मेरा नाम तनिष्क है और मेरी उम्र 21 साल है। दोस्तों, मैं आज आपके सामने एक ऐसी सच्ची कहानी लेकर आया हूँ, जो मेरे और मेरी माँ की दोस्त माध्वी आंटी के बीच की है। इस कहानी में मैंने माध्वी आंटी के साथ चुदाई की और हम दोनों ने अपने जिस्म की आग को ठंडा किया। माध्वी आंटी की उम्र 40 साल से ज्यादा होगी, लेकिन उनका चेहरा और जिस्म बिल्कुल किसी 25 साल की कुंवारी लड़की जैसा था। उनके गोरे चेहरे, भरे हुए बूब्स, और भारी-भरकम गांड को देखकर कोई भी मर्द पागल हो जाए। उनकी नशीली आँखें और कातिलाना अदा किसी का भी लंड तनवा दे। उनके पति ज्यादातर ऑफिस के काम से बाहर रहते थे। उनके दो बच्चे थे—एक लड़का, जो होस्टल में रहकर पढ़ता था, और एक लड़की, जिसकी हाल ही में शादी हो चुकी थी।
माध्वी आंटी मेरी मम्मी की नई-नई दोस्त बनी थी। वो अक्सर हमारे घर आया-जाया करती थी। वो हमेशा साड़ी पहनती थी, और उनकी साड़ी में उनका जिस्म ऐसा लगता था जैसे कोई अप्सरा धरती पर उतर आई हो। मैं उनके बारे में कभी गलत नहीं सोचता था, क्योंकि वो मेरी माँ की दोस्त थी और मैं उनकी इज्जत करता था। लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरी जिंदगी बदल गई।
एक दोपहर आंटी हमारे घर आई। उन्होंने मम्मी से कहा, “भाभी, मेरे घर पर कोई नहीं रहता। अकेलेपन में बोरियत हो जाती है। क्या मैं तनिष्क से कभी-कभी अपने छोटे-मोटे काम करा लिया करूँ?” मम्मी ने तुरंत हँसते हुए कहा, “अरे, बिल्कुल! तनिष्क को बोल देना, ये सब काम कर देगा।” मैंने भी हामी भर दी, क्योंकि मुझे कोई दिक्कत नहीं थी।
बस फिर क्या था, आंटी हर दो-तीन दिन में मुझसे कुछ न कुछ सामान मंगवाने लगी। कभी दूध, कभी सब्जी, तो कभी कोई और छोटा-मोटा सामान। मैं उनके घर जाता, सामान बाहर से देता, और चला आता। मैं कभी उनके घर के अंदर नहीं गया, क्योंकि मुझे लगा कि ये ठीक नहीं होगा। लेकिन एक दिन आंटी ने मुझे कॉल किया, “तनिष्क, आज मेरे साथ मार्केट चलना। मुझे कुछ जरूरी सामान लेना है।” उन दिनों बारिश का मौसम था, और आसमान में काले बादल छाए रहते थे। मैंने कहा, “ठीक है, आंटी। मैं आता हूँ।”
मैं उनके घर के बाहर पहुंचा और कॉल किया, “आंटी, मैं आ गया हूँ।” आंटी बाहर आई, और क्या मस्त लग रही थी! उन्होंने लाल रंग की सिल्क की साड़ी पहनी थी, जो उनके जिस्म से चिपकी हुई थी। उनकी कमर और बूब्स साड़ी में और भी उभर रहे थे। मैंने एक पल को उनकी तरफ देखा, लेकिन फिर नजरें हटा ली, क्योंकि मैं उनके बारे में गलत नहीं सोचता था। मैंने बाइक स्टार्ट की, और आंटी पीछे बैठ गई। उनकी साड़ी का पल्लू हल्का सा लहरा रहा था, और बारिश की बूंदें हल्की-हल्की गिर रही थी।
