मेरा नाम अंकित शर्मा है। मैं 20 साल का हूँ, इंदौर में रहता हूँ और इंजीनियरिंग का स्टूडेंट हूँ। मेरा कद 5 फीट 10 इंच है, रंग गोरा, और बदन फिट, क्योंकि मुझे जिम जाना पसंद है। मैं थोड़ा शर्मीला हूँ, लेकिन दोस्तों के बीच मस्ती करने में माहिर। मेरी आँखें भूरी हैं, और लोग कहते हैं कि मेरी मुस्कान में कुछ बात है। ये कहानी मेरे पहले और अब तक के सबसे यादगार सेक्स अनुभव की है, जो मेरी आंटी निहारिका के साथ हुआ। निहारिका आंटी, उम्र करीब 40 साल, गेहुँआ रंग, मध्यम कद, और एक ऐसी बॉडी जो इस उम्र में भी टाइट और आकर्षक है। उनकी बड़ी-बड़ी आँखें और थोड़ा तेज़ मिजाज़ उन्हें और भी हॉट बनाता है। उनके कूल्हे भरे हुए, कमर पतली, और बूब्स इतने सॉलिड कि किसी का भी ध्यान खींच लें। आंटी का नेचर गुस्सैल है, लेकिन उनकी सेक्सी हंसी और चाल में कुछ ऐसा जादू है कि कोई भी उनके सामने बेकाबू हो जाए। उनके पति, मेरे अंकल राजेश, 45 साल के हैं, सरकारी नौकरी करते हैं, और दिखने में साधारण, लेकिन बहुत मेहनती। उनका बेटा राहुल, 18 साल का, मेरा छोटा भाई, दुबला-पतला, चुलबुला, और अभी-अभी बैंगलोर के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया है।
बात पिछले साल जुलाई की है, जब मुझे एक कॉम्पिटिटिव एग्जाम के लिए भोपाल जाना था। भोपाल में अंकल का घर है, तो मैंने सोचा वही रुकूँगा। मैंने शुक्रवार की ट्रेन बुक की और शनिवार सुबह भोपाल पहुँच गया। स्टेशन पर राहुल मुझे लेने आया था। वो अपनी बाइक पर मुझे घर ले गया। घर पहुँचते ही मैंने नहाया, और आंटी ने नाश्ता तैयार कर रखा था। नाश्ते के दौरान अंकल और आंटी ने मेरे घर-परिवार और पढ़ाई के बारे में पूछा। आंटी ने बताया कि राहुल का बैंगलोर के कॉलेज में एडमिशन हो गया है, और वो और अंकल उसी रात बैंगलोर के लिए निकल रहे हैं। नाश्ते के बाद मैंने राहुल की पैकिंग में मदद की। शाम को मैं, अंकल, और राहुल स्टेशन गए। उन्हें छोड़कर मैं रात को घर लौटा। आंटी ने खाना तैयार किया था, हमने साथ खाया, और फिर मैं राहुल के कमरे में सोने चला गया, क्योंकि अगले दिन मेरा एग्जाम था।
सुबह 6 बजे उठकर मैंने एग्जाम की तैयारी की और 8 बजे सेंटर के लिए निकल गया। दोपहर 1 बजे एग्जाम खत्म करके मैं घर लौटा। आंटी ने खाना परोसा और बोलीं, “बेटा, मुझे मार्केट जाना है, कुछ सामान चाहिए। अंकल की बाइक से ले चलो।” मैं थक गया था, तो मैंने मना कर दिया। आंटी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया, और वो बोलीं, “मार्केट चल रहे हो या नहीं?” उनके गुस्से को देखकर मुझे हाँ कहना पड़ा। आंटी तैयार होने लगीं, और मैंने जल्दी से खाना खत्म किया। आंटी ने नीली साड़ी पहनी थी, जो उनके जिस्म पर चिपककर उनकी हर एक कर्व को उभार रही थी। उनके बाल खुले थे, और वो बैग और छाता लेकर तैयार हुईं, क्योंकि जुलाई का मौसम था और बारिश का कोई भरोसा नहीं।
