दो सहेलियों की चूत की सिंचाई

हैलो दोस्तों, आप सभी लंड और चूत वालों को मेरा दिल से नमस्ते। मेरा नाम शिवेंद्र कुशवाहा है, और मैं आज अपनी एक तड़कती-भड़कती कहानी आपके सामने पेश करने जा रहा हूँ। कहानी शुरू करने से पहले मैं अपने बारे में थोड़ा बता देता हूँ, फिर सीधे कहानी पर आता हूँ। मैं एक सेल्स प्रोफेशनल हूँ, और मेरा काम है हर तरह की सलाह देना। सेल्स की नौकरी का तो आप सबको पता ही है, कितना दिमाग और जोश चाहिए। अब चलिए, मेरी कहानी की शुरुआत करते हैं।

करीब दस साल पहले मेरा तलाक हो गया था। तब से मैं अकेले ही अपनी जिंदगी गुजार रहा था। लेकिन अब ये अकेलापन मुझे अंदर से तोड़ने लगा था। मन में एक खालीपन सा था, और मैं चाहता था कि कोई ऐसा साथी हो जो मेरे दिल की बात समझे, मेरी प्यास बुझाए। मुझे फेसबुक पर चैट करना बहुत पसंद था। खाली वक्त में मैं सेक्सी कहानियाँ पढ़ने लगा, जो पढ़कर मेरा लंड तन जाता और मन में गर्मी सी चढ़ती थी।

एक दिन फेसबुक पर मैं अपने एक दोस्त से चैट कर रहा था। साथ में कुछ लड़के-लड़कियों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज रहा था। करीब एक महीने बाद एक औरत ने मेरी रिक्वेस्ट स्वीकार की। उसका नाम प्रिया (काल्पनिक नाम) था। धीरे-धीरे हमारी चैट शुरू हुई। कुछ महीनों तक हम मैसेज में ही बातें करते रहे। हमारी बातें इतनी गहरी हो गईं कि हम एक-दूसरे के करीब आ गए। हमारे विचार, हमारी पसंद-नापसंद, सब मिलने लगे थे।

कुछ दिनों बाद हमने एक-दूसरे का मोबाइल नंबर लिया। अब फोन पर भी बातें होने लगीं। हंसी-मजाक, गपशप, सब कुछ इतना स्वाभाविक था कि हमें पता ही नहीं चला कब हमारी दोस्ती को तीन साल पूरे हो गए। मैं अब 43 साल का हूँ, और प्रिया मुझसे छह महीने छोटी है। उसके पति कनाडा में रहते हैं, वहाँ नौकरी करते हैं और साल-दो साल में कभी-कभार घर आते हैं। हमारी बातें अब इतनी बढ़ गई थीं कि हमारे बीच कोई भी बात छुपी नहीं थी। हमारी दोस्ती अब चुदाई के करीब पहुँच चुकी थी।

हमारी पहली मुलाकात दिल्ली के एक मेट्रो स्टेशन के पास एक कॉफी कैफे में हुई। प्रिया दिखने में गोरी, मध्यम कद, और उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। उसका फिगर 34-28-36 का था, और उसकी मुस्कान में एक अलग ही कशिश थी। उस दिन हम दोनों एक-दूसरे को पहली बार देखकर इतने खुश थे कि बस बातों में खो गए। लेकिन फिर वो 15 दिन बाद अपने बच्चों के साथ कनाडा चली गई। एक महीने बाद वो वापस आई, क्योंकि बच्चों के स्कूल शुरू होने वाले थे। उसका फोन आया, और मैं उसकी आवाज सुनकर उछल पड़ा। फिर हमने एक दिन मिलने का प्लान बनाया। उस दिन हमने पूरा दिन साथ बिताया, खूब बातें कीं, हंसी-मजाक किया, लेकिन कुछ खास हुआ नहीं।

हम अपने-अपने घर चले गए। कुछ दिन बाद फिर मिलने का प्लान बना। हम दोबारा मिले, पूरा दिन साथ रहे, और फिर घर लौट आए। अब हम एक-दूसरे के सामने पूरी तरह खुल चुके थे। फोन पर हमारी बातें अब सेक्स की ओर मुड़ने लगी थीं। मेरा मन तो उसे चोदने को बेताब था। मैं आपको बता दूँ, मेरी हाइट 5 फुट 7 इंच है, मैं ठीक-ठाक दिखता हूँ, और मेरा 6 इंच का लंड सेक्स में मुझे बुलंदियों तक ले जाता है।

