पिछला भाग: भाई बहन के प्यार से सेक्स तक-1
शाम को जब मेरी आँख खुली, तो श्वेता बिस्तर पर पीठ के बल लेटी गहरी नींद में थी। उसका मासूम चेहरा चाँद की तरह चमक रहा था, और उसके होंठ हल्के-हल्के थरथरा रहे थे, जैसे कोई कामुक सपना देख रही हो। मैंने उसे आज पहली बार कुछ अलग नजरों से देखा। पिछले दो दिन और आज दिन में जो कुछ हुआ, वो मेरे दिमाग में तूफान की तरह घूम रहा था। मेरी बहन की नरम, रसीली बुर का अहसास, उसकी सिसकारियाँ, और उसका शरमाना—सब कुछ मेरे बदन में आग लगा रहा था। मेरा लंड तुरंत सख्त हो गया, और जींस में दर्द करने लगा।
मैंने शरारत भरे मूड में उस पर धीरे से लेट गया। मेरा तना हुआ लंड ठीक उसकी बुर के ऊपर दबाव बना रहा था, और मैंने उसे अपनी बाँहों में कसकर जकड़ लिया। मैंने पहले उसके गाल पर एक गर्म, रसीला चुम्मन दिया, फिर उसकी नाजुक गर्दन पर होंठ फेर दिए। उसकी नींद टूटी, और वो हड़बड़ाकर जागी। लेकिन अगले ही पल उसने मेरी पीठ पर हाथ डालकर मुझे जोर से पकड़ लिया। उसने ‘आह… सी…’ की सिसकारी भरी और मेरे गाल पर एक जोरदार, गीली पप्पी दे दी। उसकी साँसें गर्म थीं, और उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे वो भी मेरी तरह गर्म हो रही हो।
मैंने प्यार से कहा, “बेटू, उठ जा! चल, बाहर घूमकर मस्ती करते हैं।”
वो ‘ऊँ…’ की आवाज निकालते हुए मेरे गाल पर एक और चुम्मन दे दी और बोली, “ठीक है, भैया। चलो, देसी स्टाइल में मजे करते हैं।”
हम दोनों तैयार हुए। मैंने अपनी टाइट जींस और देसी कुर्ता पहना, और श्वेता ने लाल रंग का टाइट सलवार-कुर्ता चुना, जिसमें उसकी भरी हुई चूचियाँ और गोल, मटकते चूतड़ साफ उभर रहे थे। उसका फिगर ऐसा था कि रास्ते में लोग उसे घूर रहे थे, और मुझे अंदर ही अंदर गर्व महसूस हो रहा था कि मेरी बहन इतनी मस्त है। हम बाजार गए, वहाँ एक पुराने पार्क में टहले। श्वेता मेरा हाथ पकड़कर चल रही थी, और कभी-कभी मेरे कंधे पर सिर टिकाकर हँस रही थी। उसकी हर अदा मेरे दिल को चुरा रही थी, और मेरा लंड बार-बार तन रहा था।
लौटते वक्त हम एक देसी ढाबे पर रुके। वहाँ हमने गरमा-गर्म आलू-गोभी के पराठे, तीखी चटनी, और मसाला चाय ली। ढाबे की रौनक, लकड़ी की आग की गर्मी, और श्वेता की चुलबुली हँसी—सब कुछ उस पल को और गर्म बना रहा था। फिर एक छोटे से जनरल स्टोर पर रुके। मैंने वहाँ से एक लेडीज़ रेजर और शेविंग क्रीम खरीदी। मेरी नजर कंडोम के पैकेट पर पड़ी। एक पल को दिमाग में खयाल आया कि शायद आगे जरूरत पड़े। मेरे बदन में एक गर्म झुरझुरी सी दौड़ गई, लेकिन मैंने खुद को रोका और सोचा, “अभी तो बस मस्ती शुरू हुई है।”
