Devar bhabhi fuck sex story: हैलो फ्रेंड्स, आज मैं आप लोगों को अपनी एक सच्ची सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूँ, ये घटना तब की है जब मैंने भाभी की चूत को अच्छे से बजा दिया था और उनकी प्यासी चूत का सारा रस निकाल लिया था, वो भी इतने जोर से कि वो कई दिन तक ठीक से चल नहीं पाईं.
सभी चूत की रानियों और लंड के महाराजाओं को मेरा नमस्ते.
ये गुजराती भाभी सेक्स कहानी दो साल पहले की है, जब मैं लखनऊ के इंदिरा नगर में किराए के मकान में अपनी पूरी फैमिली के साथ रहता था, और जिस तीन मंजिला घर में हम रहते थे उसमें नीचे वाली फ्लोर पर एक गुजराती फैमिली रहती थी जिसमें भाभी, भैया और उनका आठ साल का बेटा युवी था जबकि ऊपर की फ्लोर पर दूसरी फैमिली के दो भाई और दो बहनें रहती थीं.
नीचे वाली गुजराती भाभी का नाम था रेखा, उनका फिगर एकदम आम्रपाली दूबे जैसा था, 36-34-38 का हॉट बॉडी, हाइट करीब पांच फुट एक इंच और उम्र पैंतीस साल के आसपास, वो ब्यूटीशियन थीं इसलिए नीचे पार्लर भी चलाती थीं और खुद को हमेशा मेंटेन रखती थीं, डार्क रेड लिपस्टिक लगाती थीं, गोरी स्किन पर जब टी-शर्ट पहनती थीं तो उनकी टाइट चूचियां कपड़े पर टंगी हुई सी लगती थीं, छोटा कद होने से वो छोटा पैकेट बड़ा धमाका वाली पटाखा लगती थीं, और वो स्कूटी पर होम सर्विस भी देती थीं.
भाभी के पति देखने में फिट थे, लेकिन बाद में पता चला कि वो भाभी के साथ ज्यादा सेक्स नहीं करते थे, और हम तीनों परिवार पिछले पांच साल से वहाँ रह रहे थे इसलिए पारिवारिक रिश्ते अच्छे थे.
बात उस समय की है जब मेरी मम्मी घर गई हुई थीं, बड़ी बहन नीट की तैयारी कर रही थी और हम तीन भाई-बहन कॉलेज में पढ़ते थे, और अगर आपने मेरी पुरानी कहानी पढ़ी होगी तो जानते होंगे कि मैंने अपनी दोनों बहनों की चूत ली है, छोटा भाई भी बड़ी दीदी को पेलता है, उसका लंड मुझसे बड़ा मोटा है, दीदी चीख पड़ती हैं, लेकिन छोटी बहन की सिर्फ मैंने ली है, ये सब पापा जी ने सिखाया है, लेकिन वो कहानी फिर कभी, आज भाभी की बात करते हैं.
कहानी की शुरुआत हुई जब भाभी रोज घर साफ करके बरामदे में पोछा मारती थीं, ये काम दोपहर दो बजे तक खत्म होता था, पति ऑफिस चले जाते थे, बच्चा स्कूल, फिर वो नहाती थीं और नहाते वक्त गाना गुनगुनाती थीं.
मैंने पहली बार अचानक उन्हें नहाते देखा, उसके बाद प्लान करके जब वो बाथरूम जातीं तो मैं भी टॉयलेट जाने का बहाना बनाकर ऊपर से देखता, क्योंकि वेंटिलेशन जाली से नीचे का नजारा साफ दिखता था, और उस दिन वो पूरी नंगी थीं, टाइट चूचियों पर साबुन मल रही थीं, गांड भी मस्त गोल थी, देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया, फिर रोज यही सिलसिला चला, मैं लंड हिलाकर शांत हो जाता.
एक दिन उनके जीजा आए, भाभी ने मुझे कोल्डड्रिंक मंगवाई, मैं लाकर दे आया, जीजा चार बजे गए लेकिन रोज आने लगे, मुझे शक हुआ, मैं नजर रखने लगा.
एक दिन भाभी की हंसी-खिलखिलाहट सुनकर मैं जाली के किनारे से झिरी से देखने लगा, नीचे सोफे पर जीजा और भाभी चूमाचाटी कर रहे थे, जीजा ने भाभी की चूचियां दबानी शुरू कीं, एक हाथ में पूरी चूची नहीं आ रही थी, भाभी पैंट के ऊपर से लंड सहला रही थीं, और फिर दोनों ने कपड़े उतारे, नंगे होकर जीजा ने चूत में उंगली डाली, भाभी गर्म हो गईं, चूत से पानी बह रहा था, जीजा का लंड सात इंच लंबा तीन इंच मोटा था, भाभी ने लंड चूत पर टिकाया और ऊपर बैठकर धीरे-धीरे अंदर लिया, पूरा लंड चूत में समा गया.