एक दिन हमने प्लान बनाया और अपनी सुहागरात मनाने के लिए शिमला के एक होटल में चले गए। दिल्ली में कोई सुरक्षित जगह नहीं थी, और दिल्ली के होटलों में तो रिस्क ही रिस्क है। कब कोई छुपकर वीडियो बना ले, कुछ पता नहीं। तो हम तीन दिन के लिए शिमला गए। होटल के रूम में पहुँचते ही हम एक-दूसरे से ऐसे लिपटे, जैसे बरसों की प्यासी आत्माएँ हों। मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू किया। उसके होंठ इतने नरम थे कि मैं 10-12 मिनट तक बस चूमता रहा। “आह्ह… शिवेंद्र, कितना अच्छा लग रहा है,” उसने सिसकारी भरी। उसकी आवाज में एक कामुकता थी जो मुझे और गर्म कर रही थी।

हम फ्रेश होकर बेड पर आए। प्रिया ने अपनी साड़ी उतारी, और मैंने अपनी शर्ट-पैंट। वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी, और उसका गोरा बदन चमक रहा था। हम फिर से एक-दूसरे से चिपक गए। मैं उसके होंठ चूमते हुए उसके 34 साइज के बूब्स पर आ गया। उसके बूब्स गोल, कसे हुए, और मुलायम थे। मैंने एक बूब को मुँह में लिया और दूसरे को जोर-जोर से दबाने लगा। “उम्म… आह्ह… और जोर से दबा, शिवेंद्र,” वो बोली, उसकी साँसें तेज हो रही थीं। मैंने उसका ब्लाउज खोला, और उसकी ब्रा उतार दी। उसके निप्पल गुलाबी और तने हुए थे। मैंने उन्हें चूसना शुरू किया, और वो सिसकने लगी, “आह्ह… उफ्फ… कितना मजा आ रहा है!”

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मैंने उसका पेटीकोट खोला और उसकी जाँघों पर हाथ फेरा। उसकी चूत पर हाथ रखते ही मैंने महसूस किया कि वो पूरी गीली थी। मैंने उसकी पैंटी उतारी और उसकी चूत को सहलाना शुरू किया। उसकी चूत चिकनी और गर्म थी। “आह्ह… शिवेंद्र, और रगड़… हाय… कितना अच्छा लग रहा है!” वो सिसक रही थी। मैंने उसे उल्टा लिटाया और उसकी गोरी पीठ और कूल्हों को चूमने लगा। उसकी 36 साइज की गांड इतनी सेक्सी थी कि मैं खुद को रोक नहीं पाया। मैंने उसकी गांड को चूमा, दबाया, और हल्के से काटा। “उफ्फ… शिवेंद्र, तू तो मुझे पागल कर देगा!” वो बोली।

मैंने उसे सीधा किया और उसकी चूत पर मुँह रख दिया। उसकी चूत की खुशबू मुझे दीवाना बना रही थी। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया, और वो जोर-जोर से सिसकियाँ लेने लगी, “आह्ह… उफ्फ… और चाट, शिवेंद्र… हाय… मैं मर जाऊँगी!” उसका पानी मेरे मुँह में आने लगा। मैंने उसकी चूत के दाने को चूसा, और वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी। “आह्ह… हाय… और जोर से!” वो चिल्ला रही थी।

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कुछ देर बाद मैंने अपना 6 इंच का लंड उसकी ओर बढ़ाया। उसने उसे झट से अपने हाथ में लिया और धीरे-धीरे हिलाने लगी। “हाय, शिवेंद्र, तेरा लंड कितना मोटा और सख्त है!” उसने कहा और उसे अपने मुँह में ले लिया। वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। “उम्म… कितना टेस्टी है,” वो बोली। मैं जन्नत में था। उसकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी, और मैं सिसक रहा था, “आह्ह… प्रिया, और चूस… कितना मजा आ रहा है!” कुछ देर बाद उसने कहा, “प्लीज, शिवेंद्र, अब इसे मेरी चूत में डाल दे… मुझसे अब बर्दाश्त नहीं होता।”

