बहन की जेठानी की खूबसूरत चूत पर चुम्मा

मेरा नाम रजत सिंह है। मैं हिमाचल प्रदेश का रहने वाला हूँ। मेरा रंग इतना गोरा है कि लोग मुझे दूध की तरह साफ कहते हैं, और ये सब मेरी माँ और पापा की देन है, जिनका रंग भी बिल्कुल साफ है। मेरी हाइट 5 फुट 8 इंच है, और मैं दिखने में इतना आकर्षक हूँ कि लड़कियाँ मुझ पर फिदा हो जाती हैं। वो खुद ही मेरे पास आकर प्यार का इजहार करती हैं। मैंने कभी किसी लड़की से उसकी चूत नहीं माँगी, लेकिन हर बार किस्मत ने मेरा साथ दिया और लड़कियाँ खुद ही मुझे सब कुछ दे देती थीं। मैं खुद को बहुत लकी मानता हूँ, क्योंकि मेरी जिंदगी में एक से बढ़कर एक हसीन लड़कियों की रसीली चूत मेरे हिस्से आई। लेकिन मुझे क्या पता था कि एक और खूबसूरत चूत मेरे नाम लिखी हुई थी, जो मेरी जिंदगी को और रंगीन करने वाली थी।

छह महीने पहले मेरी छोटी बहन सुशीला की शादी हुई थी। शादी के बाद जब मैं पहली बार उसकी ससुराल गया, तो मेरी मुलाकात उसकी जेठानी से हुई। उनका नाम हंसा था। जैसे ही मेरी नजर उन पर पड़ी, मेरा लंड उसी वक्त खड़ा हो गया। हंसा इतनी सुंदर थीं कि क्या बताऊँ! उनका गोरा रंग, भरा हुआ बदन, और वो मुस्कान जो दिल को चीर देती थी। लेकिन सुशीला की ससुराल में बाकी लोग – सास, ससुर, जेठ, और मेरे जीजा जी – सभी का रंग काला और साधारण सा था। हंसा को देखकर लगता था जैसे वो किसी और दुनिया से आई हों। मैं उन्हें भाभी कहने लगा, क्योंकि वो मेरे जीजा जी की भाभी थीं।

“मैं तुम्हारी भाभी नहीं, दीदी लगती हूँ,” हंसा ने हँसते हुए कहा।

उनके इस बात ने मुझे थोड़ा सोच में डाल दिया। मैं तो उन्हें भाभी-देवर का मजा लेने के मूड में था, लेकिन अब वो मेरी दीदी लगती थीं, क्योंकि मेरी बहन की शादी उनके घर में हुई थी। फिर भी, मेरे दिल में उनके लिए कुछ और ही जज्बात थे। मैं उन्हें चोदने के सपने देखने लगा। हर महीने मैं सुशीला की ससुराल जाता, क्योंकि मेरी माँ कुछ न कुछ सामान भेजती रहती थीं। हमारे यहाँ रिवाज है कि शादी के बाद मायके से बेटी के लिए कुछ न कुछ भेजते रहना चाहिए। इसलिए मैं हर महीने कुछ सामान लेकर सुशीला के घर जाता था।

हंसा दीदी के पति, जो मेरे बड़े जीजा जी थे, से भी मेरी अच्छी दोस्ती हो गई थी। सुशीला का ससुराल एक प्यारा परिवार था। सगे जीजा जी और उनके बड़े भाई, यानी हंसा दीदी के पति, एक ही घर में मिलजुलकर रहते थे। वहाँ कोई झगड़ा-लड़ाई नहीं थी, जिससे मुझे बहुत खुशी हुई कि मेरी बहन की शादी एक अच्छे घर में हुई। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, मेरा मन हंसा दीदी को चोदने के लिए और बेचैन होने लगा। उनकी आवाज कोयल जैसी थी, चेहरा ऐसा कि बस देखते ही बनता था। उनके पिता काले-कलूटे थे, लेकिन हंसा दीदी इतनी गोरी और माल थीं कि मैं सोचता रहता – बाप इतना काला, और बेटी इतनी हसीन! कई रातें मैं हंसा दीदी को याद करके लंड पकड़कर मुठ मारता और आनंद लेता।

