मेरा नाम है ममता बोस। मैं वो हॉट भाभी हूँ, जिसके बारे में सोचकर तुम अपने लंड को मजे से हिला सकते हो। मैं 34 साल की हूँ, कोई कच्ची कली नहीं, बल्कि वो औरत हूँ जिसके गोरे-गोरे बड़े-बड़े स्तन और मटकती गांड को देखकर हर मर्द का लंड पैंट में तंबू बना लेता है। मेरी फिगर 36-28-38 है, और मेरे भारी-भारी स्तन और गोल-मटोल गांड की हर कोई दीवाना है। मेरे पति, बोस बाबू, मेरी चूत की आग बुझाने में नाकाम रहते हैं, तो मुझे दूसरों का सहारा लेना पड़ता है जो मुझे बिस्तर पर अच्छे से पेल सकें।
हमारे यहाँ कई सालों से एक सुधा नाम की औरत दूध देने आती थी। सितंबर के शुरू में उसकी तबीयत खराब हो गई। जब हमें पता चला कि उसे टीबी हुआ है, तो हमें डर लगा कि कहीं कोई इन्फेक्शन न हो जाए। हमने सुधा से दूध देना बंद करने को कहा। सुधा समझ गई कि उसकी बीमारी की वजह से हमने मना किया। उसने बताया कि अगर हमें कोई एतराज न हो, तो उसका पति राजू दूध देने आ सकता है।
हमने हामी भर दी। अगले दिन से राजू दूध देने आने लगा। राजू की उम्र कोई 40 साल थी। उसका शरीर ठीक-ठाक था, लंबाई अच्छी थी, और चेहरा साधारण मगर आकर्षक। उसका रंग सांवला था, और मजदूरी करने की वजह से उसकी बॉडी में ताकत झलकती थी। पहले कुछ दिन वो बड़ा शरीफ बनकर आता था। न नजरें मिलाता, न ज्यादा बात करता। बस दूध डालकर साइकिल पर चढ़कर चला जाता। लेकिन 8-10 दिन बाद उसकी नजरें बदलने लगीं।
जब वो दूध डालने आता, उसकी आँखें मेरे बड़े-बड़े स्तनों पर अटक जातीं। मैं अक्सर सुबह साड़ी में होती, और मेरी गहरी क्लीवेज उसे पागल कर देती थी। दूध डालने के बाद मैं बर्तन अंदर रखकर गेट बंद करती, और अब वो तुरंत जाने की बजाय रुककर मुझे घूरता। मैं समझ गई थी कि मेरी गांड और स्तनों को देखकर वो गर्म हो रहा है।
एक सुबह, जब मैं दूध डलवा रही थी, मेरी साड़ी का पल्लू अचानक नीचे गिर गया। मेरी टाइट ब्लाउज में से मेरी क्लीवेज साफ दिख रही थी। राजू मेरे स्तनों में इतना खो गया कि दूध डालते-डालते बर्तन से बाहर बहने लगा। मैंने उसे टोका, “अरे, रुक जाओ, दूध बह रहा है!” उसकी नजरें मेरे शरीर पर टिकी थीं, और मैंने देखा कि उसके पाजामे में उसका लंड तनकर बाहर की ओर उभर रहा था। उसका लंड देखने में मोटा और लंबा लग रहा था, मगर मैंने सोचा कि दूधवाले का स्टैंडर्ड मेरे लिए कम है।
18 सितंबर को राजू ने बताया कि अगले दिन, यानी 19 तारीख को वो दूध देने नहीं आ पाएगा, तो मुझे एक दिन के लिए उसके घर जाना होगा। मैंने हामी भर दी। उस शाम मैं करीब 5 बजे उसके घर पहुंची। मैंने बेल बजाई, तो सुधा ने दरवाजा खोला। उसकी हालत देखकर पक्का हो गया कि उसे टीबी है। उसने कहा कि वो बर्तन को हाथ नहीं लगा सकती, इसलिए राजू को बुलाने लगी। उसने कई बार आवाज लगाई, पर राजू बाहर नहीं आया। आखिरकार, मैंने कहा, “सुधा, मैं अंदर जाकर राजू को बुला लेती हूँ।”
मैं अंदर गई, पर वहाँ कोई नहीं था। मैं बाहर आने लगी, तभी पीछे से कुछ आवाज आई। मैंने ध्यान दिया, तो पता चला कि आवाज बाथरूम से आ रही थी। मैंने धीरे से बाथरूम का दरवाजा खोला। अंदर का नजारा देखकर मेरी सांसे रुक गईं। राजू अपने मोटे, तने हुए लंड को जोर-जोर से हिला रहा था। उसके हाथ में एक अखबार था, जिसमें किसी लड़की की बिकिनी वाली तस्वीर थी। वो उसी को देखकर मुठ मार रहा था।
पहले तो मैं डर के मारे पीछे हट गई, लेकिन मेरी चूत में गर्मी चढ़ने लगी। उसका लंड इतना मोटा और लंबा था कि मेरी आँखें उससे हट ही नहीं रही थीं। मेरी चूत में खुजली होने लगी, और मेरा हाथ अपने आप मेरी साड़ी के ऊपर से चूत पर चला गया। मैं धीरे-धीरे अपनी चूत सहलाने लगी। मेरे निप्पल्स सख्त हो गए थे, और मेरी सांसे तेज चल रही थीं। मैं फिर से झांकने लगी। उसका लंड देखकर मेरी चूत में पानी बहने लगा। अब मुझे उसका स्टैंडर्ड नहीं, बस उसका मोटा लंड चाहिए था।
