Birthday sex story – Aunty ko pela sex story: मेरा नाम जनेश्वर है और मैं बिहार के छोटे से शहर से बिलोंग करता हूँ, हुआ यूँ कि मेरी चाची की सहेली आई थी और मैंने उसे सेट किया और आंटी ने मेरे जन्मदिन पर अपनी चूत देकर मुझे सबसे अच्छा गिफ्ट दिया। मेरे परिवार में सभी लोग साथ रहते थे जैसे मेरे मम्मी-पापा और चाचा-चाची और मेरी एक बहन और एक लड़का चाचा का था, लेकिन अभी घर में मैं मम्मी पापा और चाची और मैं थे क्योंकि चाचा दूसरे शहर में काम करते थे, और उसका बेटा और मेरी छोटी बहन जयपुर स्टडी के लिए गये हुए थे।
एक दिन हमारे घर पर मेरी चाची की सहेली आई, उनका नाम बबिता था, वो करीब 38 साल की थीं, गोरी चिट्टी थीं, बड़े बड़े बूब्स वाली, मोटी गांड वाली, पतली कमर वाली फिगर था उनका, वो सलवार कमीज़ में आई थीं और थोड़ी शर्मीली मूड में लग रही थीं, चाची ने मुझसे मिलवाया कि ये तेरी आंटी है, मैंने नमस्ते बोला और हम बैठ गये। चाची हमारे लिए चाय लेने के लिए निकल गयीं और मैं सिर्फ बबिता आंटी को देख रहा था क्योंकि उनके बड़े बड़े बूब्स पर मेरी नियत ख़राब हो गयी थी, उनकी गांड भी बहुत मस्त थी और उनके फिगर की बात करें तो मेरे लंड ने प्री कम छोड़ दिया था उनके फिगर को देखकर, मैं बार बार उनकी क्लीवेज की तरफ देख रहा था, आंटी की सांसें तेज़ हो रही थीं शायद वो महसूस कर रही थीं।
जब मैं उनको ऐसे देख रहा था तो आंटी को शक हो गया कि मैं उनको देख रहा हूँ, वो मुस्कुराईं और अपनी चुन्नी ठीक करने लगीं लेकिन बूब्स और ज्यादा उभर आये, तभी चाची आ गयीं और हम सब ने चाय पिया, चाय पीते वक़्त आंटी की नज़र मेरे लंड की तरफ गयी जो हल्का खड़ा हो रहा था, वो शर्मा गयीं, कुछ देर बातें हुईं और फिर हमारे घर की बेल बजी, मैंने गेट खोला तो गेट पर बबिता आंटी के हस्बैंड थे। बबिता आंटी घर चले गये, दूसरे दिन फिर आंटी मेरे घर पर आयीं और उस दिन उनको लेने अंकल नहीं आए तो चाची ने मुझे बोला कि जनेश्वर अपनी आंटी को उनके घर छोड़ आओ क्योंकि देर बहुत हो गयी और तेरे अंकल भी नहीं आए हैं।
मैंने हां भरी और मैं आंटी को लेकर बाइक से उनको छोड़ने चला गया, रास्ते में एक ब्रेकर आया तो जैसे ही ब्रेक लगी तो उनके बड़े बड़े बूब्स मेरी पीठ से टच हो गये, वो नरम नरम थे, गर्म थे, उससे मेरे लंड ने अपना रूप लेना शुरू कर दिया और मेरा बुरा हाल हो गया, लंड पैंट में फंसकर दर्द करने लगा, आंटी ने पीछे से मुझे हल्का पकड़ा और उनके बूब्स और दब गये, मैंने स्पीड बढ़ाई लेकिन रास्ता लम्बा था, आंटी की सांसें मेरी गर्दन पर लग रही थीं। मैं बबिता आंटी के घर पहुँच गया और मैंने आंटी को उतारा और वैसे ही मुड़ने लगा क्योंकि मेरी लोअर में से मेरा खड़ा हुआ लंड साफ दिखाई दे रहा था, मैंने अपनी टीशर्ट को थोड़ा नीचे खींच लिया क्योंकि आंटी बोलने लगीं कि चाय पीकर ही जाओ।