मैं उसके पैरों के बीच बैठ गया। मैंने अपना तना हुआ लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा और एक जोरदार झटका मारा। मेरा आधा लंड उसकी चूत में समा गया। वो दर्द से सिहर उठी, “आह्ह… उफ्फ… प्लीज, थोड़ा धीरे कर, दर्द हो रहा है!” मैंने धीरे-धीरे लंड को आगे-पीछे करना शुरू किया। उसकी सिसकियाँ अब मजे में बदलने लगीं। “आह्ह… हाँ, शिवेंद्र, अब ठीक है… और कर!” वो बोली। जब उसका दर्द कम हुआ, मैंने फिर से एक जोरदार झटका मारा। इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत की गहराइयों में समा गया। “आह्ह… हाय… कितना गहरा गया… और चोद, शिवेंद्र!” वो चिल्लाई।

मैंने धक्के लगाने शुरू किए। “फच… फच…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। उसकी चूत से पानी बह रहा था, और वो अपनी गांड उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थी। “आह्ह… उफ्फ… और तेज, शिवेंद्र… फाड़ दे मेरी चूत!” वो चिल्ला रही थी। मैंने कहा, “प्रिया, तेरी चूत कितनी टाइट और गर्म है!” करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद उसने कहा, “प्लीज, अब कंडोम लगा ले।” मैंने कंडोम चढ़ाया और फिर से चुदाई शुरू की। अब वो और जोर से सिसकियाँ ले रही थी, “आह्ह… हाय… कितना मजा आ रहा है… और चोद, शिवेंद्र!”

उसकी चूत से पानी बह रहा था। मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसकी गांड को कसकर पकड़ा। मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाला और जोर-जोर से धक्के लगाने लगा। “आह्ह… उफ्फ… कितना गहरा जा रहा है… और तेज!” वो चिल्ला रही थी। मैंने कहा, “प्रिया, तेरी गांड कितनी मस्त है!” हर धक्के के साथ उसकी चूत और गीली हो रही थी। “फच… फच… फच…” की आवाज और तेज हो गई। 10-12 जोरदार झटकों के बाद मैं झड़ गया। हम दोनों एक-दूसरे से लिपट गए, पसीने से तरबतर।

उन तीन दिनों में हमने 15-16 बार चुदाई की। हर बार वो मेरे लंड की दीवानी हो रही थी। “शिवेंद्र, तू तो जादूगर है!” वो हँसते हुए बोली। अब जब भी मौका मिलता, मैं उसे चोदता।

दो महीने पहले प्रिया ने मुझे अपनी सहेली रूबी से मिलवाया। उसने बताया कि रूबी भी मेरे साथ चुदाई करना चाहती है। प्रिया ने उसे मेरे चुदाई के तरीकों और संतुष्टि की बातें पहले ही बता दी थीं। रूबी भी मेरे साथ वही मजा लेना चाहती थी। प्रिया ने हमें मिलवाया, और हमने नंबर एक्सचेंज किए। रूबी दिखने में बहुत खूबसूरत थी। उसका गोरा बदन, 36 साइज के कसे हुए बूब्स, और 38 साइज की भारी-भरकम गांड मुझे पागल कर रही थी। हमारी बातें शुरू हुईं, और जल्दी ही हम अच्छे दोस्त बन गए।

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एक दिन रूबी का कॉल आया। कुछ इधर-उधर की बातें हुईं, फिर उसने मुझे अपने घर बुलाया। मैंने कहा, “ठीक है, ऑफिस के बाद आ जाऊँगा।” रूबी शादीशुदा थी, लेकिन उसके पति 15 दिन के लिए बाहर गए थे। उसके घर में सिर्फ वो और उसकी 18 साल की बेटी थी, जो कॉलेज में पढ़ती थी। उस दिन वो कॉलेज गई थी। रूबी का घर बड़ा और शानदार था। मैं वहाँ पहुँचा और सोफे पर बैठ गया।

चाय का दौर चला, और हम बातें करने लगे। उसके चेहरे से लग रहा था कि वो बहुत प्यासी है। शायद उसका पति उसे ठीक से चोदता नहीं था। बातों-बातों में उसने पूछा, “शिवेंद्र, तेरे घर में कौन-कौन है?” मैंने बताया, “दिल्ली में अकेला हूँ। बीवी नहीं है, माँ गाँव में खेती संभालती है।” कुछ देर बाद मैंने जाने का बहाना बनाया। तभी उसने कहा, “तू अकेले रहता है, घर जाकर खाना कब बनाएगा? यहीं खाना खा ले।” मैं मन ही मन खुश हो गया। मुझे लग रहा था कि आज एक नई चूत मिलने वाली है।