रूम पर लौटे तो ठंड और बढ़ गई थी। रात का सन्नाटा और सर्द हवा कमरे में एक कामुक माहौल बना रही थी। आज शनिवार था, और कल रविवार की छुट्टी थी, तो मन में बेफिक्री थी। मैंने रेजर और शेविंग क्रीम श्वेता को दी। वो पहले तो हैरानी से देखने लगी, फिर शरमाकर क्रीम ले ली। उसकी गालों पर हल्की सी लाली छा गई, और उसकी आँखों में शरारत भरी चमक थी।
मैंने प्यार से कहा, “बेटू, इनसे अपनी सुसु को चमका दे। मस्त देसी स्टाइल में साफ कर।”
वो शरमाते हुए बोली, “भैया, मैं क्रीम नहीं लगाऊँगी। मेरी सहेलियाँ कहती हैं कि क्रीम से स्किन काली पड़ जाती है। लेकिन रेजर से डर लगता है, कहीं कट न जाए। मैंने तो आज तक अपनी सुसु के बाल साफ ही नहीं किए। रेजर चलाना भी नहीं आता।”
मैंने उसे समझाने के लिए फोन पर एक देसी वीडियो ढूंढा, जिसमें एक लड़की अपनी बुर के बाल रेजर से साफ कर रही थी। वो बता रही थी कि कैसे सावधानी बरतनी है। श्वेता पहले तो शरमाकर मुँह फेरने लगी, लेकिन फिर गौर से देखने लगी। लेकिन उसका डर नहीं गया। वो बोली, “भैया, ये तो बहुत मुश्किल लगता है। मेरे बस का नहीं।”
मैंने कहा, “बेटू, बुर के बाल साफ करना जरूरी है। इससे खुजली होती है, और वो जगह गंदी रहती है। तुझे तो अपनी रसीली बुर को साफ-सुथरा और चमकदार रखना चाहिए।”
वो बोली, “हाँ भैया, जानती हूँ, पर सचमुच डर लगता है।”
मैंने हँसते हुए कहा, “अच्छा, अगर तुझे ठीक लगे, तो मैं साफ कर दूँ। तू बिल्कुल फिकर मत कर।”
वो शरमाकर बोली, “भैया, आपसे कैसे करवाऊँ? मुझे तो बहुत शर्म आएगी।”
मैंने प्यार से उसका हाथ पकड़ा और कहा, “देख बेटू, यहाँ हम दोनों ही एक-दूसरे का खयाल रखते हैं। तू मेरी प्यारी छोटी बहन है, और मैं तेरा भाई। हमें हर तरह से एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए। इसमें शरमाने की क्या बात है? तुझे तो पता है, मैं तुझे कितना प्यार करता हूँ।”
वो थोड़ा सोचकर बोली, “ठीक है, भैया। जैसा आपको ठीक लगे।”
मैंने कहा, “चल, तू लोअर उतारकर स्कर्ट पहन ले। मैं तब तक पानी गर्म कर लेता हूँ।”
मैंने पानी गर्म किया और रूम में आया। श्वेता एक छोटी सी लाल स्कर्ट पहनकर तैयार थी। उसकी गोरी, चिकनी जाँघें स्कर्ट के नीचे से झाँक रही थीं, और उसका फिगर इतना कामुक था कि मेरी नजरें हट ही नहीं रही थीं। मैंने कहा, “बेटू, सीधी लेट जा।” वो बिस्तर पर लेट गई, और उसकी साँसें हल्की-हल्की तेज होने लगीं। मैं देख रहा था कि वो भी शायद उतनी ही गर्म थी, जितना मैं।
मैंने रूम हीटर उसके पैरों की तरफ रखा और बोला, “स्कर्ट ऊपर कर और पैर फैला।” उसने स्कर्ट ऊपर की, लेकिन मुझे हँसी आ गई—उसने अपनी प्यारी सी गुलाबी पैंटी नहीं उतारी थी। मैंने हँसते हुए कहा, “अरे बेटू, पैंटी भी तो उतार!”
वो चिढ़कर बोली, “मुझे नहीं कराना!”
