मैं आरती, कोलकाता की रहने वाली एक शादीशुदा औरत हूँ। मेरी उम्र 32 साल है, और मेरी शादी को दस साल हो चुके हैं। मेरा फिगर 34-32-36 का है, जिसे देखकर कोई भी मर्द बेकाबू हो जाए। मेरे लंबे, घने बाल, उभरे हुए बूब्स और गोल-मटोल चूतड़ किसी का भी लंड तुरंत खड़ा कर सकते हैं, चाहे वो जवान हो या बुजुर्ग। मेरी त्वचा गोरी है, और मेरी आँखों में एक ऐसी चमक है जो मर्दों को अपनी ओर खींच लेती है। लेकिन सच कहूँ तो मेरी सेक्स लाइफ कभी भी वैसी नहीं रही जैसी मैं चाहती थी। शादी से पहले भी और शादी के बाद भी, मेरे पति मुझे वो मज़ा नहीं दे पाए जो मैं चाहती थी। उनकी रुचि काम में ज्यादा थी, और मेरी चूत की प्यास बुझाने में कम।
इसलिए मैंने अपनी ज़िंदगी को रंगीन बनाने के लिए कई मर्दों के साथ जिस्मानी रिश्ते बनाए। कुछ के साथ तो इतना मज़ा आया कि मैं भूल ही गई कि मैं शादीशुदा हूँ। लेकिन इन सबके बीच मैंने अपनी शर्म और हया को कहीं पीछे छोड़ दिया। मेरे पास ऐसी कई चुदाई की कहानियाँ हैं, लेकिन आज मैं अपनी सबसे खास कहानी सुनाने जा रही हूँ – मेरे देवर चंदन के साथ की चुदाई की कहानी, जो मेरे दिल और जिस्म दोनों को झकझोर गई।
बात उस समय की है जब मेरी ससुराल में मेरे पति के चाचा के घर में शादी थी। मेरे पति, राकेश, किसी काम की वजह से शादी में नहीं जा पाए, तो मुझे अकेले ही जाना पड़ा। शादी का माहौल बड़ा रंगीन था। ढोल-नगाड़े, रिश्तेदारों की हँसी-मज़ाक, और खाने-पीने की धूम। शादी के बाद सारे रिश्तेदार अपने-अपने घर चले गए, लेकिन मेरे पति मुझे लेने आने वाले थे, इसलिए मैं चाचा के घर रुक गई। वहाँ मेरे पति की ताई जी और उनका बेटा चंदन रहते थे। ताई जी की उम्र 65 साल थी, और वो कमज़ोर होने की वजह से ज़्यादातर अपने कमरे में ही रहती थीं। उनके चलने-फिरने की हालत नहीं थी, और घर का सारा काम चंदन ही संभालता था।
चंदन, मेरा देवर, 28 साल का था। वो थोड़ा मोटा था, लेकिन उसका चेहरा और हाव-भाव मेरे पति से कहीं ज़्यादा आकर्षक थे। उसकी गोरी त्वचा, चौड़े कंधे और भारी-भरकम शरीर उसे एक मज़बूत मर्द का लुक देते थे। लेकिन उसकी एक बुरी आदत थी – शराब। वो अक्सर रात को टल्ली होकर घर लौटता था। उसकी इस आदत की वजह से ताई जी उससे ख़फा रहती थीं, लेकिन वो उसे कुछ कहती नहीं थीं।
एक रात की बात है। मैं चाचा के घर में अपने कमरे में थी, जब बाहर से शोर सुनाई दिया। चंदन अपने दो दोस्तों के साथ घर लौटा था। दोनों दोस्त उसे सहारा देकर लाए थे, क्योंकि वो इतना नशे में था कि अपने पैरों पर खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। दोस्तों ने उसे दरवाज़े तक छोड़ा और चले गए। मैं बाहर आई तो देखा चंदन दीवार के सहारे लड़खड़ा रहा था। उसकी आँखें लाल थीं, और मुँह से शराब की तीखी गंध आ रही थी। मैंने उसे सहारा दिया और अंदर ले जाने लगी। उसका एक हाथ मेरे कंधे पर था, और दूसरा मैंने पकड़ा हुआ था ताकि वो गिर न जाए। उसका भारी वज़न मेरे लिए संभालना मुश्किल था, लेकिन मैं उसे किसी तरह खींचते हुए उसके बेडरूम तक ले गई।
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उसके कमरे में पहुँचकर मैंने उसे बेड पर बिठाया। वो इतना नशे में था कि बैठते ही बिस्तर पर पसर गया। मैं खुद थक गई थी, क्योंकि उसका भारी शरीर मेरे लिए आसान नहीं था। मैंने उसे फिर से उठाने की कोशिश की और किसी तरह उसे बैठाया। उसकी शर्ट गंदी हो चुकी थी, और शराब की गंध से मेरा दम घुट रहा था। मैंने उसकी शर्ट के बटन खोलने शुरू किए, लेकिन वो बड़बड़ा रहा था, “भाभी… तुम… बहुत अच्छी हो…” उसकी आवाज़ में नशा साफ़ झलक रहा था।
