Saas Damad Sex Story दोस्तों, मेरा नाम शांति है। मेरी उम्र 38 साल है, और मैं गुरुग्राम में अपने दो बेडरूम के फ्लैट में रहती हूँ। मेरी फिगर 36-30-38 है, और मेरी त्वचा गोरी है, जो अभी भी जवान लड़कियों को टक्कर देती है। मेरी एक बेटी है, राधिका, जो 22 साल की है, पतली कमर, मध्यम कद, और खूबसूरत चेहरा। उसकी शादी मैंने पिछले साल कर दी थी। मेरे पति दस साल पहले गुजर गए, और तब से मेरी जिंदगी में सिर्फ राधिका ही मेरा सहारा थी। राधिका को एक अच्छा लड़का मिला, रवि, जो 28 साल का है, लंबा, कसरती बदन, और पुणे का रहने वाला। वो राधिका के ऑफिस में काम करता है। दोनों एक-दूसरे से प्यार करते थे, और फिर शादी कर ली। शादी के बाद रवि घर जमाई बनकर हमारे साथ रहने लगा। मेरा फ्लैट मेरा अपना है, तो मैंने सोचा, जो मेरा है, वो अब राधिका का ही है। दामाद को घर जमाई बना लिया, तो शायद एक बेटा भी मिल जाए।
पर दोस्तों, जैसा मैंने सोचा, वैसा हुआ नहीं। मुझे बेटा नहीं, बल्कि एक ऐसा रिश्ता मिला, जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। जी हाँ, मेरी और मेरे दामाद रवि की गलती की वजह से आज मैं माँ बनने वाली हूँ। मेरी बेटी राधिका को अभी ये बात नहीं पता। आज मैं अपनी सच्ची कहानी आपके साथ शेयर कर रही हूँ, क्योंकि मैंने कई औरतों की कहानियाँ पढ़ी हैं, और मुझे लगा कि मुझे भी अपनी बात खुलकर कहनी चाहिए। ये मेरी जिंदगी का वो सच है, जो शायद आपको हैरान कर दे, पर ये मेरी हकीकत है। अब मैं आपको विस्तार से बताती हूँ।
पति के जाने के बाद मेरी जिंदगी तन्हा हो गई थी। रातें अकेली, खाली बिस्तर, और जिस्म की भूख मुझे हर पल तड़पाती थी। जैसे-जैसे राधिका जवान हुई, मैंने उसकी शादी कर दी, ताकि मैं कुछ तनाव से मुक्त हो सकूँ। लेकिन दोस्तों, आप तो जानते हैं, जिस्म की आग, वो वासना की भूख, अगर न बुझे तो इंसान चैन से नहीं रह सकता। मेरी चूत की गर्मी मुझे रातों को बेचैन करती थी। मैं अकेले रातों में कहानियाँ पढ़ती, अपनी चूत में उंगली डालती, चूचियों को मसलती, पर ये सब बेकार था। मुझे तो एक मर्द का लंड चाहिए था, जो मेरी चूत की आग को ठंडा कर सके।
राधिका की शादी के बाद घर में एक नया माहौल बन गया। रात को उनके कमरे से चुदाई की आवाजें आती थीं। “आह… उह… रवि… और जोर से… चोदो…” राधिका की सिसकारियाँ मेरे कमरे तक पहुँचती थीं। फ्लैट के बाहर शायद आवाज न जाए, पर मेरे कानों में तो हर धक्के की थप-थप और सिसकारी गूँजती थी। मैं सुनती, और मेरी चूत में आग और भड़क जाती। सोचिए, एक कमरे में चुदाई की मस्ती, और मेरे कमरे में सिर्फ उंगलियाँ और तड़प। ये ज्यादा दिन तक नहीं चल सकता था।
एक रात की बात है, मैं अपने कमरे में थी, रात के करीब 1 बजे। मैं बेडशीट के नीचे, सिर्फ एक पतली नाइटी पहने, अपनी चूत में उंगली डाले सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी नाइटी मेरी जाँघों तक चढ़ी थी, और मैं आँखें बंद करके अपनी दुनिया में खोई थी। तभी रवि, जो राधिका को चोदकर बाथरूम में लंड साफ करने जा रहा था, मेरे कमरे के सामने से गुजरा। उसने मुझे देख लिया। राधिका शायद थककर सो गई थी। रवि चुपके से मेरे कमरे में आ गया। मैं घबरा गई और जल्दी से बेडशीट खींचकर अपने ऊपर डाल ली।