मैंने सॉरी कहा और बोला, “अच्छा, मैं उतार देता हूँ। तू शरमा मत, मेरी रानी।”
मैंने धीरे से उसकी पैंटी खींचकर उतारी। सामने उसकी झांटों से भरी बुर थी। क्या गजब का देसी नजारा था! घने, काले, घुंघराले बालों में छुपी उसकी गोरी, रसीली बुर इतनी कामुक लग रही थी कि मेरा लंड जींस में उछलने लगा। उसकी बुर की फाँकों के बीच हल्की सी गुलाबी लकीर झाँक रही थी, और मैं बस उसे घूरता रह गया। श्वेता शरमाकर पैर सटा रही थी, और उसका चेहरा लाल हो रहा था।
मैंने प्यार से कहा, “बेटू, ऐसे कैसे होगा? पैर तो खोल, मेरी जान।”
वो धीरे-धीरे पैर खोलने लगी। मैं करीब से उसकी बुर को देखने लगा। उसकी बुर की गर्मी मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थी, और उसकी मादक खुशबू मेरे दिमाग में चढ़ रही थी। मैंने दाएँ हाथ से उसकी बुर को छुआ। वो हल्का सा सिहर उठी, और उसकी साँसें तेज हो गईं।
मैंने पूछा, “क्या हुआ, बेटू?”
वो शरमाकर बोली, “कुछ नहीं, बस गुदगुदी सी हुई।”
मैंने पूरी हथेली से उसकी बुर को सहलाया। उसकी बुर इतनी नरम और गर्म थी कि मेरी उंगलियाँ जैसे उसमें डूब रही थीं। श्वेता ने आँखें बंद कर लीं, और उसका चेहरा लाल होने लगा। मैंने एक बाल खींचकर देखा—लगभग 3 इंच लंबा था। मैंने कहा, “बेटू, इसे दो बार में साफ करना पड़ेगा। पहले कैंची से काटूँगा, फिर रेजर से।”
वो बोली, “भैया, आप जो ठीक समझें।”
मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। एक भाई अपनी बहन की बुर के बाल साफ करने जा रहा था—ये सोचकर ही मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मेरा लंड जींस में दर्द करने लगा था। मैंने कैंची ली और सावधानी से उसके बुर के बाल काटने शुरू किए। मेरा पूरा ध्यान उसकी बुर पर था। मैं हर बाल को सावधानी से काट रहा था, और बीच-बीच में उसकी बुर की फाँकों को हल्का सा सहला रहा था। मेरी उंगलियाँ उसकी बुर की लकीर पर फिसल रही थीं, और वो हर बार हल्की सी सिसकारी भर रही थी। श्वेता मुझे गौर से देख रही थी, और जैसे ही हमारी नजरें मिलीं, उसने शरमाकर चेहरा छुपा लिया।
लगभग 15 मिनट में मैंने बालों को इतना छोटा कर दिया कि रेजर चलाया जा सके। अब उसकी बुर की असली खूबसूरती सामने थी। श्वेता की गोरी स्किन थी, और उसकी बुर उससे बस एक टोन कम गोरी थी। मैंने हाथ से छोटे-छोटे बाल झाड़े और हल्का सा सहलाया। उसकी बुर इतनी मुलायम थी कि मेरी उंगलियाँ बार-बार उसमें फिसल रही थीं। मैंने उसकी बुर की लकीर को उंगली से टटोला, और वो हल्का सा मचल उठी। उसकी सिसकारी—‘इस्स…’—मेरे कानों में गूँज रही थी।
मैंने कहा, “बेटू, अब देख, तेरी बुर कितनी मस्त लग रही है!”
