Coaching wali didi ki virgin choot sex story: ये कहानी उन दिनों की है जब मैं, मुरली, 19 साल का था। मैं बारहवीं क्लास में था और बोर्ड एग्जाम की तैयारी में जुटा था। मेरे घरवालों को मेरी पढ़ाई की चिंता थी, इसलिए उन्होंने पड़ोस में दीक्षा दीदी की कोचिंग जॉइन करवा दी। दीक्षा दीदी 23 साल की थीं, एम.कॉम की पढ़ाई कर रही थीं, और उनका घर इतना शानदार था कि मैं पहली बार देखकर दंग रह गया। विशाल हॉल, चमचमाता मार्बल फर्श, दीवारों पर महँगी पेंटिंग्स, और हर कोने में लग्ज़री का अहसास। Coaching teacher sex story
अगले दिन मम्मी मुझे कोचिंग छोड़ने गईं। वहाँ मेरी मुलाकात दीक्षा दीदी और उनकी मम्मी से हुई। आंटी, जो मेरी मम्मी की दोस्त थीं, 40 साल की थीं, लेकिन उनकी खूबसूरती कमाल की थी। उनकी हरी साड़ी में उनकी कर्वी फिगर साफ़ झलक रही थी। लेकिन दीक्षा दीदी तो बस किसी अप्सरा से कम नहीं थीं। 5 फीट 6 इंच की हाइट, गोरा रंग, 32C-26-35 का फिगर, लंबी चोटी कमर तक लहराती थी, और उनकी स्माइल इतनी कातिल थी कि मेरा दिल धड़कने लगा। उस दिन उन्होंने टाइट ब्लैक जीन्स और लाल जैकेट पहनी थी, क्योंकि सर्दियाँ थीं। उनकी आँखों में चंचल मासूमियत थी, और उनके गुलाबी होंठों पर हल्की लिपस्टिक थी।
मम्मी मुझे छोड़कर चली गईं, और आंटी घर के काम में लग गईं। मैं दीक्षा दीदी के साथ उनके कमरे में पढ़ने चला गया। कमरा गर्म था, क्योंकि हीटर चल रहा था। दीक्षा दीदी नीली रजाई में बेड पर बैठ गईं, और मैं नीचे कुर्सी पर। रजाई से लैवेंडर की हल्की खुशबू आ रही थी। मैंने पढ़ाई शुरू की, लेकिन मेरा ध्यान दीदी की टाइट जीन्स में उभरी गांड और उनके जैकेट से झलकते बूब्स पर था। उनके बूब्स टाइट थे, और जैकेट में उनकी क्लीवेज हल्की सी दिख रही थी। मैं बार-बार उनकी तरफ देख रहा था, और वो मुझे पढ़ाने में मशगूल थीं। उस दिन पढ़ाई में मन नहीं लगा, और मैं घर चला गया।
रात को मैं दीक्षा दीदी के बारे में सोचने लगा। उनकी स्माइल, उनकी मटकती चाल, और उनकी टाइट जीन्स मेरे दिमाग में घूम रही थी। मैंने बिस्तर पर लेटकर अपनी नीली जीन्स खोली और उनका नाम लेते हुए मुठ मारी। मेरा 6.5 इंच का लंड पूरा तन गया, और इसका गुलाबी सुपारा चमक रहा था। “आह्ह, दीक्षा दीदी, तुम कितनी मस्त हो,” मैं बुदबुदाया और सो गया।
अगले दिन मैं कोचिंग के लिए बहुत उत्साहित था। जब मैं पहुँचा, तो दीदी ड्रेसिंग टेबल पर बैठकर मेकअप कर रही थीं। उन्होंने गुलाबी टाइट टॉप और नीली जीन्स पहनी थी। टॉप इतना टाइट था कि उनके बूब्स साफ़ उभर रहे थे, और उनकी नाभि हल्की सी दिख रही थी। मैं बिना नॉक किए कमरे में चला गया। दीदी ने मुझे देखा, थोड़ा शरमाईं, फिर मुस्कुराकर बोलीं, “क्या हाल है, मुरली?” उनकी आवाज़ में चुलबुलापन था, जो मुझे और बेकरार कर रहा था।
