सब दोस्तों को मेरा चटपटा नमस्ते! मेरी पिछली कहानी “विधवा दीदी ने मेरा लंड चूसा” में आपने पढ़ा कि काजल दीदी ने मेरा मोटा-लंबा लंड देखा, उसे चूसकर मज़े लिए, और अपनी चूत चुदवाने का पक्का इरादा जताया। बीच में ज्योति के आने से वो मुझसे अलग हो गई थीं। ज्योति मेरे पड़ोस की रसीली छोरी थी और काजल दीदी की पक्की सहेली। ज्योति का दाखिला करवाने के बाद मैं दिल्ली जाने की तैयारी में डूबा था। अब आगे की आग भरी कहानी सुनो, जो लंड खड़ा और चूत गीली कर देगी!
मैं अपने छोटे से कमरे में बैग में कपड़े ठूंस रहा था—पसीने से तर, सिर्फ पतला पजामा पहने हुए। मेरा लंड अभी भी सुबह की चुसाई से तना हुआ था, पजामे में हल्का-हल्का उभर रहा था। तभी मोबाइल की घंटी बजी—अनजान नंबर। मैंने फोन उठाया, “हैलो?” उधर से कोयल सी मादक आवाज़ गूँजी, “क्या मैं वीशु कपूर से बात कर सकती हूँ?” मैंने सीना तानकर कहा, “हाँ जी, मैं ही वीशु हूँ। कौन बोल रहा है?” वो बोली, “मैं कविता हूँ (नाम बदला हुआ)। सुना है तू गजब की सर्विस देता है—लंड ऐसा कि चूत की आग बुझा दे। मुझे और मेरी दो सहेलियों को तेरी ज़रूरत है।”
मैंने थोड़ा बनावटी अंदाज़ में कहा, “अभी तो दिल्ली जा रहा हूँ। लौटकर चोदूँगा, या किसी और का लंड ट्राई कर लो।” कविता की आवाज़ में हवस झलकी, “सुना है तेरा लंड मूसल सा मोटा-लंबा है, और तू घंटों तक चूत पेलता है। सच है न?” मैंने हँसते हुए कहा, “हाँ बिलकुल, जो सुना वो सच है।” वो तड़ाक से बोली, “तो फिर फटाफट मेरे फार्महाउस पहुँच। हम तीनों की चूत में आग लगी है—ठंडी कर दे। दुगुनी फीस लेके दिल्ली भाग जाना।”
मेरा दिमाग़ दौड़ा। सोचा, “वीशु, गाड़ी छूटने में 5 घंटे बाकी हैं। धंधा मत ठुकरा, ऊपर से दुगुने पैसे—जन्नत का माल!” मैंने चिल्लाकर कहा, “हाँ, आ रहा हूँ!” कविता ने फार्महाउस का पता ठोंक दिया। मैंने जल्दी से जेब में कंडोम के चार पैकेट भरे—हर हाल में तैयार रहना था। बाइक उठाई, और तेज़ी से बताए पते पर जा पहुँचा। रास्ते में हवा मेरे पजामे से लंड को सहला रही थी, और मैं सोच रहा था कि तीन चूतों का मज़ा एक साथ—क्या बात होगी!
फार्महाउस पर पहुँचा। बाहर चौकीदार खड़ा था। मैंने पूछा, “कविता कहाँ है?” उसने कहा, “मैम का सुबह फोन आया था कि वो आज आएँगी। बोलीं एक साहब आएँगे, उन्हें इज़्ज़त से बिठाना। फिर मैं घर जा सकता हूँ।” मैंने कहा, “ठीक है भाई, तू निकल ले।” उसने मुझे सोफे पर बिठाया और चला गया। मैं लेट गया, पैर फैलाए, लंड अभी भी पजामे में हल्का-हल्का तन रहा था। दस मिनट बाद एक चमचमाती काली ऑडी आकर रुकी। उसमें से काजल दीदी उतरीं—उनके चूचे सलवार-कमीज़ में उभरे हुए, गांड मटकती हुई। फिर ज्योति—उसके चिकने गाल और मासूम आँखें। तीसरी थी 24-25 की दूध सी गोरी, मस्त माल—कविता। तीनों हसीनाएँ मेरे कमरे की तरफ बढ़ीं।
कविता पहले घुसी—ये फार्महाउस उसका था। काजल दीदी और ज्योति ड्रॉइंग रूम में ठहरीं। कविता ने मुझे देखा, होंठ चाटे, और बाहर जाकर दोनों को बुलाया। काजल दीदी अंदर आईं, मुझे देखते ही आँखों में चमक—सुबह मेरा लंड चूसने की याद ताज़ा हो गई होगी। ज्योति शरमाई, आँखें नीचे किए खड़ी रही। बाद में काजल दीदी ने खुलासा किया कि उन्होंने कविता को मेरे लंड की तारीफ सुनाई और आज का ये चुदाई का जलसा रचा।