अचानक राजू पलटा, और मैं जल्दी से दरवाजे से हटकर दीवार के साथ चिपक गई। मेरी सांसे तेज थीं, और मुझे डर था कि कहीं उसने मुझे देख लिया हो। और वही हुआ। राजू बाहर आया, उसका लंड अभी भी तना हुआ था, पाजामे से साफ दिख रहा था। उसने मुझे देखा और मेरी तेज सांसों को भांप लिया। वो समझ गया कि मेरी चूत गर्म हो चुकी है।
वो मेरे पास आया और बिना कुछ कहे मेरे स्तनों पर झपट पड़ा। उसने मेरे गले पर चूमना शुरू किया, और मेरी साड़ी का पल्लू खींचकर नीचे गिरा दिया। मैं चाहकर भी उसे रोक नहीं पाई। मेरी चूत की गर्मी मुझे बेकाबू कर रही थी। उसने मेरे ब्लाउज के हुक खोले और मेरी ब्रा नीचे खींचकर मेरे गोरे-गोरे स्तन आजाद कर दिए। मेरे गुलाबी निप्पल्स को वो भूखे शेर की तरह चूसने लगा। “आह्ह… उह्ह…” मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।
उसने मेरे होंठों को चूसना शुरू किया, और मैं उसके होंठों के स्वाद में खो गई। उसका एक हाथ मेरे स्तनों को मसल रहा था, और दूसरा मेरी गांड को दबा रहा था। मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी। उसने मुझे पास की खटिया पर लिटाया और मेरी साड़ी कमर तक उठा दी। मेरी पैंटी को उसने एक झटके में उतार फेंका। मेरी चिकनी, गीली चूत को देखकर वो पागल हो गया। उसने अपना मुँह मेरी चूत पर रखा और जीभ से चाटना शुरू किया।
“आह्ह… राजू… उफ्फ… और चाट… हाय…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को चूस रही थी, और मेरी चूत से पानी बह रहा था। वो बार-बार मेरी चूत के होंठों को खोलकर जीभ अंदर डालता। मैंने उसका सिर पकड़ लिया और अपनी चूत पर दबाने लगी। मेरी टांगें कांप रही थीं।
फिर वो मेरे पास आया और अपना मोटा लंड मेरे होंठों पर रगड़ने लगा। मैंने उसका लंड अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। “उम्म… कितना मोटा है… आह्ह…” मैं उसके लंड को चूसते हुए अपने स्तनों को दबा रही थी। उसका एक हाथ मेरी चूत में उंगलियाँ डाल रहा था, और दूसरा मेरे स्तनों को मसल रहा था। “ममता भाभी, तेरी चूत तो जन्नत है,” उसने कहा।
मैं चुदने के लिए तड़प रही थी। तभी सुधा की आवाज आई, “राजू, ममता जी दूध ले गईं?” मैं डर गई, लेकिन राजू रुका नहीं। उसने मेरी टांगें और चौड़ी कीं और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा। “आह्ह… राजू… डाल दे… हाय…” मैंने सिसकारी ली। उसने एक झटके में अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। “उफ्फ… कितना मोटा है… आह्ह…” मेरी चूत में उसका लंड पूरा अंदर तक गया, और मुझे ऐसा मजा आया कि मैं सब भूल गई।
वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा। “चप-चप-चप…” मेरी चूत से आवाजें आने लगीं। “आह्ह… राजू… और जोर से… पेल दे मेरी चूत को…” मैं चिल्ला रही थी। तभी सुधा फिर से बोली, “राजू!” मैंने राजू को पीछे धकेला और जल्दी से अपनी साड़ी ठीक की। राजू ने भी अपना पाजामा ऊपर कर लिया। सुधा अंदर आ गई। मैंने कहा, “सुधा, मेरा पैर मुड़ गया था, इसलिए राजू मेरी मालिश कर रहा था।”
सुधा ने कुछ नहीं कहा, और दो मिनट बाद मैंने कहा कि मेरा पैर ठीक है। राजू ने मुझे दूध दिया, और मैं वहाँ से निकल आई। घर आकर मेरी चूत की गर्मी बेकाबू थी। मैंने अपनी उंगलियों से चूत को सहलाया और पानी निकाला, लेकिन मन नहीं भरा।
अगले दिन राजू दूध देने आया। मैंने दरवाजा खोला और बर्तन दिया। वो मेरी ओर देख भी नहीं रहा था। मुझे लगा शायद वो डर रहा है। मैं दूध रखने अंदर गई, तभी उसने पीछे से मुझे पकड़ लिया। “आह्ह… राजू!” मैं डर गई, लेकिन उसने मेरे स्तनों को जोर से दबाया और मेरी गांड पर अपना लंड रगड़ना शुरू किया। “भाभी, तूने तो मुझे पागल कर दिया,” वो बोला।
