दीदी, चूस ले मेरा लंड!

Gangbang Sex Story: हमारा मोहल्ला पुराना सा है, जहां घर आपस में सटे हुए हैं, छतें ऐसी कि एक से दूसरी पर आसानी से कूद जाओ। मेरे पड़ोस में तीन कॉलेज के लड़के—संदीप, अजय और राहुल—एक कमरा किराए पर लेकर रहते थे। शाम को छत पर बैठकर वो मुझसे हंसी-मजाक करते, कभी-कभी तो बातें ऐसी गर्म हो जातीं कि मेरा मन भी डोलने लगता। तीनों जवान, हट्टे-कट्टे, उनके चेहरे देखकर मेरी चूत में खुजली होने लगती थी। मन करता था कि काश ये मुझे पकड़कर चोद डालें, और मैं इनके लंड का पूरा मजा लूं। कई बार रात को सपने में भी यही दिखता—तीनों मुझे बारी-बारी से पेल रहे हैं, और मैं सिसकारियां भर रही हूं।

मेरे पति ज्यादातर मुंबई में धंधे के सिलसिले में रहते थे। घर पर सास-ससुर थे, पर वो गठिया के मारे नीचे ही पड़े रहते। मैं अकेली थी, और ये अकेलापन मेरे जिस्म में आग लगाता था। उस दिन मौसम भारी था, बारिश होने वाली थी। मैंने वो बिस्तर, जिस पर मैं और मेरे पति चुदाई करते थे, छत पर लाकर धोने रख दिया। उस पर वीर्य के दाग, पेशाब की गंध, और चुदाई के दौरान इस्तेमाल की क्रीम की चिकनाई थी। बारिश का पानी इसे साफ कर देता था।

ठंडी हवा चल रही थी, और अंधेरा छा चुका था। मैंने अपनी ब्रा और पैंटी उतार दी, जिस्म को ठंडी हवा की सैर कराने का मन था। मेरी चूत और चूचियां हवा से लहरा रही थीं, और मैं मस्ती में थी। दूसरी छत पर संदीप, अजय और राहुल दरी बिछाकर शराब पी रहे थे, हंसी-ठहाके लगा रहे थे।

“अरे दीदी, आओ ना! कितना मस्त मौसम है!” संदीप ने जोर से पुकारा।

“नहीं, तुम लोग मजे करो! राहुल, बधाई हो, 80 परसेंट आए ना?” मैंने हंसते हुए कहा।

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“दीदी, मिठाई तो खा लो!” राहुल ने गुहार लगाई।

मैं मना न कर सकी और उनकी छत पर चली गई। मिठाई खाने के लिए झुकी तो मेरी चूचियां ब्लाउज से बाहर झांकने लगीं। तीनों की नजरें मेरे बोबों पर टिक गईं। वो जानबूझकर मेरी चूचियों को घूर रहे थे, और मुझे ये सब देखकर मजा आ रहा था। मौसम नशीला था, और मेरे जिस्म में आग लग रही थी। उनकी पजामों में तंबू बनने लगा था, और मैं उनके लंड के उभार को देखकर गीली होने लगी थी।

“दीदी, हमारे बीच में आ जाओ! राहुल के नाम एक पेग!” संदीप ने मजाक में कहा।

मैंने मौके को भांप लिया और संदीप और राहुल के बीच बैठ गई। तभी राहुल ने मेरे चूतड़ पर हाथ फेर दिया। मैंने अनजान बनकर इसे नजरअंदाज किया, पर मेरे जिस्म में करंट दौड़ गया।

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“लो दीदी, एक सिप!” अजय ने गिलास मेरी तरफ बढ़ाया।

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“नहीं, पहले मैं दूंगा!” संदीप ने हंसते हुए गिलास छीन लिया। गिलास छलक गया, और शराब मेरे ब्लाउज पर गिर गई। राहुल ने तुरंत रुमाल निकाला और मेरी छाती पोंछने लगा। उसका हाथ मेरी चूचियों पर बार-बार रगड़ रहा था। अजय भी पीछे न रहा, उसने भी मेरी चूचियां दबा दीं। मेरे मुंह से “हाय!” निकल गया।

