बीवी ने मायके में अधेड़ आदमी से चुदवाया

Mayke mein adhed aadmi se chudai sex story – बीवी की चुदाई – मायके में सेक्स – अधेड़ आदमी से चुदाई:

नमस्ते दोस्तों, ये कहानी मेरी बीवी साक्षी की है, जो अपने मायके में एक शादी समारोह के दौरान अपने फूफा, ओम प्रकाश उर्फ ओपी, से चुद गयी। साक्षी 27 साल की है, गोरी-चिट्टी, फिगर ऐसा कि मर्दों की नजरें उस पर टिक जाएं। उसके बड़े-बड़े कूल्हे, भरे हुए स्तन और कमर की लचक किसी को भी पागल कर दे। उसका चेहरा गोल है, होंठ गुलाबी, और आँखें ऐसी कि शरारत और भूख दोनों झलकती हैं। बिस्तर में उसकी हरकतें देखकर मैं कई बार हैरान रह जाता हूँ। वो लंड चूसने में इतनी माहिर है कि मैं आहें भरने लगता हूँ और जबरदस्ती अपना लंड उसके मुँह से निकालना पड़ता है। उसकी चूत की गर्मी और सेक्स की प्यास ऐसी है कि वो हर बार कुछ नया आजमाती है।

दूसरी तरफ, उसका फूफा ओपी, 49 साल का अधेड़ आदमी, पैसे वाला और चूत का शौकीन। उसके चेहरे पर रंगीन मिजाजी साफ झलकती थी। वो थोड़ा गंजा है, लेकिन उसकी आँखों में चालाकी और शरारत थी। साक्षी की छोटी बहन दिव्या, 24 साल की, सांवली लेकिन नशीली। उसकी आँखें तेज हैं, और बात करने का अंदाज ऐसा कि कोई भी उसकी चिकनी-चुपड़ी बातों में फंस जाए।

बात उस वक्त की है जब साक्षी अपने मायके में एक शादी समारोह में गई थी। वहाँ रिश्तेदारों की भीड़ थी, हंसी-मजाक और शादी का माहौल। रिवाज के मुताबिक, मेजबान परिवार की औरतें रिश्तेदारों के हाथों पर मेहंदी लगाती हैं। साक्षी ने लाल रंग का लहंगा पहना था, जिसके साथ टाइट ब्लाउज था जो उसके स्तनों को और उभार रहा था। उसकी लाल लेस वाली ब्रा ब्लाउज के नीचे से हल्की-हल्की झलक रही थी। दिव्या ने हरा लहंगा और काला ब्लाउज पहना था, जो उसके सांवले रंग पर खूब जंच रहा था। दोनों बहनें मेहंदी लगाने में मशगूल थीं, हंसी-ठिठोली के साथ रिश्तेदारों से बातें कर रही थीं।

तभी ओपी वहाँ आया। उसने क्रीम रंग का कुर्ता-पायजामा पहना था, और उसकी आँखों में वही चालाक चमक थी। वो रिश्ते में साक्षी और दिव्या का फूफा लगता था। उसकी बीवी, यानी साक्षी की फूफी, घर की दूसरी रस्मों में व्यस्त थी। ओपी ने पहले मेहंदी लगवाने से मना किया, “अरे, ये औरतों का काम है, मैं क्या मेहंदी लगवाऊं?” लेकिन दिव्या ने अपनी चुलबुली अदा से उसे मना लिया। “अरे फूफा जी, रस्म तो रस्म है, लगवा लो, मजा आएगा।” साक्षी ने भी हल्के से मुस्कुराकर कहा, “हां फूफा जी, आप पर तो मेहंदी खूब जचेगी।” ओपी ने दोनों बहनों की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए मान गया।

साक्षी और दिव्या ने उसके दोनों हाथों पर मेहंदी लगाई। ओपी मजाक-मजाक में दोनों से लस्सी-लस्सी बातें कर रहा था। मेहंदी लगने के बाद रस्म के हिसाब से नेग देना था। दिव्या ने चहकते हुए कहा, “फूफा जी, अब जेब ढीली करो, मोटा नेग चाहिए।” ओपी ने हंसते हुए जवाब दिया, “जितना लेना है ले लो, मेरे हाथ तो मेहंदी से रंगे हैं। मेरा पर्स जेब से निकाल लो।” उसने अपनी कमर की तरफ इशारा किया। दिव्या ने साक्षी को देखकर कहा, “जा, तू निकाल ले, आज फूफा जी से मोटी रकम ऐंठेंगे।”

