प्रियंका, उम्र बीस साल, कॉलेज की एक खूबसूरत और चुलबुली लड़की थी। उसका गोरा रंग, लंबे काले बाल जो बारिश में भीगकर और चमक उठते थे, और उसकी हंसी जो किसी का भी दिल जीत ले। वह अपने मम्मी-पापा की इकलौती बेटी थी। मम्मी-पापा पुराने ख्यालों वाले थे, जिसकी वजह से उसकी जिंदगी में कुछ बंदिशें थीं। कॉलेज में उसके दोस्त उसका मजाक उड़ाते थे, क्योंकि उसका बड़ा भाई तेजस्वी उसे हर दिन कॉलेज से लेने आता था। प्रियंका को यह बात कभी-कभी खटकती थी, लेकिन उसे अपने भैया के साथ की नोंक-झोंक पसंद थी। उसकी फिगर थी 34-28-36, और वह ज्यादातर सलवार-कमीज पहनती थी, जो उसके कर्व्स को उभारती थी। उसका चेहरा मासूम था, पर आंखों में एक शरारत भरी चमक थी।
तेजस्वी, छब्बीस साल का एक हैंडसम और मेहनती लड़का, एक एमएनसी में जॉब करता था। उसका कद छह फीट, चौड़ा सीना, और गठीला शरीर था। चेहरा गंभीर लेकिन आकर्षक, और उसकी गहरी भूरी आंखों में आत्मविश्वास झलकता था। वह अपनी बहन का बहुत ख्याल रखता था। मम्मी-पापा के कहने पर उसने प्रियंका की सेफ्टी को अपनी जिम्मेदारी मान लिया था। उसकी जिंदगी का रूटीन था—ऑफिस, कॉलेज, और घर। उसे प्रियंका की नोंक-झोंक में मजा आता था, और वह उसे चिढ़ाने का कोई मौका नहीं छोड़ता था। तेजस्वी को बाइक चलाने का शौक था, पर उसकी पुरानी बाइक बार-बार खराब होती थी, जिस पर प्रियंका हमेशा ताने मारती थी।
एक बारिश भरा दिन था। तेजस्वी की बाइक ने कॉलेज के बाहर धोखा दे दिया। बारिश तेज थी, और प्रियंका अपने दोस्तों के साथ कॉलेज गेट पर खड़ी थी। उसने अपनी गीली सलवार-कमीज में तेजस्वी को देखते ही ताना मारा, “मैंने तो कहा था, भैया, तुम्हारी बाइक खटारा है। अब देखो, फिर फंस गए!” उसकी आवाज में शरारत थी। उसने अपने गीले बाल एक तरफ झटके और दोस्तों की ओर देखकर मुस्कुराई।
तेजस्वी ने बाइक को निराशा से देखा और बोला, “बकबक कम कर, प्रियंका। अब क्या करें, ये सोचने दे।” उसका चेहरा गीला था। बारिश में भीगकर उसकी शर्ट उसके सीने से चिपक गई थी, जिससे उसका गठीला शरीर उभर रहा था।
प्रियंका के दोस्तों में से एक लड़के ने कहा, “चिल करो, भैया। पास में गैरेज है। बाइक हमें दे दो, हम ठीक करवा देंगे। कल जब प्रियंका को लेने आओ, तो ले जाना।” प्रियंका ने दोस्त की बात सुनकर तेजस्वी की ओर मुस्कुराते हुए कहा, “देखा, मेरे दोस्त कितने मददगार हैं। बाद में थैंक्स बोल देना, भैया। अब चलो?”
तेजस्वी ने बारिश की ओर देखा और बोला, “और ये बारिश? भीग जाएंगे।” प्रियंका ने हंसते हुए जवाब दिया, “अरे, भैया, गर्मी की बारिश है। मजा आएगा। चलो!” उसने अपनी किताबों का बैग दोस्तों को दे दिया ताकि वह भीग न जाए, और तेजस्वी के साथ कॉलेज से बाहर निकल आई।
कॉलेज से बस स्टॉप पांच मिनट की दूरी पर था, पर बारिश इतनी तेज थी कि दोनों पूरी तरह भीग गए। प्रियंका की सलवार-कमीज उसके बदन से चिपक गई थी, और उसकी ब्रा की आउटलाइन साफ दिख रही थी। तेजस्वी ने कोशिश की कि उसकी नजर अपनी बहन पर न जाए, पर बारिश में भीगी प्रियंका को देखकर उसका मन डोल गया।
बस स्टॉप पर खड़े होकर तेजस्वी ने पूछा, “वो लड़का कौन था जो मुझे ‘भैया’ बोल रहा था?” उसकी आवाज में हल्की जलन थी। प्रियंका ने हंसते हुए कहा, “अरे, रिलैक्स करो, भैया। मेरे दोस्त ऐसे ही बात करते हैं।”
तेजस्वी ने मजाक में कहा, “क्यों, बॉयफ्रेंड है क्या?”