हम मार्केट पहुँचे, 3-4 दुकानों पर गए, और करीब दो घंटे बाद सामान खरीदकर घर के लिए निकले। आधे रास्ते में ही बारिश शुरू हो गई। आंटी ने छाता खोला, लेकिन तेज़ बारिश में वो बेकार था। रास्ता सुनसान था, और आसपास कोई रुकने की जगह नहीं थी। सिर्फ़ पेड़ ही पेड़ दिख रहे थे। मैंने बाइक की स्पीड बढ़ाई, लेकिन बारिश ने भी रफ्तार पकड़ ली। थोड़ा आगे जाने पर मुझे सड़क के किनारे एक पुरानी, टूटी-फूटी झोपड़ी दिखी। आंटी ने कहा, “बेटा, जल्दी वहाँ चलो, शायद बारिश से बचने की जगह मिल जाए।” मैंने बाइक साइड में लगाई, और हम भागकर झोपड़ी में पहुँचे। झोपड़ी पुरानी थी, उसका आधा छत टूटा हुआ, और दरवाज़ा भी नहीं था। लेकिन एक कोना ऐसा था, जहाँ बारिश से बचा जा सकता था।
हम वहाँ खड़े हुए, लेकिन बारिश और तेज़ हो गई। पाँच मिनट बाद ही एक कुत्ता और कुटिया भी झोपड़ी में घुस आए। मैं उन्हें भगाने गया, लेकिन कुत्ता जोर से भौंका और काटने को दौड़ा। आंटी ने कहा, “रहने दो, बेटा, बारिश में ये भी छिपने की जगह ढूंढ रहे हैं। भगाओगे तो काट लेंगे।” मैं उनकी बात मानकर वापस अपनी जगह खड़ा हो गया। शुरू में कुत्ता-कुटिया चुपचाप खड़े थे, लेकिन थोड़ी देर बाद कुत्ते ने कुटिया की गाँड और चूत सूँघनी शुरू कर दी। शायद उसे चुदाई का मन था। 10-12 मिनट तक सूँघने के बाद कुत्ता कुटिया पर चढ़ गया और हमारी आँखों के सामने उसकी चुदाई शुरू कर दी। कुटिया को भी मज़ा आ रहा था, वो बिना विरोध के कुत्ते के नीचे पड़ी थी। कुत्ते का लंड तेज़ी से कुटिया की चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और उनकी आवाज़ें—हल्की सिसकियाँ और गीलेपन की चप-चप—झोपड़ी में गूंज रही थीं।
ये देखकर आंटी का चेहरा शर्म से लाल हो गया, और मुझे भी अजीब-सी शर्मिंदगी महसूस हुई। मैंने फिर से कुत्तों को भगाने की कोशिश की, लेकिन इस बार दोनों भौंकने लगे। आंटी ने मुझे फिर से रोक लिया। हम दोनों एक-दूसरे से नज़रें नहीं मिला पा रहे थे, लेकिन बारिश की वजह से वहाँ रुकना मजबूरी थी। कुत्तों की चुदाई देखकर मेरा लंड धीरे-धीरे जींस के अंदर खड़ा होने लगा। आंटी की सेक्सी बॉडी और वो बारिश का माहौल मेरे दिमाग पर चढ़ रहा था। मैंने अपने लंड को हाथ से एडजस्ट करने की कोशिश की, तभी हवा के झोंके से बारिश की बूँदें हमारी तरफ़ आईं। आंटी और पीछे खिसक आईं, और उनकी गाँड मेरे लंड से जींस के ऊपर टच हो गई। उनकी गाँड का नरम, गर्म अहसास मेरे लंड को और बेकाबू कर गया।
शायद आंटी को भी मेरा लंड उनकी गाँड पर महसूस हुआ, क्योंकि वो फट से थोड़ा आगे खिसक गईं। हम आधा घंटा वहीँ खड़े रहे। कुत्तों की चुदाई अब अपने चरम पर थी। कुत्ता तेज़ी से धक्के मार रहा था, और कुटिया की सिसकियाँ तेज़ हो रही थीं। अचानक कुत्ता पलटा, शायद उसने अपना माल कुटिया की चूत में छोड़ दिया था, और उसका लंड कुटिया की चूत में फँस गया। ये देखकर हम दोनों से रहा नहीं गया। बारिश भी थोड़ी हल्की हो चुकी थी। आंटी ने कहा, “बेटा, अब चलो, घर चलते हैं।” हम बाइक पर बैठे और गीले-गीले घर पहुँचे।
घर पहुँचकर आंटी ने रात के खाने की तैयारी शुरू की, और मैं राहुल के कमरे में जाकर उसका कंप्यूटर ऑन करके गेम खेलने लगा। रात 8 बजे आंटी ने खाने के लिए बुलाया। हमने साथ में खाना खाया। खाने के बाद आंटी बर्तन साफ करने चली गईं, और मैं टीवी देखने बेडरूम में चला गया, क्योंकि घर छोटा था और टीवी वहीँ था। टीवी देखते-देखते मुझे नींद आ गई। रात को 12:30 बजे पेशाब करने की वजह से मेरी नींद खुली। मैंने देखा कि आंटी ने लाइट्स और टीवी बंद कर दिया था और वो मेरे बगल में उसी बेड पर सो रही थीं। शायद मेरी थकान देखकर उन्होंने मुझे डिस्टर्ब नहीं किया। बाहर ज़ोरों से बारिश हो रही थी, और बिजली कड़क रही थी।