हम बातें करने लगे। दीदी ने बताया कि वो एम.कॉम में टॉपर हैं और कॉलेज में सब उनकी तारीफ करते हैं। धीरे-धीरे हम दोनों खुलने लगे। दिसंबर का आखिरी हफ्ता था, और ठंड बहुत बढ़ गई थी। मेरे स्कूल की छुट्टियाँ हो गई थीं, तो दीदी ने मुझे सुबह पढ़ाने का टाइम दे दिया। मैं रोज़ सुबह उनके साथ रजाई में बेड पर बैठकर पढ़ने लगा। एक दिन आंटी कमरे में आईं और बोलीं, “दीक्षा, मुरली को भी रजाई में बिठा लिया कर। ठंड बहुत है।” ये सुनकर मेरे तो मज़े हो गए।
अगले दिन से मैं दीदी के साथ रजाई में बेड पर बैठने लगा। रजाई इतनी गर्म थी कि दीदी की बॉडी की गर्मी भी मुझे महसूस हो रही थी। मैं कभी-कभी मज़ाक करता और दीदी को छूने की कोशिश करता। गलती से मेरे हाथ उनके बूब्स को टच हो जाते, तो दीदी हल्का सा मुस्कुरा देतीं। उनकी गांड जब वो वॉशरूम जाती थी, तो टाइट जीन्स में इतनी मस्त लगती थी कि मैं बस देखता रह जाता। उनकी चाल में देसी स्वैग था, और वो जानबूझकर मटक-मटक कर चलती थीं।
एक दिन मैं उनके वॉशरूम में गया। वहाँ दीदी की ब्लैक ब्रा और पिंक पैंटी टंगी थी। ब्रा पर 32C लिखा था, और पैंटी 35 साइज़ की थी। मैंने पैंटी को सूँघा। उसकी खुशबू इतनी सेक्सी थी कि मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया। मैंने अपनी पैंट नीचे की और पैंटी पर लंड रगड़ने लगा। “आह्ह, दीक्षा दीदी, तुम्हारी चूत की खुशबू ऐसी होगी,” मैं बुदबुदाया। मैं जल्दी से बाहर आया, नहीं तो कोई देख लेता।
एक शाम दीदी को मार्केट जाना था। वो मुझे साथ ले गईं। उन्होंने टाइट ब्लू डेनिम जीन्स, व्हाइट शर्ट, और ब्लैक जैकेट पहनी थी। उनकी गांड इतनी परफेक्ट थी कि रास्ते में हर लड़का उन्हें घूर रहा था। मैं जानबूझकर पीछे-पीछे चलता ताकि उनकी मटकती गांड देख सकूँ। दीदी को पता था कि लोग उन्हें देख रहे हैं, लेकिन वो अपने कॉन्फिडेंट अंदाज़ में चल रही थीं। हमने कॉलेज की किताबें लीं और घर वापस आ गए।
दीदी बोलीं, “मुरली, बाकी पढ़ाई कल करेंगे। अब तुम घर जाओ।” मैं घर गया और सारी रात दीदी के बारे में सोचता रहा। उनकी मटकती गांड, उनकी स्माइल, और उनकी टाइट जीन्स मेरे दिमाग में घूम रही थी। अगले दिन सुबह मैं कोचिंग गया। छुट्टियों की वजह से मैं सुबह 2 घंटे और शाम को 2 घंटे पढ़ने जाता था। उस दिन मेरा पढ़ने का मन नहीं था। मैंने दीदी से कहा, तो उन्होंने हँसकर कहा, “ठीक है, आज बातें करते हैं।”
मैंने पूछा, “दीदी, आपका कोई बॉयफ्रेंड नहीं है?”
वो हँसीं और बोलीं, “तू ये क्यों पूछ रहा है, बदमाश?”
मैंने कहा, “वैसे ही, दीदी।”
वो शरमाईं और बोलीं, “नहीं, आजकल सब यूज़ करते हैं। मैं सिंगल हूँ।”
मैंने मासूम बनकर पूछा, “यूज़ का मतलब?”