फिर जीजा ने भाभी को सोफे पर लिटाया, लंड अंदर था ही, एक जोरदार झटका मारा, भाभी चीखीं “आईई मम्मी मर गई”, फिर गांड हिलाते हुए बोलीं “धीरे करो दर्द हो रहा है”, लेकिन जीजा ने हाथ पकड़कर धना-धन पेलना शुरू किया, भाभी सिसकारने लगीं “आह आह उई मज़ा आ गया और जोर से पेलो”, और जीजा ने पूछा “मजा आ रहा है”, भाभी बोलीं “हां बहुत, पति ने कभी नहीं चोदा ऐसा, फाड़ दो चूत, भोसड़ा बना दो, रंडी बना कर चोदो मुझे”, जीजा बोले “साली लंड की भूखी कुतिया, ले लंड ले, दोस्तों से चुदवाऊंगा”.
फिर जीजा ने लंड निकाला, बेड पर ले जाकर भाभी को घोड़ी बनाया, गांड पर थप्पड़ मारे, गांड लाल हो गई, फिर चूत में लंड डालकर जोर-जोर से थोकने लगे, चपचप चपचप की आवाज आ रही थी, भाभी चीख रही थीं “आह उई तेज चोदो, अच्छा लग रहा है”, जीजा बोले “तेरा पति नहीं चोद पाता इसलिए गांड दिखाती है”, भाभी बोलीं “जोर से फाड़ दो भोसड़ा बना दो”, और दस मिनट बाद दोनों झड़ गए, आराम किया, जीजा चले गए.
अब मुझे भाभी की चुदाई की सनक सवार हो गई, चूत का रस पीने का मन था, दो दिन कुछ नहीं हुआ, फिर मैंने व्हाट्सएप पर पोर्न वीडियो भेज दिया, और एक घंटे बाद भाभी का मैसेज “क्या भेजे हो दिमाग खराब है”, मैं बोला “जब से जीजा के साथ चुदाई देखी तब से मेरा खराब है, मुझे भी लेनी है”, भाभी बोलीं “शर्म नहीं, मम्मी को बता दूंगी”, मैं बोला “मैं भैया को बता दूंगा जीजा रोज ले रहे हैं”, भाभी नरम पड़ीं “ये सही नहीं, तुम छोटे हो”, मैं बोला “लंड खड़ा हो जाए तो बाप बन सकता है, तुम्हें भी हवस है मुझसे पूरी कर लो”, भाभी बोलीं “ठीक है एक बार”, मैं बोला “कब”, बोलीं “कल सुबह भैया जाने के बाद”.
रात मैंने दो बार मुठ मारी, सुबह कॉलेज नहीं गया, भैया 9:30 पर गए, मैं 15 मिनट बाद नीचे पहुंचा, और भाभी किचन में सफेद नाइटी में थीं, बाल खुला, लिपस्टिक अभी भी डार्क रेड लगी हुई थी, मैंने पीछे से आकर उनकी कमर पकड़ी और चूची पर हाथ रखकर जोर से दबाया, भाभी चौंकीं और किचन काउंटर पर झुक गईं, उनका गर्म बदन मेरे लंड से टच हो रहा था, मैंने कान में फुसफुसाया “भाभी आज तुम्हारी चूत की सारी गर्मी निकाल दूंगा, जीजा से ज्यादा मज़ा दूंगा”, वो कसमसाईं “दर्द हो रहा है छोड़ो, कोई देख लेगा”, लेकिन उनकी सांसें तेज हो रही थीं और चूत पर हाथ फेरते ही पता चला कि वो पहले से ही गीली हो चुकी थीं, मैंने नाइटी ऊपर सरकाई, पैंटी में हाथ डाला और क्लिट पर उंगली रगड़ते हुए बोला “देखो कितनी गीली हो गई हो, जीजा के लंड की याद आ गई क्या, या अब मेरे मोटे लंड का इंतज़ार है”, भाभी ने आंखें बंद कर लीं और हल्के से सिसकारी “उफ्फ नहीं, बस एक बार ही, जल्दी करो”.
