मेरा नाम सारंग है। मैं जोधपुर का रहने वाला हूँ, पर अब लखनऊ में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता हूँ। मेरी उम्र 30 साल है, और मेरा कद 6 फीट 2 इंच। ये कहानी उस वक्त की है जब मैं 19 साल का था, कॉलेज में पढ़ता था। उस समय की बात है जब मेरे और मेरी बुआ के बीच कुछ ऐसा हुआ जो आज भी मेरे दिलो-दिमाग में ताजा है। ये कहानी बिल्कुल सच्ची है, और मैं इसे आपसे शेयर करने जा रहा हूँ, बिना कुछ छुपाए।
हमारा घर और बुआ का घर एक ही कॉलोनी में था। बुआ की उम्र उस वक्त 24 साल के आसपास रही होगी। वो गोरी-चिट्टी, भरे हुए बदन वाली थीं। उनके बड़े-बड़े स्तन और करारी गांड को देखकर किसी का भी मन डोल जाए। बुआ के घर में उनके मम्मी-पापा और एक छोटा भाई रहता था। मेरा बुआ के घर आना-जाना बहुत था। मैं कॉलेज से सीधे उनके घर चला जाता, वहाँ खाना खाता, और देर तक रुकता।
बुआ के घर में खाना बनाने के लिए मिट्टी का चूल्हा था। उस चूल्हे में आग जलाना आसान नहीं था। बुआ रोज़ सूखी लकड़ियाँ लातीं, उन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़तीं, और फिर चूल्हे में आग जलाने की कोशिश करतीं। ये काम उनके लिए मुश्किल था, और मैं अक्सर उनकी मदद करने पहुँच जाता। लेकिन सच्चाई ये थी कि मेरी नीयत कुछ और थी। जब बुआ चूल्हे में आग जलाने के लिए झुकतीं, तो उनकी चुन्नी हट जाती। उनके गहरे गले वाले कुर्ते से उनके भारी-भरकम स्तन साफ दिखाई देते। वो नजारा मेरे लिए जन्नत से कम नहीं था। उनके स्तन इतने बड़े थे कि कुर्ता फाड़कर बाहर आने को तैयार लगते। मैं पास बैठकर वो मंजर देखता, और मन करता कि उनके स्तनों को पकड़कर मसल दूँ, उन्हें मुँह में लेकर चूसूँ। पर मैं सिर्फ़ ख्यालों में खो जाता और बाद में बुआ के बाथरूम में जाकर मुठ मार लेता।
एक दिन मैं बुआ के घर गया। मुझे पता चला कि उनके एग्जाम हैं, और अगले 20 दिन तक वो खाना नहीं बनाएँगी। ये सुनकर मेरा दिल टूट गया। मैं उदास होकर जाने लगा, क्योंकि अब वो जादुई नजारा देखने को नहीं मिलेगा। तभी बुआ की आवाज़ आई, “क्यों, आज क्या देखने का मूड नहीं है?” मैं चौंक गया। पलटकर देखा तो बुआ हँस रही थीं। उनकी आँखों में शरारत थी। मैं उनकी तरफ़त खिंचा चला गया। मन में लड्डू फूट रहे थे। मैंने मुझे अपनी ओर बुलाया। मैं भंवरे की तरह उनके पास पहुँचा, सोचकर कि आज शायद मेरी किस्मत चमक जाए। लेकिन बुआ ने ऐसा व्यवहार किया जैसे कुछ कहा ही नहीं। फिर अचानक उन्होंने मुझे गले से लगा लिया।
मेरा चेहरा उनके मुलायम, भारी स्तनों के बीच दब गया। मैं जन्नत में था। उनके निप्पल्स मेरे गालों पर चुभ रहे थे। मैंने उनकी कमर कसकर पकड़ ली। बुआ मेरे बाल सहलाती रहीं, और धीरे-धीरे मेरा चेहरा अपने स्तनों पर दबाती रहीं। मुझे उनकी ब्रा का एहसास हो रहा था। मैं मन ही मन सोच रहा था कि उन्हें गोद में उठा लूँ, उनका कुर्ता फाड़ दूँ, और उनके रसीले स्तनों को चूस लूँ। लेकिन ये सब 15 मिनट तक चला। अचानक बुआ के भाई की आवाज़ आई, और मैं अपने घर चला गया। वहाँ जाकर फिर वही, मुठ मारकर दिल को तस्सली दी।
अगले दिन मैं फिर बुआ के घर गया। मैंने दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। उदास होकर जाने लगा, तभी बुआ की आवाज़ आई, “कौन है?” मैंने खुश होकर जवाब दिया। बुआ ने दरवाजा खोला। दोस्तों, वो नजारा! बुआ सिर्फ़ एक तौलिए में थीं, जो उनके स्तनों को मुश्किल से ढक रहा था। शायद वो नहाने जा रही थीं, और मेरी वजह से बीच में दरवाज़ा खोलने आ गईं। उनका गीला, गोरा बदन मुझे अपनी ओर खींच रहा था। मैं अंदर गया और दरवाज़ा बंद कर लिया।
बुआ बाथरूम में नहाने चली गईं। मैं टीवी देखने लगा, लेकिन मेरा मन कहीं और था। मैंने सोच लिया कि बाथरूम में झाँककर देखना है। मैंने दरवाजे में छोटे-छोटे छेद ढूंढे और वहाँ से झाँकने लगा। बुआ का नंगा बदन देखकर मेरी साँसें रुक गईं। उनके तने हुए स्तन, मखमली त्वचा, करारी गांड, और झाँटों से भरी चूत। पानी की बूँदें उनके बदन पर मोतियों की तरह चमक रही थीं। मेरा लंड पत्थर की तरह सख्त हो गया। मैं दरवाजे के पास खड़ा होकर मुठ मारने लगा।
पाँच मिनट बाद मेरे पैर दुखने लगे। मैंने दरवाजे का सहारा लिया और नीचे बैठ गया, ज़ोर-ज़ोर से मुठ मारने लगा। अचानक बाथरूम का दरवाज़ा खुला, और मैं बुआ के सामने था, लंड पकड़े, नीचे बैठा हुआ। मैं शर्म से मर गया। मैंने भागने की कोशिश की, लेकिन बुआ ने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं डर गया, सोचा अब डांट पड़ेगी। लेकिन बुआ ने जो कहा, उसने सुनकर मेरे होश उड़ गए। उन्होंने कहा, “क्यों, चोदेगा मुझे?”