दीदी ने मेरी कमर में चिकोटी काटी और हँसने लगीं। मैं दर्द से नीचे लेट गया। दीदी ने मेरी बेली पर अपने नरम हाथ फेरे और बोलीं, “सॉरी, जोर से लग गई क्या?” उनकी उंगलियाँ मेरी त्वचा पर रेंग रही थीं, और मेरे रोंगटे खड़े हो गए।
मैंने मज़ाक में कहा, “दीदी, अब मैं भी आपको चिकोटी काटूँगा।”
वो हँसीं और बोलीं, “नहीं मुरली, मैं तुम्हारी दीदी हूँ।”
मैं नाराज़ होने का नाटक करने लगा। दीदी मुझे मनाने लगीं। उस दिन उन्होंने टाइट क्रीम स्वेटर और काली जेगिंग्स पहनी थीं। उनके बूब्स स्वेटर में साफ़ उभर रहे थे, और उनके गुलाबी निपल्स हल्के से दिख रहे थे। दीदी ने मुझे गले लगाया। उनके बूब्स मेरी छाती से दब गए। मैंने भी उन्हें टाइटली हग किया। 20-25 सेकंड तक हम ऐसे ही रहे।
दीदी बोलीं, “मुरली, अब छोड़ दो, मम्मी आ जाएँगी।”
मैंने हग ढीला किया। दीदी शरम से लाल हो गई थीं। उनका गोरा चेहरा और लाल हो गया था। फिर वो बोलीं, “चल, अब अंधेरा होने वाला है। कल पढ़ाई करेंगे।” उन्होंने मुझे होमवर्क दिया, और मैं घर चला गया।
रात भर मैं दीदी के बारे में सोचता रहा। कैसे उनकी चुदाई करूँ? अगले दिन जब मैं गया, तो आंटी ने कहा, “मुरली, ऊपर चला जा। दीक्षा छत पर है।” धूप अच्छी थी, तो हम छत पर कुर्सियों पर बैठ गए। दीदी ने प्रिंटेड काली जेगिंग्स और टाइट ब्लैक टॉप पहना था। उनके खुले बाल हवा में लहरा रहे थे। वो किसी सेक्सी परी जैसी लग रही थीं। पढ़ाई शुरू हुई, लेकिन मेरा ध्यान उनकी गांड पर था, जो वो चलते वक्त मटकाती थीं।
थोड़ी देर बाद दीदी की दोस्त आ गई। दीदी बोलीं, “मुरली, आज शाम को मत आना। मुझे मार्केट जाना है। कल कॉलेज में फेयरवेल पार्टी है।” मैंने कहा, “ठीक है, दीदी।” अगले दिन जब मैं गया, तो दीदी अभी घर नहीं आई थीं। आंटी ने मुझे उनके कमरे में पढ़ने को कहा। मैं बेड पर बैठ गया। रजाई में दीदी की लैवेंडर की खुशबू थी। तभी दीदी आईं। उन्होंने व्हाइट टॉप और ब्लैक स्कर्ट पहनी थी। स्कर्ट घुटनों तक थी, और उनके गोरे पैर चमक रहे थे।
दीदी ने पूछा, “मुरली, मैं कैसी लग रही हूँ?”
मैंने कहा, “बम, दीदी!”