कुछ समय बाद मेरे सगे जीजा जी ने नया मकान बनवाना शुरू किया। उनकी नौकरी की व्यस्तता के कारण सारा काम मुझे ही संभालना पड़ता था। मैं दिन-रात उनके घर पर रहता, और हंसा दीदी रोज चाय लेकर आतीं। धीरे-धीरे मैंने उनका हाथ पकड़ना शुरू किया। वो मुझे अजीब नजरों से देखतीं, लेकिन कुछ कहती नहीं। एक दिन ससुराल में कोई नहीं था। सब कहीं गए हुए थे, और हंसा दीदी अकेली थीं। मेरा लंड तन गया। मैंने सोचा, आज इस माल को चोद ही लेता हूँ। मैं घर के अंदर गया। हंसा दीदी रसोई में काम कर रही थीं।

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“रजत, तुम? कोई बात है?” उन्होंने पूछा।

मैंने बिना कुछ कहे उनका हाथ पकड़ लिया और उनके होंठों पर किस करने की कोशिश की। वो नाराज हो गईं।

“ये क्या बदतमीजी है, रजत?” वो गुस्से से बोलीं।

“हंसा दीदी, मेरे साथ हनीमून मनाओगी? अपनी चूत दोगी क्या?” मैंने बेझिझक कह दिया।

उनकी आँखें आग उगलने लगीं। “मैं आज तक किसी लड़की के पीछे नहीं भागा। हर लड़की ने खुद मुझे अपनी चूत दी है। लेकिन तुम मुझे बहुत पसंद हो। मुझे चोदोगी न?” मैंने कहा और उन्हें बाहों में भर लिया। उनके होंठों पर अपने होंठ रखकर चूसने लगा। हंसा दीदी का रूप ऐसा था जैसे भगवान ने फुर्सत में बैठकर उन्हें तराशा हो। लंबा चेहरा, कोहिनूर जैसी चमकती आँखें, संतरे जैसे रसीले होंठ, हल्की नुकीली नाक, और 34 इंच के भरे हुए दूध, जो उनके ब्लाउस से बाहर झाँक रहे थे। उनकी चूत तो अभी तक छिपी थी, लेकिन मैं उसे देखने को बेताब था।

कुछ देर मैंने जबरदस्ती उनके होंठ चूसे। वो गुस्से से लाल हो गईं और बोलीं, “मैं अभी तेरे जीजा जी को बताती हूँ।”

मुझे डर लगने लगा। मैंने अपनी बहन की जेठानी को छेड़ दिया था। अगर वो जीजा जी को बता देंगी, तो मेरी बहन की जिंदगी खराब हो सकती थी। लेकिन उस दिन जब ससुराल के सारे लोग लौटे, तो हंसा दीदी ने किसी से कुछ नहीं कहा। कुछ दिनों तक वो मुझसे दूरी बनाए रहीं। मैं समझा कि वो नाराज हैं। लेकिन एक सुबह, जब मैं अपने कमरे में सो रहा था, हंसा दीदी अचानक मेरे कमरे में आ गईं। वो नहाकर अभी-अभी बाथरूम से निकली थीं। उनके गीले बालों से पानी टपक रहा था, और उन्होंने अपनी चूचियों पर सिर्फ एक तौलिया लपेट रखा था। उनकी नंगी टाँगें और भी सेक्सी लग रही थीं। सुबह के 6 बज रहे थे, और वो चाय का प्याला लेकर मेरे पास आईं। अचानक वो मेरे सीने पर बैठ गईं और अपने गीले बालों से पानी मेरे चेहरे पर गिराकर मुझे जगाने लगीं।

मैं चौंककर जागा। सामने हंसा दीदी थीं, सिर्फ तौलिया लपेटे हुए। “क्या रजत, चोदोगे मुझे?” उन्होंने अचानक कहा।

मैं बौखला गया। वो तुरंत उठीं और तौलिये की गाँठ खोल दी। उनके बड़े-बड़े 34 इंच के दूध मेरे सामने नंगे हो गए। भारतीय लड़कियों जैसे रसीले, काले-काले निप्पलों से सजे हुए। मेरा होश उड़ गया। मेरा गला सूखने लगा। मैं कुछ बोल नहीं पाया।

“लो, आज मेरे दूध जी भरकर चूस लो। मुझे कसकर चोदो,” हंसा दीदी ने रंडी जैसी अदा में कहा और अपनी दोनों चूचियाँ मेरे मुँह पर रख दीं। अब मुझे कुछ कहने की जरूरत नहीं थी। मैंने उन्हें बाहों में भर लिया और अपने ऊपर लिटाकर किस करने लगा। उन्होंने पैंटी भी नहीं पहनी थी। वो पूरी तरह नंगी थीं। मैंने भी जल्दी से अपना कच्छा और बनियान उतार फेंका और नंगा हो गया। हंसा दीदी को अपने सीने पर लिटाकर मैंने उनके होंठों को चूसना शुरू किया।