मार्केट पहुंचकर आंटी ने कुछ घर का सामान लिया—सब्जी, आटा, और कुछ मसाले। फिर वो एक दुकान की तरफ बढ़ी, जहाँ औरतों के अंडरगारमेंट्स बिकते थे। मैं बाहर ही रुक गया। आंटी ने पलटकर कहा, “तनिष्क, बाहर क्यों रुके? अंदर आओ।” मैं थोड़ा हिचकिचाया और बोला, “नहीं आंटी, आप ही जाइए।” लेकिन वो जिद करने लगी, “अरे, चल ना! मुझे कोई दिक्कत नहीं।” उनकी जिद के आगे मैं हार गया और दुकान में चला गया। आंटी ने दुकानदार से कुछ पेंटी और ब्रा मांगी। उन्होंने बताया कि उनका साइज 42 है। मैं थोड़ा शरमा रहा था, लेकिन आंटी बिल्कुल बिंदास थी। उन्होंने तीन पेंटी और तीन ब्रा खरीदी—एक काली, एक लाल, और एक गुलाबी। मैं चुपचाप उनकी बाइक पर बैठाकर घर की ओर चल पड़ा।
रास्ते में अचानक तेज बारिश शुरू हो गई। आंटी ने अपनी बाहें मेरी कमर के चारों तरफ लपेट ली, और उनके बूब्स मेरी पीठ से चिपक गए। उनके जिस्म की गर्मी मुझे साफ महसूस हो रही थी। बारिश का ठंडा पानी और उनके बूब्स की गर्मी—ये दोनों मिलकर मेरे अंदर एक अजीब सी उत्तेजना जगा रहे थे। मैंने सोचा, “ये क्या हो रहा है? मैं आंटी के बारे में ऐसा क्यों सोच रहा हूँ?” लेकिन उनके बूब्स मेरी पीठ से बार-बार दब रहे थे, और मेरा लंड धीरे-धीरे तनने लगा।
हम आंटी के घर पहुंचे। बारिश अब और तेज हो गई थी। आंटी बोली, “तनिष्क, जल्दी अंदर चलो, नहीं तो पूरी तरह भीग जाओगे।” मैंने बाइक साइड में लगाई और उनके साथ अंदर चला गया। ये पहली बार था जब मैं उनके घर के अंदर गया। उनका घर बहुत सजा हुआ था—साफ-सुथरा, दीवारों पर खूबसूरत पेंटिंग्स, और सोफे पर रंग-बिरंगे कुशन। आंटी ने मुझे टॉवल थमाया और बोली, “ये लो, जल्दी अपनी ड्रेस उतारो, नहीं तो ठंड लग जाएगी।” मैंने कहा, “आंटी, कोई बात नहीं। बारिश कम होते ही मैं घर चला जाऊंगा।” लेकिन वो जिद करने लगी, “नहीं, तुम्हारी ड्रेस पूरी तरह भीग गई है। बीमार हो जाओगे। जाओ, कपड़े बदल लो।”
उनकी जिद के आगे मैंने हार मान ली। मैंने अपनी शर्ट और जींस उतारी और टॉवल लपेट लिया। मैं सिर्फ अंडरवियर और टॉवल में था। आंटी बोली, “तू यहाँ बैठ, मैं अपनी ड्रेस चेंज करके आती हूँ।” वो अपने रूम में चली गई। जब वो वापस आई, तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गई। उन्होंने गुलाबी रंग की टाइट नाइटी पहनी थी, जो उनके जिस्म से चिपकी हुई थी। उनकी नाइटी इतनी पतली थी कि उनके बूब्स का आकार साफ दिख रहा था, और उनके निप्पल्स हल्के-हल्के उभर रहे थे। वो मेरे सामने सोफे पर बैठ गई। मैं चुपके-चुपके उनके बूब्स को देख रहा था, जो नाइटी से आधे बाहर झांक रहे थे। मेरा लंड अब धीरे-धीरे और सख्त होने लगा।
आंटी बोली, “तनिष्क, मैं चाय बनाकर लाती हूँ।” वो चाय बनाने किचन में गई। जब वो चाय लेकर आई और टेबल पर रखने के लिए झुकी, तो उनकी नाइटी का गला थोड़ा नीचे खिसक गया। उनके बूब्स का क्लीवेज साफ दिखा। मैं पागल सा हो गया। मेरे दिमाग में बस उनके बूब्स और गांड घूम रहे थे। हम चाय पीते हुए बातें करने लगे। आंटी ने पूछा, “तनिष्क, तू करता क्या है? और क्या करना चाहता है?” मैंने बताया कि मैं कॉलेज में पढ़ता हूँ और आगे जॉब करना चाहता हूँ।