वो हँस पड़ीं। तभी आंटी आईं और बोलीं, “दीक्षा, नीचे का गेट लगा दे। मैं कीर्तन में जा रही हूँ।” दीदी ने गेट लॉक किया और मेरे पास बेड पर आकर लेट गईं। वो बोलीं, “मुरली, आज मैं डांस करके थक गई हूँ। मेरी टाँगें दुख रही हैं।”
मैंने कहा, “लाओ, मैं दबा देता हूँ।”
वो बोलीं, “रहने दे, बदमाश।”
लेकिन मैंने रजाई के अंदर उनकी जाँघ पर हाथ रख दिया और धीरे-धीरे दबाने लगा। उनकी स्कर्ट छोटी थी, और उनकी गोरी चिकनी टाँगें मेरे हाथों में थीं। मैं प्यार से उनकी जाँघें दबाने लगा। मेरा लंड तन गया। दीदी की गांड स्कर्ट में उभरी हुई थी।
दीदी बोलीं, “ड्रॉअर से ओमनी जेल ले आ।” मैंने जेल लिया और उनकी टाँगों पर लगाकर मालिश शुरू की। मेरे हाथ धीरे-धीरे उनकी जाँघों की ओर बढ़े। दीदी आँखें बंद करके मज़े ले रही थीं। मेरा हाथ उनकी पिंक पैंटी को टच करने लगा। मैंने कहा, “सॉरी, दीदी, गलती से टच हो गया।” दीदी हँस पड़ीं और बोलीं, “बदमाश, ध्यान से।”
फिर मैं उनकी पेट की मालिश करने लगा। उनकी नाभि छोटी और गोल थी, और मैंने उस पर उंगली फेरी। दीदी सिसकारी, “उम्म, मुरली, बस कर।” मैं रजाई में उनके पास लेट गया। दीदी ने मेरी तरफ गांड करके लेटी थी। मैंने पीछे से उन्हें हग किया और बोला, “वेलकम, दीदी।”
वो बोलीं, “बेटा, तू पढ़ ले।”
मैंने टाइट हग किया। मेरा लंड उनकी गांड से टच हो गया। शायद दीदी को पता चल गया था।
वो मेरी तरफ मुड़ीं और मुझे हग किया। उनके बूब्स मेरी छाती से दब रहे थे। उनकी लैवेंडर की खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने कहा, “छोड़ दो, दीदी।”
वो हँसीं और बोलीं, “अगर न छोडूँ तो?”
मैंने कहा, “मैं आपको किस कर लूँगा।”
वो हँसकर बोलीं, “तो कर, किसने रोका?”
मैंने उनके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए। दीदी ने मुझे जोर से जकड़ लिया। मैं उनके ऊपर आ गया और उनके लोअर लिप को चूसने लगा। “आह्ह, मुरली, धीरे,” दीदी सिसकारी। हम 7 मिनट तक किस करते रहे। उनकी साँसें तेज़ हो गई थीं।
तभी डोरबेल बजी। शायद आंटी आ गई थीं। दीदी बोलीं, “मुरली, रात हो रही है। बाकी कल करेंगे।” मैं समझ नहीं पाया कि वो होमवर्क की बात कर रही थीं या कुछ और। मैं घर चला गया, लेकिन मेरा दिमाग दीदी के होंठों पर अटक गया था।
अगले दिन दीदी मुझे देखकर शरमाईं। उन्होंने पिंक सलवार सूट पहना था। उनका दुपट्टा पारदर्शी था, और उनके बूब्स साफ़ उभर रहे थे। मैं उनके बूब्स को घूर रहा था। दीदी ने मुझे देख लिया और अपना दुपट्टा ठीक किया। मैंने कहा, “दीदी, दुपट्टा आप पर अच्छा नहीं लगता।”
वो हँसीं और बोलीं, “चुपचाप पढ़ ले, बदमाश।”
मैंने कहा, “कल से पढ़ाई में मन नहीं लग रहा।”
वो बोलीं, “तेरा दिल कब लगा है?”
मैंने कहा, “कल तो लगा था।”
दीदी हँसीं और बोलीं, “लगता है फिर से लगाना पड़ेगा।”
मैंने रजाई के नीचे उनकी जाँघ पर हाथ रखा। मेरा हाथ उनकी सलवार के ऊपर से उनकी चूत की ओर बढ़ा। दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और बोलीं, “अभी नहीं, मुरली। सही टाइम का इंतज़ार कर।”
मैंने पूछा, “सही टाइम कब आएगा?”
वो बोलीं, “शनिवार को मम्मी मासी के घर जाएँगी। भाई और पापा शॉप पर होंगे। बस एक दिन रुक जा।”
उन्होंने मुझे अपना व्हाट्सएप नंबर दिया और बोलीं, “कल तक रुक जा, फिर परसों जो करना है कर ले।”
मैं घर गया। रात को दीदी का मैसेज आया:
“हाय, मुरली?”
