Biwi ki hot saheli ke sath threesome sex khani मेरी बीवी निधि एकदम मस्त और बिंदास औरत है। वो ऐसी है कि अपनी सहेली को मेरे लंड के नीचे लाने में भी उसने मेरी मदद की और फिर हमने मिलकर एक जबरदस्त थ्रीसम का मजा लिया। ये कहानी इतनी मसालेदार है कि इसे पढ़कर तुम्हारा मन भी मचल उठेगा, ये मेरा दावा है।
वीणा हमारी पड़ोसन थी, उम्र करीब 28 साल, गोरी-चिट्टी, बदन ऐसा कि जैसे किसी ने तराश कर बनाया हो। उसकी बड़ी-बड़ी आँखें, कजरारी और नशीली, जैसे शराब के जाम हों। उसका चेहरा गोल, चिकना, और होंठ जैसे गुलाब की पंखुड़ियाँ। उसका फिगर, हाय राम, 36-28-36, वो भी टाइट कपड़ों में, जब चलती थी तो उसकी गांड का लचकना और चूचियों का उछलना किसी का भी लंड खड़ा कर दे। मेरी बीवी निधि, 30 साल की, स्लिम, 34-26-34 का फिगर, चेहरा एकदम मासूम लेकिन दिमाग में शरारत भरी। निधि और वीणा की दोस्ती गहरी थी। दोनों शाम को अक्सर बैठकर घंटों गप्पें मारती थीं, अपने-अपने पतियों की बातें करतीं और हंस-हंसकर लोटपोट हो जातीं। मैं, विपुल, 32 साल का, औसत कद-काठी, लेकिन लंड 7 इंच का, जो निधि को हमेशा खुश रखता था।
मैं अक्सर खिड़की से वीणा को चोरी-छिपे देखता था। जब वो आंगन में कपड़े धोती थी, उसका पेटीकोट ऊपर चढ़ जाता और उसकी गोरी जांघें दिखतीं। उसकी चूचियां ब्लाउज में से झांकतीं, जैसे बाहर आने को बेताब हों। उसका एक बार पलक झपकाना मेरे दिल में तीर सा चुभ जाता। मैं सोचता, काश ये मेरे बिस्तर पर हो, इसके चूतड़ों को मैं सहलाऊं, इन चूचियों को मसलूं। लेकिन वो सिर्फ मुस्कुराकर देखती थी, कभी अकेले मेरे घर नहीं आती थी।
निधि सुबह स्कूल चली जाती थी, और मैं 10 बजे खाना खाकर ऑफिस निकलता था। एक सुबह, निधि जब स्कूल जा रही थी, वीणा ने उसे रोककर कुछ फुसफुसाया। दोनों मेरी तरफ देखकर हंसने लगीं। निधि चली गई, और थोड़ी देर बाद वीणा मेरे घर आ धमकी। उसने लाल रंग की साड़ी पहनी थी, जो उसके बदन से चिपकी थी। उसका मेकअप, लिपस्टिक, काजल, सब कुछ ऐसा कि जैसे वो किसी फिल्म की हिरोइन हो। उसकी चूचियां साड़ी के पल्लू से बाहर झांक रही थीं, और उसकी कमर का एक इंच हिस्सा नजर आ रहा था, जो मुझे पागल कर रहा था।
“विपुल जी…?” उसकी आवाज में शहद घुला था। “अरे… वीणा जी? आप…?” मैं हक्का-बक्का रह गया। “अंदर आने को नहीं कहेंगे?” उसने इठलाते हुए कहा। “हां… हां… आइए ना… स्वागत है!” मैंने जल्दी से कहा।
वो अंदर आई, और बोली, “बस एक कटोरी शक्कर चाहिए, घर में खत्म हो गई।” उसकी मुस्कान में शरारत थी, और मेरी सांसें तेज हो गईं। “बला की खूबसूरत हो…” मैंने बुदबुदाया। “क्या कहा?” वो हंस पड़ी।
मैं घबरा गया। जल्दी से किचन में गया, लेकिन हड़बड़ी में शक्कर की जगह नमक की कटोरी भर लाया। बाहर आया तो वीणा ने देखते ही ठहाका लगाया। “जीजू! चाय में नमक थोड़े डालते हैं, ये तो शक्कर चाहिए थी!” “अरे… गलती हो गई!” मैं फिर किचन गया, और वो मेरे पीछे-पीछे आ गई। उसने शक्कर का डिब्बा दिखाया, और मैंने कटोरी में शक्कर भरी। “थैंक यू, जीजू… ब्याज समेत लौटाऊंगी,” उसने आंख मारते हुए कहा और इठलाकर चली गई।