काजल दीदी और कविता ने ज्योति को घेर लिया। काजल दीदी बोलीं, “देख ज्योति, तेरी कुंवारी चूत की सील कोई न कोई फाड़ेगा। पर अगर किसी लौंडे का लंड छोटा-ढीला निकला, तो मज़ा फुस्स हो जाएगा। वीशु का लंड मोटा-लंबा है—चूत की जड़ तक ठोकता है, घंटों चलता है। हमारी सुन, इससे चुदवा। बड़े लंड से चूत फटने का सुख ही अलग है। छोटा-पतला लंड दर्द कम देता है, पर बच्चेदानी तक नहीं पहुँचता। जब तक लंड बच्चेदानी को न ठोक मारे, चुदाई का असली रस नहीं मिलता। थोड़ा दर्द सह, फिर जन्नत के दरवाज़े खुल जाएँगे। मेरी पहली चुदाई छोटे लंड से हुई—मज़ा आधा-अधूरा। दूसरी बार एक मोटे लंड ने ठोका—शुरू में चीखें निकलीं, पर बाद में ऐसा मज़ा कि आज तक चुदाई की भूखी हूँ। अब मैं लंड का साइज़-दम देखती हूँ, तभी चूत में घुसने देती हूँ।”
कविता ने जोड़ा, “ज्योति, ये मौका मत छोड़। वीशु का लंड तेरी चूत को फाड़कर स्वर्ग दिखाएगा।” ज्योति की आँखों में डर और हवस का मेल दिखा, पर वो मेरे लंड से चुदने को राज़ी हो गई।
तीनों को देख मेरा लंड पजामे में बेकाबू हो गया—फड़फड़ाकर टेंट बना रहा था, जैसे चूत की खुशबू सूँघकर पागल हो गया। काजल दीदी ने मुझे खड़ा किया, टी-शर्ट फाड़ दी—मेरा चौड़ा सीना नंगा। कविता ने बनियान खींची, मेरे मज़बूत हाथ बाहर आए। ज्योति से पजामा उतरवाया—मैं पूरा नंगा। मेरा लंड हवा में लहराया—लंबा, मोटा, सुपारा लाल। काजल दीदी बोलीं, “ज्योति, पकड़ इसे!” ज्योति ने काँपते हाथों से पकड़ा, बस थामे रही। काजल दीदी हँसीं, “क्या बस पकड़ेगी, या मज़ा लेगी? सहला इसे!” ज्योति ने आगे-पीछे रगड़ना शुरू किया—मेरा लंड और तन गया। कविता बोली, “अब मुँह में ले, चूस! सुपारा खोल, जीभ से चाट—ब्लू फिल्म की तरह मज़े लूट!”
ज्योति घुटनों पर बैठी, मेरा लंड मुँह में ठूँसा। चप्प-चप्प… चूस्स-चूस्स… उसकी गर्म जीभ सुपारे पर नाची। मेरा सुपारा फूल गया—मोटा मशरूम, टमाटर सा लाल। काजल दीदी और कविता ने ज्योति की कमीज़ फाड़ी, सलवार खींची। वो सफेद ब्रा-पैंटी में रह गई—चूचे उभरे, गांड टाइट। ज्योति मेरा लंड चूसती रही। काजल दीदी ने उसकी ब्रा का हुक खोला—चूचे उछले—गोल, बड़े, रसीले, निप्पल सख्त। मैं उन्हें देख पागल हुआ—खा जाना चाहता था, पर संयम रखा। हाथों से चूचे मसले—कसे हुए, वर्जिन, उंगलियाँ दबते ही सिसकारी छूटी।
ज्योति का मुँह मेरे मोटे लंड से दुखने लगा। उसने निकाला, हाँफते हुए बोली, “आह… बहुत मोटा है।” तभी काजल दीदी और कविता ने मेरा लंड और टट्टे लपके। चूस्स-चूस्स… दोनों भूखी शेरनियों की तरह चाटने लगीं—कभी सुपारा, कभी टट्टे मुँह में। मैंने ज्योति की पैंटी फाड़ी, उसकी चूत नंगी की—गुलाबी, गीली, कुंवारी। मैं उसकी चूत पर टूट पड़ा। चूत का दाना जीभ से चाटा—ज्योति उछली, “आहह…” जैसे करंट लगा। मैं उंगली डालकर चाटने लगा—चूत गर्म, रस टपक रहा था। दस मिनट बाद उसका शरीर अकड़ा, चूत से पिचकारी छूटी—मेरा मुँह भीगा। मैं चाटता रहा—रस का स्वाद नमकीन, मादक। ज्योति सिसकारी, “आहह… वीशु भैया!” मेरे सिर को चूत में दबाने लगी, कमर उछालने लगी।