मैंने जवाब दिया, “हाय।”
वो बोलीं, “व्हाट्स अप?”
मैंने कहा, “खाना खाया है।”
मैंने लिखा, “आई लव यू,” और ढेर सारे किस इमोजी भेजे। दीदी ने मैसेज देख लिया, लेकिन जवाब नहीं दिया।
अगले दिन मैं बीमार था, तो कोचिंग नहीं गया। दीदी का कॉल आया, “मुरली, आज क्यों नहीं आया?”
मैंने कहा, “दीदी, मैं बीमार हूँ।”
वो बोलीं, “आजा, मेरा मन नहीं लग रहा।”
मैंने कहा, “नहीं।”
वो बोलीं, “कल आएगा?”
मैंने कहा, “देखता हूँ।”
वो हँसीं और बोलीं, “अच्छा जी, नखरे।”
मैंने कहा, “सच में बीमार हूँ।”
वो बोलीं, “आजा, मैं ठीक कर दूँगी।”
मैंने पूछा, “कैसे?”
वो बोलीं, “कल क्या पहनूँ?”
मैंने कहा, “साड़ी।”
वो बोलीं, “साड़ी मेरे पास नहीं है। जो उतारने में आसान हो, वो पहन लूँ?”
मैंने कहा, “हाँ।”
शाम को दीदी का फिर कॉल आया। वो बोलीं, “कंडोम लेते आना। सुबह मुँह चक्कर न आए।”
मैंने कहा, “आप ले आओ, मैं बीमार हूँ।”
वो बोलीं, “तेरी किस्मत में वर्जिन चूत नहीं है।”
मैंने कहा, “वर्जिन? सीरियसली?”
वो हँसीं और बोलीं, “उठ, मुरली। कल मैं तेरा सारा बुखार ठीक कर दूँगी।”
मैंने कहा, “सुबह ले आऊँगा।”
वो बोलीं, “9 बजे नहाकर आ जाना।”
मैंने मज़ाक में कहा, “साथ में नहाएँगे ना?”
वो बोलीं, “शाम को मैं तुझे अपने हाथों से नहलाऊँगी।”
सुबह मैं उठा, मेडिसिन शॉप से ड्यूरेक्स कंडोम लिया और डेरी मिल्क सिल्क चॉकलेट भी ले लिया। ठीक 9 बजे मैं दीदी के घर पहुँचा। दीदी ने सेक्सी स्माइल के साथ दरवाज़ा खोला। उन्होंने सॉलिड ब्लैक कुर्ता और क्रीम ट्राउज़र पहना था। कुर्ते की बैक ज़िप उनकी कमर तक थी, और उनका फिगर उसमें पूरी तरह उभर रहा था। उनके बाल खुले थे, और उनकी आँखों में चंचल चमक थी।
दीदी बोलीं, “अंदर आ, मुरली।”
उन्होंने दरवाज़ा लॉक किया। मैंने चॉकलेट दी। दीदी ने “हम्म” कहकर स्माइल दी। हम हॉल में टीवी देखने लगे। दीदी ने चॉकलेट खोली और मुझे अपने नरम हाथों से खिलाने लगीं। उनकी उंगलियाँ मेरे होंठों को छू रही थीं, और मैं उनकी आँखों में देख रहा था। शायद मुझे उनसे प्यार हो रहा था। हम दोनों सोच रहे थे कि शुरुआत कौन करेगा।
मैंने उनका हाथ पकड़ा। दीदी ने मुझे गले लगाया। ठंड ज़्यादा थी, तो हम कमरे में चले गए। दीदी ने कमरे का दरवाज़ा लॉक किया और मुझसे लिपट गईं। हम बेड पर आ गए। मैंने उनके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रखे। उनकी टाँगें मेरी टाँगों से जकड़ी थीं। मैंने उनके बूब्स पर हाथ रखा और धीरे-धीरे दबाने लगा। “आह्ह, मुरली, धीरे,” दीदी सिसकारी। वो पागल सी हो रही थीं।
मैंने उनके कुर्ते के ऊपर से उनके बूब्स चूसने शुरू किए। उनके निपल्स टाइट होकर उभर रहे थे। दीदी ने मेरा सिर पकड़ा और मुझे गले लगाया। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मेरी जीभ उनके मुँह में। मैंने उनकी जीभ को चूसा, और उनकी साँसें तेज़ हो गईं। “उम्म, मुरली, क्या कर रहा है,” दीदी बोलीं।
मैंने दीदी को पलटा और उनकी बैक ज़िप धीरे-धीरे खोली। उनकी गोरी पीठ चमक रही थी। मैंने उनकी पीठ पर अपनी उंगलियाँ फेरी। दीदी सिहर उठीं। “मुरली, ये क्या कर रहा है?”