“बाप रे… क्या माल है!” मैंने मन में सोचा। “क्या कहा, जीजू?” उसने पीछे मुड़कर पूछा। “कुछ नहीं… बस यूं ही… तुम आया करो, अच्छा लगता है!” मैंने हिम्मत करके कहा। “अच्छा, तो लो, बैठ गई!” वो हंसते हुए वापस आकर सोफे पर बैठ गई।
मैं थोड़ा घबरा गया, लेकिन उसने बातों को संभाल लिया। हमने इधर-उधर की बातें की, और मैंने उसका नंबर ले लिया। उस दिन के बाद हमारी फोन पर बातें शुरू हो गईं। निधि को इसकी भनक थी, लेकिन उसे नहीं पता था कि हमारी बातें अब प्यार में बदल रही थीं। वीणा रात को फोन करती, और हम घंटों बात करते। निधि को सुनकर मजा आता था, वो हंसती और मजाक उड़ाती।
एक दिन निधि ने मजाक में कहा, “क्या बात है, जी, वीणा पर लाइन मार रहे हो?” “अरे, वो तो बस शक्कर लेने आई थी,” मैंने सफाई दी। “शक्कर नहीं, मीठी-मीठी बातें!” निधि हंस पड़ी। “सच में, निधि, वो बहुत अच्छी लगती है,” मैंने हिम्मत करके कहा। “तो पटा लो उसे, लेकिन याद रखना, तुम मेरे हो!” निधि ने आंख मारकर कहा।
कुछ दिनों बाद वीणा और मेरी दोस्ती गहरी हो गई। हम निधि के न होने पर फोन पर घंटों बात करते। धीरे-धीरे हमारा प्यार परवान चढ़ने लगा। कई बार वो मुझे झील के किनारे बुलाती, और वहां मौका मिलते ही हम चुम्मा-चाटी करते। मैं उसके चूतड़ों को हल्के से दबाता, उसकी चूचियों को सहलाता। वो शरमाते हुए मेरे लंड पर हाथ फेर देती, और उसकी आंखों में शरारत चमक उठती।
एक दिन वीणा के पति ऑफिस गए थे। निधि ने उसे फोन करके बुला लिया। वीणा उस दिन नीली साड़ी में आई थी, जिसके नीचे उसकी काली ब्रा साफ दिख रही थी। उसकी आंखों में गुलाबी डोरे थे, जैसे वो पूरी रंग में हो। मैंने निधि की तरफ देखा, और उसने आंख मारकर इशारा किया। वीणा शरमाकर मुस्कुराई, और मेरा लंड तन गया।
निधि ने वीणा को बेडरूम में ले जाकर बिस्तर पर लिटाया। “वीणा, आंखें बंद कर ले,” निधि ने कहा। “हाय, निधि, तू अब जा ना… मैं संभाल लूंगी,” वीणा ने शरमाते हुए कहा। “अरे, पहले जीजू का लंड तो ले ले… देख, कितना कड़क है!” निधि ने हंसते हुए कहा। “हाय राम, मैं तो मर जाऊंगी!” वीणा ने सिसकारी भरी।
मैं वीणा के पास गया और उसकी चूचियों को सहलाया। उसका बदन गर्म था, और वो सिहर उठी। निधि ने अपनी साड़ी का पल्लू सरकाया, और उसकी चूचियां भी कड़क हो गईं। उसने अपनी चूत को पैंटी के ऊपर से सहलाया। मैंने वीणा की साड़ी ऊपर उठाई, उसकी गोरी जांघें नजर आईं। उसकी चूत, हाय, गुलाबी, चिकनी, और फूली हुई, जैसे ताजा डबलरोटी। मैं तो बस देखता रह गया।
“विपुल, चोद डाल मेरी प्यारी सहेली को… देख, कितनी मलाईदार है!” निधि ने उकसाया। “निधि, तू जा ना… मैं शरम से मर जाऊंगी!” वीणा ने कहा, लेकिन उसकी आंखों में वासना थी।
मैंने वीणा को जकड़ लिया। उसकी चूत गीली थी, और मेरा लंड उसके द्वार पर टकरा रहा था। “अरे राम… धीरे… उईईई… घुस गया!” वीणा चीखी। “हाय, वीणा, तेरी चूत तो रसभरी है!” मैंने कहा और पूरा लंड एक झटके में घुसा दिया। वो आनंद में आंखें बंद कर सिसकारने लगी। “आह्ह… धीरे… निधि के सामने मत चोद!”