मैंने मौका देखकर राहुल के लंड पर हाथ रख दिया और हल्के से दबाते हुए बोली, “अरे, बस करो! मैं साफ कर लूंगी!” फिर उसका लंड छोड़ दिया। तभी बारिश शुरू हो गई। मेरा ब्लाउज मेरी चूचियों से चिपक गया, और सफेद पेटीकोट मेरी गांड के नक्शे को साफ दिखाने लगा। तीनों मुझे बेशर्मी से घूर रहे थे, और मेरी चूत में आग लग चुकी थी।

मैं दीवार लांघकर अपनी छत पर आई और बिस्तर धोने लगी। बारिश तेज हो रही थी, और मेरा जिस्म जल रहा था। मैंने चूत को हाथ से दबाया, और मेरे मुंह से सिसकारी निकल गई। मैं ब्लाउज के ऊपर से अपनी चूचियां मसलने लगी। तभी मुझे लगा कि कोई दीवार कूदकर आया। देखा तो राहुल था।

“दीदी, मैं बिस्तर धोने में मदद कर दूं?” उसने कहा और मेरे पास आ गया। अंधेरे का फायदा उठाकर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।

“अरे, छोड़ ना!” मैंने कहा, पर उसने मुझे खींचकर कोने में ले गया।

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“दीदी, तुम कितनी मस्त हो! बस एक किस दे दो!” वो मेरे ऊपर झुक गया, और उसका जिस्म मुझसे चिपक गया। मैं कांप रही थी, मेरे होंठ थरथरा रहे थे। उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए, और मेरी चूचियां उसकी छाती से दबने लगीं। उसका लंड मेरी चूत के पास रगड़ रहा था। मैंने अपनी चूत को उसके लंड पर सेट किया, और वो मेरी चूत की दरार पर रगड़ने लगा।

“राहुल, बस कर! अब हट!” मैंने बेमन से कहा।

पर उसने मेरी चूचियां जोर से दबा दीं और मेरा ब्लाउज खींच लिया। “दीदी, ये मस्त कबूतर! इनकी गर्दन मरोड़ने दे!” उसने मेरी चूचियां मसलीं, और मैं सिसकारी भरते हुए उसका लंड पकड़कर खींच लिया।

“राहुल, ये मस्त केला खिला दे! मेरी चूत में खुजली हो रही है!” मेरे मुंह से निकल गया। राहुल ने मेरा पेटीकोट उठाया और अपना पजामा उतार दिया। उसने मुझे गीले बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी चूत के पास बैठ गया। मैंने अपनी बाहें खोल दीं।

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“आजा राहुल! हाय, जल्दी आजा!” मैंने उसे बुलाया। उसने मेरी चूचियां दबाईं और अपना लंड मेरी गीली चूत पर रख दिया। वो मेरे ऊपर लेट गया, और उसका गरम लंड मेरी चूत में घुसने लगा। मैंने अपनी चूत ऊपर उठाकर पूरा लंड अंदर ले लिया। बारिश का ठंडा पानी मेरे जिस्म पर गिर रहा था, और उसका गरम लंड मेरी चूत को मस्त कर रहा था।

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“लगा ना, राहुल! चोद दे मुझे!” मैंने सिसकारी भरी। उसने धक्के मारने शुरू किए, और मेरा जिस्म आग में जलने लगा। बारिश की बूंदें मेरी चूचियों पर गिर रही थीं, और उसका लंड मेरी चूत की मालिश कर रहा था। मैं अपनी कमर हिलाकर उसका साथ दे रही थी।

“हाय रे, चोद दे! मेरी चूत फाड़ दे!” मैं चिल्लाई। उसका लंड तेजी से अंदर-बाहर हो रहा था, और मेरी चूत गीली होकर चिकनी हो चुकी थी। “तेरे टट्टे मेरी गांड को थपथपा रहे हैं! हाय, कितना मस्त लग रहा है!”