मैं टॉयलेट से लौटकर फिर उसी बेड पर लेट गया। लेकिन अब नींद नहीं आ रही थी। कमरे में हल्की रोशनी थी। मेरे दिमाग में शाम की वो कुत्ते-कुटिया वाली चुदाई घूमने लगी। मेरा लंड फिर से गर्म होने लगा। मैंने आंटी की तरफ देखा। वो करवट लेकर सो रही थीं, उनकी पीठ मेरी तरफ थी। आंटी ने हल्के गुलाबी रंग का नाइट गाउन पहना था, जो उनके घुटनों से ऊपर खिसक गया था। उनकी गोरी, मांसल जांघें उस हल्की रोशनी में चमक रही थीं। बारिश की आवाज़, बिजली की कड़क, और आंटी की सेक्सी बॉडी ने मेरे दिमाग पर शैतान सवार कर दिया।
मैंने सुना था कि आंटी को बहुत गहरी नींद आती है। मैंने हिम्मत जुटाई और अपना लंड शॉर्ट्स से बाहर निकाला। धीरे से मैं आंटी के करीब खिसका। थोड़ा और हिम्मत करके मैंने उनका गाउन ऊपर खींचा, जो उनकी हिप्स तक आ गया। अब सिर्फ़ उनकी लाल पैंटी मेरे लंड और उनकी गाँड के बीच थी। मैंने हल्के से अपना टाइट लंड उनकी गाँड के क्रैक में पैंटी के ऊपर रखा। उनकी गाँड का नरम, गर्म टच मेरे लंड को और पागल कर गया। मैंने धीरे-धीरे लंड को उनकी गाँड पर रगड़ना शुरू किया। मेरा दिल ज़ोरों से धड़क रहा था। डर था कि अगर आंटी जाग गईं, तो मेरा क्या होगा।
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पाँच मिनट तक मैंने हल्के-हल्के धक्के मारे। तभी मुझे आंटी की हिप्स का हल्का मूवमेंट महसूस हुआ। मैं डर गया और एकदम रुक गया। लगा, शायद आंटी जाग गईं। लेकिन कुछ देर बाद भी कोई हलचल नहीं हुई। मैंने धीरे से अपना लंड शॉर्ट्स में डाला और पीछे खिसक गया। थोड़ी देर बाद आंटी ने करवट बदली। अब उनका चेहरा मेरी तरफ था। उन्होंने अपना बायाँ हाथ मेरे सीने पर रख दिया। मेरी हालत खराब हो गई। फिर 7-8 मिनट बाद उन्होंने अपना बायाँ पैर भी मेरे पैरों पर रख दिया। अब मुझे शक होने लगा कि आंटी सो रही हैं या जाग रही हैं।
मैंने उनके चेहरे को देखा, उनकी आँखें बंद थीं, और चेहरा बिना किसी भाव के शांत था। लेकिन उनका हाथ और पैर मेरे ऊपर रखना कुछ और कह रहा था। शायद आंटी भी वही चाहती थीं जो मैं चाह रहा था, लेकिन एक भारतीय औरत की तरह वो अपनी इच्छाओं को दबाकर चुप थीं। मैंने सोचा, अब चेक करना होगा। मैंने धीरे से अपना हाथ उनकी कमर पर रखा और उनकी कमर और हिप्स को सहलाने लगा। कोई रिएक्शन नहीं आया। मेरी हिम्मत बढ़ी। मैंने अपना हाथ ऊपर ले जाकर उनके बूब्स पर रखा और हल्के से दबाने लगा। आंटी अब भी चुप थीं। मैंने और जोर से उनके बूब्स मसलने शुरू किए। पाँच मिनट तक मैंने उनके बूब्स को मसला, और मुझे उनकी साँसें तेज़ होती महसूस हुईं। वो गहरी साँसें ले रही थीं। अब मेरा शक यकीन में बदल गया।
मैंने आंटी को अपनी बॉडी से चिपकाया, फिर उन्हें उनकी पीठ पर लिटाया और उनके ऊपर आ गया। इतना सब होने के बाद भी आंटी आँखें बंद किए चुप थीं। मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रखे और धीरे-धीरे किस करने लगा। कुछ देर बाद आंटी भी हल्के से किस में मेरा साथ देने लगीं, लेकिन उनका सोने का नाटक जारी था। मैं नीचे आया और उनके बूब्स को गाउन के ऊपर से चूसने और सहलाने लगा। फिर मैंने उनका गाउन ऊपर उठाया। आंटी ने अपनी हिप्स थोड़ा उठाकर मुझे मदद की। मैंने गाउन पूरी तरह उतार दिया। अब आंटी सिर्फ़ लाल ब्रा और पैंटी में थीं।
