मेरा नाम अंशुल है। हमारे दूर के रिश्ते में एक मौसी हैं, जिन्हें हम प्यार से मौसी ही कहते हैं। उनकी उम्र 36 साल की है, और वो अभी तक कुंवारी हैं, शादीशुदा नहीं। वो इतनी सेक्सी हैं कि बस देखते ही दिल धक-धक करने लगता है। उनका फिगर ऐसा है कि हर मर्द की नजर उन पर ठहर जाए। हाल ही में वो हमारे शहर में आईं और मेरे चाचा-चाची के साथ उनके घर रहने लगीं। एक दिन दोपहर के करीब 2 बजे मुझे कुछ काम से उनके घर जाना पड़ा। गर्मी का मौसम था, और मैं पसीने से तर-बतर होकर उनके घर पहुंचा।
जब मैंने दरवाजा खटखटाया, तो मौसी ने ही दरवाजा खोला। उन्हें देखकर मैं थोड़ा चौंक गया। वो हल्की-हल्की हांफ रही थीं, जैसे कोई भारी काम कर रही हों। उनके चेहरे पर पसीने की बूंदें थीं, और उनकी सांसें तेज चल रही थीं। उन्होंने मुझे अंदर बुलाया और सोफे पर बिठाया। मैंने देखा कि वो एक पतली सी मैक्सी पहने थीं, जो उनके जिस्म से चिपकी हुई थी। उनकी मैक्सी इतनी टाइट थी कि उनके बूब्स का आकार साफ दिख रहा था, और नीचे से वो थोड़ी पारदर्शी थी, जिससे उनकी जांघें हल्की-हल्की नजर आ रही थीं। मैंने पूछा, “मौसी, चाचा-चाची कहां हैं?” उन्होंने बताया कि चाचा-चाची दिल्ली गए हैं और अगले दिन तक लौटेंगे। मैंने कहा, “ठीक है, मैं बाद में आ जाऊंगा।”
मौसी ने तुरंत कहा, “अरे, इतनी जल्दी क्या है? बाहर तो बहुत गर्मी है। रुक, मैं तेरे लिए कुछ ठंडा लेकर आती हूं।” वो किचन में चली गईं और दो गिलास ठंडा कोल्ड ड्रिंक लेकर आईं। जब वो मेरे सामने बैठीं, तो उनकी मैक्सी और ऊपर खिसक गई। उनके बूब्स का क्लीवेज साफ दिख रहा था, और ऐसा लग रहा था जैसे वो जानबूझकर मुझे तड़पा रही हों। मैंने हिम्मत जुटाकर पूछा, “मौसी, आप दरवाजा खोलते वक्त इतना हांफ क्यों रही थीं?” मेरे सवाल पर वो थोड़ा घबरा गईं, और उनकी आंखों में एक अजीब सी चमक आ गई। उन्होंने हड़बड़ाते हुए कहा, “कुछ नहीं, बस थोड़ा काम कर रही थी।” लेकिन उनकी आवाज में हिचकिचाहट थी, और मुझे लगा कि कुछ तो गड़बड़ है।
मैंने कहा, “मौसी, मुझे टॉयलेट जाना है।” इससे पहले कि वो कुछ कह पातीं, मैं टॉयलेट की ओर बढ़ गया। टॉयलेट में घुसते ही मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं। वहां फर्श पर दो लंबे-लंबे बैंगन पड़े थे, और पास में उनकी गुलाबी रंग की पैंटी और ब्रा टंगी थी। मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया। मैं समझ गया कि मौसी ने मैक्सी के नीचे कुछ नहीं पहना है। मेरे दिमाग में गंदे-गंदे ख्याल आने लगे। जब मैं बाहर आया, तो मौसी मुझे अजीब नजरों से देख रही थीं, जैसे उन्हें डर हो कि मैंने कुछ देख लिया।
मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “मौसी, घबराइए मत। मुझे आपके हांफने की वजह समझ आ गई है।” ये कहते हुए मैं उनके पास गया, और एकदम से उन्हें अपनी बाहों में उठा लिया। मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूमने लगा। पहले तो वो थोड़ा हिचकिचाईं, लेकिन फिर वो भी गर्म हो गईं। उनकी सांसें और तेज हो गईं, और वो मेरे चुंबन का जवाब देने लगीं। उनकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी, और उनका जिस्म मेरे जिस्म से चिपक गया था।
