रा खोल दी,
ब्रा गिरी तो गोरे-गोरे बड़े बूब्स लटकते हुए आजाद हो गए, निप्पल्स गुलाबी और सख्त, मैंने उन्हें हाथों में लिया, सहलाया, मरोड़ा, जोर से दबाया, भाभी की कमर ऐंठ गई, आह्ह्ह… ह्ह्ह्ह… देवर जी, चूसो इन्हें,
मैंने भाभी को बेड पर लिटाया, लेगिंग उतार दी, अब सिर्फ गीली पैंटी बाकी थी, मैंने पैंटी सूंघी—वो मादक गंध, जैसे बारिश की मिट्टी, लंड फिर खड़ा हो गया, भाभी मुस्कुराईं, अब असली चीज चखो, मैंने पैंटी फाड़कर उतार दी, चूत पूरी साफ, गोरी और गीली चमक रही थी,
बूब्स फिर मुंह में लिया, जोर से चूसा जैसे दूध पी रहा हूं, निप्पल काटा, भाभी बोलीं, ऊउइ… देवर जी, बस दूध ही चूसोगे या मेरी गीली बुर को भी चखोगे, जल्दी करो, तड़प रही हूं,
मैंने हाथ चूत पर ले गया, पहले बाहर से सहलाया, फांकों को चिढ़ाया, फिर उंगली अंदर, भाभी की आंखें बंद, आह्ह्ह… ओह्ह्ह… ऊउइ… रस टपकने लगा, भाभी कांपते स्वर में बोलीं, देवर जी, देखो मेरी बुर से रस बह रहा है, जीभ से निचोड़ो ना, चाटो जोर से,
मैं मुंह चूत पर ले गया, पहले बाहर से जीभ फेरी, क्लिट को टटोला, चूसा, गंध मादक थी, रस मीठा-नमकीन, भाभी की जांघें कांप रही थीं, कमर ऊपर उठा रही थीं, आह ह ह ह्हीईई… आअह्ह्ह्ह… देवर जी और जोर से चाटो, पूरा पी जाओ,
मैंने पूरा रस चूस लिया, फिर टांगें कंधों पर रखीं, लंड हाथ में लिया, चूत पर रगड़ा—ऊपर-नीचे, क्लिट से टकराता हुआ, भाभी और गीली हो गईं, मुंह से थूक लगाया, टिप अंदर दबाई, चूत की दीवारें कसकर लंड को पकड़ रही थीं, गर्माहट कमाल की,
फिर जोर का झटका, आधा लंड फाड़ता हुआ अंदर, भाभी चीखीं, आह्ह्ह… ईईईइ… देवर जी, दर्द हो रहा लेकिन मत रुको, एक पल भैया का ख्याल आया, लेकिन भाभी की वासना ने सब भुला दिया,
मैंने कहा, भाभी आपकी बुर सच में बहुत टाइट है, भाभी बोलीं, बोलो मत, पूरा ठोको, मैंने फिर धक्का मारा, पूरा लंड जड़ तक घुस गया, भाभी की चीख गूंजी, आह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह… बुर फाड़ दी तुमने,
फिर मैं धक्के मारने लगा, पहले धीरे, फिर तेज, पट-पट-पट की आवाजें, भाभी चीख रही थीं, आह इह्ह ओह्ह… ऊउइ ऊईईई… देवर जी और जोर से चोदो, फाड़ दो मेरी टाइट बुर को, भैया तो कभी ऐसा नहीं करते, मुझे अपना बना लो, पेलते रहो,
कमरा चीखों और पट-पट से भर गया, कुछ देर बाद मेरा रस निकला, मैंने पूरा माल भाभी की बुर में छोड़ दिया, भाभी भी झड़कर हांफने लगीं, फिर बोलीं, देवर जी, तुम्हारा लंड कितना मोटा है, मेरी बुर अब तुम्हारी ही है, रोज ऐसा करना,
इस तरह घर में ही मुझे चूत मिल गई, भाभी को घर में लंड, अब हर रात मम्मी-पापा के सोने के बाद मैं उनके कमरे में जाता हूं, एक-दो राउंड जरूर चुदाई करता हूं, उनकी बुर के मजे लेता हूं, वो मेरे लंड की प्यास बुझाती हैं.
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