साक्षी ने जैसे ही ओपी की जेब की तरफ देखा, उसकी नजर उसकी पायजामा पर पड़ी। ओपी का लंड तना हुआ था और पायजामा में साफ उभर रहा था। साक्षी का चेहरा लाल हो गया, और उसकी सांसें तेज चलने लगीं। उसने हिचकते हुए जेब में हाथ डाला, और पर्स निकालते वक्त उसका हाथ ओपी के लंड से छू गया। लंड की सख्ती और गर्मी महसूस होते ही साक्षी की चूत में हल्की सी सिहरन दौड़ गई। ओपी ने उसकी आँखों में देखा और समझ गया कि ये लौंडिया लंड की भूखी है। साक्षी ने पर्स से 1500 रुपये निकाले और दिव्या को दे दिए। दिव्या पैसे लेकर वहाँ से चली गई, शायद किसी और रिश्तेदार को तंग करने।

साक्षी अभी भी ओपी के पास खड़ी थी। उसकी नजर बार-बार ओपी के उभरे हुए लंड पर जा रही थी। ओपी ने मौका देखकर कहा, “बड़ी प्यास लगी है, जरा पानी पिला दो।” उसकी बात में डबल मीनिंग था। साक्षी ने हल्के से मुस्कुराकर कहा, “पानी तो मैं ला दूंगी, लेकिन आपकी प्यास शायद पानी से न बुझे।” ओपी ने उसकी बात पकड़ ली और बोला, “तो फिर तू ही बुझा दे मेरी प्यास, साक्षी।” साक्षी हंस पड़ी और पानी लेने चली गई। जब वो पानी लेकर लौटी, ओपी ने फिर बात शुरू की। “नेग तो तुझे लेना था, दिव्या क्यों ले गई? ये लो, 2100 रुपये और,” कहकर उसने साक्षी को पैसे देने की कोशिश की। साक्षी ने पहले मना किया, “नहीं फूफा जी, इतना काफी है।” लेकिन ओपी के बार-बार कहने पर उसने पैसे ले लिए।

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अब ओपी ने बात को और आगे बढ़ाया। “क्या जल्दी है? मेरी मेहंदी सूखने तक तो रुक जाओ।” साक्षी ने हंसते हुए कहा, “मर्दों के हाथ तो गर्म होते हैं, आपकी मेहंदी तो अब तक रच गई होगी।” ओपी ने तपाक से जवाब दिया, “हां, मेरे हाथ तो गर्म हैं, और भी बहुत कुछ गर्म है, देखना चाहेगी?” साक्षी की हंसी और बढ़ गई, लेकिन उसकी आँखों में शरारत थी। बातों-बातों में ओपी ने साक्षी का नंबर मांग लिया और उसे अपना फोन देकर नंबर डायल करने को कहा। साक्षी ने नंबर डायल किया, और ओपी ने तुरंत एक मैसेज भेज दिया।

फिर ओपी ने कहा, “मेरे हाथों की मेहंदी धुलवा दे।” साक्षी ने पहले बाहर बने बाथरूम में जाने को कहा, लेकिन ओपी ने मना करते हुए कहा, “वहाँ लोग हंसेंगे। कहीं अकेले में चलें?” साक्षी ने उसकी नजरों को पढ़ लिया और बिंदास बोली, “ठीक है, मेरे साथ चलो।” उसने ओपी को पास के पशु बाड़े में ले गई, जहाँ एक पानी की टंकी थी। साक्षी ने ओपी के हाथ धुलवाए। मेहंदी धुलने के बाद ओपी ने कहा, “चल, कुछ देर यहीं बैठकर बातें करते हैं।” दोनों टंकी के पास बैठ गए। रात का अंधेरा था, और चारों तरफ सन्नाटा।

