दूध में भांग मिला के नौकरानी के साथ सेक्स

Naukrani ke saath sex story – Hot maid sex story – नौकरानी के साथ सेक्स चुदाई की कहानी: यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है, सच्चाई से कुछ लेना देना नहीं है।

मेरा नाम निखिल है, उम्र 22 साल, और मैं बीए फाइनल ईयर का स्टूडेंट हूँ। दिखने में मैं ठीक-ठाक हूँ, 5 फीट 10 इंच का कद, हल्का सा गठीला बदन, और चेहरा ऐसा कि लड़कियाँ एक बार तो पलटकर देख ही लें। मेरा लंड 6 इंच का है, मोटा और मजबूत, जो किसी भी चूत को मजे देने के लिए काफी है। मेरे घर में मम्मी, पापा और छोटी बहन रिया रहते हैं, लेकिन इस कहानी का असली मज़ा मेरी कामवाली बाई शांति के साथ है।

शांति की उम्र 42 साल है, चार बच्चों की माँ, लेकिन उसका बदन ऐसा कि जवान लड़कियों को भी टक्कर दे। उसका रंग हल्का सांवला, चेहरा गोल, और आँखें बड़ी-बड़ी, जिनमें एक मासूमियत और शरारत का मेल है। उसकी चूचियाँ 34 इंच की हैं, गोल, भारी और हमेशा ब्लाउज में तनी हुई। कमर 32 इंच की, और गांड 40 इंच की, जो साड़ी में उभरकर हर किसी का लंड खड़ा कर दे। उसका पति कुछ साल पहले एक हादसे में गुजर चुका था, और वो घर-घर काम करके अपने बच्चों को पालती थी। शांति का स्वभाव शांत और प्यारा था, हमेशा हल्की मुस्कान के साथ काम करती। हम उसे प्यार से बड़ी दी कहते थे, और वो सचमुच में दिल से अच्छी थी।

ये कहानी उस वक्त की है जब मेरे घरवाले मेरी ममेरी बहन की शादी में गए थे। मेरे एग्जाम की वजह से मैं रुक गया। मम्मी को मेरे खाने-पीने की चिंता सता रही थी, तो उन्होंने शांति से बात की। शांति ने हँसते हुए कहा, “अरे, मैं सुबह-शाम आकर निखिल का खाना बना दूँगी।” मम्मी-पापा अगले दिन नानी के घर निकल गए।

पहले दिन सब सामान्य रहा। शांति सुबह आई, नाश्ता बनाया, घर का काम निपटाया, फिर शाम को खाना बनाकर 8 बजे तक अपने घर चली गई। उसका घर मेरे घर से 3 किलोमीटर दूर था, और वो अकेले ही आती-जाती थी। लेकिन मेरे मन में कुछ और ही चल रहा था। कई दिनों से मेरे अंदर चुदाई की आग जल रही थी। रोज मुठ मार-मारकर थक गया था, लेकिन अब मेरा लंड किसी चूत की तलाश में था। शांति की भारी गांड और तनी चूचियाँ देखकर मेरे मन में खयाल आया कि इसे चोदने में कितना मज़ा आएगा।

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दूसरे दिन की बात है। शांति शाम को 8 बजे आई, और काम निपटाते-निपटाते रात के 10:30 बज गए। बाहर घुप्प अंधेरा था। मैंने मौके का फायदा उठाने की सोची। मैंने उससे कहा, “बड़ी दी, इतनी रात को घर जाओगी क्या? बाहर चोर-लफंगे घूमते हैं। आज का जमाना ठीक नहीं है। अगर कुछ हो गया तो?”

शांति मेरी बात सुनकर चुप हो गई। उसने अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया और बोली, “तू ठीक कहता है, निखिल। लेकिन घर पर बच्चों को तो बता दूँ?”

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मैंने उसे अपना फोन दिया। उसने अपने बच्चों से बात की और बताया कि आज रात यहीं रुक जाएगी। फिर वो बोली, “खाना तो सिर्फ तेरे लिए बनाया था, मेरे लिए अब क्या?”

मैंने हँसते हुए कहा, “अरे, दो-चार रोटी और बना लो ना, बड़ी दी।”

उसने रोटियाँ बनाईं, और हम दोनों ने साथ बैठकर खाना खाया। शांति ने हल्की हरी साड़ी पहनी थी, जिसका पल्लू बार-बार सरक रहा था। उसका ब्लाउज गहरे लाल रंग का था, टाइट और थोड़ा पारदर्शी, जिससे उसकी चूचियाँ साफ झलक रही थीं। खाना खाते वक्त मैं उसकी चूचियों को चोरी-चोरी देख रहा था, और मेरा लंड पैंट में तनने लगा।

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खाने के बाद मैं रसोई में गया और दूध निकालने लगा। तभी शांति बोली, “मैं कहाँ सोऊँ, निखिल?”