मैं हैरान था, पर मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहता था। मैंने तुरंत बुआ के दोनों स्तनों को पकड़ लिया और बाथरूम में उनके रसीले स्तनों को चूसने लगा। एक हाथ से उनके भारी स्तन को मसल रहा था, दूसरे से उनके निप्पल को दबाकर चूस रहा था।। बुआ सिस्कारियाँ भर रही थीं, “उम्म्म… आह्ह्ह… और ज़र, सारंग!” वो मुझे ज़ोर से अपनी ओर दबा रही थीं। मैं पागल हो गया था, उनके स्तनों को कुत्ते की तरह चटक-चटक चूस रहा था।
मैंने अचानक उनकी चूत में एक उंगली डाल दी। बुआ ज़रर से चीखीं, “आआहह… माँ!” वो जोश में थीं, बोलीं, “प्लीज़, अब चोद दे… और मत तड़पाए!” मैंने बुआ को ज़मीन पर लिटाया, उनके पैर फैलाए। उनके स्तनों को चूसते हुए मैं नीचे की ओर गया। उनके पेट पर जीभ फेरी, नाभि को चाटा। बुआ की साँसें तेज़ थीं। मैंने उनकी झाँटों को पकड़कर खींचा, वो चीखीं, “छछो… ड़, पप्लीज़!” फिर मैंने उनकी चूत पर जीभ रख दी।
मैं उनकी चूत को कुत्ते की तरह चाट रहा था।। बुआ की सिस्कारियाँ गूँज रही थीं, “आआह… और ज़ोर से… चमूस!” मैंने उनकी चूत को मुँह में लेकर चूसा। बुआ ने मेरी गर्दन में पैर डाले, मुझे अपनी चूत की ओर दबाया। वो कमर उठाकर चुदाई का इशारा कर रही थीं।। मैंने अपनी पैंट उतारी, अंडरवीयर फेंका। बुआ ने मेरा 8 इंच का लंड मुँह में लिया और चूसने लगीं। मैं उनकी मुँह को धीरे-धीरे धक्के देकर चोदने लगा। पाँच मिनट बाद मैं झड़ गया। बुआ ने मेरा माल पी लिया।
बुआ ने मारा लंड फिर चूसा, और दो मिनट में वो फिर खड़ा था। हम बेडरूम में गए। मैंने बुआ को बिस्तर पर लिटाया, उनके पैर फैलाए। उनकी चूत गीली थी। मैंने लंड डालने की कोशिश की। थोड़ी देर में लंड अंदर गया। मैंने एक ज़ोर का धक्का दिया, पूरा लंड उनकी चूत में था। बुआ चीखीं, “आआह… माँ! धीरे… थोड़ा आराम से!” मैंने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए, फिर स्पीज़ बढ़ाई। फच-फच-फच की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी। बुआ बोलीं, “हाँ… और ज़ोर से… फाड़ दे मेरी चूत को… आआहह!”
मैं ज़र-ज़ोर से धक्के मार रहा था। बुआ की सिस्कारियाँ, “उम्म्म… माँ… और चोद… फाड़ डाल!” मैं उनके स्तनों को मसले जा रहा था, चूस रहा था। बुआ कमर उठा-उठाकर मज़े ले रही थीं। करी ब 15 मिनट तक ये चुदाई चली। बुआ झड़ गईं, उनकी चूत में गर्मी थी। मैंने भी अपना माल उनकी चूत में डाल दिया। अगले दिन मैं बुआ के लिए आइ-पिल लाया।
दोस्तों, ये थी मेरी बुआ की चुदाई की कहानी। आपको कैसी लगी? कमेंट में ज़रूर बताएँ!
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