उसने खाना बनाया। खाने-पीने में रात के 10:30 बज गए। मुझे खाना खाने के बाद सिगरेट और चाय की आदत है। मैंने चाय माँगी, और सिगरेट मेरे पास थी। वो चाय बनाने रसोई में चली गई। मैं बालकनी में सिगरेट पीने लगा। चाय आई, और हमने साथ में चाय पी। 11 बज चुके थे। उसने कहा, “अब तू घर मत जा। यहीं रुक जा, सुबह ऑफिस चला जाना।” मैंने सोचा और हाँ कह दिया।

उसकी बेटी सो चुकी थी। हम टीवी देख रहे थे। उसने एक हॉलीवुड फिल्म लगाई, जिसमें कई हॉट सीन थे। वो बड़े गौर से देख रही थी और अपनी मैक्सी के ऊपर से बूब्स दबा रही थी। मेरा लंड तन गया। मैं सोच रहा था कि शुरू कहाँ से करूँ? तभी मैंने कहा, “भाभी जी…” वो चौंक गई और बोली, “मुझे भाभी मत कह, रूबी बोल।” मैं हँस दिया। मैंने पूछा, “रूबी, तुम्हारे पति कितने दिन बाहर रहते हैं?” वो बोली, “महीने में 20 दिन तो बाहर ही रहते हैं।” उसका चेहरा उदास हो गया। मैंने कहा, “फिर तो वो तुम्हें समय ही नहीं दे पाते?” उसने लंबी साँस ली और बोली, “वो घर पर भी हों तो कहाँ समय देते हैं।”

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मैं उसकी बात सुनकर मन ही मन खुश हो गया। मुझसे अब रुका नहीं गया। मैं उसके पास जाकर चिपककर बैठ गया। उसने कोई विरोध नहीं किया। मेरी हिम्मत बढ़ी। मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और गाल पर एक किस कर लिया। वो मुस्कुराई और टीवी देखने लगी। मैं समझ गया कि रास्ता साफ है। मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने तने हुए लंड पर रख दिया। वो मेरी पैंट के ऊपर से लंड दबाने लगी।

मैंने उसके बूब्स दबाने शुरू किए। वो सिसकने लगी, “आह्ह… शिवेंद्र, कितना मजा आ रहा है।” मैंने अपनी पैंट की चेन खोली और लंड बाहर निकाला। उसने मेरे लंड को देखा और बोली, “हाय, कितना बड़ा और मोटा है!” वो उसे हिलाने लगी। मैंने पूछा, “चूसोगी?” उसने हाँ में सिर हिलाया और बोली, “बेडरूम चलें।”

हम बेडरूम में गए। उसने अपनी मैक्सी उतारी, और मैंने अपनी शर्ट-पैंट। वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। उसका गोरा बदन चमक रहा था। हमारी बॉडी में आग लग गई। मैंने उसके होंठ चूमे, फिर एक जोरदार हग किया। मैं एक बूब मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरा दबाने लगा। “उम्म… आह्ह… और चूस, शिवेंद्र,” वो सिसक रही थी। मैंने उसके पूरे बदन पर किस किए। उसकी 38 साइज की गांड को दबाया। वो बोली, “शिवेंद्र, मेरी प्यास बुझा दे… मैं कब से नहीं चुदी।”

मैंने उसके होंठ चूमे और उसे बेड पर लिटा दिया। हम 69 पोजीशन में आ गए। मैं उसकी चूत चाट रहा था, और वो मेरा लंड चूस रही थी। “आह्ह… उफ्फ… कितनी गीली है तेरी चूत, रूबी,” मैंने कहा। वो बोली, “हाय… तेरा लंड कितना सख्त है!” 15 मिनट बाद उसने कहा, “प्लीज, अब डाल दे।” मैंने पूछा, “कंडोम कहाँ है?” उसने बेड के सिरहाने से कंडोम निकाला, मेरे लंड के टोपे पर किस किया और कंडोम पहना दिया।

