Devar Bhabhi Sex Story: दोस्तों, मेरा नाम निकिता है। 23 साल की एक जलती हुई हॉट और सेक्सी लड़की हूँ मैं, मेरा फिगर 34-28-36 ऐसा है कि हर मर्द की नज़र मेरे जिस्म पर ठहर जाए। मेरा गोरा रंग, मेरे भरे हुए कर्व्स—हर इंसान मुझे देखते ही अपनी ख्वाहिशों के समंदर में डूब जाता है। लोग कहते हैं कि मुझे एक बार देख लो, तो बस मुझे बिस्तर पर लिटाने की तमन्ना दिल में जाग उठती है। मेरा घर अपने देवर नितिन के घर के ठीक पास है। नितिन—19 साल का स्मार्ट, हैंडसम लड़का, 5.8 फीट की हाइट, कसी हुई बॉडी, और वो आग जो उसकी आँखों में झलकती है। वो दिन में तीन-चार बार मेरे घर आता है, और हर बार उसकी मौजूदगी मेरे दिल में एक हल्की सी गुदगुदी छोड़ जाती है। मेरे पति की अभी हाल ही में शादी हुई है। वो एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं और अपने काम की वजह से ज़्यादातर बाहर रहते हैं। उनके जाने के बाद मैं घर पर अकेली रह जाती हूँ, और उस खालीपन को भरने के लिए मैं नितिन को बुला लेती हूँ। हम दोनों अब गहरे दोस्त बन चुके हैं—ऐसे दोस्त जो अपनी हर छुपी हुई बात, हर राज़, एक-दूसरे के साथ बाँटते हैं।
एक दिन मेरे पति को काम के लिए इंडिया से बाहर जाना पड़ा। मैं और नितिन उन्हें एयरपोर्ट तक छोड़ने गए। जब हम घर लौट रहे थे, मेरा दिल उदासी से भरा था। उनकी गैरमौजूदगी का ख्याल मुझे अंदर ही अंदर कचोट रहा था। नितिन ने मेरी उदासी भाँप ली और अपने मज़ाकिया अंदाज़ में मुझे हँसाने की कोशिश करने लगा। उसकी बातों में वो शरारत थी, जो धीरे-धीरे मेरे चेहरे पर मुस्कान ला रही थी। उसी शाम उसने मुझे घुमाने का प्लान बनाया और अपनी बाइक पर मुझे बाहर ले गया। मैं उसकी बाइक पर बैठी, और अपने हाथ को उसके चौड़े कंधे पर रख दिया। उसकी गर्माहट मेरे जिस्म में एक सिहरन पैदा कर रही थी।
मार्केट में भीड़ बहुत थी। नितिन को बार-बार ब्रेक लगाने पड़ रहे थे, और हर ब्रेक के साथ मेरे मुलायम, भरे हुए बूब्स उसकी कमर से टकरा रहे थे। वो नरम एहसास मेरे अंदर एक अजीब सी उत्तेजना जगा रहा था। मुझे लगा कि नितिन भी इस खेल का मज़ा ले रहा था, क्योंकि उसने जानबूझकर ज़ोर-ज़ोर से ब्रेक लगाना शुरू कर दिया। हर टक्कर के साथ मेरी साँसें तेज़ हो रही थीं, और उसकी कमर की गर्मी मेरे जिस्म को छू रही थी। तभी अचानक तेज़ बारिश शुरू हो गई। मैंने उस दिन सफेद रंग की पतली सी कमीज़ पहनी थी, जो बारिश में भीगते ही मेरे जिस्म से चिपक गई। मेरी काली जालीदार ब्रा साफ नज़र आने लगी थी, और मेरे 34 साइज़ के उभरे हुए बूब्स उसमें से बाहर झाँक रहे थे। नितिन की नज़रें मेरे सीने पर ठहर गईं—उसकी आँखों में एक भूख थी, एक चाहत जो मेरे दिल की धड़कनों को तेज़ कर रही थी। मैं जानबूझकर उसकी नज़रों का जवाब दे रही थी, उसकी हर चोरी हुई नज़र मेरे अंदर आग भड़का रही थी। हम दोनों बारिश में भीग चुके थे, लेकिन उस ठंडे पानी ने हमारे जिस्मों को बाहर से ठंडा और अंदर से गर्म कर दिया था। मेरे होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान थी—मैं चाहती थी कि वो मुझे और देखे, और करीब आए।
