भाभी के साथ अफेयर-3

Shower sex story – Shaved pussy licking sex story: पिछले दिन के पागलपन के बाद अगली सुबह हम मुंबई वापस जाने वाले थे, पर मैंने मम्मी-पापा से झूठ बोल दिया कि पढ़ाई का तनाव है, कुछ दिन और रुकना चाहता हूँ। भाभी ने भी तुरंत सपोर्ट किया, “अरे रहने दो ना, मेरी तो बहुत मदद करता है ये। बस बात बन गई। अगली सुबह मम्मी-पापा चले गए, भैया ऑफिस और बच्चा स्कूल।

कहानी का पिछला भाग: भाभी के साथ अफेयर-2

भाभी बच्चे को बस तक छोड़ने नीचे गई थीं। मैं बालकनी से देख रहा था, उनकी मटकती गांड, पसीने से चिपकी साड़ी, लंड खड़ा हो गया। जैसे ही दरवाज़ा बंद हुआ, मैं दौड़ा और भाभी को कसके गले लगा लिया, होंठ चूसने लगा, हाथ उनकी गांड पर ज़ोर-ज़ोर से मसल रहे थे। भाभी की गर्म साँसें मेरे कानों में, आह्ह्ह… निखिल… सुबह-सुबह…

कुछ देर किस करने के बाद भाभी बोलीं, “बस करो, मुझे नहाना है, सुबह से भाग-दौड़ में पसीना हो गया।” मैंने कहा, “मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं।” वो हँस पड़ीं और बाथरूम की तरफ बढ़ीं। मैंने हाथ पकड़ा और बोला, “वैसे मैं भी नहीं नहाया हूँ।” भाभी समझ गईं, शरमाते हुए बोलीं, “तो मेरे बाद चले जाना।” मैंने मिन्नतें कीं तो आखिर बोलीं, “ठीक है आ जाओ बदमाश।”

मैं तो वहीँ खड़े-खड़े नंगा हो गया और बाथरूम में घुस गया। भाभी हँसते हुए कपड़े धोने डाले और टॉवल लपेट कर आईं। आते ही मैंने खींचा, टॉवल खींच फेंका, नाइट गाउन भी उतार दिया, अंदर सिर्फ़ पैंटी थी। उनके भारी बूब्स मेरी छाती से दबे, निप्पल्स टाइट, मैंने गांड पर थप्पड़ मारा और बाल पकड़कर गहरी स्मूचिंग शुरू कर दी। एक हाथ से चूत रगड़ रहा था, पैंटी गीली होने लगी।

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पैंटी उतारी और घुटनों पर बैठ गया। भाभी प्यार से बोलीं, “आज भी चाटोगे अपनी भाभी की चूत?” मैं बोला, “जितना मिले उतना कम है।” वो दीवार का सहारा लेकर तांगे फैला कर खड़ी हो गईं। मैंने जीभ से क्लिट पर वार किया तो भाभी काँप उठीं, ऊऊईई… आह्ह्ह्ह… निखिल्ल्ल… पाँच मिनट में ही एक तांग मेरे कंधे पर रख दीं और मेरे मुँह में झड़ गईं, पूरा रस मेरे होंठों-ठुड्डी पर।

मैं खड़ा हुआ और बोला, “अब तुम्हें अपना रस चखाना है।” वो शरमाईं, “नहीं करूँगी।” मैंने कल जैसा ही किया, हाथ दबोचे और जबरदस्ती गीले होंठ उनके होंठों पर रख दिए। पहले तो मना करती रहीं, फिर खुद जीभ निकाल कर चूसने लगीं। फिर मुझे बाहर धकेल कर बोलीं, “अब मुझे नहाने दो!”

मैं बाहर आया, तैयार हुआ। भाभी ने आवाज़ दी कि सब्जी-पनीर लाना है। मैं बाज़ार गया और चुपके से एक छोटा सा कंडोम पैकेट भी ले आया। घर लौटा तो भाभी नहा-धो कर काम निपटा रही थीं। मैंने सामान दिया, कंडोम छुपा लिया।

थोड़ी देर बाद भाभी स्लीवलेस टॉप और पजामा में पसीने से तर-बतर लिविंग रूम में आईं और मेरे बगल में बैठ गईं। मैंने उनकी जाँघ पर हाथ फेरा, “बहुत थक गई हो, आराम करो।” वो मेरे गले में बाँह डाल कर लिपट गईं। फिर उठीं और किचन बुलाया, “देखो ना फिर पसीना आ गया, फिर नहाना पड़ेगा, आओगे साथ?” मैंने हाथ पकड़ा और लिविंग रूम में ले आया, फैन बंद कर दिया।

भाभी चौंकीं, “यहाँ क्यों?” मैं बोला, “आज तुम्हारे पसीने से लथपथ बदन को चाटना है।” वो मना करने लगीं, “ये क्या गंदी बातें हैं?” पर बीस-पच्चीस मिनट मिन्नतों के बाद मान गईं। मैंने पजामा नीचे किया, भाभी सोफे पर बैठीं, मैं ज़मीन पर। जाँघें चाटीं, पैंटी चाटी, देखा तो साफ-सुथरी चूत कर रखी थीं। निप्पल्स टाइट थे, मैंने दोनों उंगली से मरोड़ा तो भाभी चीख पड़ीं, आह्ह्ह्ह… निखिल्ल्ल…

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फिर पैंटी उतारी, टॉप भी खुद उतार दिया। भाभी बिल्कुल नंगी। मैं भी नंगा हो गया। भाभी ने मेरे लंड पर किस किया, अंडरवियर उतारा और चूसने लगीं, ग्ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग्ग… गी… गी… मैं उनकी गांड मसल रहा था। दस मिनट बाद उनके मुँह में ही झड़ गया। वो फ्रेश होने गईं।

मैंने कंडोम पैकेट निकाला। भाभी कपड़े लेने आईं तो मैंने खींचकर गोद में बिठाया, होंठ चूसते हुए कान में फुसफुसाया, “अभी कपड़े पहनने का वक्त नहीं आया।” वो शरमाईं, “क्यों, अब और क्या चाटना बाकी है?” मैंने मुस्कुरा कर कंडोम पैकेट दिखाया और बोला, “चाटना-चूसना खत्म, अब तुम्हें चोदना है।”

भाभी की आँखें चौड़ी हो गईं, चेहरा गुलाबी, साँसें तेज़।

आगे की कहानी अगले पार्ट में, जब भाभी ने पहली बार मेरा लंड अपनी चूत में लिया और घोड़ी बनकर चिल्लाई।

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