निधि ने अपने कपड़े उतारे और वीणा के चेहरे पर अपनी चूत रख दी। “चूस मेरी चूत, वीणा!” उसने कहा। वीणा ने जैसे ही जीभ लगाई, निधि सिहर उठी, “उह्ह… साली, कितना मस्त चूसती है!” मैंने निधि की चूचियां पकड़कर मसलीं, और वीणा की चूत में धक्के लगाने लगा। “पच-पच” की आवाज कमरे में गूंज रही थी।
“हाय, वीणा, साली, इतने कपड़े पहनकर चुद रही है!” निधि ने कहा और वीणा की साड़ी खींच दी। वीणा नंगी होकर सिमट गई। उसकी गोल, चिकनी गांड देखकर मेरा लंड और कड़क हो गया। निधि ने क्रीम निकाली और वीणा की गांड पर लगाई।
“क्या कर रहा है… मेरी गांड मारेगा? हाय मां… नाक्यो रे!” वीणा अपनी देहाती भाषा में चीखी। “अरे, वीणा, तू राजस्थान की है क्या?” मैंने हंसते हुए कहा। “बस चोद ले, सवाल मत पूछ!” उसने सिसकारी भरी।
मैंने उसकी गांड में लंड सेट किया और धीरे-धीरे घुसाया। “आह्ह… मर गई!” उसकी सिसकारियां तेज हो गईं। उसकी टाइट गांड मेरे लंड को जकड़ रही थी। निधि ने वीणा की चूचियों को मसला, और मैंने उसकी गांड में धक्के लगाए। “फच-फच” की आवाज के साथ उसकी सिसकारियां गूंज रही थीं। मेरा लंड फूल गया, और मैंने उसकी गांड में वीर्य की पिचकारी छोड़ दी।
“हाय, बस कर!” वीणा हांफ रही थी। निधि ने उसकी चूत को अपनी चूत से रगड़ना शुरू किया। दोनों की चूचियां आपस में टकरा रही थीं। “उह्ह… निधि, मुझे लंड चाहिए!” वीणा चीखी। “अरे, अभी तो गांड मारी, अब चूत की बारी है!” मैंने कहा और उसकी टांगें चौड़ी कीं। उसकी चूत गीली और गर्म थी। मैंने लंड सेट किया और धीरे-धीरे घुसाया। “आह्ह… उईई… पूरा घुसा दे!” वो चिल्लाई।
मैंने धक्के शुरू किए। उसकी चूत मेरे लंड को निगल रही थी। “पच-पच” की आवाज के साथ वो सिसकार रही थी, “आह्ह… विपुल… चोद दे… हाय मां!” मैंने उसके होंठ चूसे, उसकी चूचियां मसलीं। उसका बदन तड़प रहा था। निधि पास में अपनी चूत में उंगली डालकर मजे ले रही थी। वीणा एक बार झड़ गई, लेकिन चुप रही, जैसे और चुदना चाहती हो। मैंने रफ्तार बढ़ाई, और उसकी चूत में गहरे धक्के मारे। वो फिर चीखी, “हाय… मैं गई!” और दूसरी बार झड़ गई। मेरा लंड भी फट पड़ा, और वीर्य उसकी चूत में भर गया।
निधि अब तड़प रही थी। मैंने उसकी चूत में उंगली डाली, और वीणा ने उसके होंठ चूसे। “उह्ह… विपुल… निकाल दे मेरी!” निधि चीखी और झड़ गई।
हम तीनों हांफते हुए बिस्तर पर पड़े रहे। निधि उठी और दूध गर्म करके लाई। “लो, कमजोरी दूर करो!” उसने कहा। हम दूध पीने लगे, तभी वीणा को खटका हुआ। उसने जल्दी से कपड़े पहने और भाग निकली।
थोड़ी देर बाद वीणा के घर से झगड़े की आवाजें आईं। “कहां थी अब तक? खाना क्यों नहीं बनाया?” उसका पति चिल्ला रहा था। मैंने निधि को देखा और हंस पड़ा। “उसकी मां चुदने दे, आज छुट्टी है तो मजा लें!” मैंने कहा और निधि को लपेटकर उल्टा कर दिया।
—समाप्त—