प्रियंका ने आंखें तरेरते हुए कहा, “प्लीज, भैया। बकवास मत करो।” फिर उसने बात बदलते हुए पूछा, “वैसे, मम्मी-पापा से तुम्हारा झगड़ा खत्म हुआ? वो अलग रूम वाला?”
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तेजस्वी ने हंसते हुए कहा, “अरे, वो तो तेरा रोज का ड्रामा है। वैसे, जब ऊपर वाला रूम खाली पड़ा है, तो तुझे मेरे साथ रहने में क्या दिक्कत है?”
प्रियंका ने नाक-मुंह सिकोड़कर कहा, “शट अप, भैया। मुझे मेरा रूम चाहिए। वैसे भी, तुम तो कहते हो कि 22-23 तक मेरी शादी हो जाएगी। फिर अपने हसबैंड के साथ जितने चाहूं रूम ले लूंगी।”
तेजस्वी ने हंसकर कहा, “हां, ठीक है। तब तक मेरे साथ एडजस्ट कर ले।”
पंद्रह मिनट तक बस का इंतजार करने के बाद भी बस नहीं आई। तेजस्वी ने कहा, “उबर बुला लूं?”
प्रियंका ने मना किया, “नहीं, भैया। पैसे बर्बाद मत करो। उन पैसों से मेरे लिए साड़ी खरीद देना।” उसकी आंखों में शरारत थी।
तेजस्वी ने हंसते हुए कहा, “अच्छा? दो-तीन सौ में साड़ी कहां मिलेगी?”
प्रियंका ने हंसकर जवाब दिया, “थोड़े और पैसे जोड़ लो, भैया। कुछ अच्छा मिल जाएगा।”
आखिरकार बस आ गई, पर वह इतनी भरी थी कि तेजस्वी का मन घबरा गया। उसे भीड़ में सफर करने की आदत नहीं थी। प्रियंका ने उसका हाथ पकड़ा और बोली, “चलो, भैया। यही बसें मिलती हैं।” वह उसे खींचकर बस के पीछे वाले हिस्से में ले गई, जहां थोड़ी कम भीड़ थी। दोनों मुश्किल से एक-दूसरे के बगल में खड़े हो पाए।
तेजस्वी ने पूछा, “प्रियंका, जिस दिन मैं तुझे पिक करने नहीं आता, तू ऐसे ही इस भीड़ में जाती है?”
प्रियंका ने जवाब दिया, “हां, भैया। और क्या? वैसे आज बारिश की वजह से ज्यादा भीड़ है। रोज ऐसा नहीं होता।”
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तेजस्वी ने गंभीर होकर कहा, “ठीक है, अब से मैं तुझे रोज पिक करने आया करूंगा।”
प्रियंका ने मुस्कुराते हुए कहा, “वाह, कितने स्वीट हो तुम, भैया। वैसे, मुझे तुम्हारे साथ आने-जाने की आदत हो गई है। मेरे दोस्तों को भी मेरे बॉडीगार्ड भैया का मजाक उड़ाने की।”
प्रियंका के पीछे एक आदमी बड़ा बैग लिए खड़ा था, जिससे उसे बार-बार धक्का लग रहा था। तेजस्वी ने देखा तो उसने थोड़ी जगह बनाई और प्रियंका को अपने सामने खड़ा कर लिया। अब प्रियंका की पीठ उसकी ओर थी, और वह उसके पीछे ढाल बनकर खड़ा था। प्रियंका मन ही मन मुस्कुराई। उसे अपने भैया का इतना प्रोटेक्टिव होना अच्छा लग रहा था।
बारिश की वजह से बाहर अंधेरा था, और बस की खिड़कियां बंद होने से अंदर भी धुंधलका था। भीड़ में कोई हिल-डुल नहीं पा रहा था। धीरे-धीरे दोनों रिलैक्स होने लगे। लेकिन तेजस्वी को असहज महसूस हो रहा था। प्रियंका का गीला बदन उससे पूरी तरह चिपक गया था। उसकी सलवार-कमीज और तेजस्वी का ट्राउजर-शर्ट बारिश में भीगकर चिपचिपा हो गया था।
तेजस्वी ने कोशिश की कि उसका शरीर अपनी बहन से न सटे, पर भीड़ का दबाव इतना था कि वह टाल नहीं पाया। उसकी कमर का निचला हिस्सा प्रियंका की गांड से सट गया। उसने सोचा कि शायद प्रियंका को कुछ महसूस नहीं हो रहा होगा, लेकिन उसका लंड उसकी सलवार में लिपटी गांड की दरार में फंस गया।
