Dost ki horny maa ki chudai sex story – Virgin boy sex story: मेरा नाम सागर है और मेरे सबसे अच्छे दोस्त का नाम रितेश है। हम दोनों कॉलेज में साथ पढ़ते हैं और एक-दूसरे के घर आने-जाने का सिलसिला सालों से चला आ रहा है। रितेश की माँ मेरे लिए हमेशा बहुत प्यार करने वाली आंटी रही हैं, गोरी, लंबे काले बाल, भरे हुए बदन वाली, हमेशा हल्की सी मुस्कान लिए। उनकी बड़ी-बड़ी आँखें और गुलाबी होंठ देखकर मन में कुछ-कुछ होता था, लेकिन मैंने कभी खुलकर सोचा नहीं था।
एक दिन कॉलेज से लौटते वक्त मैं रितेश के घर चला गया। शाम को पार्टी प्लान करने का इरादा था। रितेश की बहन अब हॉस्टल में रहने लगी थी, इसलिए घर में सिर्फ रितेश और उसकी मम्मी ही रहते थे। मैंने दरवाजे की बेल बजाई। दरवाजा आंटी ने खोला।
उनके बाल खुले हुए थे, थोड़े बिखरे से। साड़ी का पल्लू थोड़ा सा सरका हुआ था और ब्लाउज के दो हुक खुले थे, जिससे गहरी क्लीवेज साफ दिख रही थी। चेहरे पर हल्की सी लाली और साँसें थोड़ी तेज़ लग रही थीं। मैंने पूछा, “आंटी, रितेश घर पर है?”
आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं बेटा, रितेश मामा जी के यहां गया है, कल वापस आएगा। आओ ना, अंदर बैठो।”
मैंने कहा, “नहीं आंटी, मुझे लगा रितेश होगा, फोन भी नहीं उठा रहा था। अब चलता हूँ।”
आंटी ने थोड़ा परेशान स्वर में कहा, “सुबह से सिर में बहुत दर्द है बेटा, रुपाली होती तो बाम लगा देती, रितेश भी नहीं है। बहुत तकलीफ हो रही है।”
मुझे लगा दोस्त का फर्ज निभाना चाहिए। मैंने कहा, “आंटी, अगर आप कहें तो मैं बाम लगा दूँ? सिर दर्द ठीक हो जाएगा।”
आंटी की आँखों में एक अजीब सी चमक आई। उन्होंने कहा, “अच्छा? चलो, लगा दो बेटा।”
वो अंदर चली गईं और मैं उनके पीछे-पीछे बेडरूम में पहुँच गया। कमरे में हल्की सी खुशबू थी, जैसे कोई औरत अभी-अभी गर्म होकर उठी हो। बेड पर आंटी लेट गईं और बोलीं, “पानी लेकर आती हूँ, फिर तुम लगा देना।”
जब वो रसोई में गईं, मैंने टेबल पर उनका फोन देखा। स्क्रीन पर एक सेक्स स्टोरी खुली हुई थी, आधी पढ़ी हुई। मेरा दिल जोर से धड़का। अब समझ आया कि बाल क्यों बिखरे हैं, ब्लाउज के हुक क्यों खुले हैं। शायद वो स्टोरी पढ़ते-पढ़ते खुद को सहला रही थीं। मेरे दिमाग में तुरंत आंटी का नंगा बदन घूम गया। लंड हल्का सा सख्त होने लगा।
आंटी पानी लेकर आईं। मैंने पानी पिया और बाम उठाकर उनके सिरहाने बैठ गया। आंटी ने आँखें बंद कर लीं। मैंने धीरे-धीरे उनके माथे पर बाम लगाना शुरू किया। उनके बालों से आ रही खुशबू मेरे नाक में घुस रही थी। साँसें गर्म लग रही थीं।
धीरे-धीरे मैंने मालिश नीचे गर्दन की तरफ की। आंटी ने कुछ नहीं कहा। उनका ब्लाउज पहले से ही दो हुक खुला था, गहरी क्लीवेज में से बड़ी-बड़ी चूचियाँ साफ झाँक रही थीं। मेरा मन डोल गया। मैंने हल्के से उँगलियाँ उनकी क्लीवेज पर फेर दीं। आंटी की साँस थोड़ी तेज हो गई, लेकिन आँखें बंद ही रहीं।
हिम्मत बढ़ी। मैंने धीरे से एक और हुक खोल दिया। अब दोनों भारी-भारी चूचियाँ लगभग बाहर थीं। ब्रा नहीं पहनी थी। गुलाबी निप्पल सख्त हो रहे थे। मैंने हल्के से एक चूची पर हाथ रखा। आंटी ने हल्की सी सिसकारी ली, “ह्म्म्म…”
मेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा हो चुका था। मैंने दोनों चूचियों को सहलाना शुरू किया, धीरे-धीरे दबाने लगा। आंटी की साँसें तेज हो रही थीं, लेकिन वो चुप थीं। मैंने आखिरी हुक भी खोल दिया। ब्लाउज पूरी तरह खुल गया। दोनों बड़ी, गोरी चूचियाँ बाहर आ गईं। मैंने उन्हें जोर से मसलना शुरू किया।
