मैं राजकुमार, अपनी माँ की चुदाई की कहानी का अगला हिस्सा लेकर हाज़िर हूँ।
कहानी का पिछला भाग: चलती ट्रेन में माँ की चुदाई कहानी
पिछले भाग में मैंने बताया था कि मेरी बहन पूजा, जो मेरी बीवी बनी, मेरे बच्चे की माँ बनने वाली थी। उसने मेरी वासना की आग बुझाने के लिए माँ की चूत का जुगाड़ कर दिया। मैंने ट्रेन में माँ को चोदा, उनकी गांड मारी, और फिर हम गोवा घूमने निकल गए। अब ये कहानी उसी गोवा की है, जहाँ माँ ने मेरे लंड से लेकर वेटर और विदेशी तक, सबका मज़ा लिया।
गोवा के मॉल में मैंने माँ के लिए बीच की शॉपिंग करवाई। हमने एक काली बिकनी खरीदी, जो इतनी टाइट थी कि माँ की चूचियाँ और चूत का उभार साफ दिख रहा था। दूसरी थी नेट की स्लीवलेस मिडी, जो नाइट ड्रेस की तरह थी, मगर इतनी पारदर्शी कि सब कुछ नंगा दिखे। माँ ने बिकनी पहनी, तो मॉल में सबकी आँखें उन पर टिक गई। बिकनी बस उनके निप्पलों और चूत के छेद को ढक रही थी, उनकी गोरी गांड पूरी नंगी चमक रही थी। “माँ, तू तो रंडी लग रही है,” मैंने हँसकर कहा। माँ शरमाई, मगर उनकी आँखों में शरारत थी।
मैंने कहा, “चलो बीच पर!” हम बागा बीच पहुँचे। लहरों की आवाज और नमकीन हवा माहौल को गर्म कर रही थी। पानी में घुसते ही मैंने माँ को पीछे से पकड़ा। उनकी बिकनी की स्ट्रिंग खींची, उनकी चूचियाँ आज़ाद हो गई। “बेटा… कोई देख लेगा,” माँ फुसफुसाई। मैंने उनकी चूचियाँ मसली, निप्पल चूसे। उनकी सिसकारियाँ लहरों की आवाज में मिल रही थी। मैंने उनकी बिकनी की पैंटी साइड की, उनकी चूत गीली थी। “माँ, तेरी चूत कितनी प्यासी है,” मैंने कहा। मैंने लंड उनकी चूत पर रगड़ा, धीरे-धीरे अंदर डाला। पानी में खड़े-खड़े मैंने माँ को चोदा। हर धक्के के साथ उनकी चूचियाँ उछल रही थी। “आह्ह… बेटा… और गहरा…,” माँ सिसकारी। मैंने उनकी कमर पकड़ी, दस मिनट तक चोदा। उनकी चूत ने मेरे लंड को जकड़ लिया। माँ का पानी निकला, मेरे लंड का माल भी उनकी चूत में गिरा। हम पानी से बाहर आए, हाँफते हुए रेत पर लेट गए।
माँ ने अपनी चूत पर उड़ती चिड़िया का टैटू और गांड के ऊपर गांड मारता हुआ आदमी का टैटू बनवाया। टैटू आर्टिस्ट की आँखें माँ की नंगी गांड पर टिकी थी। हम होटल लौटे, थोड़ा आराम किया। शाम को फिर बीच गए। मैंने होटल मैनेजर को बोला, “रूम को अच्छे से सजा देना, आज खास रात है।” मैंने माँ से पूछा, “आज क्या पहनोगी?” वो बोली, “शादी का जोड़ा।” मैंने कहा, “ठीक है।”
हमने एक सेक्सी लाल ब्रा और पैंटी खरीदी। पार्लर से शादी का जोड़ा किराए पर लिया—लाल लहंगा, चोली, और दुपट्टा। माँ तैयार हुई, तो दुल्हन सी लग रही थी। मैंने भी मसाज ली, शेरवानी पहनी। होटल लौटे। कमरा गुलाब की पंखुड़ियों और मोमबत्तियों से सजा था। मैंने माँ को बेड पर बिठाया। “कैसा लगा रूम?” मैंने पूछा। माँ बोली, “बहुत अच्छा है। तुम्हारी और पूजा की सुहागरात देखकर मेरा भी मन किया वो सब करने का।” मैं बोला, “जो करना है, तीन दिन कर ले।” माँ बोली, “एक काम कर। मेरी माँग में सिंदूर भर दे।”