उसने झुककर देखा, फिर खुद छूकर बोली, “हाँ भैया, अब तो बहुत अच्छा लग रहा है। साफ-सुथरी और चमकदार हो गई।”
मैंने कहा, “रुक, अभी पूरी चमका देता हूँ, मेरी रानी।”
मैंने गर्म पानी लिया और उसकी बुर को भिगोया, ताकि बाल मुलायम हो जाएँ। फिर शेविंग फोम लिया और उसकी बुर पर धीरे-धीरे मलने लगा। मैं अपनी उंगलियों से उसकी बुर की फाँकों को हल्का-हल्का दबा रहा था, और वो सिसकारियाँ भरने लगी—‘इस्स… आह…’। उसकी आँखें बंद थीं, और उसका चेहरा गुलाबी हो रहा था। मैं समझ गया कि वो गर्म हो रही है। मैंने मस्ती में उसकी बुर को और सहलाया, और मेरी उंगलियाँ उसकी बुर के दाने को बार-बार छू रही थीं। उसकी साँसें तेज हो रही थीं, और उसकी बुर से हल्का सा चिपचिपा पानी रिसने लगा था। मैंने जानबूझकर उसकी बुर की फाँकों को और फैलाया, और मेरी उंगली उसके दाने पर हल्का सा दबाव डाल रही थी। उसकी बुर और पनिया गई, और उसका बदन हल्का-हल्का काँपने लगा।
मैंने रेजर लिया और ऊपर से नीचे की तरफ सावधानी से शेविंग शुरू की। मैं हर बार रेजर को साफ करता और फिर से उसकी बुर पर चलाता। उसकी बुर धीरे-धीरे चमकने लगी, जैसे कोई चाँद का टुकड़ा। आखिर में सिर्फ बुर की लकीर के आसपास कुछ बाल बचे थे। मैंने उसकी बुर की फाँकों को उंगलियों से फैलाया। क्या गजब का देसी नजारा था! उसकी बुर का अंदरूनी हिस्सा गुलाबी और चमकदार था, और हल्का सा लाल रंग झाँक रहा था। उसकी बुर पूरी तरह गीली थी, और चिपचिपा पानी उसकी फाँकों से रिस रहा था। मेरी बहन अब पूरी तरह गर्म थी, और ये देखकर मेरे लंड ने जींस में झटके मारने शुरू कर दिए।
मैंने उसकी बुर की लकीर के दोनों तरफ रेजर चलाया। मेरी उंगलियाँ उसकी बुर के दाने को बार-बार रगड़ रही थीं, और वो हर बार मचल रही थी। उसकी सिसकारियाँ तेज हो रही थीं—‘आह… भैया… इस्स…’। मैंने जानबूझकर उसकी बुर की फाँकों को और फैलाया, और मेरी उंगली उसके दाने पर हल्का सा रगड़ रही थी। उसकी बुर और पनिया गई, और उसका बदन हल्का-हल्का काँप रहा था। उसकी सिसकारियाँ अब और तेज हो रही थीं—‘आह… भैया… ये क्या हो रहा है…’। मैं समझ गया कि वो चरम पर पहुँचने वाली है। लेकिन मैंने रुकने का फैसला किया, क्योंकि मैं चाहता था कि असली मजा अभी बाकी रहे। लगभग 10 मिनट की मेहनत के बाद उसकी बुर एकदम चिकनी और चमकदार हो गई। क्या रसीली, कुंवारी बुर थी—19 साल की, गोरी, और अब बिल्कुल साफ। मेरा मन कर रहा था कि अभी उसकी बुर में जीभ डालकर चूस लूँ और अपना लंड पेल दूँ। लेकिन मैंने खुद को रोका। सोचा, जल्दबाजी से काम बिगड़ सकता है। मुझे पूरा यकीन था कि ये रसीली बुर अब मेरी ही होगी।
मैंने श्वेता से कहा, “बेटू, अब देख, तेरी बुर कितनी मस्त और चमकदार हो गई!”