फिर नितिन मुझे मेरे घर छोड़कर अपने घर जाने लगा। उसकी पीठ देखकर मेरा मन बेचैन हो उठा। मैंने उससे कहा, “नितिन, तुम यहीं रुक जाओ ना।” मेरी आवाज़ में एक प्यास थी, एक नरम सा आग्रह। लेकिन उसने कहा कि उसे घर पर कोई ज़रूरी काम है और वो चला गया। उसकी गैरमौजूदगी ने मुझे और बेचैन कर दिया। आधे घंटे बाद मैंने उसे फोन किया और अपनी मादक आवाज़ में कहा, “नितिन, मेरे पास आ जाओ… आज रात यहीं रुक जाओ।” वो मेरी बात सुनकर खुश हो गया और जल्दी से तैयार होकर मेरे घर आ पहुँचा। रास्ते में बारिश ने उसे फिर से गीला कर दिया था। उसकी गीली शर्ट उसके कसे हुए जिस्म से चिपक गई थी, और मैं उसकी मर्दाना शक्ल को देखती रह गई। मैंने उसे अपने पति के कपड़े लाकर दिए, और वो उन्हें बदलने चला गया।
मैंने उसके आने से पहले खाना तैयार कर लिया था। हम दोनों साथ बैठकर खाने लगे। उसकी मौजूदगी मेरे दिल को एक सुकून और उत्तेजना का मिश्रण दे रही थी। तभी अचानक लाइट चली गई। अंधेरे में हम मोमबत्ती ढूंढने लगे। उस घने अंधेरे में हम आपस में टकरा गए। नितिन का हाथ मेरे मुलायम बूब्स पर जा लगा—वो छुअन इतनी गर्म थी कि मेरे जिस्म में बिजली सी दौड़ गई। उसी पल ज़ोर से बिजली कड़की, और मैं डर के मारे उससे लिपट गई। मेरे भरे हुए बूब्स उसकी चौड़ी छाती से दब गए, और उसका हाथ मेरी पीठ पर रुक गया। उसकी साँसें मेरे गले को छू रही थीं, और मेरे दिल की धड़कनें तेज़ हो रही थीं। कुछ देर बाद हम अलग हुए। मैंने उसे अपनी काँपती आवाज़ में कहा, “मुझे बिजली से बहुत डर लगता है, नितिन।” फिर थोड़ी देर ढूंढने के बाद मुझे मोमबत्ती मिल गई। हमने उसे जलाया और डिनर खत्म किया।
डिनर के बाद हम सोने की तैयारी करने लगे। अंधेरे और बारिश की ठंडक ने मेरे जिस्म में एक अजीब सी बेचैनी भर दी थी। मैंने नितिन से कहा, “नितिन, तुम मेरे बेडरूम में ही सो जाओ… मुझे अकेले सोने से डर लगता है।” मेरी आवाज़ में डर के साथ-साथ एक नशीली चाहत भी थी। नितिन की आँखों में एक चमक उभरी, मानो उसके अंदर का शैतान जाग उठा हो। उसने मेरी बात मान ली, और हम दोनों मेरे बेडरूम में चले गए। मैंने उसे फ्रेश होने के लिए कहा, और वो बाथरूम की ओर बढ़ गया। मेरे दिल की धड़कनें तेज़ हो रही थीं—उसके साथ एक ही कमरे में रात बिताने का ख्याल मेरे जिस्म को गर्म कर रहा था।