मैं अंदर आंटी के कमरे में चला गया, घर में आंटी और अंकल अकेले रहते थे क्योंकि उनके बच्चे स्टडी के लिए बाहर गये हुए थे, मैंने अंदर जाकर अपना लंड सेट किया और सही से बैठ गया, सोफे पर, आंटी किचन में चाय बना रही थीं, कुछ देर बाद आंटी चाय ले आईं और मेरे पास आकर बैठ गयीं, उनकी जांघ मेरी जांघ से टच हो रही थी। आंटी ने बात शुरू की कि जनेश्वर तेरी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है जो मुझे ऐसे देख रहा था, आंटी की इस बात से मैं भी थोड़ा खुल गया और मैंने जवाब दिया कि अभी तक कोई नहीं है बस ढूंढ रहा हूँ। आंटी ने बोला कि कैसी लड़की चाहिए, मैंने मौके का फायदा उठाते हुए कहा कि लड़की नहीं आप चाहिए, मेरी बात सुनकर आंटी ने जवाब दिया कि मैं तेरे से इतनी बड़ी हूँ कैसे चलेगा, मैंने कहा कि मुझे आपसे प्यार हो गया और प्यार में उम्र नहीं देखी जाती है।
मेरी बात सुनकर आंटी का पल्लू नीचे गिर गया या गिरा दिया आंटी ने, उनके बड़े बड़े बूब्स मुझे सामने दिख रहे थे, ब्रा से ऊपर उभरे हुए, गुलाबी निप्पल दिख रहे थे हल्के, कुछ देर बाद मैं आंटी के पास गया और मैंने उनकी जांघ पर हाथ रखकर बोला कि क्या हुआ आप मुझे कुछ उदास से लग रहे हो, आंटी की जांघ गर्म थी, नरम थी, वो सिहर गयीं। आंटी ने जवाब दिया कि क्या उदास यार तेरा अंकल बहुत लेट घर आता है और थके हुए आते हैं और मुझे तो ताकत चाहिए तेरे जैसे शरीर वाले लड़के की, मैंने कहा कि तो कोई बात नहीं आंटी आप मेरी गर्ल फ्रेंड बन जाओ दोनों का काम हो जायेगा। आंटी ने कहा ठीक है और इससे मेरी हिम्मत बढ़ गयी, और मैंने आंटी का नंबर ले लिया और आंटी ने नंबर देने के बहाने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया, क्योंकि वो देखना चाहती थी कि मैं उनकी आग को शांत कर दूंगा या नहीं।
उन्होंने अपने हाथ को थोड़ा आगे बढ़ाया तो उनका हाथ मेरे लंड के ऊपर आ गया और इतने से मेरा लंड सांप की तरह फुंकारे मारने लगा, आंटी मेरे लंड को सहलाने लग गयीं, ऊपर से पैंट के, लंड और सख्त हो गया, आंटी की उँगलियाँ टिप पर घूम रही थीं, मैंने कहा कि आंटी बाहर निकालूँ, आंटी ने बोला अभी नहीं तेरे अंकल आने वाले हैं फिर कभी मौका मिलेगा। आंटी की बात सच हुई और घर की बेल बज उठी और हम दोनों वासना से बाहर आये, आंटी ने गेट खोलकर अंकल को अंदर आने दिया और मैं उनसे मिला और अपने घर के लिए निकल गया और अपने घर चला गया। घर जाकर मैंने जल्दी जल्दी से खाना खाया क्योंकि आंटी का मेसेज आने वाला था और मैं अपने रूम में जाकर आंटी के एक मेसेज का वेट करने लगा।
मैंने बहुत वेट किया आंटी का मेसेज नहीं आया मुझे नींद आने लग गयी फिर 11 बजे मेरे फोन की ट्यून बजी मैंने देखा कि आंटी का मेसेज था और फिर हम दोनों ने खूब सारी बातें की, पहले नॉर्मल फिर धीरे धीरे गंदी, कुछ देर बाद ही मैंने आंटी से सेक्सी बातें करना शुरू कर दिया और आंटी भी खुल चुकी थीं, मैंने कहा कि आंटी आपके बूब्स बहुत बड़े हैं, आंटी ने भेजा कि हाँ दबाकर देखना, ऐसे ही हम सो गये और दूसरे दिन दोपहर में आंटी का मेसेज आया तो हम फिर बात करने लग गये और अब मैंने आंटी को बोला कि यार मुझे आपके बूब्स देखने हैं। आंटी ने कहा कि मैं रूम बंद करके आती हूँ, मैंने भी अपने रूम के गेट को क्लोज किया और अपने बेड पर बैठ गया।
आंटी ने अपने ब्लाउज़ को खोला और अपने बड़े बड़े बूब्स को दिखाने लगीं और साथ साथ में अपने बूब्स को मसल रही थीं, निप्पल्स खड़े हो गये थे, आंटी उँगलियों से चुटकी काट रही थीं, मेरे मुहं में पानी आ गया, मेरा मूड बन गया और मैंने अपने लंड को बाहर निकालकर मुठ मारने लगा, लंड हाथ में फड़फड़ा रहा था। फिर आंटी ने बोला कि अपना ओजार तो दिखा, मैं मुठ मार ही रहा था मैंने कैमरा को नीचे किया अपने लंड को दिखा दिया और मुठ मारता रहा, आंटी की आँखें चमक गयीं, उस दिन मैंने 2 बार मुठ मारी एक तो दिन में एक रात में। दो दिन बाद मेरा जन्मदिन था, मैंने आंटी को बोला कि मुझे गिफ्ट चाहिए, आंटी ने बोला कब, मैंने कहा दो दिन बाद मेरा जन्मदिन है तो तब, आंटी ने कहा कि मिल जायेगा।