मैं चौंका। “पागल हो गई है? मैं पूजा के सिवा किसी को बीवी नहीं बना सकता।” माँ बोली, “बस आज रात की बात है। मैं एक रात के लिए फील करना चाहती हूँ कि मैं अपने पति के साथ सुहागरात मना रही हूँ, बेटे के साथ नहीं।” मैंने कहा, “ठीक है, सिर्फ आज। इसके बाद ऐसी बात मत करना।” मैंने उनकी माँग में सिंदूर भरा। माँ की आँखें चमक उठी। वो बोली, “जान, रिकॉर्ड भी करना है।” मैंने कहा, “साली, क्या चल रहा है तेरे दिमाग में? रिकॉर्ड नहीं होगा। तेरी ये ख्वाहिश कल पूरी होगी।” माँ बोली, “ठीक है।”
मैंने माँ का दुपट्टा सरकाया। उनकी चोली के हुक खोले, लहंगा खींचकर उतारा। लाल ब्रा में उनकी चूचियाँ उभर रही थी। मैंने ब्रा फाड़ दी, उनकी चूचियाँ मेरे सामने उछली। मैंने उनकी पैंटी उतारी, उनकी चूत गीली चमक रही थी। “माँ, तू आज दुल्हन से ज़्यादा रंडी लग रही है,” मैंने कहा। मैंने अपने कपड़े उतारे, मेरा लंड तन गया। मैंने माँ के लिपस्टिक लगे होंठ चूसे, उनकी जीभ मेरी जीभ से लिपट गई। “बेटा… और चूस…,” माँ सिसकारी। मैंने उनकी चूचियाँ मसली, निप्पल काटे। उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थी। मैंने माँ को बेड पर लिटाया, उनकी चूत चाटी। उनकी क्लिट को जीभ से छेड़ा, उनका पानी मेरे मुँह में टपक रहा था। “आह्ह… जान… चोद दे…,” माँ चीखी। हम 69 में आए। माँ ने मेरा लंड चूसा, जैसे कोई भूखी रंडी। मैंने उनकी चूत को जीभ से चोदा। माँ गर्म हो गई। मैंने पोज़िशन बदली, उनकी टाँगें फैलाईं। लंड उनकी चूत पर रगड़ा। “डाल दे… मेरी चूत जल रही है,” माँ बोली। मैंने धीरे-धीरे लंड डाला, उनकी चूत ने मेरे लंड को चूस लिया। “आह्ह… बेटा… और गहरा…,” माँ सिसकारी। मैंने उनकी चूचियाँ दबाई, धीमे धक्के मारे। उनकी चूत की फच-फच की आवाज गूंज रही थी। मैंने माँ को घोड़ी बनाया, उनकी गांड थपथपाई, चूत में लंड पेला। “चोद… मेरी चूत फाड़…,” माँ चीखी। बीस मिनट तक चोदा, माँ दो बार झड़ी। मैं उनकी चूत में झड़ा। हम नंगे सो गए।
सुबह उठे, फ्रेश हुए। मैंने माँ से कहा, “तैयार हो जा। बीच पर जाना है। दूसरी पैंटी पहन ले।” माँ ने नीली ब्रा-पैंटी पहनी। हम बीच गए, जहाँ विदेशी भरे थे। पानी में घुसे। मैंने माँ की पैंटी साइड की, उनकी चूत पर लंड रगड़ा। “बेटा… यहाँ… कोई देख लेगा,” माँ फुसफुसाई। मैंने लंड उनकी चूत में डाला। लहरों के हिलोरे के साथ चुदाई चल रही थी। “आह्ह… राज… और जोर से…,” माँ सिसकारी। मैंने उनकी चूचियाँ मसली, दस मिनट चोदा। माँ का पानी निकला, मेरा माल भी उनकी चूत में गिरा। बाहर आए। मैंने पूछा, “कैसा लगा मेरा लंड यहाँ लेना?” माँ बोली, “बहुत मज़ा आया। ये जगह गज़ब है। तू यहीं जॉब कर ले।” मैं बोला, “मैं क्या जॉब करूँगा? तू चाहे तो कर सकती है। तेरी मार्केट वैल्यू लाखों में है।” माँ बोली, “कैसे?” मैंने कहा, “शाम को बताऊँगा।”