फिर अचानक आंटी बोली, “तनिष्क, मैं वो ब्रा और पेंटी पहनकर देख लेती हूँ कि साइज ठीक है या नहीं। अगर साइज सही नहीं हुआ, तो तू दुकान पर जाकर बदलवा लाना।” वो अपने रूम में चली गई। थोड़ी देर बाद उन्होंने आवाज लगाई, “तनिष्क, जरा अंदर आना।” मैं टॉवल में ही उनके रूम में गया। अंदर का नजारा देखकर मेरी साँसें रुक गई। आंटी सिर्फ काली पेंटी और ब्रा में थी, और शीशे के सामने खड़ी होकर ब्रा का हुक लगाने की कोशिश कर रही थी। मैं दरवाजे पर ही रुक गया। आंटी बोली, “अरे, अंदर आ जाओ। डर क्यों रहा है?” मैं हिम्मत करके अंदर गया।
आंटी ने कहा, “तनिष्क, जरा इस ब्रा का हुक लगा दो। मुझसे नहीं लग रहा।” मैं हड़बड़ा गया और बोला, “क्या, मैं?” वो हँसते हुए बोली, “हाँ, तू। इसमें क्या शरमाना?” मैंने कांपते हाथों से उनकी ब्रा का हुक लगाना शुरू किया। शीशे में उनके मोटे-मोटे बूब्स साफ दिख रहे थे। मेरे हाथ कांप रहे थे, और मेरा लंड टॉवल में तनकर सलामी देने लगा। आंटी ने शायद ये देख लिया, लेकिन कुछ बोली नहीं।
हुक लगाते वक्त आंटी ने पूछा, “तनिष्क, तेरी कोई गर्लफ्रेंड है?” मैं चुप रहा। वो फिर बोली, “बता ना, मैं किसी को नहीं बताऊँगी।” मैंने कहा, “आंटी, सचमुच मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।” वो बोली, “क्यों, झूठ बोल रहा है?” मैंने कहा, “नहीं, सचमुच। मुझे अब तक कोई मिली ही नहीं।” वो हँसते हुए बोली, “कैसी लड़की चाहिए तुझे?” मैंने शरमाते हुए कहा, “जो मुझे प्यार करे।” वो बोली, “हाँ, ये बात ठीक है।” मैंने ब्रा का हुक लगा दिया। आंटी मेरे सामने सीधी खड़ी हो गई। उनके 42 साइज के बूब्स ब्रा में कसकर भरे हुए थे, और मेरा लंड अब पूरी तरह तन गया था। टॉवल में साफ दिख रहा था। आंटी की नजर मेरे लंड पर पड़ी, और वो हल्का सा मुस्कुराई।
आंटी बोली, “तनिष्क, जरा वो लाल वाली ब्रा लाना।” मैं दूसरी ब्रा लेने गया। जब लौटा, तो आंटी ने अपनी काली ब्रा उतार दी थी और सिर्फ काली पेंटी में थी। उनके गोरे बूब्स नंगे मेरे सामने थे, और उनके गुलाबी निप्पल्स सख्त होकर उभर रहे थे। मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था। आंटी बोली, “क्या हुआ, तनिष्क? कभी किसी औरत को ऐसे नहीं देखा?” मैंने हकलाते हुए कहा, “नहीं, आंटी।” वो मेरे लंड की तरफ देखकर जोर से हँसी और बोली, “ये क्या है? तेरा लंड तो तन गया!” मैं शरम से लाल हो गया और बोला, “आंटी, कुछ नहीं।”