वो मेरे बेड के किनारे बैठ गया और धीरे से बोला, “माँ जी, ये क्या बात है? आप ऐसे क्यों परेशान हैं?” मेरी साँसें रुक सी गई थीं। मैं चुप रही, मेरी धड़कनें तेज थीं। फिर वो बोला, “माँ जी, मैं समझ सकता हूँ। अगर आप चाहें, तो मैं आपकी ये ख्वाहिश पूरी कर सकता हूँ।” मैं चौंक गई। मैंने काँपती आवाज में कहा, “रवि, ये क्या बोल रहे हो? तुम मेरे दामाद हो। दामाद तो बेटे जैसा होता है। मैं तुमसे ऐसा कैसे कर सकती हूँ? ये गलत है।” वो हल्का सा मुस्कुराया और बोला, “माँ जी, आपकी उम्र अभी सिर्फ 38 है। आप जवान हैं, खूबसूरत हैं। इतने सालों से आप इस आग को दबा रही हैं। ये आपके लिए ठीक नहीं। और सच कहूँ, मेरे लिए भी ठीक नहीं। कल को अगर आप किसी गलत इंसान के चक्कर में पड़ गईं, तो दिक्कत किसे होगी? मुझे और राधिका को।”
उसकी बातों में वजन था। मैं भीतर ही भीतर चुदना चाहती थी। समाज का डर, लोग क्या कहेंगे, ये सोचकर मैं हमेशा पीछे हट जाती थी। लेकिन अब मेरी चूत की आग बर्दाश्त से बाहर थी। मैंने सोचा, अगर आज नहीं, तो कल मैं किसी न किसी से ये रिश्ता बना ही लूँगी। फिर क्यों न रवि के साथ, जो घर का है, भरोसेमंद है। मेरे मन में उलझन थी, लेकिन जिस्म की भूख उस उलझन से बड़ी थी। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और धीरे से कहा, “दरवाजा बंद कर लो।” वो उठा, दरवाजा बंद किया, और मेरे पास वापस आ गया।
मेरी साँसें तेज थीं। दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। रवि मेरे करीब आया, मेरी आँखों में देखा, और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। मेरे काँपते होंठ कुछ ही सेकंड में जवाब देने लगे। मैं उसे चूमने लगी, उसके घने बालों में उंगलियाँ फिराने लगी। वो धीरे से मेरी बेडशीट हटाने लगा। मेरी नाइटी पहले से ही जाँघों तक चढ़ी थी। उसने मेरी नाइटी को और ऊपर सरकाया और अपना हाथ मेरी चूचियों पर रख दिया। मेरी चूचियाँ 36D की थीं, गोल, भारी, और सख्त। वो देखकर बोला, “माँ जी, ये तो 20 साल की लड़की की चूचियाँ भी फेल कर दें। इतनी मस्त चूचियाँ!” मैं शरमाकर बोली, “बस, रवि… अब ये सब तुम्हारे लिए हैं।”
वो मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने मेरी उंगलियों में अपनी उंगलियाँ फँसाईं और मेरे दोनों हाथ बेड के ऊपर ले गया। मेरी चूचियाँ तन गईं, निप्पल सख्त हो गए। मैंने कई दिनों से अपनी कांख नहीं शेव की थी, काले-काले बाल थे। रवि ने मेरी कांख को सूँघा, फिर धीरे-धीरे चाटना शुरू किया। मेरे जिस्म में जैसे करंट दौड़ गया। “आह… रवि… उह…” मैं सिसकारियाँ लेने लगी। मेरे होंठ सूख रहे थे, चूत गीली हो रही थी। इतने सालों बाद कोई मुझे इस तरह छू रहा था। मेरी चूत में आग लगी थी, और वो आग अब और भड़क रही थी।
उसने मेरे होंठों को चूसा, फिर धीरे-धीरे नीचे आया। मेरी नाइटी को पूरी तरह ऊपर कर दिया और मेरी चूचियों को आजाद कर दिया। वो मेरी चूचियों को जोर-जोर से दबाने लगा। मेरे निप्पल को अपने दाँतों से हल्के से काटा। मैं चीख पड़ी, “आह… रवि… धीरे… उह… कितना अच्छा लग रहा है…” मेरी चूत अब पानी छोड़ रही थी। उसने मेरी नाइटी पूरी तरह उतार दी। अब मैं सिर्फ पैंटी में थी। उसने मेरी पैंटी को धीरे से नीचे सरकाया। मेरी चूत पर घने बाल थे, लेकिन वो बिना रुके मेरी चूत को चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी। “आह… रवि… और चाटो… उह… हाय…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी चूत पूरी तरह गीली थी, और उसकी जीभ मेरे जिस्म में आग लगा रही थी।
फिर उसने मुझे पलट दिया। मैं पेट के बल लेट गई। वो मेरी पीठ पर किस करने लगा। मेरी गांड को सहलाते हुए उसने अपनी जीभ मेरे चूतड़ों पर फिराई। “आह… रवि… ये क्या कर रहे हो… उह…” मैं मचल रही थी। मेरे जिस्म में जैसे ज्वालामुखी फट रहा था। उसने मेरी गांड के गालों को फैलाया और मेरी गांड की दरार में जीभ फिराई। मैं पागल हो रही थी। मैंने एक झटके से खुद को फिर से पलटा और चीखी, “बस, रवि! अब और मत तड़पाओ। चोद दो मुझे!”