“दीदी, घर के बाकी लोग कहाँ हैं?” मैंने घबराते हुए पूछा।

“सब सो रहे हैं। तुम आराम से मुझे चोदो, कोई टेंशन नहीं,” उन्होंने बेपरवाह अंदाज में कहा।

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हम दोनों के होंठ आपस में टकराए। आग लग गई। मैं उनके होंठ चूसने लगा, और वो भी मेरे मुँह में अपनी जीभ डालकर मुझे खाने लगीं। “आआह्ह… उउउ…,” उनकी सिसकारियाँ शुरू हो गईं। मैंने उनके कंधों को पकड़ा और और जोर से किस किया। मेरे हाथ उनकी नंगी पीठ पर नाचने लगे। उनकी पीठ इतनी मुलायम थी कि मैं रुक ही नहीं पा रहा था।

“हंसा दीदी, क्या बड़े जीजा जी आपको ठीक से नहीं पेलते?” मैंने मजाक में पूछा।

“अगर वो मुझे ठीक से चोद पाते, तो मैं तेरे पास क्यों आती? वो तो 3-4 मिनट में झड़ जाते हैं। तू बता, रजत, तू मेरी चूत में कितने मिनट बैटिंग करेगा?” हंसा दीदी ने रंडी जैसी अदा में पूछा।

“अब देख लेना,” मैंने हँसते हुए कहा और उन्हें और कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया। मैंने उनकी नंगी पीठ को सहलाना शुरू किया। मेरे हाथ धीरे-धीरे उनकी मस्त-मस्त गांड पर चले गए। हंसा दीदी का फिगर 34-38-36 का था। उनकी चूचियाँ संतरे जैसे रसीली, और गांड इतनी भरी हुई कि बस सहलाते ही रहो। मैंने उनकी गांड को सहलाया, और वो “उउउ… आआह्ह… हम्मम…” करने लगीं। मैंने उनकी एक चूची मुँह में ली और चूसना शुरू किया। उनके निप्पल काले और सख्त थे। मैंने जीभ से उन्हें चाटा, फिर चूची को दबाकर चूसने लगा।

“आआह्ह… रजत… और चूस… उउउ…,” हंसा दीदी सिसकारियाँ भरने लगीं। उनकी चूचियाँ इतनी रसीली थीं कि मैं पागल हो रहा था। मैंने दूसरी चूची को भी मुँह में लिया और चूस-चूसकर उसका रस निकालने लगा। फिर मैं उनके पेट पर आया। उनकी नाभि इतनी कामुक थी कि मैंने अपनी जीभ उसमें डाल दी। वो “ओह्ह… आआह्ह… अई… अई…” करने लगीं।

“रजत, मेरी चूत चाटो… मुझे गर्म करो… आआह्ह…” हंसा दी _दी ने अपनी टाँगें खोल दीं। उनकी चूत गोरी, चिकनी, और हल्की गुलाबी थी। मैंने जीभ से उनकी चूत को चाटना शुरू किया। उसका नमकीन स्वाद मेरे मुँह में घुलने लगा। “सी सी सी… उउउ… और चाटो मेरी बुर को… आआह्ह…” वो कमर उठाकर अपनी चूत मेरे मुँह में पिलाने लगीं। मैंने उनकी चूत के दाने को जीभ से रगड़ा, और वो पागल सी हो गईं। “आआह्ह… रजत… ओह्ह… सी सी सी…” उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।

मैंने अपना 7 इंच का मोटा लंड हिलाया और उनकी चूत पर रखा। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि जैसे कोई कुंवारी लड़की हो। मैंने धीरे से धक्का मारा, लेकिन लंड अंदर नहीं गया। मैंने थोड़ा जोर लगाया, और “आआह्ह…” के साथ मेरा लंड उनकी चूत में घुस गया। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “उउउ… रजत… आआह्ह… और तेज…” हंसा दीदी चिल्लाने लगीं। मैंने स्पीड बढ़ाई। मेरा लंड उनकी चूत की गहराइयों में जा रहा था। “फट फट फट…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मैंने उनकी एक जाँघ को मोड़कर दूसरी जाँघ पर रखा, जिससे उनकी चूत और टाइट हो गई। मैं तेज-तेज धक्के मारने लगा।