अचानक आंटी का हाथ मेरे पैंट पर आया और मेरे सख्त लंड पर रुक गया। मेरा बदन काँप उठा। आंटी ने आँखें खोलीं और मुझे देखकर मुस्कुराईं। फिर मेरे बाल पकड़कर मुझे अपने होंठों पर खींच लिया। उनके गर्म, नरम होंठ मेरे होंठों से टकराए। जीभ अंदर घुस आई। वो मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहलाने लगीं।
मैं पागल हो गया। मैंने उनकी दोनों चूचियों पर झपट्टा मारा, जोर-जोर से मसलने लगा, निप्पल को मुट्ठी में दबाया। आंटी की सिसकारियाँ शुरू हो गईं, “आह्ह… सागर… हाँ बेटा… ऐसे ही दबा…”
वो बोलीं, “आज मुझे खुश कर दो सागर… बहुत दिन हो गए…”
मैंने काँपते स्वर में कहा, “आंटी… मैंने पहले कभी… सेक्स नहीं किया…”
आंटी हँसीं और बोलीं, “कोई बात नहीं मेरे राजा… मैं सिखाऊँगी… आज तू मेरी चूत का पूरा मजा लेगा…”
उन्होंने साड़ी ऊपर उठाई और पैर फैला दिए। पैंटी पूरी गीली थी। एक तेज, मदहोश करने वाली खुशबू कमरे में फैल गई। आंटी ने कहा, “पहले मेरी चूत चाट… खूब जीभ घुसाकर चाट…”
मैं नीचे झुका। पैंटी उतारी। आंटी की गुलाबी, गीली चूत सामने थी। मैंने जीभ से हल्के से छुआ। आंटी की कमर उछल गई, “आह्ह्ह… हाँ सागर… और अंदर… चाट मेरी चूत को…”
मैंने जीभ अंदर घुसाई। रस का स्वाद नमकीन-मीठा था। मैं खूब जोर-जोर से चाटने लगा। आंटी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… ओह्ह्ह… हाँ बेटा… और तेज… आह्ह्ह ह्ह्ह… मेरी चूत खा जा…”
आंटी ने मेरे सिर को अपनी चूत पर जोर से दबाया। उनका बदन काँप रहा था। करीब आधे घंटे तक मैंने उनकी चूत चाटी। वो दो बार झड़ चुकी थीं। फिर उन्होंने मुझे ऊपर खींचा और मेरी पैंट उतार दी। मेरा मोटा लंड बाहर आया।
आंटी ने उसे हाथ में लिया और बोलीं, “कितना मोटा है तेरा… आज तेरी आंटी इसे खूब चूसेगी…” वो नीचे झुकीं और लंड मुट्ठी में पकड़कर चूसने लगीं। ग्ग्ग्ग… गी… गी… गों… गों… उनकी जीभ लंड के सुपारे पर घूम रही थी। मैं सिसकारियाँ लेने लगा, “आह्ह आंटी… ओह्ह्ह… कितना मजा आ रहा है…”
फिर आंटी ने मुझे लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गईं। अपना लंड पकड़कर चूत के छेद पर रखा और धीरे से बैठ गईं। पूरा लंड अंदर समा गया। आंटी की आँखें बंद हो गईं, “आह्ह्ह्ह… कितना मोटा है रे… फाड़ देगा मेरी चूत…”
वो ऊपर-नीचे उछलने लगीं। उनकी बड़ी चूचियाँ मेरे सामने लहरा रही थीं। मैंने उन्हें पकड़कर मसलने लगा। आंटी चिल्ला रही थीं, “चोद सागर… जोर से चोद अपनी आंटी को… हाँ… ऐसे ही… आह्ह्ह… ह्ह्ह्ह… ऊउइइ…”
फिर मैंने उन्हें नीचे लिटाया और उनके पैर कंधों पर रखकर जोर-जोर से धक्के मारने लगा। हर धक्के के साथ आंटी की चूत से चपचप की आवाज आ रही थी। वो बोलीं, “हाँ बेटा… ऐसे ही… मेरी चूत मार… फाड़ दे… आह्ह्ह ओह्ह्ह… मैं झड़ने वाली हूँ…”
मैंने करीब दो घंटे तक उन्हें चोदा। कई पोजिशन बदली। आखिर में मैं उनकी चूत में ही झड़ गया। आंटी ने मुझे सीने से लगा लिया और बोलीं, “आज से जब भी रितेश घर पर ना हो, तू जरूर आया कर… तेरी आंटी की चूत हमेशा तेरे लिए गीली रहेगी।”
उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता, मैं रितेश के घर जाता और आंटी को खूब चोदकर आता। दोस्त की माँ को चोदने का मजा ही कुछ और है।