मैंने कहा, “प्यार कर रहा हूँ, दीदी।”
मैंने उनका कुर्ता ऊपर उठाया। दीदी ने अपनी बाहें ऊपर कीं, और मैंने कुर्ता उतार दिया। वो ब्लैक ब्रा और क्रीम ट्राउज़र में थीं। उनका चेहरा शरम से लाल था। मैंने उनका चेहरा ऊपर किया और उनके होंठ चूसने लगा।
मैंने उनकी ब्रा की स्ट्रिप नीचे की और उनके टाइट बूब्स को हाथ में लिया। उनके निपल्स गुलाबी और सख्त थे। मैंने उन्हें नींबू की तरह दबाया। दीदी को दर्द हुआ, लेकिन वो कुछ नहीं बोलीं। “आह्ह, मुरली, धीरे,” वो सिसकारी। मैंने उनके ट्राउज़र का बटन खोला। दीदी ने ट्राउज़र पकड़ा, लेकिन मैंने ज़ोर से खींचकर नीचे कर दिया। वो ब्लैक ब्रा और पिंक पैंटी में लेटी थीं। उनकी पैंटी हल्की गीली थी। दीदी ने अपने चेहरे पर हाथ रख लिया।
मैंने अपनी नीली जीन्स और अंडरवियर उतारा। मेरा 6.5 इंच का लंड खड़ा था, और इसका गुलाबी सुपारा चमक रहा था। दीदी उसे देख रही थीं। मैंने उनकी ब्रा के हुक खोले और उनके बूब्स पर टूट पड़ा। मैंने उनके गुलाबी निपल्स को चूसा। “आह्ह, मुरली, धीरे, ओह्ह,” दीदी सिसकारी। मैं 15 मिनट तक उनके बूब्स चूसता रहा। उनके बूब्स पर मेरे दाँतों के निशान पड़ गए।
मैंने कहा, “दीदी, मेरा लंड चूसो।”
वो बोलीं, “नहीं, मुरली, मैंने कभी नहीं किया।”
मैंने ज़ोर दिया, तो उन्होंने मेरा सुपारा अपने गुलाबी होंठों पर लिया। “उम्म, आह,” मैं पागल हो गया। मैंने ज़ोर से धक्का मारा, और मेरा लंड उनके मुँह में चला गया। “उम्म, मुरली, धीरे,” दीदी बोलीं। वो किचन से डाबर हनी लाईं और मेरे लंड पर लगाया। “आह्ह, दीदी, क्या मस्त चूस रही हो,” मैं बोला। 10 मिनट तक वो चूसती रहीं। उनकी आँखें लाल हो गई थीं।
मैंने दीदी को बेड पर लिटाया और उनकी पिंक पैंटी उतारी। उनकी गुलाबी चूत पर हल्के बाल थे, और उनकी क्लिट सख्त थी। दीदी ने अपनी चूत पर हाथ रख लिया। मैंने उनके हाथ हटाए और अपनी जीभ उनकी चूत पर रख दी। “आह्ह, मुरली, नहीं, धीरे,” दीदी चिल्लाई। मैंने उनकी क्लिट को चूसा और 15 मिनट तक उनकी चूत चाटी। “उफ्फ, ओह्ह, मुरली, बस कर,” दीदी सिसकार रही थीं। उनकी चूत गीली हो गई थी।
मैंने उनकी गांड पर हाथ रखा और उनके बूब्स काटने लगा। दीदी बोलीं, “मुरली, धीरे, दर्द हो रहा है।” मैं उनकी पीठ पर किस करने लगा। फिर मैंने ड्यूरेक्स कंडोम निकाला और दीदी को दे दिया। उन्होंने मेरे लंड पर कंडोम चढ़ाया। दीदी बोलीं, “ये बहुत बड़ा है। दर्द होगा।”