मैं भी गर्म हो गई। उसने मेरे ब्लाउज में हाथ डाला और मेरे निप्पल्स को मसलने लगा। “उफ्फ… राजू… और दबा…” मैंने कहा। उसने मुझे घुमाया और मेरी क्लीवेज को चाटने लगा। फिर उसने मेरा ब्लाउज और ब्रा उतार दी। मेरे गुलाबी निप्पल्स को वो चूसने लगा। “आह्ह… उह्ह… कितना मजा आ रहा है…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी।
मैंने उससे कहा, “दरवाजा बंद कर दे।” उसने बताया कि वो पहले ही बंद कर चुका है। मैं पूरी तरह उसके कब्जे में थी। उसने मुझे किचन के स्लैब पर बिठाया और मेरे स्तनों को चूसने लगा। मेरे निप्पल्स गुलाबी से लाल हो गए। मैंने कहा, “राजू, बेडरूम चल…” उसने मुझे गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया।
बेडरूम में उसने मुझे बेड पर पटक दिया। मैं समझ गई कि आज वो मेरी चूत की पूरी गर्मी निकालेगा। उसने मेरी साड़ी कमर तक उठाई और मेरी पैंटी उतार दी। मेरी चिकनी चूत को देखकर वो बोला, “भाभी, तेरी चूत तो किसी रसीली माल की तरह है।” उसने मेरी चूत को चाटना शुरू किया। “आह्ह… राजू… और चाट… उफ्फ…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और मेरी चूत का पानी उसके मुँह पर लग रहा था।
वो मेरी कमर, मेरे स्तनों को चूमता रहा। मैं उसके लंड के लिए तड़प रही थी। मैंने उसे धक्का दिया और उसके ऊपर चढ़ गई। मैंने उसका लंड अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। “उम्म… कितना बड़ा है… आह्ह…” मैंने उसका लंड थूक से गीला किया और अपनी चूत में लिया। “आह्ह… हाय… कितना मोटा है…” मैं उसके लंड पर उछलने लगी। वो मेरी गांड दबा रहा था और मेरे निप्पल्स मसल रहा था।
“भाभी, तेरी चूत तो लंड को निचोड़ रही है,” वो बोला। हम दोनों ने स्पीड बढ़ा दी। वो मेरे बाल पकड़कर मेरे होंठ चूसने लगा। थोड़ी देर बाद उसने मुझे नीचे लिटाया और मेरी टांगें चौड़ी कीं। उसने अपना लंड मेरी चूत में डाला और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। “चप-चप-चप…” मेरी चूत से आवाजें आ रही थीं। “आह्ह… राजू… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे…” मैं चिल्ला रही थी।
वो मेरे गालों, गले, होंठों को चूमता रहा। मेरा पानी निकल गया, लेकिन वो रुका नहीं। उसने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी गांड को चाटने लगा। “आह्ह… राजू… ये क्या कर रहा है…” उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा और अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया। “उफ्फ… हाय… कितना टाइट है…” मैं दर्द और मजे में सिसकार रही थी। उसने मेरे बाल पकड़े और जोर-जोर से मेरी गांड मारी। “चट-चट-चट…” आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं।
उसने मेरी गांड पर अपना पानी निकाल दिया। लेकिन वो रुका नहीं। उसने मुझे सीधा लिटाया और फिर मेरी चूत चाटने लगा। “आह्ह… राजू… तू तो कमाल है…” मेरी चूत फिर से गर्म हो गई। उसने मेरी टांगें अपने कंधों पर रखीं और अपना लंड मेरी चूत में डाला। वो मेरे ऊपर लेट गया, और उसका पूरा वजन मुझ पर था। मेरी टांगें पूरी तरह मुड़ गई थीं। “आह्ह… उह्ह… और जोर से…” मैं चिल्ला रही थी।
मेरी चूत लाल हो चुकी थी, और कमर में दर्द होने लगा था। लेकिन चुदाई का मजा मुझे रुकने नहीं दे रहा था। हम दोनों पसीने से तरबतर थे। आखिरकार उसका पानी निकलने वाला था। मैंने कहा, “बाहर निकाल…” लेकिन उसने मेरी चूत में ही पानी छोड़ दिया। “आह्ह… कितना गर्म है…” मुझे मजा तो आया, लेकिन बाद में मुझे गर्भनिरोधक गोली लेनी पड़ी।
वो खड़ा हुआ, कपड़े पहने, और चला गया। मैं बेड पर पड़ी रही, मेरी चूत और गांड दोनों गीली थीं।
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