हम होटल लौटे, आराम किया। शाम को मैं माँ को पार्लर ले गया। वहाँ रंडियों वाला मेकअप करवाया—लाल लिपस्टिक, भारी काजल, चमकीली नेलपॉलिश। माँ बाहर आई, तो हाई-प्रोफाइल रंडी लग रही थी। हम रेस्तरां गए, खाना ऑर्डर किया। मैं टॉयलेट गया। लौटा, तो माँ बोली, “कहाँ गया था? यहाँ सब मुझे रंडी समझ रहे हैं।” मैंने पूछा, “क्या हुआ?” माँ बोली, “दो लड़के आए, मेरा रेट पूछने लगे।” मैंने कहा, “जैसी दिखेगी, वैसा समझेंगे। देखी अपनी मार्केट वैल्यू! यहाँ तू लाखों कमा सकती है।” माँ बोली, “मुझे नहीं कमाना। जल्दी चल। ये सब सुनकर मेरी चूत में आग लगी है। मुझे तेरा लंड चाहिए।” मैं बोला, “खाना खा, फिर चलते हैं। होटल जाएँ या पब?” माँ बोली, “मुझे बस लंड चाहिए। फिर जहाँ चाहे ले चल।” मैंने कहा, “थोड़ा तड़प ले। आज पब चलते हैं।” माँ बोली, “जैसी तेरी मर्ज़ी।”
मैंने एक ऐसा पब चुना, जहाँ पार्टनर के साथ कुछ भी कर सकते थे। चुदाई भी खुलेआम हो रही थी। अंदर लड़कियाँ छोटे कपड़ों में थी, कोई गांड दबा रहा था, कोई चूचियाँ मसल रहा था। मैंने गार्ड से पूछा, “अंदर कैसे जाएँ?” वो बोला, “500 रुपये में पार्टनर के साथ केबिन मिलेगा।” मैंने माँ को बुलाया। हम केबिन में गए। वहाँ चुदाई की कामुक आवाज़ें गूंज रही थी। मैंने माँ की स्कर्ट खींची, पैंटी फाड़ दी। उनकी चूचियाँ मसली, होंठ चूसे। “बेटा… चोद दे… मेरी चूत जल रही है,” माँ सिसकारी। मैंने माँ को घोड़ी बनाया, उनकी चूचियाँ पकड़ी, चूत में लंड डाला। उनकी फच-फच की आवाज पब की चीखों में मिल गई। “आह्ह… राज… और जोर से…,” माँ चीखी। मैंने उनकी गांड थपथपाई, तेज धक्के मारे। बाहर की चुदाई की आवाज़ों ने मेरा जोश दोगुना कर दिया। दस मिनट में माँ झड़ी, मेरा माल भी निकल गया। हम बाहर आए, पब से निकले।
होटल लौटे। मैंने माँ से कहा, “आज सेक्स वीडियो बनाना है?” माँ बोली, “हाँ, बनाना है।” मैंने कहा, “कैमरा रखकर सही नहीं होगा। कोई शूट करे, तो मज़ा आएगा।” माँ बोली, “इतनी रात को कौन मिलेगा?” मैंने कहा, “कोई दिक्कत नहीं, तो मैं बात करता हूँ।” माँ बोली, “ठीक है, कर।” मैंने वेटर को बुलाया। “आधे घंटे फ्री हो?” मैंने पूछा। वो बोला, “हाँ, सर। क्या करना है?” मैंने कहा, “हमारा वीडियो शूट करना है।” वो मान गया। मैंने उसे कैमरा दिया।
मैं बेड पर माँ के पास गया। उनकी ड्रेस फाड़ी, उन्हें नंगी किया। उनकी चूचियाँ मसली, होंठ चूसे। “बेटा… और चूस…,” माँ सिसकारी। मैंने उनकी चूत चाटी, उनकी क्लिट को जीभ से छेड़ा। वेटर सब रिकॉर्ड कर रहा था। माँ की सिसकारियाँ तेज हो गई। “आह्ह… राज… चोद दे…,” माँ चीखी। मैंने उनकी टाँगें चौड़ी की, लंड उनकी चूत में डाला। उनकी चूत गर्म थी, जैसे भट्टी। “आह्ह… बेटा… और गहरा…,” माँ सिसकारी। मैंने धीमे धक्के मारे, उनकी चूचियाँ उछल रही थी। वेटर के सामने चुदने से माँ और गर्म हो रही थी। मैंने पोज़िशन बदली, माँ को मेरे ऊपर बिठाया। वो मेरे लंड पर उछलने लगी, उनकी चूचियाँ मेरे मुँह के सामने थी। पंद्रह मिनट तक चोदा, माँ झड़ी, मैं उनकी चूत में झड़ा।
