Rakhi par chudai – Rakshabandhan Sex Story मेरा नाम राजू है। मैं 20 साल का हूँ, बिहार के एक छोटे से गाँव का रहने वाला। मेरा रंग सांवला है, कद 5 फीट 10 इंच, और बदन गठीला क्योंकि मैं रोज खेतों में काम करता हूँ। मेरी बहन संजना 19 साल की है, मुझसे एक साल छोटी। उसका रंग गोरा है, फिगर 36-24-32, और चेहरा ऐसा कि गाँव के सारे लड़के उस पर लट्टू हैं। उसकी बड़ी-बड़ी आँखें, रसीले होंठ, और जब वो चलती है तो उसकी गांड की लचक देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। हमारे घर में चार लोग हैं – मैं, संजना, मम्मी, और पापा। मम्मी 42 साल की हैं, गोरी, फिगर 38-28-36, और अभी भी इतनी सुंदर कि गाँव वाले ताड़ते हैं। पापा 45 साल के हैं, सख्त मिजाज, और ज्यादातर खेतों या बाहर के काम में डूबे रहते हैं।
ये कहानी रक्षाबंधन की है, जब मेरे और संजना के बीच कुछ ऐसा हुआ कि मेरी जिंदगी बदल गई। मैं संजना को दो साल से चोदना चाहता था। उसकी जवानी मेरे होश उड़ा देती थी। जब वो टाइट ब्लाउज में होती, तो उसके चूचे ऐसे उभरते कि मैं बस ताड़ता रह जाता। उसकी स्कर्ट में गोरी टाँगें और नहाने के बाद गीले बालों में वो किसी अप्सरा से कम नहीं लगती थी। रक्षाबंधन से तीन दिन पहले संजना बाजार से राखी खरीद लाई। उसकी आँखों में शरारत थी, जो मुझे तब समझ नहीं आई। अगले दिन मम्मी-पापा नानी के घर चले गए। जाते वक्त मम्मी बोलीं, “राजू, तुम मेरे कमरे में सो जाना।”
हमारे घर में दो कमरे हैं। एक में मम्मी-पापा, और दूसरा संजना का। मैं बरामदे की खटिया पर सोता हूँ। उस रात मैं मम्मी के कमरे में लेटा था। बिस्तर मुलायम था, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी। रात के 12:30 बज रहे थे। तभी मुझे सिसकारियों की आवाज सुनाई दी। आवाज संजना के कमरे से आ रही थी। मेरा दिल जोर से धड़कने लगा। दीवार में एक छोटा सा छेद था, जिसे मैंने पहले कभी गौर से नहीं देखा था। मैं चुपके से उठा और छेद में आँख लगाई। जो देखा, उसने मेरे पैरों तले जमीन खिसका दी। संजना पूरी नंगी थी। उसकी गोरी चूत साफ दिख रही थी। वो अपनी उंगलियों को चूत में अंदर-बाहर कर रही थी, और मुँह से “आह… उह… ओह…” की आवाजें निकाल रही थी। उसका एक हाथ अपने चूचों को मसल रहा था। उसकी उंगलियाँ गीली थीं, और उसकी चूत चमक रही थी। मैं पागल हो गया। मेरा 7 इंच का लंड पजामे में तन गया। मैं रात भर सो नहीं पाया, बस यही सोचता रहा कि संजना को चोदने का ये सही मौका है।