हम दोनों बेडरूम में चले गए। वहां मौसी ने कहा, “अंशुल, थोड़ा रुक। मैं तैयार होकर आती हूं।” मैंने पूछा, “कैसी तैयार?” वो शरमाते हुए बोलीं, “मेरी तो शादी हुई नहीं, ना ही मैंने कभी सुहागरात मनाई। आज कम से कम सुहागदिन तो अच्छे से मना लूं।” मैंने हंसते हुए कहा, “ठीक है, मौसी। जैसा आप चाहें।” वो ड्रेसिंग रूम में चली गईं। करीब 15 मिनट बाद जब वो बाहर आईं, तो मैं देखता ही रह गया। उन्होंने लाल रंग की साड़ी पहनी थी, जिसमें वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थीं। उनका ब्लाउज इतना टाइट था कि उनके बूब्स बाहर निकलने को बेताब थे, और साड़ी का पल्लू उनकी कमर को हल्का-हल्का ढक रहा था।
मैंने उन्हें बाहों में भर लिया और फिर से चूमना शुरू कर दिया। उनके होंठ रसीले थे, और मैं उन्हें चूसता रहा। वो बोलीं, “अंशुल, कोई जल्दी नहीं है। हम आराम से अपना सुहागदिन मनाएंगे।” हम दोनों एक-दूसरे के कपड़े उतारने लगे। मैंने उनकी साड़ी धीरे-धीरे खींची, और वो मेरी शर्ट के बटन खोलने लगीं। करीब आधे घंटे तक हम एक-दूसरे को चूमते रहे, और धीरे-धीरे उनके सारे कपड़े उतर गए। अब वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थीं। मैंने उनका ब्लाउज खोला, और उनके बड़े-बड़े बूब्स मेरे सामने आ गए। उनके निप्पल गुलाबी और सख्त थे। मैंने उनकी चूत को देखा, जो पूरी तरह गीली थी और फूलकर संतरे की फांक जैसी हो गई थी। मेरा लंड अब पूरी तरह तन चुका था, और उसकी लंबाई 7 इंच से भी ज्यादा लग रही थी।
मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू किया। मेरी जीभ उनकी चूत के दाने को छू रही थी, और वो सिसकारियां भरने लगीं, “आआहह… अंशुल… उउउहह…” उनकी आवाज में मस्ती थी। मैंने उनकी चूत को और जोर से चाटा, और मेरी उंगलियां उनकी चूत के अंदर-बाहर होने लगीं। वो बोलीं, “अंशुल, तू मुझे पहले क्यों नहीं मिला? मैं इस मजे के लिए कब से तरस रही थी।” उनकी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं, “आआहह… उईई… मेरी चूत फट जाएगी रे…” मैंने उनकी चूत को चूसना जारी रखा, और वो मेरे सिर को अपनी जांघों के बीच दबाने लगीं।
फिर वो बोलीं, “अंशुल, अब तेरा लंड मेरे मुंह में दे।” मैंने कहा, “मौसी, पहले तो आप मना कर रही थीं।” वो हंसते हुए बोलीं, “अब मैं तेरी बीवी हूं। जो तू कहेगा, वो करूंगी।” उन्होंने मेरा लंड अपने हाथ में लिया और उसे सहलाने लगीं। फिर धीरे-धीरे उसे अपने मुंह में लिया और चूसने लगीं। उनकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी, और मैं सिसकारियां भरने लगा, “आआहह… मौसी… उउउहह…” वो करीब 15 मिनट तक मेरा लंड चूसती रहीं, और मेरा पानी निकलने को तैयार था। मैंने कहा, “मौसी, रुक जाओ, नहीं तो पानी निकल जाएगा।” वो हंसीं और बोलीं, “मजा आ गया। मैं तो यूं ही डर रही थी।”
अब हम दोनों इतने गर्म हो चुके थे कि कमरे में एसी होने के बावजूद पसीने से तर-बतर थे। मौसी मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर रगड़ रही थीं। फिर उन्होंने अपनी कमर उठाई और मेरे लंड को अपनी जांघों के बीच रगड़ने लगीं। उनकी चूचियां मेरे मुंह के पास थीं, और मैं उन्हें जोर-जोर से दबाने लगा। वो बोलीं, “अंशुल, मेरी चूचियों को चूस।” मैंने उनकी एक चूची अपने मुंह में ली और जोर-जोर से चूसने लगा। वो सिसकारियां भर रही थीं, “आआहह… उईई… मेरे राजा… चूस ले इन्हें…” मैं उनकी चूचियों को चूसता रहा, और उनकी चूत अब पूरी तरह गीली थी।