मैंने माँ से कहा, “वेटर का लंड चूस ले, नहीं तो वो बाहर बोलेगा।” माँ ने वेटर का लंड मुँह में लिया, जैसे कोई रसीला फल चूस रही हो। मैंने उनका वीडियो बनाया। वेटर बोला, “सर, रशियन के साथ अदला-बदली करेंगे?” मैंने कहा, “हो सकता है?” वो बोला, “हाँ, कल कर दूँगा।” मैंने कहा, “ठीक है।” वेटर चला गया। हमने वीडियो देखा, फिर मैंने माँ को दोबारा चोदा। उनकी चूचियाँ मसली, चूत में लंड पेला। “आह्ह… बेटा… और जोर से…,” माँ चीखी। दस मिनट में हम झड़ गए, सो गए।
सुबह माँ से कहा, “आज ब्रा-पैंटी में चलेगी। सिर पर स्कार्फ बाँध ले।” माँ बोली, “तू कहे, तो बिना ब्रा-पैंटी चल दूँ।” मैंने हँसकर कहा, “क्या बात है! रशियन का लंड लेने को मचल रही है।” माँ बोली, “नहीं, मेरे राजा, ये सब तेरे लिए है।” मैं बोला, “चल साली, बन मत। तू अब इतनी चुदासी हो गई है कि यहीं रहना चाहेगी।” हम बीच गए। मैंने माँ के न्यूड फोटो लिए। पानी में मस्ती की, फिर रूम लौटे। वेटर ने बताया, “रात 10 बजे अपनी वाइफ भेज देना। रशियन अपनी वाइफ भेजेगा।”
शाम को फिर बीच गए। आठ बजे लौटे। माँ ने काली ब्रा-पैंटी और हाई हील्स पहनी। मैंने कहा, “सुबह की फ्लाइट है। पैकिंग कर ले।” पैकिंग में दस बज गए। तभी बेल बजी। एक रशियन औरत बाहर थी। मैंने उसे वेलकम किया। माँ को इशारा किया, वो रशियन के रूम चली गई।
मैंने रशियन को किस किया। उसकी गोरी चूचियाँ दबाई। “आह… डार्लिंग…,” वो सिसकारी। मैंने उसका टॉप फाड़ा, ब्रा उतारी। उसकी गुलाबी चूचियाँ मेरे सामने थी। मैंने निप्पल चूसे, उसकी पैंटी उतारी। उसकी गोरी चूत चमक रही थी। “सक माय कॉक,” मैंने कहा। वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। हम 69 में आए। मैंने उसकी चूत चाटी, उसका पानी मेरे मुँह में बहा। मेरा लंड फटने को था। मैंने उसकी चूत पर लंड रगड़ा, धीरे-धीरे डाला। “आह… फक मी…,” वो चीखी। मैंने पंद्रह मिनट चोदा, उसकी चूत में माल गिराया। कॉन्डम नहीं पहना, क्योंकि उसने मना किया।
आधे घंटे बाद दूसरा राउंड शुरू हुआ। उसने मेरा लंड चूसकर खड़ा किया। मैंने उसे घोड़ी बनाया, उसकी गोरी गांड थपथपाई, चूत में लंड पेला। “आह… हार्डर…,” वो चीखी। पच्चीस मिनट चोदा, वो दो बार झड़ी। हम लेट गए। उसने बताया कि वो बच्चा चाहती है, मगर उसका पति उसे प्रेग्नेंट नहीं कर पा रहा। मैंने कहा, “मैं अपनी बीवी से बात करूँगा।” मैंने झूठ बोला कि माँ मेरी रखैल है, पूजा मेरी बीवी। मैं नहीं चाहता था कि कोई हमारी माँ-बेटा चुदाई का सच जाने। वो बोली, “ठीक है, बात करके बता देना।” हम सो गए। सुबह पाँच बजे मैंने उसकी चूत फिर चोदी। सात बजे उसे उसके रूम भेजा।
माँ लौटी। उनकी गांड लाल थी, चूचियों और मुँह पर वीर्य के निशान थे। मैंने पूछा, “कितनी बार चुदी?” माँ बोली, “तीन बार।” मैंने कहा, “रशियन के रस में नहाकर आई है?” माँ बोली, “हाँ, उसने तीनों बार मेरी बॉडी पर माल गिराया।” मैंने पूछा, “चूतड़ लाल क्यों?” माँ बोली, “उसने खूब चपत लगाई।” मैं बोला, “अब तू पूरी रंडी बन गई।” माँ बोली, “हाँ, मैंने 18 साल की प्यास बुझाई।” मैंने कहा, “चल, तैयार हो। घर जाना है।”