सुबह मैं नहाकर तैयार हुआ। संजना ने खाना बनाया और वो भी तैयार हो गई। उसने लाल टॉप और नीली स्कर्ट पहनी थी। टॉप इतना टाइट था कि उसके चूचे साफ उभर रहे थे। स्कर्ट उसकी गोरी टाँगें दिखा रही थी। मैं उसे देखकर रात की बात याद कर रहा था, और मन में गुस्सा भी था कि वो अकेले मजे ले रही थी। रक्षाबंधन का दिन था। संजना ने मेरी कलाई पर राखी बांधी। मैंने उसे 1000 रुपये गिफ्ट दिए। फिर मैंने कहा, “संजना, मुझे एक और गिफ्ट चाहिए।” वो हँसकर बोली, “क्या भैया, अभी बताओ, मैं बाजार से ले आऊँगी।” मैंने टालते हुए कहा, “वो गिफ्ट तेरे पास पहले से है। शाम को बताता हूँ।” वो जिद करने लगी, लेकिन मैंने बात टाल दी।
हमने खाना खाया और दोपहर को सो गए। शाम को मैंने कहा, “चल, तेरे कमरे में टीवी देखते हैं।” संजना का कमरा छोटा था, लेकिन उसका बिस्तर नरम और रंगीन चादरों से सजा था। हम टीवी देखने लगे। मैंने जानबूझकर एक रोमांटिक मूवी लगाई, जिसमें एक हॉट किसिंग सीन था। संजना मेरी तरफ देखने लगी। उसकी साँसें तेज थीं। मुझे भी शर्मिंदगी महसूस हुई। मैंने टीवी बंद कर दिया। रात के 7:30 बज रहे थे। हम गप्पे मारने लगे। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैं सोच रहा था कि कैसे बोलूँ कि मुझे उसकी चूत चाहिए।
आखिरकार, मैंने हिम्मत जुटाई। “संजना, वो गिफ्ट जो मैंने सुबह कहा था, वो अब चाहिए।” वो बोली, “बताओ ना भैया, प्रॉमिस, जो माँगोगे, दूँगी।” मैंने कहा, “पक्का?” वो बोली, “हाँ, पक्का।” मैंने गहरी साँस ली और कहा, “मुझे तेरी चूत चाहिए।” संजना का चेहरा लाल हो गया। वो गुस्से में बोली, “ये क्या बोल रहे हो? हम भाई-बहन हैं, ये गलत है!” मैंने शांत स्वर में कहा, “संजना, तूने प्रॉमिस किया है। और मैंने रात को तुझे देखा था, अपनी चूत में उँगली डालते हुए।” ये सुनकर वो सन्न रह गई। उसका गुस्सा धीरे-धीरे कम हुआ। मैंने कहा, “देख, तुझे लंड चाहिए, मुझे चूत। हम दोनों एक-दूसरे की जरूरत पूरी कर सकते हैं।” वो नर्वस होकर बोली, “अगर किसी को पता चल गया तो बदनामी होगी।” मैंने समझाया, “हम किसी को नहीं बताएँगे, कोई कैसे जानेगा?”
काफी देर समझाने के बाद वो मान गई। उसकी आँखों में डर और उत्साह दोनों थे। मैं उसे मम्मी के कमरे में ले गया। कमरा बड़ा था, और बिस्तर पर मम्मी की नीली चादर बिछी थी। संजना ने वही लाल टॉप और नीली स्कर्ट पहनी थी। वो बिस्तर पर बैठी, उसकी साँसें तेज थीं। मैंने उसे धीरे से लिटाया। वो बोली, “भैया, मुझे डर लग रहा है।” मैंने कहा, “डर मत, मैं हल्के से करूँगा।”
मैंने उसका लाल टॉप उतारा। उसने काली ब्रा पहनी थी, जिसमें उसके 36 साइज के चूचे उभरे हुए थे। मैंने उसकी स्कर्ट खींची, तो उसकी लाल पैंटी दिखी। वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। मैंने कहा, “संजना, तू इतना मस्त माल कैसे बन गई?” वो शरमाते हुए बोली, “भैया, जब से मैंने पॉर्न देखना शुरू किया।” मैंने पूछा, “कब से देख रही है?” वो बोली, “दो साल से।” मैं जोश और गुस्से में बोला, “कुत्तिया, मैं भी दो साल से तुझे चोदना चाहता था!”