मैंने उन्हें दीवार से सटा दिया, नाइटी ऊपर उठाकर चूचियां बाहर निकालीं, ब्रा नहीं थी, टाइट चूचियां उछलकर बाहर आईं और निप्पल पूरी तरह खड़े हो चुके थे, मैंने एक चूची मुंह में लेकर चूसने लगा, जीभ से निप्पल घुमाते हुए, दूसरी को उंगलियों से मसल रहा था, भाभी की सांसें उखड़ रही थीं, वो मेरे बालों में हाथ फेरते हुए बोलीं “आह धीरे, निशान पड़ जाएंगे, पार्लर में ग्राहक पूछेंगे”, मैंने काटते हुए बोला “आज पूरे निशान बनाऊंगा तुम्हारी मालकिनी चूत पर, सबको पता चल जाएगा कि तुम कितनी रंडी हो”, और फिर नीचे झुका, नाइटी पूरी ऊपर की, पैंटी नीचे सरकाई, भाभी की गोरी जांघें कांप रही थीं, मैंने घुटनों पर बैठकर उनकी चूत को सूंघा, हल्की सी मस्की गंध आ रही थी, बाल ट्रिम्ड थे, मैंने जीभ से क्लिट पर हल्का सा टच किया, भाभी की कमर उछल गई “उई मां, क्या कर रहे हो, गंदा है”, मैंने दोनों हाथों से जांघें पकड़कर चूत चाटनी शुरू की, जीभ अंदर-बाहर करते हुए, चपचप चपचप की आवाज किचन में गूंज रही थी, भाभी का रस मुंह में आ रहा था, वो मेरे सिर को दबाते हुए बोलीं “आह उफ्फ ऐसा किसी ने नहीं किया, जीजा भी नहीं, चोदो प्लीज अब बर्दाश्त नहीं, मेरी चूत फट जाएगी”.
मैं खड़ा हुआ, पैंट खोली, मेरा लंड पूरा खड़ा था, सात इंच का मोटा, नसें फूली हुई थीं, भाभी ने देखकर आंखें फैलाईं “ये तो जीजा से भी मोटा है, कहां घुसाएगा”, मैंने उनका हाथ लंड पर रखा, वो सहलाने लगीं, ऊपर-नीचे, मैंने उनका हाथ पकड़कर तेज किया, फिर उन्हें बेडरूम ले गया, रास्ते में नाइटी पूरी उतार दी, भाभी पूरी नंगी चल रही थीं, चूचियां उछल रही थीं, मैंने उन्हें बेड पर धकेला, खुद नंगा होकर ऊपर चढ़ गया, पहले चूचियां चूसता रहा, निप्पल काटता, भाभी की पीठ पर खरोंचें पड़ने लगीं, वो मेरे कंधों पर नाखून गड़ा रही थीं, फिर मैं नीचे सरका, पैर फैलाए, चूत पर लंड रगड़ा, भाभी की चूत से रस टपक रहा था, मैंने सुपारा क्लिट पर रगड़ा, भाभी तड़प उठीं “आह डालो अब, फाड़ दो, रंडी बना दो मुझे”, और मैंने लंड चूत पर सेट किया, एक जोरदार झटका, आधा अंदर गया, भाभी चीखीं “आह मर गई, धीरे, टाइट है”, चूत टाइट थी, मैं रुका, फिर धीरे-धीरे अंदर-बाहर, चपचप फचफच की आवाज आने लगी, भाभी की चूत लंड को निचोड़ रही थी, मैंने स्पीड बढ़ाई, भाभी की चूचियां उछल रही थीं, मैंने उन्हें दबाया, भाभी सिसकार रही थीं “आह आह उई मज़ा आ गया, और जोर से, पति कभी ऐसा नहीं करता, फाड़ दो मेरी चूत”.
मैंने बाल पकड़कर खींचे, कमर पर थप्पड़ मारा, भाभी और गर्म हो गईं “हां रंडी बना दो मुझे, रोज चोदना, जीजा से बेहतर हो तुम”, और बीस मिनट मिशनरी में पेलता रहा, भाभी दो बार झड़ीं, चूत से रस बह रहा था, बेड गीला हो गया, मैंने उन्हें घोड़ी बनाया, गांड ऊपर, मैंने गांड पर थप्पड़ मारे, लाल हो गई, लंड पीछे से डाला, फचाक फचाक की आवाज, भाभी की गांड हिल रही थी, मैंने कमर पकड़कर जोर-जोर से थोका, भाभी चीख रही थीं “आह उई फाड़ दो, भोसड़ा बना दो, जीजा से बेहतर चोदते हो”, मैंने गांड में उंगली डाली, भाभी और पागल हो गईं, तीस मिनट तक घोड़ी में बजाया, पसीना दोनों का बह रहा था, बदन चिपचिपे, आखिर मैं झड़ा, भाभी भी साथ में, चूत से पैनी बाहर निकला, और फिर तीसरी बार भाभी को गोदी में उठाया, दीवार से सटाकर खड़े-खड़े पेला, भाभी की टांगें मेरी कमर पर लिपटी हुई थीं, चूचियां मुंह में, दस मिनट तक, भाभी थक गईं, बोलीं “बस अब नहीं, युवी को लाना है, पैर नहीं उठ रहे”, मैंने छोड़ा, भाभी लिपट गईं “रोज ऐसे चोदना, वादा, मेरी चूत सिर्फ तुम्हारी”.
बाद में कई बार चोदा, गांड मारी, लंड चुसवाया, भाभी की चूत एक लंड से संतुष्ट नहीं होती थी, दोस्त बुलाकर थ्रीसम भी किया, वो कहानी बाद में.
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