मैंने उनका मुँह बंद किया और उन्हें लिटाया। मैंने अपनी उंगली उनकी चूत में डाली। वो गीली थी, लेकिन टाइट। “आह्ह, मुरली, दर्द हो रहा है,” दीदी चिल्लाई।
मैंने ड्रॉअर से जैस्मिन ऑयल लिया और अपने लंड पर लगाया। मैंने लंड उनकी चूत पर रगड़ा। “आह्ह, मुरली, धीरे,” दीदी बोलीं। मैंने धीरे से धक्का मारा, लेकिन लंड फिसल गया। दीदी हँस पड़ीं। मुझे गुस्सा आया, और मैंने ज़ोर से धक्का मारा। “आह्ह्ह, मुरली, निकाल इसे,” दीदी चिल्लाई।
मैंने उनके हाथ पकड़े और उनके ऊपर चढ़ गया। “दीदी, थोड़ा बर्दाश्त करो,” मैं बोला। मैंने फिर ज़ोर से धक्का मारा। “आह्ह, उफ्फ, मुरली, बस कर,” दीदी रोने लगी। मैंने उनके होंठ चूसे और धक्के मारने शुरू किए। उनकी चूत टाइट थी, लेकिन गीली होने की वजह से लंड धीरे-धीरे अंदर जा रहा था।
“आह्ह, मुरली, धीरे, ओह्ह,” दीदी सिसकारी। मैंने उनके निपल्स चूसे और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे। “फच-फच,” लंड उनकी चूत में पिस्टन की तरह चल रहा था। दीदी ने मेरी पीठ पर नाखून गड़ाए और मुझे टाइट हग किया। “आह्ह, मुरली, और ज़ोर से,” वो अब मज़े ले रही थीं।
मैंने पोजीशन बदली। दीदी को घोड़ी बनाया। उनकी गांड ऊपर थी, और मैंने पीछे से लंड डाला। “आह्ह, उफ्फ, मुरली, क्या मस्त चुदाई कर रहा है,” दीदी बोलीं। मैंने उनकी गांड पर थप्पड़ मारा। “चटाक,” आवाज़ आई। “आह्ह, मुरली, मारो और,” दीदी सिसकारी।
20 मिनट तक मैंने उनकी चुदाई की। फिर मैंने उन्हें सीधा लिटाया और मिशनरी स्टाइल में चोदा। “आह्ह, ओह्ह, मुरली, तुम्हारा लंड मेरी चूत को चीर रहा है,” दीदी बोलीं। मैंने स्पीड बढ़ाई। “फच-फच-फच,” कमरे में आवाज़ गूँज रही थी। आधे घंटे बाद मैं झड़ गया। दीदी भी “आह्ह, उफ्फ,” करके झड़ गईं।
मैंने लंड निकाला। चादर पर खून के धब्बे थे। दीदी की चूत सूज गई थी। वो लंगड़ाते हुए वॉशरूम गईं और अपनी चूत गर्म पानी से साफ़ की। फिर वो मेरे पास रजाई में लेट गईं। हम दोनों थक चुके थे। मैंने उन्हें हग किया। उनकी आँखें बंद थीं।
थोड़ी देर बाद मैं घर चला गया। शाम को दीदी ने मुझे पढ़ाई के लिए बुलाया। वो चादर धोने वॉशरूम गईं। वो लंगड़ा रही थीं, लेकिन स्माइल कर रही थीं।
दोस्तों, आपको ये “कोचिंग वाली दीक्षा दीदी वर्जिन निकली” कहानी कैसी लगी? अपने कमेंट्स ज़रूर बताएँ।