उसने झुककर देखा, फिर छूकर बोली, “हाँ भैया, ये तो बहुत सुंदर हो गई। अब तो बिल्कुल साफ और चिकनी लग रही है।”
मैंने जानबूझकर उसकी बुर को उंगलियों से दबाया और फाँकों को खोलकर देखा, जैसे चेक कर रहा हूँ। तभी मुझे उसकी गांड के छेद के आसपास कुछ छोटे-छोटे बाल दिखे। मैंने कहा, “बेटू, अब पेट के बल लेट जा। तेरी गांड के पास भी कुछ बाल बचे हैं।”
वो पेट के बल लेट गई। उसके गोल, गोरे चूतड़ मेरे सामने थे। क्या नमकीन और कामुक नजारा था! उसकी गांड का छोटा सा भूरा छेद इतना प्यारा और चमकदार था कि मेरा मुँह ललचा गया। मैंने खुद को कंट्रोल किया, लेकिन मेरे लंड ने जींस में और जोर से झटके मारे। उसके चूतड़ आपस में सटे थे, तो रेजर चलाना मुश्किल था।
मैंने हँसते हुए कहा, “बेटू, याद है न, बचपन में मैं तुझे घोड़ा बनाकर पीठ पर घुमाता था? वैसे ही तू घोड़ा बन जा।”
वो हँस पड़ी और बोली, “भैया, मैं लड़की हूँ न, तो घोड़ी बनूँगी!”
मैंने हँसकर कहा, “अच्छा बाबा, घोड़ी ही बन जा।”
वो खड़ी हुई, तो उसका स्कर्ट नीचे गिर गया। फिर वो घोड़ी की तरह झुक गई, लेकिन स्कर्ट ने उसकी गांड ढक रखी थी। मैंने धीरे से उसका स्कर्ट उठाया। ऐसा लग रहा था, जैसे किसी दुल्हन का घूंघट उठा रहा हूँ। मेरे बदन में रोमांच की लहरें दौड़ रही थीं। स्कर्ट उठाते ही उसकी गोरी, गोल गांड सामने थी। उसके चूतड़ों के बीच छोटा सा भूरा छेद चमक रहा था, जैसे कोई रसीला फल। मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और अपनी बीच की उंगली से उसकी गांड के छेद को हल्का सा सहला दिया। वो ‘आह… भैया…’ करके सिहर उठी, और उसका बदन हल्का सा काँप गया।
मैंने पूछा, “क्या हुआ, बेटू?”
वो शरमाकर बोली, “कुछ नहीं, बस गुदगुदी सी हुई।”
मैंने गर्म पानी लिया और उसकी गांड और आसपास के हिस्से को गीला किया। फिर शेविंग फोम लेकर उसकी बुर से लेकर गांड तक मलने लगा। मेरी उंगलियाँ उसकी गांड के छेद पर बार-बार फिसल रही थीं, और वो हर बार सिसकारी भर रही थी—‘इस्स… आह…’। मैंने रेजर से उसकी गांड के आसपास के बाल साफ किए। अब उसकी गांड और बुर दोनों चमक रही थीं, जैसे कोई चाँद और सूरज एक साथ। मैंने एक बार फिर उसकी बुर और गांड का मुआयना किया। मेरी उंगली उसकी बुर की फाँकों में गई, और मैंने जानबूझकर उसके दाने को हल्का सा रगड़ा। उसकी बुर और गीली हो गई, और वो ‘आह… भैया… क्या कर रहे हो…’ की सिसकारियाँ निकाल रही थी।
मैंने कहा, “बेटू, अब जा, साबुन से अच्छे से धोकर आ।”
वो बाथरूम गई, साबुन से धोकर लौटी। मैंने कहा, “जरा देखूँ तो, मेरी बहन की बुर अब कैसी लग रही है।”
वो हँसकर बोली, “भैया, आप तो 45 मिनट से यही देख रहे थे!”
मैंने कहा, “अरे, वो तो साफ कर रहा था। अब देखता हूँ न, कितनी मस्त बनी है।”
वो सीधी लेट गई। मैंने उसका स्कर्ट उठाया, तो देखा उसने पैंटी पहन ली थी। मैंने कहा, “अरे बेटू, अभी तो पूरी साफ नहीं हुई। आफ्टर-शेव लोशन लगाना है।”
वो बोली, “ठीक है, भैया।”
मैंने उसकी पैंटी उतारी। सामने उसकी चिकनी, गोरी बुर थी, जैसे कोई फूली हुई रसीली रोटी। क्या गजब का नजारा था! उसकी बुर इतनी चमकदार और कामुक थी कि मैं बस देखता ही रह गया। उसने मुझे हिलाकर कहा, “भैया, कहाँ खो गए?”