बातों-बातों में ओपी ने साक्षी को 5000 रुपये ऑफर किए। “तू मुझे बहुत पसंद आई है, साक्षी। मैं तुझसे दोस्ती करना चाहता हूँ।” साक्षी ने पहले मना किया, “फूफा जी, मेरी शादी हो चुकी है, ये ठीक नहीं।” लेकिन ओपी ने कहा, “बस दोस्ती, और कुछ नहीं।” साक्षी चुप रही। ओपी ने तुरंत 5000 रुपये निकालकर साक्षी के हाथ में थमा दिए और बोला, “आज हमारी दोस्ती का पहला दिन है, इसे यादगार बनाना चाहिए।” साक्षी ने पहले मना किया, लेकिन ओपी के बार-बार कहने पर वो मान गई।

ओपी ने फिर पूछा, “कोई ऐसी जगह है जहाँ हम अकेले में बात कर सकें?” साक्षी ने सोचा और बोली, “यहाँ से थोड़ी दूर चारे का बाड़ा है, वहाँ चलते हैं।” रात का अंधेरा गहरा था। दोनों चुपके से वहाँ पहुँच गए। साक्षी ने बाड़े का लोहे का गेट बंद किया और अंदर से ताला लगा दिया। बाड़े में एक छोटा सा कमरा था, जिसमें अनाज की बोरियाँ, एक पुरानी चारपाई और कुछ टूटा-फूटा सामान रखा था। साक्षी ने चारपाई पर एक चादर बिछाई और पुराना पंखा चालू कर दिया। कमरे में हल्की सी ठंडक थी, लेकिन दोनों के शरीर गर्म थे।

ओपी ने साक्षी को पास खींचा और उसे गले से लगा लिया। साक्षी की सांसें तेज हो गईं। उसने ओपी की आँखों में देखा और हल्के से मुस्कुराई। ओपी ने धीरे से साक्षी के गालों पर चूमा, फिर उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए। दोनों के बीच गहरी लिप-लॉक किस शुरू हो गई। ओपी की जीभ साक्षी की जीभ से खेल रही थी। उसने साक्षी के होंठों को चूसा, फिर हल्के से काटा। साक्षी की सिसकारी निकल गई, “आह… फूफा जी…” ओपी ने साक्षी के बड़े-बड़े चूतड़ों को सहलाना शुरू किया। उसका एक हाथ साक्षी की कमर पर था, और दूसरा उसके चूतड़ों को जोर-जोर से मसल रहा था। साक्षी के मुँह से हल्की सिसकारियाँ निकल रही थीं, “उह… ओह…”

ओपी ने साक्षी की चुनरी धीरे से खींचकर उतार दी। अब साक्षी सिर्फ अपने लाल लहंगे और टाइट ब्लाउज में थी। उसका ब्लाउज इतना टाइट था कि उसके स्तन बाहर निकलने को बेताब थे। ओपी ने ब्लाउज के ऊपर से ही साक्षी के स्तनों को दबाना शुरू किया। साक्षी के निप्पल सख्त हो गए थे, और वो लाल ब्रा के नीचे से साफ उभर रहे थे। ओपी ने ब्लाउज के बटन खोलने शुरू किए। एक-एक बटन खुलने के साथ साक्षी की सांसें और तेज हो रही थीं। ब्लाउज खुलते ही उसकी लाल लेस वाली ब्रा सामने थी। ओपी ने ब्रा के ऊपर से साक्षी के निप्पलों को हल्के से चुटकी में लिया। साक्षी सिसकारी, “आह… धीरे… फूफा जी…”

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ओपी ने साक्षी का लहंगा ऊपर उठाया और उसकी लाल लेस वाली पैंटी को नीचे सरकाया। साक्षी की चूत साफ थी, उसका क्लिट गुलाबी और हल्का उभरा हुआ था। चूत पहले से ही गीली थी, और उसकी खुशबू कमरे में फैल रही थी। ओपी ने साक्षी को चारपाई पर बिठाया और उसकी टांगें फैलाकर अपनी जीभ उसकी चूत पर रख दी। उसकी जीभ साक्षी की चूत के होंठों को चूम रही थी, कभी क्लिट पर चक्कर काट रही थी, तो कभी चूत के अंदर तक जा रही थी। साक्षी की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह… उह… फूफा जी… और चाटो… मेरी चूत को खा जाओ…” उसका शरीर कांप रहा था, और वो अपने कूल्हे हिलाकर ओपी की जीभ का मजा ले रही थी।