जब नितिन बाथरूम में था, मैं अपने ख्यालों में खोई हुई थी। वहाँ मेरी काली जालीदार ब्रा और लाल पेंटी पड़ी थी, जो मैंने सुबह उतारी थी। मैं सोच रही थी कि अगर उसकी नज़र उन पर पड़ी तो क्या होगा। मेरे मन में एक शरारत भरी उत्तेजना जाग रही थी। थोड़ी देर बाद नितिन बाहर आया, उसने मेरे पति की ढीली-ढाली केफ्री पहनी थी, जो उसके कसे हुए जिस्म पर कुछ ज़्यादा ही सेक्सी लग रही थी। मैं किचन के काम निपटाकर बेडरूम में लौटी और फ्रेश होने चली गई। बाथरूम में मैंने अपनी ब्रा और पेंटी को देखा—उन पर कुछ गीला सा लगा था। मेरे होंठों पर एक शरारती मुस्कान आ गई। क्या नितिन ने…? ये सोचकर मेरे जिस्म में एक सिहरन दौड़ गई। मैंने जल्दी से नहाया और अपनी काली जालीदार मेक्सी पहन ली। उसमें से मेरी लाल ब्रा और पेंटी साफ झलक रही थीं। मैं जानबूझकर थोड़ा झुकी ताकि मेरा फिगर और उभरकर सामने आए।
जब मैं बेडरूम में लौटी, नितिन बेड पर फोन लिए बैठा था। मेरे आते ही उसकी नज़रें मुझ पर ठहर गईं। उसकी आँखों में वो भूख थी, जो मेरे जिस्म को और गर्म कर रही थी। मैंने एक प्यारी सी स्माइल दी और टीवी ऑन कर दिया। टीवी की आवाज़ के बीच मैं उसकी चोरी-छिपे नज़रों को महसूस कर रही थी। वो मेरे बड़े, सुंदर बूब्स को तिरछी नज़रों से देख रहा था। मेरी मेक्सी घुटनों तक थी, और पंखे की हवा से वो थोड़ी ऊपर उठ गई। मेरी लाल पेंटी साफ नज़र आ रही थी, और मैं जानती थी कि नितिन की नज़र वहाँ टिकी हुई थी। मैंने उसकी बेचैनी को देखा—उसका खड़ा लंड केफ्री में साफ दिख रहा था। वो उसे छुपाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मेरे लिए वो नज़ारा किसी लालच से कम नहीं था। मैं मन ही मन मुस्कुरा रही थी—उसकी ये हालत मुझे और उकसा रही थी।
अचानक लाइट फिर से चली गई। बाहर बारिश तेज़ हो रही थी। बिजली कड़की, और मैं डर के मारे नितिन से लिपट गई। मेरा दिल तेज़ी से धड़क रहा था, लेकिन उसकी बाहों की गर्मी मुझे सुकून दे रही थी। मेरा एक हाथ उसकी गांड पर चला गया, और उसकी जाँघें मेरे खड़े लंड को रगड़ रही थीं। जब हम अलग हुए, उसका हाथ मेरे लंड पर से गुज़रा—वो छुअन मेरे जिस्म में आग लगा गई। हम बैठकर बातें करने लगे। मैंने शरारत भरे लहजे में पूछा, “नितिन, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?” वो मेरे सवाल से चौंक गया। मैंने फिर पूछा, तो उसने हाँ कहा। मैंने हँसते हुए कहा, “हाँ, अब तुम बड़े हो रहे हो…” मेरी बात अधूरी छोड़कर मैंने उसकी आँखों में देखा। अंधेरे का फायदा उठाकर नितिन ने मेरे बूब्स को दबा दिया। मैंने कुछ नहीं कहा—मेरे होंठों पर बस एक हल्की सी सिसकी थी। उसकी हिम्मत बढ़ी, और वो ज़ोर-ज़ोर से मेरे बूब्स दबाने लगा। मेरे अंदर की आग भड़क उठी थी।
तभी लाइट आ गई। मैंने देखा कि मेरा एक हाथ अपनी गीली चूत को रगड़ रहा था। नितिन ने मौका देखा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे को छू रही थीं। पहले मैंने उसे दूर किया, लेकिन वो फिर मुझ पर टूट पड़ा। उसकी जीभ मेरे मुँह में घुस गई, और मैं भी भूखी शेरनी की तरह उसका साथ देने लगी। मैंने उसकी केफ्री से उसका 8 इंच का लंड बाहर निकाला—वो इतना मोटा और गर्म था कि मेरे हाथ काँप उठे। मैंने उसे सहलाना शुरू किया, और वो मेरी चूत को रगड़ने लगा। मैं सिसकियाँ ले रही थी—उह्ह… आह्ह… मेरे होंठ उसके होंठों से चिपके हुए थे। तभी मैंने उससे कहा, “नितिन, तुम्हारा ये इतना बड़ा लंड मैं कैसे लूँगी?” मेरी बात सुनकर उसकी आँखों में और जोश भर गया।