तभी, अचानक, उसने मेरे ऊपर उल्टी कर दी। ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे ऊपर पानी का झरना छोड़ दिया हो। मेरी साड़ी, मेरे बाल, मेरा चेहरा – सब गंदा हो गया। उसकी उल्टी की बदबू से मेरा जी मचल रहा था। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और सोचने लगी कि अब क्या करूँ। चंदन नशे में धुत था, तो मैंने सोचा कि वो कुछ समझ नहीं पाएगा। मैंने अपनी साड़ी उतार दी और कोने में फेंक दी। अब मैं सिर्फ़ ब्लाउज़ और पेटीकोट में थी। मेरे गोरे जिस्म पर उल्टी की बदबू चिपक रही थी, और मुझे गुस्सा भी आ रहा था। लेकिन चंदन को साफ़ करना ज़रूरी था, वरना वो ऐसे ही गंदा पड़ा रहेगा।
मैंने उसे फिर से सहारा दिया और बाथरूम में ले गई। वहाँ मैंने कमोड का ढक्कन बंद किया और उसे उस पर बिठा दिया। उसकी शर्ट अभी भी पूरी नहीं उतरी थी। मैंने किसी तरह उसकी शर्ट खींचकर उतारी। अंदर उसने बनियान नहीं पहनी थी, तो उसका चौड़ा, थोड़ा बालों वाला सीना मेरे सामने था। उसे यूँ नंगा देखकर मेरे मन में कुछ हलचल हुई। मेरी चूत में एक हल्की सी सनसनी दौड़ गई, लेकिन मैंने अपने आप को संभाला। मैंने सोचा, पहले खुद को साफ़ कर लूँ। मैंने हैंड शॉवर लिया और अपने ऊपर पानी डालना शुरू किया। मेरे ब्लाउज़ और पेटीकोट भी गीले हो गए थे, और अब वो मेरे जिस्म से चिपक रहे थे, जिससे मेरे बूब्स और चूतड़ों का उभार साफ़ दिख रहा था।
मैंने अपने ब्लाउज़ और पेटीकोट को भी उतार दिया, क्योंकि वो भी गंदे हो चुके थे। अब मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी। मैंने सोचा, चंदन तो नशे में है, उसे क्या फर्क पड़ता है। मैंने शॉवर चालू किया और अपने जिस्म को साफ़ करने लगी। फिर मैंने चंदन की ओर ध्यान दिया। उसका चेहरा और सीना भी गंदा था। मैंने हैंड शॉवर से उसका मुँह और सीना साफ़ करना शुरू किया। उसका शरीर गर्म था, और पानी की बूँदें उसकी छाती पर चमक रही थीं। मैंने उसके पेट और पीठ को भी साफ़ किया। अब उसका हाफ जॉगर्स बचा था, जो उल्टी से गंदा हो चुका था। मैंने उसे खींचकर नीचे करने की कोशिश की। मुझे नहीं पता था कि उसने अंडरवियर नहीं पहना था। जैसे ही मैंने जॉगर्स को उसकी जाँघों तक खींचा, उसका लंड मेरे सामने आ गया।
उसका लंड भूरा, मोटा और करीब सात इंच लंबा था, बिल्कुल सख्त और तना हुआ। उसकी चमकती सुपारी और साफ़-सुथरा लंड देखकर मेरी साँसें रुक गईं। मेरी चूत में गर्मी सी दौड़ गई, और मेरे हाथ काँपने लगे। मैंने किसी तरह अपने आप को संभाला और उसका जॉगर्स पूरा उतार दिया। अब वो मेरे सामने पूरी तरह नंगा था, और मैं सिर्फ़ ब्रा-पैंटी में। बाथरूम का माहौल गर्म होने लगा था। मैं जानती थी कि कुछ होने वाला है, और मेरी चूत उस मोटे लंड को देखकर तरस रही थी।
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चंदन की आँखें अब खुल चुकी थीं। वो मुझे नशीली नज़रों से देख रहा था, जैसे कोई भूखा शिकारी अपने शिकार को ताक रहा हो। मैंने उससे कहा, “चंदन, खड़े हो जाओ, मैं तुम्हें साफ़ कर दूँ।” वो मेरी बात मानकर खड़ा हो गया, लेकिन उसकी नज़रें मेरी चूचियों पर टिकी थीं। मैंने हैंड शॉवर से उसकी पीठ और जाँघें धोईं। फिर मैंने हिम्मत करके उसके चूतड़ों को छुआ। उसके गोल, मांसल चूतड़ों को छूते ही मेरे जिस्म में करंट सा दौड़ा। मैंने अपनी उंगलियों से उसके चूतड़ों को साफ़ किया, और धीरे-धीरे एक उंगली उसकी गाँड के छेद पर ले गई। जैसे ही मेरी उंगली ने उसके छेद को छुआ, उसने “आह्ह…” की आवाज़ निकाली। मैंने पूछा, “क्या हुआ, चंदन?” वो लड़खड़ाती आवाज़ में बोला, “कुछ नहीं, भाभी… बस यूँ ही…”