मैंने कहा, “मौसी, अब और नहीं रुक सकता।” मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुहाने पर रखा। उनकी चूत अभी भी टाइट थी, जैसे कभी इस्तेमाल न हुई हो। मैंने धीरे-धीरे अपना लंड अंदर डाला, और वो चिल्लाईं, “आआहह… उईई… धीरे… मेरी चूत फट जाएगी…” मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड पूरा अंदर नहीं जा रहा था। वो बोलीं, “अंशुल, और जोर से… मुझे पूरी औरत बना दे…” मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और अब मेरा लंड उनकी चूत में तेजी से अंदर-बाहर हो रहा था। कमरे में चुदाई की आवाजें गूंज रही थीं, “थप-थप… छप-छप…” और मौसी की सिसकारियां, “आआहह… उउउहह… मेरे राजा… चोद दे मुझे… उईई… मेरी चूत फट गई रे…”
मैंने उनकी दोनों टांगें अपनी कमर पर रख लीं, और वो मुझे जकड़कर नीचे से अपनी कमर उठा-उठाकर मेरे धक्कों का जवाब देने लगीं। उनकी चूत मेरे लंड को कसकर जकड़ रही थी, और मैं जन्नत में पहुंच चुका था। वो चिल्ला रही थीं, “अंशुल… और जोर से… मेरी चूत को फाड़ दे… आआहह… उईई…” करीब 20 मिनट तक मैंने उन्हें चोदा, और फिर मुझे लगा कि मेरा पानी निकलने वाला है। मैंने कहा, “मौसी, मैं झड़ने वाला हूं।” वो बोलीं, “मैं भी हो गई… मेरे अंदर ही डाल दे…” मैंने और जोर से धक्के मारे, और फिर मेरा पानी उनकी चूत में निकल गया। उनकी चूत मेरे वीर्य से भर गई, और हम दोनों हांफते हुए एक-दूसरे से चिपक गए।
थोड़ी देर बाद हम बाथरूम में गए और एक साथ नहाए। नहाते वक्त मैंने फिर से उनकी चूचियों को दबाया, और वो हंसते हुए बोलीं, “अंशुल, तूने आज मुझे पूरी औरत बना दिया। अब बोल, मैं तेरे लिए क्या करूं?” मैंने कहा, “मौसी, पहले हम मार्केट घूम आते हैं।” वो तैयार हो गईं, और हम मार्केट चले गए। वहां उन्होंने मेरे लिए कुछ कपड़े खरीदे और बोलीं, “ये तेरा गिफ्ट है।” वापस आते वक्त उन्होंने कहा, “अंशुल, आज रात मेरे साथ ही रुक जा। चाचा-चाची तो कल आएंगे।” मैंने घर पर फोन करके बता दिया कि मैं ऑफिस के काम से रुक रहा हूं।
घर वापस आने के बाद मैंने बियर की चार बोतलें लीं। मौसी ने कहा, “मैं बियर नहीं पीती।” मैंने हंसते हुए कहा, “मौसी, आप तो लंड भी नहीं चूसती थीं।” वो शरमाकर बोलीं, “ठीक है, तेरे लिए थोड़ी सी पी लूंगी।” हमने बियर पी, और नशा चढ़ते ही हम फिर से गर्म हो गए। मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और उनका पेटीकोट ऊपर उठाकर उनका लंड उनकी चूत में डाल दिया। मैं उनकी चूचियों को जोर-जोर से मसलने लगा, और वो सिसकारियां भरने लगीं, “आआहह… उउउहह… अंशुल… मेरी चूत को फिर से चोद दे…” मैंने तेजी से धक्के मारने शुरू किए, और कमरे में फिर से चुदाई की आवाजें गूंजने लगीं, “थप-थप… छप-छप…” वो चिल्ला रही थीं, “आआहह… मेरे राजा… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे…” आधे घंटे तक चुदाई के बाद मेरा पानी फिर से उनकी चूत में निकल गया।
हम दोनों थककर चूर हो गए थे, लेकिन मस्ती अभी खत्म नहीं हुई थी। दो घंटे बाद हम फिर से तैयार हो गए, और फिर आप तो समझ ही गए होंगे कि क्या हुआ। इसके बाद जब भी हमें मौका मिला, हमने खूब चुदाई की और मजे किए।
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Sarir hil gya