वो मेरे पास आई, मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से छूने लगी और बोली, “ये तो पूरा जोश में है।” उनकी बातें सुनकर मैं पागल सा हो गया। आंटी ने मेरा टॉवल खींच दिया। मैं सिर्फ अंडरवियर में था। वो बोली, “पहले इसको शांत करती हूँ।” उन्होंने मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से सहलाना शुरू किया। मैंने कंट्रोल खो दिया और आंटी को बाहों में भर लिया। मैं उनके होंठों को चूमने लगा। आंटी ने कहा, “तनिष्क, बहुत टाइम से तेरे अंकल ने मुझे प्यार नहीं किया। मैं प्यासी हूँ। इसलिए मैंने ये सब किया। अगर मैं तुझसे पहले कहती, तो तू मुझसे बात भी नहीं करता।” मैंने कहा, “आंटी, ऐसी कोई बात नहीं। मैं आपको आज से बहुत प्यार करूँगा। आपकी हर इच्छा पूरी करूँगा।”
आंटी मुझे जोर-जोर से किस करने लगी। मैंने उन्हें अपनी गोद में उठाया और बेड पर लिटा दिया। उनकी काली पेंटी अभी भी उनके जिस्म पर थी। मैंने पेंटी के ऊपर से उनकी चूत को मसलना शुरू किया। वो सिसकियाँ लेने लगी, “आह्ह्ह… तनिष्क… उह्ह्ह…” मैंने उनके बूब्स को नाइटी के ऊपर से दबाया, फिर नाइटी ऊपर उठाकर उनके गोरे-गोरे बूब्स को चूसने लगा। उनके निप्पल्स सख्त हो गए थे। मैं एक बूब्स को चूस रहा था, और दूसरे को जोर-जोर से दबा रहा था। आंटी की सिसकियाँ तेज हो गई, “आह्ह्ह… हाँ… और जोर से… उह्ह्ह…”
मैंने उनकी पेंटी उतारी। उनकी चूत बिल्कुल साफ और गीली थी। आंटी बोली, “मैंने आज ही अपनी चूत के बाल साफ किए, क्योंकि मुझे पता था आज तुझसे ये सब होगा।” मैंने हँसते हुए कहा, “क्या बात है, साली! तू तो पूरी तैयार थी!” वो हँसी और मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से सहलाने लगी। मैंने उनका अंडरवियर उतारा और उनका 7 इंच का लंड बाहर निकाला। मैं उनके बूब्स चूसते हुए उनकी नाभि को चूमने लगा। मैंने उनकी चूत को उंगलियों से सहलाया, और वो जोर-जोर से सिसकने लगी, “आह्ह्ह… तनिष्क… अब और मत तड़पाओ… उह्ह्ह…”
आंटी बोली, “तनिष्क, प्लीज… अब अपना लंड मेरी चूत में डाल दे… मैं और नहीं सह सकती… आह्ह्ह…” मैंने उनके पैर फैलाए, अपने लंड को उनकी चूत के मुँह पर रखा, और धीरे-धीरे अंदर डालना शुरू किया। उनकी चूत इतनी गीली थी कि लंड फिसलता हुआ अंदर चला गया। फिर मैंने एक जोरदार धक्का मारा। आंटी की चीख निकल गई, “आह्ह्ह… माँ… धीरे… उह्ह्ह…” मैंने उनकी कमर पकड़ी और धक्के मारने शुरू किए। “चप… चप…” की आवाज कमरे में गूंज रही थी। आंटी की सिसकियाँ और तेज हो गई, “आह्ह्ह… हाँ… और जोर से… उह्ह्ह… चोद मुझे… हाँ…” मैं उनके बूब्स दबाते हुए लंड को उनकी चूत में अंदर-बाहर करता रहा। वो अपनी कमर ऊपर-नीचे कर रही थी, जैसे मेरा पूरा लंड अपनी चूत में लेना चाहती थी।