तेजस्वी का दिल तेजी से धड़कने लगा। वह प्रियंका की प्रतिक्रिया से डर रहा था। उसने खुद को पीछे खींचने की कोशिश की, पर भीड़ के दबाव में उसका लंड प्रियंका की गांड के एक गोल उभार पर टिक गया। प्रियंका ने इसे साफ महसूस किया। उसका शरीर हल्का सा कांप उठा, और उसकी सांसें तेज हो गईं।
“भैया, ठीक हो ना? मैं थोड़ा हटूं?” प्रियंका ने धीरे से पीछे मुड़कर पूछा। उसकी आवाज में हल्की शरारत थी, लेकिन वह भी असहज थी।
तेजस्वी ने घबराते हुए कहा, “हां… सॉरी, प्रियंका। मैंने तो कहा था, उबर से चलते हैं। ये बस में बहुत भीड़ है।”
प्रियंका ने हल्का सा अपनी कमर हिलाई, जैसे जगह बनाने की कोशिश कर रही हो, लेकिन इससे तेजस्वी का लंड और सख्त हो गया। उसका गीला अंडरवियर ढीला हो चुका था, और उसका लंड अब पूरी तरह खड़ा होकर प्रियंका की गांड की दरार में फिर से सट गया। तेजस्वी को गर्मी और उत्तेजना का मिश्रण महसूस हुआ, जो उसे असहज लेकिन अजीब तरह से आकर्षक भी लगा।
प्रियंका ने कुछ नहीं कहा। उसे पता था कि यह अनजाने में हो रहा था, लेकिन उसका शरीर भी गर्म होने लगा था। उसने मन ही मन सोचा कि यह बस की भीड़ और बारिश की वजह से है। तेजस्वी ने देखा कि प्रियंका ने कोई विरोध नहीं किया, तो उसका हौसला बढ़ गया। उसने धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे बढ़ाया। उसका लंड प्रियंका की गांड में और गहराई तक रगड़ने लगा। गीले कपड़ों के बीच उसका सुपाड़ा खुल चुका था, और उसे एक अनजाना सुकून महसूस हो रहा था।
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बस अचानक रुकी, क्योंकि कोई स्टॉपेज आ गया था। तेजस्वी ने खुद को संभाला, पर भीड़ और बढ़ गई। उसने प्रियंका से पूछा, “अभी दूर है क्या?”
प्रियंका ने जवाब दिया, “हां, भैया। ये बस दूसरा रूट लेती है। तुम्हारी बाइक से तो जल्दी पहुंच जाते।”
तेजस्वी ने आसपास देखा। सब अपने में मस्त थे। किसी को उनके बीच हो रहे इस गुप्त खेल में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उसने हिम्मत जुटाई और अपना दायां हाथ नीचे ले जाकर अपनी पैंट की जिप खोल दी। उसने अपना लंड अंडरवियर से बाहर निकाला, पर पैंट के अंदर ही रखा। फिर उसने प्रियंका की गीली कमीज को हल्का सा उठाया और अपना लंड उसकी सलवार में लिपटी गांड पर सटा दिया। उसने कमीज से इसे ढक लिया, ताकि कोई देख न सके।
प्रियंका की सांसें और तेज हो गईं। उसे अपने भैया की गर्म सांसें अपनी गर्दन पर महसूस हो रही थीं। तेजस्वी अब और खुलकर अपनी बहन की गांड में लंड रगड़ने लगा। प्रियंका की नरम, मांसल गांड की गोलाई उसे उत्तेजित कर रही थी। उसने सलवार और पैंटी को और गहराई तक धकेलने की कोशिश की, जिससे उसका लंड उसकी गांड की दरार में और अच्छे से फिट हो गया।