माँ शावर लेकर ब्रा-पैंटी में तैयार हुई। मैंने हँसकर कहा, “रंडी, अब चुदने नहीं, घर जाना है।” माँ बोली, “मैं ऐसे ही जाना चाहती हूँ।” वेटर को सामान गाड़ी में रखने को कहा। वेटर बोला, “सर, मेरा रात का इनाम?” माँ ने अपनी रात वाली ब्रा-पैंटी उसे दे दी। मैंने कहा, “इसे पैसे चाहिए, तेरी चूत की सुगंध नहीं।” मैंने उसे 1000 रुपये दिए। हम एयरपोर्ट गए, पुणे लौटे।
घर पहुँचे। पूजा ने गेट खोला। माँ को ब्रा-पैंटी में देखकर बोली, “इसे तो पूरी रंडी बना दिया!” मैं बोला, “हाँ, जानेमन।” माँ बोली, “मैं तेरे लिए रंडी बनी। अंदर आने देगी?” पूजा बोली, “इसे भी उतारकर आ।” माँ ने एक झटके में ब्रा-पैंटी उतारी, नंगी अंदर गई। पूजा बोली, “हाँ, ये मस्त है। अब मेरा बच्चा होने तक ऐसे ही रहना।”
अंदर मैंने पूजा को गोवा की ट्रिप बताई। वेटर का वीडियो दिखाया, जिसमें माँ उसका लंड चूस रही थी। मैंने पूछा, “नाराज़ तो नहीं?” पूजा बोली, “नहीं, मैं खुश हूँ कि तूने इसे रंडी बना दिया।” मैंने बताया कि एक रशियन औरत मुझसे बच्चा चाहती है। पूजा बोली, “बात कर ले।” फिर बोली, “रुक, माँ को लाती हूँ।” माँ आई। पूजा बोली, “इनका लंड चूसकर खड़ा कर।” माँ बोली, “तेरे सामने नहीं कर पाऊँगी।” पूजा बोली, “वेटर के सामने चूत मरवा सकती है, रशियन का लंड ले सकती है, मेरे सामने नहीं? नाटक मत कर, लंड चूस।” माँ ने मेरा लंड चूसा। पूजा मेरे लंड पर बैठ गई, उछलने लगी। मैंने उसकी गांड पकड़ी, नीचे से धक्के मारे। पूजा झड़ गई। मेरा लंड खड़ा था। पूजा ने माँ से चूसने को कहा। माँ बोली, “पॉटी का है।” मैं बोला, “नाटक मत कर, साली।” माँ ने लंड चूसा। फिर बोली, “मेरी चूत में डाल दे।” मैंने पूजा के सामने माँ को चोदा। उनकी चूचियाँ मसली, चूत में लंड पेला। “आह्ह… बेटा… और जोर से…,” माँ चीखी। माँ झड़ी, मैं उनके मुँह पर झड़ा। माँ अपने रूम चली गई। हम सो गए।
अगले दिन मैंने घर तलाशा। आउटर में तीन रूम का री-सेल बंगला मिला। लोन लेकर शिफ्ट हो गए। रशियन का कॉल आया। मैंने उसे दस दिन बाद पुणे आने को कहा। वो आई। माँ रशियन मर्द के साथ सोती थी, मैं उसकी वाइफ के साथ। मैं उसे रोज़ 2-3 बार चोदता। उनकी गोरी चूत चाटता, चूचियाँ मसलता। “आह… फक मी…,” वो चीखती। एक महीने में उसके पीरियड रुके। चेकअप में दो महीने की प्रेग्नेंसी थी। मैंने उन्हें जाने को कहा, मगर वो रुके।
पूरा को छह महीने हो चुके थे। वो और रशियन पति साथ सोने लगे। माँ मेरे साथ सोती। मैं माँ को पूजा के सामने चोदता। “आह्ह… बेटा… मेरी चूत फाड़…,” माँ चीखती। तीन महीने बाद पूजा को बेटा हुआ। माँ भी प्रेग्नेंट हो गई। वो बच्चा रखने की ज़िद करने लगी। पूजा ने देखभाल की ज़िम्मेदारी ली। रशियन जोड़े को बच्चा हुआ, वो थैंक्स बोलकर चले गए।
कुछ दिन बाद माँ को बेटी हुई। हमारी फैमिली पूरी हो गई। अब पूजा और माँ मेरे साथ सोती हैं। मैं उन्हें रोज़ चोदता हूँ। माँ की चूत चाटता, पूजा की गांड मारता। “आह्ह… राज… और जोर से…,” दोनों चीखती। हम खुश हैं।
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