करीब 10 मिनट तक मैंने उन्हें चोदा। उनकी चूत और गीली हो गई थी। अचानक आंटी की सिसकियाँ तेज हुई, “आह्ह्ह… तनिष्क… मैं… मैं झड़ने वाली हूँ… उह्ह्ह…” और उन्होंने अपना पानी छोड़ दिया। उनकी चूत से गर्म-गर्म पानी निकल रहा था, जो मेरे लंड को और गीला कर रहा था। मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी। आंटी चिल्ला रही थी, “हाँ… और जोर से… आह्ह्ह… फाड़ दे मेरी चूत… उह्ह्ह…” मैंने उनके बूब्स को जोर-जोर से दबाया, उनके निप्पल्स को मुँह में लिया और चूसने लगा।
15 मिनट बाद मेरा वीर्य निकलने वाला था। मैंने पूछा, “आंटी, कहाँ निकालूँ?” वो बोली, “बाहर निकाल दे, तनिष्क।” मैंने लंड बाहर निकाला और उनके पेट और बूब्स पर सारा वीर्य निकाल दिया। आंटी हँसते हुए बोली, “अरे, तूने तो मुझे पूरा गंदा कर दिया, बदमाश!” मैंने कहा, “आंटी, अब इसे चूसो ना।” वो बोली, “नहीं, ये अच्छा नहीं लगता।” मैंने जिद की, “प्लीज, आंटी, एक बार।” वो मना करती रही, लेकिन मैंने जबरदस्ती अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया और कहा, “चूसो इसे, आंटी।” वो बोली, “तू कहता है तो चूसती हूँ।” उन्होंने मेरे लंड को चाट-चाटकर साफ कर दिया। वो बोली, “इसमें क्या मजा आता है, पागल?” मैंने कहा, “आंटी, इसमें बहुत शांति मिलती है।”
थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर तन गया। आंटी बाथरूम में साफ होने गई। वो गुलाबी नाइटी पहनकर लौटी। मेरा मन फिर चुदाई का हुआ। मैंने उन्हें बेड पर लिटाया। वो बोली, “क्यों, अब क्या करना है?” मैंने कहा, “आंटी, मुझे अभी और चुदाई करनी है।” वो हँसते हुए बोली, “क्या, अभी और? तू तो पागल है!” मैंने उनकी नाइटी ऊपर उठाई और उनके बूब्स चूसने लगा। मैंने उनकी चूत में उंगली डाली, और वो फिर सिसकने लगी, “आह्ह्ह… तनिष्क… तू मुझे पागल कर देगा… उह्ह्ह…” मैंने उनका नाइटी पूरी तरह उतार दी। वो अब पूरी नंगी थी।
मैंने लंड उनकी चूत में डाला और जोरदार धक्के मारने शुरू किए। “चप… चप…” की आवाज फिर गूंजने लगी। आंटी चिल्ला रही थी, “आह्ह्ह… हाँ… और जोर से… उह्ह्ह… चोद मुझे… मेरी चूत फाड़ दे…” मैंने उनके पैर अपने कंधों पर रखे और गहरे धक्के मारने लगा। वो अपनी कमर ऊपर-नीचे कर रही थी। मैंने उनके बूब्स को जोर-जोर से दबाया, उनके निप्पल्स को चूसा। करीब 15 मिनट बाद मैंने उन्हें अपने ऊपर बैठाया। वो मेरा लंड पकड़कर ऊपर-नीचे होने लगी। उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। वो चिल्ला रही थी, “आह्ह्ह… तनिष्क… तेरा लंड… उह्ह्ह… कितना मोटा है… हाँ…”
फिर मैंने उन्हें टेबल पर बैठाया। उनकी चूत को चाटने लगा। उनकी चूत का स्वाद नमकीन और गर्म था। वो सिसक रही थी, “आह्ह्ह… तनिष्क… तू मुझे मार डालेगा… उह्ह्ह…” मैंने फिर लंड उनकी चूत में डाला और धक्के मारने लगा। करीब 30 मिनट बाद मेरा वीर्य फिर निकलने वाला था। मैंने सारा वीर्य उनकी चूत में डाल दिया। आंटी बोली, “तनिष्क, ये क्या किया? अंदर क्यों निकाला?” मैंने हँसते हुए कहा, “आंटी, असली मजा तो अंदर ही है।” वो बोली, “तू बड़ा बदमाश है। हट मेरे ऊपर से।” मैं उनके ऊपर लेट गया और उनके बूब्स चूसता रहा।