करीब 10 मिनट तक ओपी ने साक्षी की चूत चाटी। साक्षी की चूत ने पानी छोड़ दिया। वो जोर से सिसकारी, “आह… ओह… मैं झड़ रही हूँ… उफ्फ…” ओपी ने उसका सारा पानी चाट लिया और बोला, “तेरी चूत का रस तो शहद से भी मीठा है।” साक्षी हांफ रही थी, लेकिन उसकी आँखों में और भूख थी।

ओपी ने अपनी शर्ट और बनियान उतार दी। उसका सीना चौड़ा था, और उसकी छाती पर हल्के-हल्के बाल थे। फिर उसने अपनी पैंट उतारी। उसका 7 इंच लंबा और मोटा लंड साक्षी के सामने था। लंड का सुपारा लाल था, और वो पूरी तरह से तना हुआ था। साक्षी ने उसे देखकर अपने होंठ चाटे और बोली, “फूफा जी, ये तो बहुत बड़ा है… मेरी चूत में कैसे जाएगा?” ओपी ने हंसते हुए कहा, “चिंता मत कर, रानी। ये तेरी चूत के लिए ही बना है।”

साक्षी ने ओपी की ब्रा और पैंटी पूरी तरह उतार दी। अब वो पूरी नंगी थी। उसके गुलाबी निप्पल सख्त थे, और उसकी चूत चमक रही थी। ओपी ने साक्षी को चारपाई पर लिटाया और उसकी चूत को फिर से चाटना शुरू किया। उसकी जीभ साक्षी की चूत के हर कोने को छू रही थी। साक्षी की सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं, “आह… उह… और चाटो… मेरी चूत को चूस लो…”

अब ओपी ने साक्षी को 69 की पोजीशन में आने को कहा। साक्षी उसके ऊपर चढ़ गई। उसकी चूत ओपी के मुँह के सामने थी, और उसका लंड साक्षी के मुँह में। साक्षी ने ओपी के लंड को अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उसकी जीभ लंड के सुपारे पर चक्कर काट रही थी, कभी पूरा लंड गले तक ले रही थी, तो कभी सिर्फ सुपारा चूस रही थी। ओपी की सिसकारियाँ निकल रही थीं, “आह… साक्षी… तू तो रंडी से भी बढ़कर चूसती है… और चूस… उह…” साक्षी का मुँह लंड पर लार से चमक रहा था। दूसरी तरफ, ओपी साक्षी की चूत में अपनी जीभ गहरे तक डाल रहा था। दोनों की सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं, “आह… उह… ओह…”

साक्षी ने हांफते हुए कहा, “फूफा जी… अब रहा नहीं जाता… अपनी रंडी की चूत में लंड डाल दो…” ओपी ने हंसते हुए कहा, “रानी, मैंने दवा खा रखी है। आज तेरी चूत को फाड़ दूंगा।” उसने साक्षी को चारपाई पर लिटाया और उसकी टांगें फैलाकर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ना शुरू किया। साक्षी की चूत गीली थी, और लंड का सुपारा उसकी चूत के होंठों पर फिसल रहा था। साक्षी सिसकारी, “उफ्फ… डाल दो ना… मेरी चूत तड़प रही है…”

ओपी ने धीरे से अपना लंड साक्षी की चूत में डाला। उसका मोटा लंड जैसे ही अंदर गया, साक्षी चीख पड़ी, “आह… धीरे… दर्द हो रहा है…” ओपी ने रुककर कहा, “तेरे पति ने कितने दिन से नहीं चोदा?” साक्षी ने हांफते हुए कहा, “दो हफ्ते हो गए…” ओपी ने मुस्कुराते हुए कहा, “तो आज मैं तेरी चूत का सारा सूखा खत्म कर दूंगा।” उसने धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। साक्षी की चूत टाइट थी, और लंड की हर धक्के के साथ वो सिसकार रही थी, “आह… उह… और जोर से… फूफा जी…”