उसने अपनी पैंट उतारी। उसका लंड बाहर आया, मोटा, लंबा, करीब 7 इंच का। वो सख्त था, और उसकी नसें फूली हुई थीं। उसने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और धीरे से रगड़ा। मैं तड़प रही थी, “रवि… डाल दो… और मत तड़पाओ…” उसने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया। “आह… हाय… रवि…” मैं चीख पड़ी। इतने सालों बाद मेरी चूत को असली सुख मिला था। वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। “थप-थप-थप” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मैं अपनी गांड उठा-उठाकर उसका साथ दे रही थी। “आह… रवि… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी।
कुछ देर बाद उसने मुझे घोड़ी बनाया। मैं बेड पर घुटनों के बल थी, मेरी गांड ऊपर थी। उसने पीछे से अपना लंड मेरी चूत में डाला और जोर-जोर से चोदने लगा। “आह… उह… रवि… और गहरा… हाय…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। वो मेरी गांड पर थप्पड़ मार रहा था, “शांति माँ जी… तुम्हारी चूत कितनी टाइट है… आह… मजा आ रहा है…” मैं जवाब दे रही थी, “हाँ रवि… चोदो… मेरी चूत तुम्हारी है… फाड़ दो इसे…”
फिर उसने मुझे सीधा किया और मेरे पैर अपने कंधों पर रख लिए। इस पोजीशन में उसका लंड और गहरे तक जा रहा था। “आह… रवि… कितना मोटा है तेरा लंड… उह… और जोर से…” मैं चीख रही थी। वो मेरी चूचियों को मसल रहा था, निप्पल काट रहा था। बीच-बीच में वो मेरी कांख चाट रहा था। मेरे जिस्म में जैसे बिजली दौड़ रही थी।
कुछ देर बाद उसने मुझे अपनी गोद में बिठाया, जिसे लोग यहाँ “उठक-बैठक” कहते हैं। मैं उसकी गोद में थी, उसका लंड मेरी चूत में गहराई तक था। मैं ऊपर-नीचे हो रही थी, और वो मेरी चूचियों को चूस रहा था। “आह… रवि… और चूसो… उह… कितना मजा आ रहा है…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। उस रात उसने मुझे दो बार चोदा। पहली बार मेरी चूत में ही झड़ गया, और दूसरी बार मेरी चूचियों पर अपना माल गिराया। मैं थककर चूर हो गई थी, लेकिन मेरे जिस्म को इतना सुकून मिला था कि मैं बता नहीं सकती।
उस रात के बाद ये सिलसिला चल पड़ा। जब भी राधिका ऑफिस में होती या सो रही होती, हम मौका देखकर चुदाई करते। अब मैं दो महीने की गर्भवती हूँ, और राधिका भी गर्भवती है। मैं सोच में हूँ कि उसे ये बात बताऊँ या एबॉर्शन करवा लूँ। लेकिन सच कहूँ, मैं रवि के लंड की दीवानी हो चुकी हूँ। मुझे अब कोई रोक नहीं सकता, यहाँ तक कि मेरी बेटी भी नहीं।
आप सबको, जो रोज नई-नई कहानियाँ पढ़ने आते हैं, मेरा नमस्ते! आपकी राय क्या है? मुझे राधिका को ये बात बतानी चाहिए या चुप रहना चाहिए? कमेंट में जरूर बताइए।