शाम के 5 बज गए थे। मेरा मन घर जाने को नहीं कर रहा था। आंटी बोली, “क्यों, घर नहीं जाना?” मैंने कहा, “आंटी, आपको छोड़कर मन नहीं कर रहा।” वो हँसते हुए बोली, “तो क्या हुआ? आज रात मेरे पास रुक जा। मुझे अच्छे से प्यार कर।” मैं खुशी से पागल हो गया। मैंने घर पर कॉल करके बोल दिया कि मैं अपने दोस्त के यहाँ रुक रहा हूँ। आंटी बोली, “थोड़ी देर रुक, आज पूरी रात तेरी है। मुझे जमकर चोदना।”
मैंने आंटी को बाहों में जकड़ लिया और किस करने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी। हम एक-दूसरे को 10 मिनट तक किस करते रहे। फिर आंटी बोली, “थोड़ा आराम कर लो। बाद में फिर प्यार करेंगे।” वो नाइटी पहनकर किचन में चली गई और चिप्स लेकर आई। मैंने कहा, “आंटी, मेरी गोद में बैठो और मुझे अपने हाथ से खिलाओ।” वो मेरी गोद में बैठ गई और चिप्स खिलाने लगी। हम बातें करने लगे। मैंने पूछा, “आंटी, आपने कितने टाइम से सेक्स नहीं किया?” वो बोली, “पिछले दो साल से।” मैंने कहा, “आपने इतना टाइम कैसे संभाला?” वो बोली, “मैं अपनी चूत को उंगलियों से खुश करती थी।” मैंने कहा, “आंटी, आपके साथ चुदाई करके बहुत मजा आया।”
आंटी बोली, “मैं तुझे आज और मजा दूँगी।” मैंने कहा, “आंटी, अब मुझे आपकी गांड चाहिए।” वो हड़बड़ा गई और बोली, “नहीं, बहुत दर्द होगा।” मैंने जिद की, “प्लीज, एक बार।” वो बोली, “ठीक है, कर ले।” आंटी फ्रिज से मक्खन लाई, मेरे लंड पर लगाया, और अपनी गांड पर भी। मैंने उन्हें बेड पर घोड़ी बनाया और लंड उनकी गांड में डालने लगा। मक्खन की वजह से लंड फिसलता हुआ अंदर गया। आंटी चिल्लाई, “आह्ह्ह… माँ… धीरे… उह्ह्ह… मर गई…” उन्हें दर्द हो रहा था। वो बोली, “तनिष्क, निकाल ले।” मैंने कहा, “रुको, अभी दर्द कम हो जाएगा।”
मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। मेरा 7 इंच का लंड उनकी गांड में पूरा गया। आंटी की सिसकियाँ तेज थी, “आह्ह्ह… उह्ह्ह… माँ… धीरे…” लेकिन धीरे-धीरे उन्हें मजा आने लगा। वो बोली, “हाँ… अब ठीक है… और जोर से…” मैंने 15 मिनट तक उनकी गांड मारी। फिर मैंने उन्हें सीधा किया, लंड उनकी चूत में डाला, और धक्के मारने लगा। “चप… चप…” की आवाज कमरे में गूंज रही थी। आंटी चिल्ला रही थी, “आह्ह्ह… तनिष्क… चोद मुझे… उह्ह्ह… मेरी चूत फाड़ दे…” मैंने सारा वीर्य उनकी चूत में निकाल दिया। मेरा लंड शांत हो गया।
रात के 10 बज गए थे। हम थककर नंगे ही सो गए। सुबह उठकर मैं घर चला आया।
दोस्तों, आपको मेरी और माध्वी आंटी की चुदाई की कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसा अनुभव किया? नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।
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