मैंने तुरंत कहा, “यहीं मेरे बिस्तर पर।”

वो हिचकिचाई, “इसी बिस्तर पर? तेरा बिस्तर गंदा नहीं होगा?”

मैंने हँसकर कहा, “अरे, एक रात में क्या गंदा होगा? तुम चिंता मत करो, बड़ी दी।” वो मान गई।

बस, यहीं से मेरी चाल शुरू हुई। मैंने मच्छरदानी लगाई और शांति से पूछा, “दूध पियोगी?”

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पहले उसने मना किया, फिर बोली, “थोड़ा सा ले लूँगी।”

मैंने कहा, “तुम रुको, मैं लाता हूँ।”

मैं रसोई में गया। दूध को मैंने पहले ही स्टोर रूम में रख दिया था, जहाँ मैं हमेशा भांग का गोला छुपाकर रखता था। ये मेरा पुराना शौक था। मैंने दूध में भांग और थोड़ी ठंडाई मिलाई, अच्छे से घोलकर एक गिलास में डाला और शांति को दे दिया। उसने दूध पीते हुए कहा, “ये स्वाद कुछ अलग है।”

मैंने हँसकर टाल दिया, “अरे, ठंडाई डाली है ना, इसलिए।”

वो हँसी और पूरा दूध पी गई। कुछ देर बाद वो बोली, “रात हो गई है, अब सोना चाहिए।”

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मैंने कहा, “हाँ, ठीक है।”

शांति ने अपनी हरी साड़ी उतारी और सिर्फ लाल ब्लाउज और सफेद पेटीकोट में मेरे बिस्तर पर आ गई। उसका ब्लाउज इतना टाइट था कि उसकी चूचियाँ आधी बाहर झाँक रही थीं। निप्पल के निशान साफ दिख रहे थे। उसकी भारी गांड पेटीकोट में उभर रही थी, और हर कदम के साथ हिल रही थी। ये देखकर मेरा लंड पैंट में तंबू बना रहा था। मैंने सोचा, आज तो इसकी चूत का भोसड़ा बना दूँगा।

वो मेरे बगल में मुँह फेरकर लेट गई। उसकी गांड मेरी तरफ थी, और उसका पेटीकोट थोड़ा ऊपर सरक गया था, जिससे उसकी जाँघें दिख रही थीं। मैंने आधा घंटा इंतजार किया। भांग का नशा अब चढ़ रहा था। मैंने धीरे से उसके पेट पर हाथ रखा, देखने के लिए कि वो हटाती है या नहीं। उसने कोई हरकत नहीं की। मैं समझ गया कि नशा पूरा चढ़ गया है।

मैंने हिम्मत करके उसकी चूचियों पर हाथ फेरा। उसका ब्लाउज रेशमी था, और उसकी चूचियाँ गर्म और मुलायम। वो फिर भी चुप रही। अब मेरा डर पूरी तरह खत्म हो गया था। मैंने उसे धीरे से सीधा किया और उसके ब्लाउज के हुक खोलने शुरू किए। एक-एक करके चार हुक खुल गए, और उसकी भारी चूचियाँ बाहर निकल आईं। गहरे भूरे रंग के निप्पल, सख्त और उभरे हुए। मैंने स्टोर रूम से सरसों का तेल निकाला। मुझे औरत के बदन पर तेल लगाने का शौक था, और आज ये शौक पूरा होने वाला था।

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मैंने पहले उसके गालों पर तेल लगाया, फिर उसकी गर्दन पर, और धीरे-धीरे उसकी चूचियों तक आया। तेल से उसकी चूचियाँ चमक रही थीं। मैंने दोनों चूचियों को मसला, निप्पलों को उंगलियों से दबाया। “आह… बड़ी दी, तेरी चूचियाँ तो माल हैं,” मैंने धीरे से कहा। उसका बदन गर्म था, और तेल की खुशबू से कमरा महक रहा था। मैंने अपनी शर्ट और पैंट उतार दी, अब सिर्फ अंडरवियर में था। मेरा लंड अंडरवियर फाड़ने को तैयार था।

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मैंने अपने लंड पर भी तेल लगाया। उसका सुपारा गुलाबी और चमकदार हो गया। मैंने शांति के पेटीकोट का नाड़ा ढीला किया और उसे घुटनों तक सरका दिया। उसने नीचे कुछ नहीं पहना था। उसकी चूत साफ दिख रही थी, हल्के काले बालों से ढकी, गुलाबी और गीली। मैंने मोबाइल की टॉर्च जलाई और उसकी चूत को करीब से देखा। उसका भगनासा छोटा और सख्त था, और चूत के होंठ गीले हो रहे थे।

मैंने उसकी चूत पर जीभ रखी और चाटना शुरू किया। उसका स्वाद नमकीन और थोड़ा तीखा था। मैंने जीभ को उसके भगनासे पर घुमाया, फिर चूत के होंठों को चूसा। “उम्म… आह…” शांति ने हल्की सी सिसकारी भरी, लेकिन नशे में थी। मैंने उसकी चूत को और खोला, जीभ को अंदर तक डाला और चूसने लगा। उसका रस मेरे मुँह में आ रहा था। “बड़ी दी, तेरी चूत का रस तो अमृत है,” मैंने कहा और और जोर से चाटने लगा।