वो चीखी, “बस, अब नहीं सहा जाता! लंड डालो, चूत फाड़ दो!” मैंने जीभ हटाई। काजल दीदी को उसके होंठ चूसने भेजा—वो ज्योति के मुँह में जीभ डालकर चूसने लगीं। कविता को चूचे मसलने-चूसने कहा—वो ज्योति के निप्पल काटने लगी। मैंने लंड का सुपारा खोला—लाल, चिकना। ज्योति की चूत पर रगड़ा—गीली, तैयार। छेद पर सेट कर एक ज़ोरदार धक्का मारा। लंड 3 इंच घुसा, चूत फटी—खून बहा। ज्योति चिल्लाई, “आह… मर गई!” काजल दीदी ने होंठ चूसकर चीख दबाई—बस “गूं-गूं” निकली। मैं रुका, फिर 3 इंच से धीरे-धीरे ठोकने लगा। कविता के चूचे चूसने से ज्योति का दर्द मज़े में बदला—वो नीचे से कमर हिलाने लगी।
मैंने लंड खींचा, फिर पूरा ज़ोर लगाया—7 इंच घुस गया। ज्योति तड़पी, “आहह… फट गई!” आँखों में आँसू, हाथ बिस्तर पर पीटने लगी। मैं धीरे-धीरे पेलता रहा। दस मिनट बाद वो फिर कमर उछालने लगी—दर्द भूल, मज़ा लेने लगी। मैंने लंड पूरा खींचा, दुगुनी ताकत से ठोका—जड़ तक घुस गया। ज्योति की चीख निकली, “हाय… माँ!” उसकी चूत फटकर खून से लाल हो गई। मैं 2 मिनट रुका, फिर धीरे-धीरे चोदने लगा। एक हाथ से उसका चूचा मसला—निप्पल सख्त, उंगलियों से दबाया। दूसरा चूचा मुँह में लिया—चूसते हुए धक्के मारे। ज्योति सिसकारी, “आह… वीशु भैया, ज़ोर से! मज़ा आ रहा है!”
मैंने रफ्तार पकड़ी—लंड चूत में अंदर-बाहर। वो चिल्लाई, “और तेज़!” मैंने ट्रेन की स्पीड से ठोका—धप-धप-धप… पाँच मिनट बाद उसकी चूत झड़ी—गर्म रस बरसा। मैं रुका नहीं, पोज़ बदले—कभी उसे ऊपर, कभी पीछे से। ज्योति 5 बार झड़ी—हर बार चूत टाइट होकर लंड निचोड़ती। मैं अभी बाकी था। झड़ने के करीब मैंने पूछा, “ज्योति, कहाँ निकालूँ?” काजल दीदी बीच में कूदीं, “वीशु, मेरे मुँह में!” मैंने कहा, “दीदी, लंड गंदा है—ज्योति का खून और रस लगा है।” वो बोलीं, “तो क्या? तेरा माल पीना है। खून-रस चाटकर साफ कर दूँगी।”
मैंने लंड ज्योति की चूत से खींचा—खून और रस से चिपचिपा। काजल दीदी के मुँह में ठूँसा। चूत की तरह धक्के मारे—धप-धप… उनकी जीभ लंड चाट रही थी। 8-10 धक्कों में पिचकारी छूटी—गाढ़ा, गर्म माल उनके गले में उतरा। वो चटखारे लेके पी गईं, लंड चूसती रहीं—साफ चमकाया, जब तक फिर खड़ा न हो गया।
ज्योति ने मुझे खींचा—मैं उस पर ढेर हुआ। वो मुझसे लिपट गई, पागलों की तरह चूमने लगी—होंठ काटे, गाल चाटे, गर्दन पर दाँत गड़ाए। कविता बोली, “ज्योति, चुदाई का मज़ा?” ज्योति हाँफते हुए बोली, “दीदी, स्वर्ग दिखा। आप दोनों का शुक्रिया।” फिर उसकी नज़र चूत पर पड़ी—खून, मेरा माल, उसका रस मिलकर रिस रहा था। चादर पर खून का बड़ा दाग—वो हैरानी से देखने लगी, कभी चूत को टटोलती, कभी चादर को घूरती।
थोड़ी देर बाद ज्योति को पेशाब लगी। उठने की कोशिश की, पर चल न सकी—चूत फट चुकी थी, दर्द से कराह रही थी। मैंने उसे नंगे गोद में उठाया—उसके चूचे मेरे सीने से रगड़ रहे थे। बाथरूम ले गया, उसे बिठाया। पानी से चूत में उंगली डालकर साफ की—खून, रस धुल गया। उसकी चूत गुलाबी, सूजी हुई थी। आधे घंटे आराम किया—ज्योति मेरे सीने पर सर रखकर लेटी रही। फिर काजल दीदी और कविता की बारी। दोनों चुदक्कड़ थीं—चूत और गांड ढीली। मेरा लंड एक झटके में घुस गया। काजल दीदी को घोड़ी बनाकर ठोका—उनकी गांड मारी, चूचे लटक रहे थे। कविता को उल्टा लिटाकर पेला—उसकी चूत चाटी, फिर गांड में लंड घुसेड़ा। दोनों को चोदा, हर छेद से मज़ा लूटा।
ये थी मेरे एक लंड से तीन चूतों की चुदाई की गर्मागर्म कहानी। दोस्तों, बताओ कैसी लगी?
कहानी का अगला भाग : एयर होस्टेस और उसकी कुंवारी बहन की चुदाई
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