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ओपी ने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। कमरे में चुदाई की आवाजें गूंज रही थीं, “थप-थप-थप…” साक्षी के स्तन उछल रहे थे, और ओपी उन्हें जोर-जोर से दबा रहा था। उसने साक्षी के गुलाबी निप्पलों को अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। साक्षी की सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “आह… चूसो… मेरे मम्मों को खा जाओ… उह…” ओपी ने साक्षी के होंठों को चूमा, उसकी जीभ को अपने मुँह में लिया। दोनों की सांसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं।

करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद ओपी ने कहा, “मेरा निकलने वाला है, कहाँ लूँ?” साक्षी ने हांफते हुए कहा, “मेरे मुँह में… सारा पानी मेरे मुँह में डाल दो…” ओपी ने अपना लंड साक्षी के मुँह में डाला, और उसका सारा वीर्य साक्षी ने गटक लिया। साक्षी ने वीर्य को अपने मुँह में रखकर ओपी को दिखाया और फिर निगल लिया।

दोनों नंगे ही चारपाई पर लेट गए। साक्षी ओपी के लंड को हल्के-हल्के सहला रही थी, और ओपी उसकी चूत को उंगली से सहला रहा था। साक्षी ने ओपी के सीने पर चूमा और बोली, “फूफा जी, आप तो कमाल हो। मेरी चूत को इतना मजा कभी नहीं मिला।” ओपी ने हंसते हुए कहा, “रानी, अभी तो पूरी रात बाकी है।”

करीब 15 मिनट बाद ओपी का लंड फिर से खड़ा हो गया। इस बार उसने साक्षी को घोड़ी बनाया। साक्षी के बड़े-बड़े चूतड़ हवा में थे, और उसकी चूत चमक रही थी। ओपी ने पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया। साक्षी की सिसकारी निकल गई, “आह… फूफा जी… मेरी चूत फाड़ दो…” ओपी ने साक्षी के चूतड़ों पर चांटे मारने शुरू किए। हर चांटे के साथ साक्षी चहक रही थी, “उह… मारो… मेरे चूतड़ लाल कर दो… और चोदो…” चुदाई की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं, “थप-थप-थप…”

10 मिनट की घोड़ी स्टाइल चुदाई के बाद ओपी चारपाई पर बैठ गया और साक्षी को अपनी गोद में बिठा लिया। साक्षी ने उसका लंड अपनी चूत में लिया और ऊपर-नीचे होने लगी। उसके स्तन ओपी के मुँह के सामने उछल रहे थे। ओपी ने एक निप्पल को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। साक्षी की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह… ओह… चोदो मुझे… मेरी चूत को रगड़ डालो…” दोनों मजे ले रहे थे, और साक्षी की चूत बार-बार गीली हो रही थी।

फिर ओपी ने साक्षी को दोबारा घोड़ी बनाया और पीछे से चुदाई शुरू की। इस बार उसने साक्षी की कमर पकड़ी और जोर-जोर से धक्के मारे। साक्षी की चूत से “थप-थप” की आवाजें आ रही थीं, और वो चीख रही थी, “आह… फूफा जी… मेरी चूत फाड़ दो… उह…” करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद ओपी ने कहा, “मैं फिर से झड़ने वाला हूँ।” साक्षी ने उसका लंड मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। ओपी ने सिसकारी के साथ साक्षी के मुँह में झड़ गया। साक्षी ने उसका सारा वीर्य पी लिया और मुस्कुराते हुए उसे दिखाया।

चुदाई के बाद दोनों ने कपड़े पहने। साक्षी ने अपना लहंगा और ब्लाउज ठीक किया, और ओपी ने अपनी पैंट और शर्ट पहनी। दोनों चुपके से बाड़े से निकलकर घर वापस आ गए। साक्षी ने न सिर्फ ओपी के लंड का मजा लिया, बल्कि उससे मोटी रकम भी ऐंठ ली।

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