प्रियंका को तेजस्वी की बेचैनी महसूस हो रही थी। वह हल्का सा मुस्कुराई, लेकिन कुछ बोली नहीं। उसे भी इस अनजाने स्पर्श में एक अजीब सा आकर्षण महसूस हो रहा था। तभी तेजस्वी का लंड इतनी तेजी से रगड़ा कि वह स्खलित होने के करीब पहुंच गया। उसने जल्दी से अपने लंड को प्रियंका की गांड से हटाया और सांस रोककर वीर्य को रोकने की कोशिश की। लेकिन वह नाकाम रहा। उसका लंड पैंट में फूल गया, और गाढ़ा वीर्य बाहर रिसने लगा। प्रियंका ने अपनी सलवार और जांघों पर गर्म-गर्म वीर्य महसूस किया और समझ गई कि तेजस्वी का काम हो चुका है।
तेजस्वी के पैर कांप रहे थे। उसने मुश्किल से खुद को प्रियंका पर गिरने से रोका। प्रियंका ने अपनी सलवार और पैंटी को ठीक किया और हल्के से मुस्कुराई। लेकिन तेजस्वी का मन अभी शांत नहीं हुआ था। उसने अपना दायां हाथ प्रियंका की सलवार के ऊपर से उसकी चूत पर रख दिया और धीरे-धीरे सहलाने लगा।
प्रियंका चौंक गई। उसने मन ही मन सोचा, “भैया, ये क्या हो रहा है?” तेजस्वी ने उसकी सलवार के नाड़े में उंगलियां डाल दीं। प्रियंका ने घबराकर उसका हाथ पकड़ लिया और उसे रोका। लेकिन तेजस्वी ने अपना हाथ सलवार के अंदर डाल दिया, हालांकि टाइट नाड़े की वजह से वह सिर्फ पैंटी के ऊपरी हिस्से तक पहुंच पाया। उसकी उंगलियों ने प्रियंका की पैंटी के ऊपर से उसकी चूत की गर्मी महसूस की।
प्रियंका ने अचानक तेजस्वी की ओर मुड़कर कहा, “भैया! मम्मी को फोन किया कि हम लेट हो जाएंगे?” उसने जानबूझकर जोर से बोला ताकि आसपास के लोग कुछ और न सोचें। तेजस्वी समझ गया और चुप रहा। उसकी नजरें प्रियंका से नहीं मिलीं।
प्रियंका ने तेजस्वी की कमर पकड़ ली और बोली, “कितनी भीड़ है, भैया। मैं गिर जाऊंगी।” तेजस्वी को अब और इशारा नहीं चाहिए था। उसने अपनी पैंट की जिप खोली और इस बार अपना लंड पूरी तरह बाहर निकाल लिया। प्रियंका की कमीज से ढककर उसने अपना लंड प्रियंका के पेट और नाभी पर रगड़ना शुरू कर दिया। उसका सुपाड़ा अब प्रियंका की नरम त्वचा को छू रहा था, और उसे एक गहरा आनंद महसूस हो रहा था।
प्रियंका को इस गुप्त खेल में अब एक अजीब सा मजा आने लगा था। वह अपने भैया के लंड का चिकना सुपाड़ा अपनी नाभी पर महसूस कर रही थी। उसकी सांसें तेज थीं, और उसका शरीर गर्म हो रहा था। तेजस्वी अब उसकी नजरों से नजरें मिलाकर खड़ा था। उसका चेहरा प्रियंका के इतने करीब था कि वह उसे चूमना चाहता था।
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“अब हम पहुंचने वाले हैं, भैया,” प्रियंका ने धीरे से कहा। तेजस्वी ने हल्के से सिर हिलाया और लंड रगड़ता रहा। लेकिन उसे लगा कि वह फिर से स्खलित होने वाला है। उसने तेजी से अपना लंड पकड़ा और मूठ मारने लगा। प्रियंका ने उसकी कमर को हल्के से सहलाया, जैसे उसका साथ दे रही हो। तेजस्वी का वीर्य फिर से छूट गया। इस बार उसकी धारें प्रियंका की कमीज, ब्रा, और सलवार पर गिरीं। बाकी का वीर्य उसने अपनी पैंट में गिराया।
बस उनका स्टॉपेज आ गया। दोनों ने अपने कपड़े ठीक किए और उतर गए। बारिश ने उनके कपड़ों पर लगे वीर्य को धो दिया। घर पहुंचते ही मम्मी ने पूछा, “फोन क्यों नहीं किया? और बाइक?”