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मैं उसकी चूत के सामने बैठ गया। मैंने लंड का टोपा उसकी चूत पर रखा और एक जोरदार झटका मारा। वो चिल्लाई, “आह्ह… धीरे, शिवेंद्र!” मेरा आधा लंड उसकी चूत में था। मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाए। उसे मजा आने लगा। मैंने लंड बाहर निकाला और फिर एक जोरदार झटका मारा। मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। “आह्ह… उफ्फ… कितना गहरा गया… और चोद!” वो चिल्ला रही थी।

मैंने धक्के लगाने शुरू किए। “फच… फच…” की आवाज गूँज रही थी। वो अपनी गांड उठाकर मेरा साथ दे रही थी। “आह्ह… शिवेंद्र, फाड़ दे मेरी चूत… और तेज!” वो चिल्ला रही थी। मैंने कहा, “रूबी, तेरी चूत कितनी टाइट है!” करीब 10 मिनट बाद मैंने उसे घोड़ी बनाया। मैंने उसकी गांड पकड़ी और लंड उसकी चूत में डाल दिया। “आह्ह… हाय… कितना गहरा जा रहा है!” वो सिसक रही थी। मैंने जोर-जोर से धक्के लगाए। मेरा लंड उसकी चूत की गहराइयों को छू रहा था।

10-12 मिनट बाद हम दोनों झड़ गए। मैंने कंडोम उतारा, और हम बाथरूम में नहाने गए। फिर बेड पर लेटकर बातें करने लगे। वो मेरी छाती पर सिर रखकर लेटी थी और बीच-बीच में किस कर रही थी। उस रात हमने तीन बार चुदाई की। सुबह वो जल्दी उठी, क्योंकि उसकी बेटी को कॉलेज भेजना था। उसने मुझे 9 बजे उठाया। मुझे रात की चुदाई की थकान महसूस हो रही थी।

उसने मेरे लिए ब्रेड ऑमलेट और दूध लाया। नाश्ते के बाद मैं ऑफिस जाने को तैयार हुआ। तभी वो मुझसे लिपट गई और उसकी आँखों में आँसू आ गए। मैंने उसके आँसू पोंछे और उसे चूमा। वो बोली, “शाम को यहीं आ जाना।” मैंने हाँ कहा।

ऑफिस पहुँचकर मैंने अपनी डायरी निकाली तो देखा मेरे बैग में नोटों का एक बंडल था। मैं हैरान था। फिर रूबी की रात वाली बात याद आई, जिसमें उसने पैसे देने की बात की थी। मैंने गिना, 7500 रुपये थे। मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। मैंने सोचा कि शाम को उसे पैसे लौटा दूँगा।

शाम को उसके घर गया। मैंने उसे पैसे लौटाने की कोशिश की और गुस्सा भी जताया। उसने मुझे चूमा और बोली, “ये तुम्हारे साथ रात बिताने की कीमत नहीं है। तुम्हारे प्यार की कीमत कोई नहीं चुका सकता। ये मेरा छोटा सा गिफ्ट है।” मैंने फिर भी मना किया। वो बोली, “अगर तू पैसे नहीं रखेगा, तो मुझसे दोबारा मत मिलना।” मजबूरन मुझे पैसे रखने पड़े।

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उसके बाद मैंने उसे गले लगाया और चूमने लगा। उस रात फिर से चुदाई का दौर चला। मैंने उसे जमकर चोदा। वो मेरी हर चुदाई से खुश थी। ये सिलसिला कई दिनों तक चला। मैंने उसे हर बार पूरी संतुष्टि दी।

दोस्तों, मैं आपसे एक बात कहना चाहता हूँ। हर औरत सिर्फ प्यार माँगती है। वो प्यार के लिए सब कुछ लुटा देती है। वो बहुत भोली होती है। इसलिए कभी किसी औरत या लड़की को धोखा मत देना, ना ही उसका गलत इस्तेमाल करना।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसी चुदाई का मजा लिया है? कमेंट में जरूर बताएँ।

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  1. दोस्तों, मैं आपसे एक बात कहना चाहता हूँ। हर औरत सिर्फ प्यार माँगती है। वो प्यार के लिए सब कुछ लुटा देती है। वो बहुत भोली होती है। इसलिए कभी किसी औरत या लड़की को धोखा मत देना, ना ही उसका गलत इस्तेमाल करना।

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