उसने मेरी मेक्सी को फाड़ डाला। उसकी गर्म साँसें मेरी गर्दन पर पड़ रही थीं, और वो मेरे बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। फिर उसने मेरी ब्रा के हुक खोले, और मेरे 34 साइज़ के बूब्स उसके सामने नंगे हो गए। मेरे गुलाबी निप्पल सख्त हो चुके थे, और नितिन उन्हें देखता रह गया। मैंने शरारती लहजे में कहा, “बस देखता रहेगा, या इनका रस भी पिएगा?” उसने कहा, “अगर आप पिलाएँ तो ज़रूर पियूँगा।” और वो मेरे बूब्स पर टूट पड़ा। उसकी जीभ मेरे निप्पल को चाट रही थी, और दाँतों से काट रही थी। मैं चीख रही थी, “हाँ… और ज़ोर से चूसो… ऊऊऊ… आह्ह…” उसका एक हाथ मेरी चूत को सहला रहा था, और मैं उत्तेजना से पागल हो रही थी।
तभी मैंने उसकी केफ्री को खींचकर बाहर फेंक दिया। उसका 8 इंच लंबा, 3 इंच मोटा लंड मेरे सामने था—कड़ा, गर्म, और तैयार। मैं उसे अपने हाथों में लेकर आगे-पीछे करने लगी। उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं, और मैं अपने बूब्स को उसके मुँह में और गहराई तक दबा रही थी। मेरी चूत अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी, और मैं चाहती थी कि वो उसे भी चखे।
अचानक मैं नीचे झुकी और उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया। वो इतना बड़ा था कि मेरे होंठों को पूरा खोलना पड़ा। मैं उसे चूसने लगी—धीरे-धीरे, फिर ज़ोर-ज़ोर से। नितिन के मुँह से सिसकियाँ निकल रही थीं, “आह्ह… हाँ… और ज़ोर से चूसो… ओह्ह…” उसकी आवाज़ मेरे अंदर की भूख को और बढ़ा रही थी। मैंने उसका पूरा लंड अपने गले तक उतारने की कोशिश की, लेकिन वो इतना मोटा था कि मेरी साँसें रुकने लगीं। तभी नितिन ने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उसका पूरा लंड मेरे गले में समा गया। मेरी आँखों से आँसू बहने लगे, लेकिन मुझे मज़ा आ रहा था। मैं उसके बॉल्स को भी चूस रही थी, और उसकी उत्तेजना देखकर मेरी चूत और रस छोड़ रही थी।
फिर नितिन ने मुझे उठाया और मेरी पेंटी को एक झटके में उतार दिया। मेरी साफ, गोरी चूत उसके सामने थी—हाल ही में शेव की हुई, रसीली, और उसकी जीभ के लिए तैयार। उसने कहा, “अब इसे चूसो,” और मैंने उसे और उकसाते हुए अपनी टाँगें फैला दीं। उसकी जीभ मेरी चूत पर पड़ी, और मैं चीख उठी, “आह्ह… ऊऊऊ… हाँ…” वो मेरे सिर को अपनी चूत में दबा रहा था, और मैं उसके बालों को पकड़कर उसे और अंदर धकेल रही थी। उसकी जीभ मेरे अंदर तक जा रही थी, और मैं सिसक रही थी, “हाँ… और चूसो… आउच…” उसने मेरी चूत को चूस-चूसकर मेरा सारा पानी निकाल दिया। मैं तड़प रही थी, लेकिन वो रुका नहीं। मैं चिल्लाई, “फाड़ डालो इसे… अपना लंड घुसा दो…” लेकिन उसने मेरी बात अनसुनी कर दी और मेरी चूत को चूसता रहा। मैं उसकी जीभ से और तड़प रही थी, मेरे होंठ काँप रहे थे, “प्लीज़… अब बस करो…” लेकिन वो मुझे और तरसाना चाहता था।