तेजस्वी ने कहा, “खराब हो गई, मम्मी। बस से आना पड़ा।”
प्रियंका ने शरारती नजरों से तेजस्वी को देखते हुए कहा, “और भैया के कपड़े भी भीग गए, मम्मी!” तेजस्वी झेंप गया।
पापा ने कहा, “जाओ, नहा लो वरना सर्दी लग जाएगी।”
तेजस्वी ने हंसकर कहा, “गर्मी की बारिश में सर्दी नहीं लगती, पापा।”
कमरे में जाते समय तेजस्वी ने प्रियंका की गीली गांड पर हल्के से थप्पड़ मारा और बोला, “बड़ी बदमाश हो गई हो। क्या बोल रही थी? भैया के कपड़े भीग गए!”
प्रियंका ने हंसते हुए कहा, “मैं बदमाश? तुम तो पूरी तरह बेशरम हो गए, भैया!”
कमरे में पहुंचकर तेजस्वी ने कहा, “पहले तू नहा ले, प्रियंका।”
प्रियंका ने मुंह बनाकर कहा, “थैंक्स, भैया!” और तौलिया लेकर बाथरूम में चली गई। उसने दरवाजा बंद किया, पर सिटकनी नहीं लगाई, जैसा उनका रिवाज था।
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बाथरूम में प्रियंका ने अपनी सलवार-कमीज, ब्रा, और पैंटी उतारी और बाल्टी में धोने के लिए डाल दी। उसे जोर की पेशाब लगी थी। वह इंडियन टॉयलेट पर बैठी, और उसकी चूत से पेशाब की धार छरछराकर निकली। वह बस में हुए वाकये के बारे में सोच रही थी। उसका मन उलझन और उत्तेजना के बीच झूल रहा था। तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और तेजस्वी नंगा अंदर घुस आया।
“भैया!” प्रियंका चौंक गई। उसने जल्दी से अपनी चूत को हाथ से ढक लिया, पर पेशाब रुका नहीं। तेजस्वी मुस्कुराते हुए उसके सामने खड़ा था। उसका आठ इंच लंबा और ढाई इंच मोटा लंड फिर से खड़ा था, और सुपाड़ा खुला हुआ था।
प्रियंका ने घबराते हुए कहा, “भैया, ये क्या कर रहे हो? जाओ यहां से, प्लीज!”
तेजस्वी ने उसके गीले बालों को हटाते हुए कहा, “मुझे गलत मत समझ, प्रियंका। अगर तुझे लगता है कि मैं कुछ गलत कर रहा हूं, तो बोल दे। मैं चला जाऊंगा।”
प्रियंका ने धीरे से कहा, “मैंने ऐसा तो नहीं कहा, भैया।” उसकी आवाज में हल्का सा डर और जिज्ञासा थी।
तेजस्वी ने मुस्कुराकर उसका चेहरा अपनी ओर किया और उसे चूमने के लिए झुका। प्रियंका ने पहले तो मुंह हटाया, पर फिर उसने तेजस्वी की आंखों में देखा। उसकी आंखों में आत्मविश्वास था, लेकिन एक सवाल भी था। प्रियंका ने अपने होंठ आगे बढ़ाए, और दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे। यह चुम्बन धीमा और अनिश्चित था, जैसे दोनों यह समझने की कोशिश कर रहे हों कि वे क्या कर रहे हैं।
चूमते-चूमते तेजस्वी का लंड प्रियंका के हाथों पर ठोकर मार रहा था। उसकी उंगलियां अनायास ही तेजस्वी के लंड को छू गईं, और वह सिहर उठी। दो मिनट बाद जब दोनों अलग हुए, प्रियंका ने अपनी चूत से हाथ हटाए और तेजस्वी को अपनी नंगी चूत दिखाई। उसकी चूत पर हल्की झांट थी, जो उसने कैची से ट्रिम की थी। तेजस्वी को यह देखकर आश्चर्य हुआ। उसने सोचा था कि प्रियंका की चूत शेव्ड होगी, पर यह नेचुरल लुक उसे और आकर्षक लगा।
तेजस्वी घुटनों पर बैठ गया और प्रियंका की चूत को करीब से देखने लगा। उसकी गोरी जांघों के बीच उसकी चूत की फांक साफ दिख रही थी। प्रियंका ने भी मौका लिया और तेजस्वी के लंड को गौर से देखा। उसका लंड इतना मोटा और लंबा था कि उसे यकीन नहीं हुआ। उसने धीरे से उसकी ओर देखा, और उनकी नजरें मिलीं। दोनों के बीच एक अजीब सा तनाव था।