मैं उसके सामने आई, और उसने अपने हाथ मेरे कंधों पर रख दिए। मुझे लगा वो सहारा ले रहा है, लेकिन उसका हाथ धीरे-धीरे मेरी ब्रा के हुक तक पहुँच गया। एक झटके में उसने मेरी ब्रा खोल दी। मेरे भारी, गोरे बूब्स आज़ाद हो गए, और मेरे निप्पल सख्त हो चुके थे। मैंने गुस्से में कहा, “ये क्या कर रहे हो, चंदन? मैं तुम्हारे भाई की बीवी हूँ!” वो हँसते हुए बोला, “भाभी, इस बाथरूम में कोई रिश्ता नहीं। यहाँ सिर्फ़ तू एक औरत है, और मैं एक मर्द।” उसकी बात सुनकर मेरी चूत में गीलापन बढ़ गया। मैंने कुछ नहीं कहा। फिर उसने मेरी पैंटी की ओर हाथ बढ़ाया, लेकिन वो नशे में इसे ठीक से उतार नहीं पाया। मैंने खुद ही अपनी पैंटी उतारकर कोने में फेंक दी।
अब हम दोनों पूरी तरह नंगे थे। बाथरूम में सिर्फ़ पानी की आवाज़ और हमारी साँसों की गर्मी थी। मैं उसकी ओर देख रही थी, और वो मुझे। उसका लंड अब और सख्त हो चुका था, और मेरी चूत उसकी चाहत में टपक रही थी। तभी चंदन ने मुझे अपनी ओर खींच लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसकी जीभ मेरे मुँह में घुस गई, और मैंने भी उसका साथ देना शुरू कर दिया। हम दोनों एक-दूसरे की जीभ से खेलने लगे। उसका मुँह शराब की गंध से भरा था, लेकिन उसकी चूमाचाटी में एक जंगलीपन था जो मुझे पागल कर रहा था।
वो मेरे चूतड़ों को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। “थप्प… थप्प…” की आवाज़ पूरे बाथरूम में गूँज रही थी। मैंने “उह्ह… आह्ह…” की सिसकारियाँ लेनी शुरू कीं। उसका लंड मेरी जाँघों से टकरा रहा था, और हर टच मेरी चूत को और गीला कर रही थी। मैंने उसका लंड अपने हाथ में लिया और उसे सहलाने लगी। वो लोहे की रॉड की तरह सख्त था, और उसकी गर्मी मेरे हाथ में महसूस हो रही थी। चंदन ने मेरे बूब्स को मसलना शुरू किया, और मेरे निप्पल्स को अपनी उंगलियों से कसकर दबाया। मैं “आह्ह… चंदन… धीरे…” सिसक रही थी, लेकिन मेरे जिस्म की गर्मी मुझे बेकाबू कर रही थी।
हम दोनों ने एक-दूसरे को शॉवर के नीचे धोया। पानी की बूँदें हमारे नंगे जिस्मों पर चमक रही थीं। चंदन ने मुझे अपनी बाँहों में उठाया और बेडरूम में ले गया। उसने मुझे बेड पर हल्के से लिटाया और मेरी टाँगों को हवा में उठा दिया। मैं पूरी तरह नंगी थी, और मेरी चूत गीली होकर चमक रही थी। चंदन ने मेरी चूत को देखा और बोला, “भाभी, तेरी चूत तो बिल्कुल गुलाबी है… आज इसे चखने का मज़ा लूँगा।” उसकी बात सुनकर मैं शरमा गई, लेकिन मेरी चूत उसकी जीभ की चाहत में मचल रही थी।
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उसने मेरी टाँगों के बीच अपना मुँह डाला और मेरी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी चूत की फाँकों को चाट रही थी, और हर चाट मेरे जिस्म में करंट दौड़ा रही थी। “आह्ह… उह्ह… चंदन… और चाट… ओह्ह…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। उसने मेरी चूत की गहराई में अपनी जीभ डाली और मेरे दाने को चूसने लगा। मैं पागल सी हो गई थी। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और चंदन उसे चाट-चाटकर पी रहा था। कुछ ही मिनटों में मैं झड़ गई। मेरे जिस्म में कंपकंपी सी छा गई, और मैंने चंदन से कहा, “बस… चंदन… अब छोड़ दे… मैं अपने रूम में जा रही हूँ।”