मेरा जन्मदिन आ गया और आंटी ने कहा कि मेरे घर आ जाओ, मैंने सोचा कि वहाँ तो अंकल होंगे कैसे आंटी की चूत मिलेगी, मैं ये सब कुछ सोचते हुए आंटी के घर पहुच गया और मैंने बेल बजाई और आंटी ने गेट खोला तो मैंने देखा कि पिंक साड़ी पहन रखी थी और वो भी बिलकुल पतली सी, साड़ी शरीर से चिपकी हुई थी, बूब्स का शेप साफ दिख रहा था। मैंने कहा कि अंकल कहाँ गये हैं आंटी बोली उनकी मम्मी की तबियत खराब है तो वो वहाँ गये हैं, मेरे मुहं से पानी आने लग गया ये सुनकर, मैं बैठ गया और 5 मिनट बाद आंटी बाहर आई वो किसी से कॉल पर बात कर रही थी, मुझे लग रहा था कोई सहेली है, आंटी बाहर आई और उनके हाथ में एक केक था और एक हाथ में चाकू था।
मैंने केक काटा और आंटी से अपना गिफ्ट माँगा और फिर आंटी ने बोला कि रुको और उन्होंने मेरे गाल पर एक किस कर दिया, मैंने कहा कि इतने से कुछ नहीं होगा आंटी, आंटी अंदर जाने लगीं तो मैंने आंटी को पीछे से पकड़ लिया और उनके गले पर किस करने लगा, गले की खुशबू आ रही थी, आंटी की स्किन गर्म हो गयी, किस करते करते आंटी भी गर्म होने लग गयीं लेकिन आंटी बोल रही थीं रुको अभी नहीं, लेकिन उनके हाथ मेरी कमर पर थे। आंटी तो बोल रही थीं लेकिन मेरे से कंट्रोल नहीं हो रहा था मैंने आंटी को घुमाया और आंटी के होठों को चूसने लगा, जीभ अंदर डाली, आंटी की जीभ से खेलने लगा, आंटी फुल गर्म हो चुकी और आंटी ने मेरी पेंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया, लंड को दबाया, रगड़ा।
मैंने आंटी को वहीं टेबल पर लिटा लिया और उनकी साड़ी को ऊपर उठाकर उनकी चूत को सहलाने लगा, पेंटी गीली थी, उंगली से क्लिट रगड़ी, इससे आंटी के मुहं से सिसकारियां निकलने लग गयीं आह्ह्ह….यहह….उह्ह्ह्ह…जनेश्वर……, आंटी की कमर उछल रही थी, मैंने उनकी पेंटी को नीचे निकाल दिया और मैंने अपनी पेंट और निकर को निकालकर निकल दिया और उनकी चूत में अपने लंड को सेट किया और एक ही झटके में अपने लंड को आंटी की चूत में पेल दिया और उसके साथ आंटी के मुहं से आह्ह्ह्ह….निकली, चूत टाइट थी, गर्म थी, रस से भरी हुई। मैं आंटी की चुदाई करने लगा, धीरे धीरे धक्के मारने लगा, चप चप की आवाज़ आ रही थी, कुछ देर बाद आंटी बोलने लग गयीं कि जनेश्वर और जोर से …..यह्ह्ह्ह…..ऊह्ह्ह्ह…मजा आ गया ………और जोर से करो जनेश्वर … फाड़ दो मेरी चूत को …, मैंने स्पीड बढ़ाई, लंड अंदर बाहर हो रहा था, आंटी के बूब्स उछल रहे थे।
मैंने आंटी को नीचे फर्श पर लिटाया और उनके ऊपर मिशनरी पोज में आ गया और आंटी ने भी अपने पैरों से मुझे पकड़ लिया, पैर मेरी कमर पर लपेट लिये, और मैं आंटी को पेलने लगा, थप थप की आवाज़ गूंज रही थी, पसीना छूट रहा था, आंटी की चूत से रस बह रहा था, 15 मिनट की चुदाई के बाद मेरा निकलने वाला था और उधर आंटी भी बोलने लग गयीं मेरा हो गया और मैंने भी अपना सारा माल आंटी की चूत में निकाल दिया, मेरा माल काफी दिन से इकट्ठा हुआ था तो आंटी की चूत को भर दिया, एक बार तो आंटी बोली आज आया है माल तो मेरी चूत में पता चला कि किसी मर्द का माल आया है, चूत से माल बह निकला। मैंने आंटी से कहा कि अब मैं घर जा रहा हूँ घर पर वेट कर रहे होंगे लेकिन आंटी हँसी और बोली अभी तो गिफ्ट देने की शुरुआत हुई है।