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और उसे चूमने लगा। उसकी जीभ मेरी जीभ से टकराई। “आह… भैया…” वो सिसकारी। मैंने 10 मिनट तक उसके होंठ चूसे। वो मेरे बालों में उंगलियाँ फिरा रही थी। मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला। उसके गोरे चूचे बाहर आ गए। गुलाबी निप्पल सख्त थे। मैंने एक निप्पल मुँह में लिया और चूसने लगा। “आह… उह… भैया… और जोर से…” वो सिसकारी। मैंने दूसरे चूचे को दबाया, और वो “ओह… उह…” करने लगी। मैंने 10 मिनट तक उसके चूचों को चूसा और मसला। उसका शरीर गर्म हो रहा था।
मैंने उसकी लाल पैंटी उतारी। उसकी चूत साफ थी, और उस पर एक तिल था। मैंने उसकी चूत पर मुँह लगाया। उसका रस नमकीन और मीठा था। मैंने जीभ से उसकी चूत की फांकों को चाटा। “आ… आह… भैया… ओह…” वो सिसकार रही थी। मैंने उसकी क्लिट को जीभ से सहलाया। वो बिस्तर पर छटपटा रही थी। “भैया… आह… और चाटो… उह…” मैंने 20 मिनट तक उसकी चूत चाटी। उसका शरीर कांप रहा था। वो दो बार झड़ गई, और उसका रस मेरे मुँह में आ गया। मैंने सब चाट लिया।
अब मैंने अपने कपड़े उतारे। मेरा 7 इंच का लंड देखकर संजना की आँखें फटी रह गईं। वो बोली, “भैया, ये तो बहुत बड़ा है!” मैंने कहा, “डर मत, तुझे मजा आएगा।” वो घुटनों पर बैठी और मेरे लंड को हाथ में लिया। उसने धीरे से टोपा चाटा, फिर मुँह में लिया। “आह… संजना… और चूस…” मैं सिसकारी। वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। उसकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी। “उह… आह…” मैं 15 मिनट तक उसके मुँह में रहा। वो मेरे टट्टों को भी चाट रही थी।
मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया। उसकी चूत गीली थी। मैंने मम्मी के ड्रॉअर से कंडोम निकाला। संजना बोली, “रुको भैया!” वो अपने कमरे में गई और एक राखी लाई। उसने मेरे लंड पर राखी बांधी और हँसकर बोली, “अब ये भी मेरा भाई है। इसकी रक्षा करना।” मैं हँस पड़ा और बोला, “ठीक है, बहना।” मैंने उसकी चूत पर सरसों का तेल लगाया। मैंने कंडोम पहना और लंड उसकी चूत पर रखा। “आह… भैया… धीरे…” वो बोली। मैंने हल्का सा धक्का मारा। मेरा 3 इंच लंड अंदर गया। वो चीखी, “आह… दर्द हो रहा है!” उसकी चूत टाइट थी। मैं रुका, उसकी चूत के नीचे तकिया लगाया। फिर मैंने एक जोरदार धक्का मारा। 5 इंच अंदर चला गया। “आ… मम्मी… निकालो भैया…” वो रोने लगी। उसकी सील टूटी, और खून निकला।
मैं 5 मिनट रुका। उसकी साँसें सामान्य हुईं। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “आह… उह… भैया…” वो सिसकारी। “चक… चक…” की आवाज कमरे में गूंज रही थी। 20 मिनट बाद उसका दर्द कम हुआ। मेरा पूरा 7 इंच लंड उसकी चूत में था। वो गांड उठाकर चुदवा रही थी। “आह… भैया… और तेज… उह… चोदो मुझे…” वो चिल्लाई। मैंने स्पीड बढ़ाई। “थप… थप… थप…” की आवाजें तेज हो गईं। वो “आ… आ… ओह… और जोर से…” चिल्ला रही थी। मैंने उसे 40 मिनट तक चोदा। वो तीन बार झड़ चुकी थी। मैं बोला, “रस कहाँ निकालूँ?” वो बोली, “मुँह में डाल दो।” मैंने कंडोम उतारा और सारा रस उसके मुँह में डाल दिया। वो सारा पी गई।
रात भर चुदाई चलती रही। मैंने उसे चार बार चोदा। हर बार वो “आह… उह… भैया… और तेज…” चिल्लाती। सुबह मैं उसे बाथरूम में ले गया। हम नहाते हुए फिर चुदाई करने लगे। “आह… भैया… चक… चक… और जोर से…” वो सिसकारी। मैंने उसे दीवार के सहारे चोदा। शाम को मम्मी-पापा आ गए। अब जब भी वो घर से बाहर जाते हैं, मैं संजना को चोदता हूँ। उसकी शादी हो चुकी है, और उसका एक बच्चा है। जब वो मायके आती है, मुझसे चुदवाती है। उसके चूचों में दूध आ गया है, और उसे चूसने में गजब का मजा आता है।
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