मैंने कहा, “बेटू, इतनी रसीली और मस्त लग रही है कि नजर नहीं हट रही। मन कर रहा है, इसे चूस लूँ।”
मैंने झट से उसकी बुर पर एक गहरी, गर्म पप्पी ले ली। मेरी जीभ उसके दाने को छू गई, और मैंने हल्का सा चूसा। उसकी बुर का स्वाद ऐसा था, जैसे कोई मीठा शहद। वो उछल पड़ी और बोली, “भैया, ये क्या कर रहे हो? ये तो गंदी जगह है!”
मैंने हँसकर कहा, “अरे बेटू, इतनी रसीली और साफ बुर गंदी कैसे? मैं तो रोक ही नहीं पाया।”
वो शरमाकर बोली, “कोई बात नहीं, भैया। बस किसी को मत बताना।”
मैंने उससे कहा, “देख, कैसी लग रही है तेरी बुर?”
उसने छूकर देखा और बोली, “हाँ भैया, बहुत मस्त और चिकनी हो गई है।”
मैंने कहा, “बेटू, इसे सुसु नहीं, बुर कहते हैं। सुसु तो बच्चों की होती है। अब ये बड़ी और रसीली हो गई है।”
वो हँसकर बोली, “धत्त, भैया! आप भी न!”
मैंने आफ्टर-शेव लोशन अपनी हथेली में लिया और उसकी बुर पर मलने लगा। मेरी उंगलियाँ उसकी बुर की फाँकों में फिसल रही थीं, और वो हर बार सिसकारियाँ भर रही थी—‘आह… भैया… इस्स…’। मैंने जानबूझकर उसकी बुर के दाने को हल्का सा रगड़ा, जिससे उसकी बुर और पनिया गई। उसका बदन हल्का-हल्का काँप रहा था, और उसकी साँसें तेज हो रही थीं। मैंने उसकी बुर की फाँकों को फैलाकर फिर से देखा—पूरा गुलाबी और लाल, जैसे कोई रसीला आम।
वो उठी और पैंटी पहनने लगी। मैंने मना किया, “अरे बेटू, आज शेविंग हुई है न, तो आज खुला रख। वरना जलन होगी।”
वो शरमाकर बोली, “ठीक है, भैया।”
रात को हम सोने लगे। आज मुझे कुछ अलग ही मजा आ रहा था। मैंने सिर्फ लोअर पहना था, अंडरवियर नहीं। मेरा तना हुआ लंड ठीक उसकी गांड से सट रहा था। मैंने उसे अपनी गोद में लिया और एक हाथ उसके पेट पर रखकर सहलाने लगा। उसका पेट इतना नरम और गर्म था कि मेरी उंगलियाँ जैसे उसमें डूब रही थीं। श्वेता ने अपनी गांड को पीछे धकेलकर मेरे लंड पर दबाव बनाया। मेरा लंड का सुपारा उसकी गांड की लकीर में फंस गया, और मुझे ऐसा मजा आ रहा था, जैसे मैं सातवें आसमान पर हूँ। मैंने उसकी गांड को और जोर से दबाया, और मेरा लंड उसकी बुर की फाँकों के पास रगड़ने लगा। उसकी सिसकारियाँ—‘आह… भैया…’—मेरे कानों में गूँज रही थीं।
वो बोली, “भैया, आप मुझे कभी छोड़ना नहीं। आपके बिना मैं मर जाऊँगी।”
मैंने उसके गाल पर एक गर्म, रसीला चुम्मन दिया और कहा, “अरे बेटू, ऐसा मत बोल। मैं हूँ न तेरे साथ, हमेशा।”
हम उसी तरह चिपककर सो गए। मेरा लंड उसकी गांड और बुर के बीच रगड़ रहा था, और मेरा मन अब और बेकाबू हो रहा था। लेकिन मैंने खुद को रोका, क्योंकि मैं जानता था कि असली चुदाई का मजा अब बस कुछ ही कदम दूर है। आगे की मस्ती और चुदाई का मजा अगले भाग में आएगा।
अगला भाग: भाई बहन के प्यार से सेक्स तक-3
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