थोड़ी देर बाद उसने चूसना बंद किया। मैं उसकी इस शरारत से पागल हो चुकी थी। मैं उसके ऊपर चढ़ गई और उसके लंड को फिर से अपने मुँह में ले लिया। मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से चूस रही थी, जैसे कोई प्यासी रांड अपनी भूख मिटा रही हो। नितिन चीख रहा था, “आह्ह… ओह्ह… हाँ…” मैं चाहती थी कि वो मेरे मुँह में झड़े। मैंने कहा, “मैं तुम्हारा पानी पीना चाहती हूँ,” और उसका लंड और तेज़ी से चूसने लगी। करीब 5 मिनट बाद उसने मेरे मुँह में अपना गरम पानी छोड़ दिया। मैंने उसका सारा रस पी लिया और अपनी जीभ से उसके लंड को चाट-चाटकर साफ कर दिया। फिर हम एक-दूसरे से लिपट गए। उसके होंठ मेरे होंठों से चिपक गए, और हम एक गहरी, नशीली चुम्मी में खो गए। मेरा एक हाथ उसके लंड को सहला रहा था, और वो मेरी चूत को रगड़ रहा था। उसका लंड फिर से सख्त होने लगा, और मेरी चूत फिर से गीली।
हम 69 की पोज़िशन में आ गए। मैं उसके लंड को चूस रही थी, और वो मेरी चूत को। उसकी जीभ मेरे अंदर की आग को और भड़का रही थी, और मैं उसके लंड को अपने गले तक ले रही थी। तभी नितिन उठा और बोला, “क्या अब चुदने के लिए तैयार हो?” मैंने जवाब में अपनी टाँगें फैला दीं—मेरी चूत उसके लंड का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी। उसने एक तकिया उठाया और मेरी पीठ के नीचे रख दिया। फिर उसने अपना गरम, लोहे जैसा लंड मेरी चूत पर रखा और रगड़ने लगा। उसकी हर रगड़ मेरे जिस्म में बिजली दौड़ा रही थी। मैं चीखी, “अब इसे अंदर डाल दो… मुझसे और बर्दाश्त नहीं होता…” उसने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी चूत पर रख दिया। एक ज़ोरदार धक्के के साथ उसका लंड मेरे अंदर घुसा—तीन इंच तक। मैं चीख पड़ी, “उह्ह… आईईइ… माँ… आह्ह…” दर्द के साथ-साथ एक अजीब सा मज़ा भी था। वो मेरे ऊपर था, और मुझे चूम रहा था। मेरे होंठों पर उसकी साँसें मेरे दर्द को पिघला रही थीं।
जब मेरा दर्द थोड़ा कम हुआ, उसने एक और धक्का मारा। उसका आधे से ज़्यादा लंड मेरी चूत में समा गया। मैं दर्द से तड़प रही थी, “प्लीज़… इसे बाहर निकालो… वरना मैं मर जाऊँगी…” मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे, लेकिन वो रुका नहीं। थोड़ी देर बाद जब दर्द कम हुआ, मैंने अपनी कमर उठाकर उसका साथ देना शुरू कर दिया। वो समझ गया कि अब मैं तैयार हूँ। उसने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। मेरी सिसकियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… ऊऊऊ… हाँ…” उसने अपनी स्पीड बढ़ाई, और एक ज़ोरदार धक्के के साथ उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मैं चीख उठी—दर्द और मज़े का मिश्रण मेरे जिस्म को झकझोर रहा था। मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे, लेकिन मेरे होंठों पर एक मुस्कान थी।