वो गुस्से में बोला, “रुक साली… अभी तो शुरूआत हुई है। भैन की लौड़ी, अब तू कहाँ जाएगी? आज तेरी चूत फाड़ दूँगा।” उसकी गाली सुनकर मुझे गुस्सा तो आया, लेकिन उसका मर्दाना अंदाज़ मेरी चूत को और गीला कर गया। मैंने मन ही मन सोचा, जब चुदाई की मस्ती चढ़ गई है, तो अब रुकना बेकार है।
चंदन ने मेरे बाल पकड़े और मुझे घुटनों पर बिठा दिया। “चल, साली… मेरा लंड चूस,” उसने हुक्म दिया। मैंने उसका मोटा, सख्त लंड अपने हाथ में लिया और उसकी सुपारी को चाटना शुरू किया। उसका लंड इतना गर्म था कि मेरे मुँह में आग सी लग रही थी। मैंने उसकी सुपारी को चूसा, फिर उसके अंडकोष को अपने मुँह में लिया। “आह्ह… भाभी… तू तो कमाल है…” चंदन सिसक रहा था। मैंने उसकी गाँड के छेद को भी चाटा, और मेरी जीभ जैसे ही उसके छेद में गई, वो “उह्ह… साली… क्या मज़ा दे रही है…” कहकर मचल उठा।
कई मिनट तक मैंने उसके लंड और गाँड को चाटा। फिर चंदन ने मुझे उठाया और बेड पर पटक दिया। उसने मेरी टाँगें चौड़ी कीं और अपना मोटा लंड मेरी चूत पर रगड़ा। “आह्ह… चंदन… डाल दे… और मत तड़पा…” मैं गिड़गिड़ा रही थी। उसने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। “आह्ह… उह्ह…” मैं चीख पड़ी। उसका लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ अंदर तक चला गया था। वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगा, और हर धक्के के साथ मेरे बूब्स उछल रहे थे। “थप… थप… थप…” की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी।
चंदन ने मेरे बूब्स को मसलना शुरू किया और मेरे निप्पल्स को चूसने लगा। “आह्ह… ओह्ह… चंदन… और ज़ोर से… फाड़ दे मेरी चूत…” मैं चिल्ला रही थी। वो और तेज़ धक्के मारने लगा। उसका लंड मेरी चूत की गहराई को चीर रहा था, और हर धक्के के साथ मेरी चूत से रस टपक रहा था। “चप… चप… चप…” की आवाज़ मेरे कानों में मस्ती भर रही थी। मैंने अपनी टाँगें उसकी कमर पर लपेट दीं, ताकि वो और गहराई तक मेरी चूत में जाए।
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लगभग आधे घंटे तक वो मुझे चोदता रहा। उसका पसीना मेरे बूब्स पर टपक रहा था, और उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थीं। मैं भी उसकी पीठ को नाखूनों से खरोंच रही थी। “आह्ह… चंदन… और ज़ोर से… उह्ह…” मैं सिसक रही थी। आखिरकार, वो मेरी चूत में झड़ गया। उसका गर्म रस मेरी चूत को भर गया, और मैं भी एक बार फिर झड़ गई। हम दोनों बेदम होकर बेड पर गिर पड़े।
थोड़ी देर बाद, मैंने उसका लंड फिर से पकड़ा। वो अभी भी थोड़ा सख्त था। मैंने उसे अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। “आह्ह… भाभी… तू तो रंडी से भी ज़्यादा मस्त है…” चंदन ने कहा। मैंने उसकी सुपारी को चाटा, और जल्द ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया। हमने फिर से चुदाई शुरू की। इस बार उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से मेरी चूत में लंड पेल दिया। “थप… थप… थप…” की आवाज़ फिर से कमरे में गूँजने लगी। मैं “आह्ह… उह्ह… चंदन… और ज़ोर से…” चिल्ला रही थी। उसने मेरी गाँड पर थप्पड़ मारे, जिससे मेरी चूत और गीली हो गई।
रात भर हमने कई बार चुदाई की। हर बार वो मुझे नए तरीके से चोदता, और मैं उसकी हर गाली, हर धक्के को मज़े से ले रही थी। आखिरकार, सुबह चार बजे मैं थककर अपने रूम में चली गई और चैन की नींद सोई। मेरे पति के आने तक हमारी रोज़ चुदाई चलती रही। हर रात चंदन मुझे नई मस्ती देता, और मैं उसकी गुलाम सी बन गई थी।
दोस्तो, आपको मेरी ये चुदाई की कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसी मस्ती की है? अपने अनुभव मुझे ज़रूर बताएँ।