मैंने उसकी चूत में एक उंगली डाली, फिर दो। उसकी चूत टाइट थी, लेकिन गीली होने की वजह से उंगलियाँ आसानी से अंदर-बाहर हो रही थीं। मैंने उसकी चूचियों को फिर से मसला, निप्पलों को चूसा, और उसके पेट पर किस किया। उसकी नाभि में मैंने जीभ घुमाई, और फिर धीरे-धीरे उसकी चूत की ओर बढ़ा। मैंने अपने बदन को उसके बदन से रगड़ा, उसकी चूचियों को अपने सीने से दबाया। उसकी गर्मी मेरे लंड में आग लगा रही थी।

अब मुझसे रुका नहीं गया। मैंने उसकी टाँगें चौड़ी कीं और अपने लंड को उसकी चूत पर सेट किया। उसकी चूत का मुँह गर्म और गीला था। मैंने धीरे से सुपारा अंदर डाला। “आह्ह…” शांति ने सिसकारी भरी, लेकिन आँखें नहीं खोलीं। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड फंस-सा गया। “उह्ह… कितनी टाइट है तेरी चूत, बड़ी दी,” मैंने कहा और धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए।

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“पच-पच” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मैंने उसकी चूचियों को पकड़ लिया और जोर-जोर से पेलने लगा। “आह… उह्ह… ओह्ह…” मेरी सिसकारियाँ तेज हो रही थीं। शांति की चूत गीली हो चुकी थी, और हर धक्के के साथ उसका बदन हिल रहा था। मैंने उसे घोड़ी बनाया। उसकी भारी गांड मेरे सामने थी। मैंने उसकी गांड पर तेल लगाया और उसे मसला। “बड़ी दी, तेरी गांड तो जन्नत है,” मैंने कहा और पीछे से उसकी चूत में लंड डाला।

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“पट-पट-पट” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मैंने उसकी कमर पकड़ी और जोर-जोर से धक्के मारे। उसकी गांड हर धक्के के साथ हिल रही थी। मैंने उसकी चूचियों को पीछे से पकड़ा और मसलने लगा। “आह… शांति, तेरी चूत को आज चोद-चोदकर भोसड़ा बना दूँगा,” मैंने कहा। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद मैंने उसे फिर से सीधा किया।

अब मैंने उसकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं और “धप-धप” की आवाज के साथ चोदने लगा। उसकी चूत अब पूरी तरह खुल चुकी थी। मैंने अपने लंड को बाहर निकाला और उसकी चूत को फिर से चाटा। “उम्म… तेरी चूत का रस तो मस्त है,” मैंने कहा और फिर से लंड अंदर डाला। मैंने मोबाइल का कैमरा ऑन किया और मच्छरदानी के ऊपर रख दिया। फ्लैश की रोशनी में उसका नंगा बदन चमक रहा था।

मैंने उसकी चूचियों को दबाया, निप्पलों को चूसा, और फिर जोर-जोर से चोदने लगा। “आह… उह्ह… ओह्ह…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। शांति की चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने उसे फिर से घोड़ी बनाया, फिर साइड में लिटाकर चोदा। हर पोजीशन में उसकी चूत का मज़ा अलग था।

करीब 25 मिनट की चुदाई के बाद मुझसे रुका नहीं गया। मैंने जोर-जोर से धक्के मारे। “आह… शांति, अब झड़ने वाला हूँ… तेरी चूत में माल डाल दूँ?” मैंने कहा। तभी मुझे प्रेग्नेंसी का डर याद आया। मैंने लंड बाहर निकाला और उसकी चूचियों पर माल गिरा दिया। उसकी चूचियाँ मेरे गर्म माल से भीग गईं।

मैंने अपने लंड को कपड़े से पोंछा और शांति के कपड़े ठीक किए। मैंने उसकी चूचियों पर पड़ा माल पानी से धोया, ब्लाउज के हुक लगाए, और पेटीकोट का नाड़ा बाँध दिया। सब कुछ वैसा ही कर दिया जैसा पहले था। फिर मैंने उसके होंठों को चूमा, उसके पेट को कसकर पकड़ा और सो गया।

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सुबह जब शांति उठी, मैं उसके साथ चिपककर सोया था। उसने कुछ नहीं कहा। उसे शायद पता ही नहीं था कि रात को क्या हुआ। मैंने मन ही मन हँसते हुए सोचा, “बड़ी दी, तुझे चोदने में मज़ा आ गया।”

दोस्तों, शांति को भांग पिलाकर चोदने का मज़ा ही कुछ और था। आपका क्या खयाल है? ऐसी चुदाई का मज़ा लेने के लिए आप क्या करेंगे? कमेंट में बताइए।

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