तेजस्वी ने प्रियंका की गांड पकड़कर उसे अपनी ओर खींचा और उसकी चूत को सूंघा। उसकी गर्म सांसें प्रियंका की चूत पर लगीं, और वह सिहर उठी। तेजस्वी ने धीरे से उसकी चूत पर एक चुम्बन लिया, जिससे प्रियंका की सांसें और तेज हो गईं। वह खड़ा हो गया और प्रियंका के गालों को प्यार से सहलाया। फिर उसने उसे घुमाकर दीवार से सटा दिया।
प्रियंका समझ गई कि तेजस्वी उसे स्टैंडिंग डॉगी स्टाइल में चोदना चाहता है। उसने अपनी गांड पीछे निकाली, लेकिन उसका मन उलझन में था। तेजस्वी ने अपना लंड पकड़ा और प्रियंका की चूत का छेद ढूंढने लगा। कई बार गीली त्वचा पर फिसलने के बाद उसने छेद पकड़ लिया। उसने प्रियंका की गर्दन पर झुककर उसके बालों को सूंघा और धीरे से अपना लंड उसकी चूत में डाला।
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“स्स्स्स… भैया!” प्रियंका सिसकारी। उसे हल्का दर्द हुआ, लेकिन वह चुप रही। तेजस्वी ने उसके गाल चूमे और धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करने लगा। प्रियंका की टाइट चूत में जलन हो रही थी। उसका सील टूट चुका था। तेजस्वी ने उसे संभलने का समय दिया और धीमे-धीमे धक्के मारने लगा।
कुछ ही धक्कों में तेजस्वी को लगा कि वह झड़ने वाला है। उसने लंड बाहर निकाला और अपने सुपाड़े को पकड़ लिया। फिर उसने प्रियंका की गांड पर लंड रखकर उसे चूमना शुरू किया। उसकी गर्म सांसें प्रियंका की गर्दन पर लग रही थीं। पांच मिनट बाद उसका लंड फिर से तैयार था। उसने प्रियंका की चूची को हल्के से दबाया और उसकी गर्दन चूमते हुए फिर से चोदना शुरू किया।
“उधर देख, प्रियंका,” तेजस्वी ने उसके कान में धीरे से कहा। प्रियंका ने बाथरूम के शीशे में देखा, जहां उनकी हरकतें साफ दिख रही थीं। वह शर्म से लाल हो गई और हंसकर मुंह फेर लिया।
दो मिनट बाद तेजस्वी ने फिर लंड बाहर निकाला। “क्या हुआ, भैया?” प्रियंका ने पूछा, उसकी आवाज में हल्की बेचैनी थी।
“तू बहुत हॉट है, प्रियंका। लगता है फिर से निकल जाएगा,” तेजस्वी ने हांफते हुए कहा।
प्रियंका ने हल्के से हंसकर कहा, “निकल जाने दो, भैया। अपने आप को क्यों रोक रहे हो?”
उसके इतना कहते ही तेजस्वी का वीर्य छूट गया। उसने प्रियंका की चूची को हल्के से दबाया और लंड रगड़कर वीर्य छिड़क दिया। वीर्य की धारें प्रियंका की गांड और जांघों पर गिरीं। प्रियंका का शरीर भी उत्तेजना से कांप रहा था। वह तेजस्वी से लिपट गई, और उसकी चूत से पानी बहने लगा।
वह इतनी उत्तेजित थी कि उसकी आंखों में आंसू आ गए। तेजस्वी ने उसे अपनी बाहों में लिया और उसके बाल सहलाए। प्रियंका ने तेजस्वी के लंड को अपनी जांघों के बीच दबाया, जिससे और वीर्य की धारें निकलीं। दस मिनट तक दोनों एक-दूसरे से लिपटे रहे। फिर दोनों ने शावर लिया और पेशाब भी कर लिया।
खाने की टेबल पर मम्मी-पापा के साथ बैठकर प्रियंका ने अचानक कहा, “मम्मी, मुझे अब अलग रूम नहीं चाहिए।”
तेजस्वी ने उसे देखा तो उसने आंख मार दी। मम्मी ने पूछा, “अच्छा? अचानक क्या हुआ?”