“आआह्ह… रजत… मेरी चूत फाड़ दो… उउउ… सी सी सी…” हंसा दीदी की हालत खराब हो रही थी। मैंने उनके चूत के दाने पर थूक लगाकर रगड़ना शुरू किया। उनका पूरा बदन काँपने लगा। “ओह्ह… मम्मी… आआह्ह… रजत… और तेज…” वो चिल्ला रही थीं। मैंने और जोर से धक्के मारे। मेरा लंड उनकी चूत को जड़ तक फाड़ रहा था। करीब 20 मिनट तक मैंने उन्हें चोदा। फिर मैंने लंड निकाला और उनके मुँह के पास ले गया।

“मेरे मुँह पर अपना माल गिराओ,” हंसा दीदी ने रंडी जैसी अदा में कहा।

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मैंने उनके चेहरे को पकड़ा और अपने लंड को तेजी से हिलाने लगा। “आआह्ह… हंसा दीदी…” मैंने सिसकारी भरी, और मेरे लंड से गर्म-गर्म माल की पिचकारी उनके चेहरे पर गिरने लगी। उनके गाल, होंठ, नाक, और आँखों पर मेरा चिपचिपा माल फैल गया। वो उंगली से माल को चाटने लगीं। “आआह्ह… कितना मजा आया…” उन्होंने कहा और मुझे पास लिटाकर मेरे होंठ चूसने लगीं। फिर वो मटकती हुई चली गईं।

कुछ दिन बाद जीजा जी का मकान बन गया, और मेरा वहाँ जाना बंद हो गया। लेकिन हंसा दीदी के साथ मेरा फोन सेक्स शुरू हो गया। अगले ही दिन उनकी कॉल आई।

“कैसे हो, रजत?” उन्होंने पूछा।

“बस ठीक हूँ,” मैंने कहा।

“कल रात तुम्हारा नाम लेकर गुजारी। सारी रात चूत में उंगली करती रही,” उन्होंने कहा।

“क्यों, जीजा जी ने नहीं चोदा?” मैंने हँसते हुए पूछा।

“नहीं, वो तो 2 मिनट में झड़ गए और मुँह फेरकर सो गए। मैं तुम्हारे बारे में सोचती रही,” उन्होंने कहा।

“मेरे बारे में या मेरे लंड के बारे में?” मैंने चुटकी ली। वो हँसने लगीं।

इस तरह हर रात हमारा फोन सेक्स चलता। कुछ दिन बाद सुशीला मेरे घर आने वाली थी, और हंसा दीदी भी उनके साथ आईं। मैं उन्हें सुशीला के सामने “हंसा दीदी” कहकर बुलाता, ताकि किसी को शक न हो। लेकिन मेरा मन उन्हें फिर से चोदने को बेताब था। एक दिन शाम 4 बजे सुशीला और मेरी दीदी मार्केट गईं। घर में कोई नहीं था। मैं सीधा हंसा दीदी के कमरे में गया। वो किताब पढ़ रही थीं। मैंने उनकी किताब छीनकर फेंक दी और उनसे चिपक गया।

“रजत, क्या कर रहे हो? कोई देख लेगा!” वो घबराकर बोलीं।

“घर में कोई नहीं है। जल्दी कपड़े उतारो,” मैंने कहा।

पहले तो हमने खूब किस किया। चार महीने बाद हंसा दीदी मेरी बाहों में थीं। फिर उन्होंने अपना ब्लाउस और साड़ी उतारी। मैंने अपने कपड़े उतारे और लंड पर तेल की मालिश की। मैंने हंसा दीदी को कुतिया बनाया और उनकी गांड के छेद पर तेल डालकर मालिश की। फिर अपने लंड को उनकी गांड में डाला। तेल की वजह से लंड आसानी से अंदर चला गया। “आआह्ह… मम्मी… सी सी सी…” हंसा दीदी सिसकारियाँ भरने लगीं। मैंने तेज-तेज उनकी गांड मारी। “फट फट फट…” की आवाज गूँज रही थी। करीब 18 मिनट बाद मैं उनकी गांड में ही झड़ गया।

“रजत, तूने तो मेरी गांड फाड़ दी…” हंसा दीदी हँसते हुए बोलीं।

“अब अगली बार चूत की बारी,” मैंने कहा।

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