उसका मोटा, गर्म लंड मेरे अंदर तक धँसा हुआ था, और हर धक्के के साथ मेरे जिस्म में बिजली दौड़ रही थी। मैंने अपनी कमर को और ऊपर उठाया, ताकि वो और गहराई तक मेरे अंदर समा सके। उसकी साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं, और उसकी आँखों में वो जुनून था जो मुझे पागल कर रहा था। उसने अपनी स्पीड बढ़ाई, और मैं उसकी हर हरकत के साथ सिसक रही थी। मेरी चूत अब पूरी तरह उसकी थी—हर धक्का मुझे जन्नत की सैर करा रहा था।
लगभग 25 मिनट तक नितिन मुझे चोदता रहा। उसकी ताकत, उसकी गर्मी, और उसका जोश—सब कुछ मेरे जिस्म को थर्रा रहा था। जब वो झड़ने वाला था, उसने पूछा, “अपना पानी कहाँ निकालूँ?” मैंने अपनी भरी हुई साँसों के बीच कहा, “मेरे अंदर ही छोड़ दे…” उसकी बात सुनते ही उसने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उसका गरम पानी मेरी चूत में भर गया। मैं उसकी गर्मी को अपने अंदर महसूस कर रही थी—हर बूँद मेरे जिस्म को और नशे में डुबो रही थी। वो मेरे ऊपर थककर गिर पड़ा, उसकी साँसें मेरे गले को छू रही थीं, और मैं उसके जिस्म की गर्मी में खोई हुई थी। हम दोनों कुछ देर तक एक-दूसरे से लिपटे रहे, हमारे पसीने आपस में मिल चुके थे। फिर हम उठे और फ्रेश हो गए। लेकिन उस रात मेरी प्यास अभी बुझी नहीं थी। मैंने नितिन को फिर से अपनी बाहों में खींच लिया, और उस रात उसने मुझे चार बार चोदा। हर बार वो मुझे नई ऊँचाइयों तक ले गया—मेरा जिस्म उसकी हर छुअन से काँप उठता था।
जब हम थककर बिस्तर पर लेटे, मैंने नितिन से कहा, “तुम्हारा भाई… मेरा मतलब मेरा पति… उसका लंड तो सिर्फ 4 इंच लंबा और 1 इंच मोटा है। इसलिए मुझे तुमसे चुदने में इतना दर्द हुआ। लेकिन सच कहूँ, मुझे इतना मज़ा कभी नहीं आया।” मेरी आवाज़ में एक शरारती संतुष्टि थी। नितिन मेरी बात सुनकर मुस्कुराया, और उसकी उंगलियाँ मेरे नंगे जिस्म पर फिरने लगीं। उसकी छुअन से मेरे अंदर फिर से आग भड़क उठी। मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से दबा लिया, और हम एक बार फिर एक-दूसरे में खो गए। उस रात बारिश की बूँदें खिड़की पर पड़ रही थीं, और हमारे जिस्म एक-दूसरे की गर्मी में डूबे हुए थे।
ये थी मेरी और नितिन की वो रात—एक ऐसी रात जो मेरे जिस्म और दिल में हमेशा के लिए बस गई। हर बार जब मैं उस पल को याद करती हूँ, मेरी चूत फिर से गीली हो जाती है, और मेरे होंठों पर वही नशीली मुस्कान आ जाती है। अगर आपको मेरी ये जवानी की कहानी पसंद आई, तो इसे अपने दोस्तों के साथ फेसबुक और व्हाट्सएप पर शेयर करें। मेरे लिए नितिन वो शोला था, जिसने मेरे अंदर की ठंडी आग को जला दिया।