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प्रियंका ने मुस्कुराते हुए कहा, “भैया ने मुझे साड़ी गिफ्ट करने का वादा किया है।”
तेजस्वी ने हंसकर कहा, “मैंने कब कहा?”
प्रियंका ने जवाब दिया, “बस में बोला था, भैया!”
सब हंसने लगे। रात को दोनों अपने कमरे में गए। प्रियंका बाथरूम से पारदर्शी स्लीपिंग पैंट और ब्रा में निकली। तेजस्वी का लंड पहले से खड़ा था। उसने प्रियंका को चूमा और उसकी चूचियां हल्के से दबाईं। प्रियंका ने उसका हाथ रोका और बोली, “अभी नहीं, भैया। तीन दिन बाद।”
तेजस्वी ने पूछा, “तीन दिन बाद? मतलब?”
प्रियंका ने हंसकर कहा, “अरे, भैया! पीरियड्स चल रहे हैं।”
तेजस्वी ने उसकी चूत को हल्के से सहलाते हुए कहा, “फिर तो इसका ख्याल रखना। अब ये मेरी जिम्मेदारी है।”
तीन दिन तक दोनों ने एक-दूसरे का ख्याल रखा। तेजस्वी ने प्रियंका के लिए चॉकलेट्स और डिजाइनर पैंटीज लाए। चौथे दिन प्रियंका ने तेजस्वी की गिफ्ट की साड़ी पहनी। रात को दोनों फिर से कमरे में थे।
तेजस्वी ने कंडोम का पैकेट निकाला। प्रियंका ने अपनी साड़ी उतारी और ब्लाउज-पेटीकोट में तेजस्वी के पास खड़ी हो गई। तेजस्वी ने उसे अपनी गोद में खींचा और उसकी नाभी को सूंघा। उसकी जीभ प्रियंका की नाभी के आसपास घूमी, और प्रियंका सिहर उठी। उसने तेजस्वी को धक्का देकर बिस्तर पर लिटाया और उसकी जांघों को सहलाने लगी।
प्रियंका ने तेजस्वी के लंड का सुपाड़ा हल्के से चूमा और उसे अपने चेहरे पर रगड़ा। फिर उसने लंड को धीरे-धीरे मुंह में लिया और चूसने लगी। उसकी जीभ तेजस्वी के सुपाड़े पर चक्कर काट रही थी, और तेजस्वी को यह अब तक का सबसे अच्छा अनुभव लगा। प्रियंका का मुंह वीर्य से भर गया, और उसने उसे थूक दिया।
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प्रियंका ने अपना पेटीकोट उतारा और तेजस्वी को अपनी शेव्ड चूत दिखाई। तेजस्वी ने उसकी चूत को सूंघा और धीरे-धीरे चाटना शुरू किया। उसकी जीभ प्रियंका की चूत की फांक पर फिसली, और प्रियंका की सांसें तेज हो गईं। फिर उसने प्रियंका को बिस्तर पर लिटाया और कंडोम पहनकर उसकी चूत में लंड डाल दिया। प्रियंका ने उसे अपनी गोद में चोदा, और तेजस्वी का कंडोम फट गया। उसने दूसरा कंडोम पहना और चोदना जारी रखा।
पचास मिनट तक प्रियंका ने तेजस्वी को चोदा, पर उसे झड़ने नहीं दिया। वह धीरे-धीरे तेजस्वी के लंड को अपनी चूत में अंदर-बाहर कर रही थी, और दोनों के बीच एक गहरा तालमेल बन गया था। आखिरकार तेजस्वी ने उसे बिस्तर पर पलटा और जोर-जोर से चोदा। उसका वीर्य कंडोम में भर गया। फिर उसने प्रियंका को गोद में उठाकर चोदा, उसकी जांघों को कसकर पकड़ते हुए।
पच्चीस मिनट बाद तेजस्वी फिर से झड़ा। दोनों थककर एक-दूसरे की बाहों में सो गए। अगली सुबह मम्मी ने प्रियंका के लिए रिश्ते की बात की, पर तेजस्वी ने साफ मना कर दिया। उसने कहा, “प्रियंका अभी छोटी है। उसकी आजादी मत छीनो।”
प्रियंका का दिल अपने भैया के लिए और प्यार से भर गया। बाहर फिर से बारिश शुरू हो गई थी।