“दीदी, तेरी चूत तो जन्नत है!” राहुल ने जोश में कहा। उसकी कमर इंजन की तरह चल रही थी। मैं चरम पर पहुंचने लगी थी। मेरी चूत में कसावट आ रही थी, और सारा रस बाहर छलकने लगा। “हाय! मर गई! चोद दे जोर से!” मैं झड़ गई, और मेरा जिस्म निढाल हो गया।

राहुल ने अपना लंड निकाला और मुठ मारते हुए मेरे पेट पर पिचकारी छोड़ दी। बारिश का पानी और उसका वीर्य मेरे जिस्म पर मिल गया। मैंने आंखें बंद कर लीं, और बारिश का मजा लेने लगी। तभी किसी ने मुझे खींच लिया। एक कड़क लंड मेरी गांड से टकराया।

“दीदी, प्लीज, करने दे!” ये अजय की आवाज थी।

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तभी संदीप का लंड मेरे मुंह से रगड़ने लगा। “दीदी, चूस ले मेरा लंड!” उसने कहा। मैंने उसका लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी। राहुल का लंड फिर से कड़क हो चुका था, और वो मेरी गांड की तरफ बढ़ा।

“राहुल, धीरे से!” मैंने कहा, पर उसका लंड मेरी गांड के छेद को छू रहा था। बारिश से मेरी गांड चिकनी हो चुकी थी। “घुसेड़ दे!” मैंने कहा, और उसने धीरे से लंड मेरी गांड में डाल दिया। मैं सिसकारी भरने लगी।

अजय ने मेरी चूत पर अपना लंड रखा और धीरे-धीरे अंदर घुसेड़ दिया। मैंने अपनी टांगें खोल दीं, और उसका लंड मेरी चूत में समा गया। मैंने राहुल को कहा, “लंड निकाल और मेरी पीठ पर आ!” मैंने अजय को नीचे लिटाया और उसका लंड पूरा अंदर ले लिया। राहुल ने पीछे से मेरी गांड में फिर से लंड घुसेड़ दिया। संदीप ने अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया।

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“हाय, चोद दो मुझे! पेल डालो!” मैं मस्ती में चिल्लाई। तीनों लंड मेरे जिस्म को चोद रहे थे, और बारिश की बौछारें मेरी वासना को और भड़का रही थीं। संदीप ने अचानक लंड निकाला और मेरे चेहरे पर पेशाब की पिचकारी मार दी। “पी ले, दीदी! मजा आएगा!” उसने कहा। मैंने मुंह खोल दिया, और उसका नमकीन पेशाब मेरे चेहरे और मुंह में गिरने लगा।

अजय और राहुल जोर-जोर से धक्के मार रहे थे। “दीदी, तेरी गांड कितनी टाइट है!” राहुल हांफते हुए झड़ गया और मेरी पीठ पर पेशाब करने लगा। संदीप ने भी पिचकारी छोड़ दी। मैंने अपनी चूत से पेशाब की धार छोड़ी, और संदीप मेरे सामने लेटकर उसे पीने लगा। राहुल ने मेरी चूत से मुंह चिपकाया और मेरे पेशाब को चाट लिया।

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अजय ने मेरी चूत को चाटकर साफ किया, और फिर हम चारों गीले बिस्तर पर लेट गए। बारिश की बूंदें हमारे नंगे जिस्मों पर गिर रही थीं। ठंडी हवा मेरी चूचियों और उनके लंडों को सहला रही थी। मेरे जिस्म में फिर से आग भड़कने लगी। उनके लंड फिर से तन गए। मैंने उनकी लाल-लाल लंडों को देखकर कहा, “आओ, एक बार और!”

इस बार तीनों ने मेरी गांड को निशाना बनाया। राहुल ने पहले मेरी गांड में लंड घुसेड़ा, फिर अजय, और फिर संदीप। एक-एक करके तीनों ने मेरी गांड मारी, और मैं सिसकारियां भरते हुए मजा लेती रही। बारिश, वासना, और तीन जवान लंड—सबने मिलकर मुझे जन्नत दिखा दी। 3 lund se chudai

हम चारों थककर लेट गए, बारिश की बूंदें हमारे जिस्मों को ठंडा कर रही थीं। मेरे मन में शांति थी, और जिस्म की आग बुझ चुकी थी। पर बारिश की ठंडक फिर से मेरे जिस्म को गर्म करने लगी, और मैंने सोचा—अभी तो रात बाकी है, और ये तीनों जवान शेर मेरे साथ हैं।

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