मैं कुछ समझा नहीं और मैंने आंटी से पूछा क्या हुआ बताओ, आंटी ने बोला कि तुम्हे आज रात यहीं रुकना है मेरी बात हो गयी है राधिका से, राधिका यानी मेरी चाची, मैं सच्ची में बहुत खुश हुआ और आंटी के गले लग गया और आंटी ने बोला चलो एक बार खाना खा लेते हैं। मैंने और आंटी ने एक साथ खाना खाया और उसके बाद मैं और आंटी उनके बेड रूम में गये और हम दोनों लेट गये और आंटी बोली कि जनेश्वर अपने कपड़े खोल दो मैं भी खोल रही हूँ अब सारी रात मजे लेने हैं तो भारी भारी कपड़े पहनना, आंटी की ये बात सुनकर मुझे मजा आ गया और मैंने सारे कपड़े खोल दिये सिर्फ अंडरवियर रहने दिया, उधर आंटी ने भी पेंटी के अलावा सारे कपड़े खोल दिये, आंटी के बूब्स लटक रहे थे, निप्पल्स ब्राउन थे।
हम लेट गये और एक दूसरे को किस करने लग गये, होठ चूसे, गले चाटे, आंटी बोली कि मेरी चूत को चूसो मेरा बहुत मन है कि कोई मेरी चूत को चूसे, मैंने कहा कि जरूर जानू, इतना बोलते ही आंटी की पेंटी निकाली और उनकी चूत पर अपना मुहं सेट किया और उनकी चूत को जीभ लगाकर चूसने लगा, क्लिट चाटी, अंदर जीभ डाली, आंटी की गांड उछल रही थी, जैसे जैसे मैं चूत चूस रहा था वैसे वैसे उनकी चूत से पानी आने लग गया, खुशबूदार रस, थोड़ी देर बाद ही आंटी ने अपना सारा पानी मेरे मुहं में निकाल दिया और मैंने भी उनकी चूत का पानी पी लिया, नमकीन मीठा था। मैं पास में लेट गया और फिर आंटी ने मेरी अंडरवियर उतारी और मेरे लंड से खेलते हुए नीचे झुक गयीं और मेरे लंड को चूसने लग गयीं, जीभ से टिप चाटी, अंदर मुहं लिया, गले तक, कुछ देर बाद चूसने के बाद आंटी खड़ी हुई और मेरे लंड के ऊपर बैठ गयीं और अपनी चूत में मेरा लंड सेट किया और चूत में डालकर ऊपर बैठकर उछलने लगीं, बूब्स उछल रहे थे, मैंने दबाये।
आंटी मेरे लंड पर उछल उछल मजे से अपनी चूत की आग शांत कर रही थीं, चूत लंड को निचोड़ रही थी, कुछ देर बाद आंटी थक गयीं और फिर मैं ऊपर आ गया और फिर मैं थक गया और कुछ बाद आंटी मेरे ऊपर आ गयीं, इसी तरह से मैंने और आंटी ने पता नहीं कितने पोज में सेक्स किया, घोड़ी बनाया आंटी को, पैर उठाकर पेला, लपेटकर थोका, हर पोज में आंटी चिल्लाईं आह्ह्ह्ह ऊह्ह्ह्ह। अबकी बार आंटी बोली कि तुम्हारा होने वाला हो तो मुझे बताना मुझे पीना है माल, कुछ ही देर में मैं उठा और आंटी के मुहं के पास चला गया और अपना सारा माल आंटी के मुहं में निकाल दिया, आंटी ने गटक लिया। उस रात हमने 5 बार सेक्स किया हम उस रात सुबह 3 बजे तक करते रहे।
तो ये थी मेरी और आंटी की सेक्स कहानी कि कैसे मुझे अपना जन्मदिन गिफ्ट मिला। कुछ दिन बाद मुझे पता चला कि आंटी ने चाची को बता दिया था कि आज मैं जनेश्वर से चूत की चुदाई करवा रही हूँ और फिर मैंने चाची और आंटी ने एक साथ ग्रुप सेक्स किया इसकी कहानी मैं आपको मेरी अगली हिंदी सेक्स स्टोरी में बताऊंगा। फिर मिलते हैं किसी देसी और वासना से भरी हुई कहानी में ….