मैंने भी जल्दी से अपने सारे कपड़े उतारे और फिर उनके ऊपर आ गया। मैंने उनकी पीठ के नीचे हाथ डालकर उनकी ब्रा के हुक खोले और ब्रा उतार दी। उनके टाइट, नरम बूब्स मेरे सामने नंगे थे। मैंने एक बूब मुँह में लिया और दूसरे को हाथ से मसलने लगा। आंटी की सिसकियाँ शुरू हो गईं—ह्म्म… आह्ह… उम्ह। मैं नीचे आया और उनकी नाभि को चूमते हुए उनकी पैंटी तक पहुँचा। मैंने उनकी चूत को पैंटी के ऊपर से सूँघा। उसकी गर्म, मादक खुशबू मेरे दिमाग को सुन्न कर रही थी। मैंने पैंटी उतारने की कोशिश की, और आंटी ने फिर से अपनी हिप्स उठाकर मेरी मदद की।
अब उनकी चूत मेरे सामने थी। हल्के-हल्के बाल, गीली और गर्म। मैंने उस पर हाथ रखा, और मेरे पूरे शरीर में करंट-सा दौड़ गया। मैंने उनकी चूत को सहलाना शुरू किया। आंटी ने अपनी टाँगें और फैला दीं। मैंने एक उंगली उनकी चूत में डाली, जो आसानी से अंदर चली गई। मैंने उनकी चूत के होंठों को अलग किया और उंगली से उसे और उत्तेजित करने लगा। आंटी की सिसकियाँ तेज़ हो गईं। मैंने अपने होंठ उनकी चूत पर रखे और उसे चूसने लगा। तभी आंटी ने मेरे सिर को पकड़कर ऊपर खींच लिया। शायद उन्हें ओरल सेक्स पसंद नहीं था।
मैं फिर से ऊपर आया और उन्हें किस करने लगा। आंटी ने अपनी टाँगें और फैला दीं, जैसे कह रही हों कि अब शुरू करो। मेरा लंड उनकी चूत के द्वार पर था। मैंने धक्के मारने शुरू किए, लेकिन 3-4 कोशिशों में भी लंड अंदर नहीं गया। आंटी ने अपने घुटनों को मोड़ा, जिससे उनकी चूत का मुँह और खुल गया। फिर उन्होंने अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और उसे अपनी चूत के रास्ते पर रखा। उनके दोनों हाथ मेरी हिप्स पर थे, जैसे कह रही हों—धक्का मारो। मैंने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया।
उनकी चूत की गर्माहट और टाइटनेस ने मुझे स्वर्ग का अहसास कराया। उनकी चूत ने मेरे लंड को इस तरह जकड़ा जैसे वो उसे चूस रही हो। मैंने धीरे-धीरे अपनी हिप्स चलानी शुरू कीं। उनकी चूत की लिप्स मेरे लंड पर रगड़ रही थीं, और वो अहसास मुझे पागल कर रहा था। मैंने स्पीड बढ़ाई। आंटी की सिसकियाँ तेज़ हो गईं—आह्ह… ह्म्म… उम्ह। चूंकि ये मेरा पहला अनुभव था, मैं ज़्यादा देर नहीं टिक सका और 5 मिनट में ही उनकी चूत में झड़ गया।
मेरा लंड थोड़ा नरम हुआ, लेकिन आंटी ने मुझे अपनी बाहों और टाँगों से जकड़ रखा था। मैंने फिर से उन्हें किस करना शुरू किया और उनके बूब्स चूसने लगा। आंटी मेरे बालों और पीठ को सहला रही थीं। कुछ देर बाद मेरा लंड फिर से टाइट हो गया। आंटी ने अपनी हिप्स ऊपर-नीचे करना शुरू किया, जैसे कह रही हों कि फिर से शुरू करो। मैंने उनके रिदम के साथ अपनी हिप्स चलानी शुरू की। मैं अपने लंड को जितना हो सके उतना अंदर तक ले जाता और फिर बाहर खींचता। हर धक्के में मेरा लंड उनकी चूत की गहराई को छू रहा था। जैसे ही मेरा लंड उनकी चूत के आखिरी हिस्से को टच करता, आंटी की ज़ोरदार सिसकी निकलती—आह्ह्ह!
बाहर बारिश और बिजली की आवाज़ इस चुदाई के मज़े को दोगुना कर रही थी। हमारी चुदाई बिना रुके डेढ़ घंटे तक चली। आंटी की सिसकियाँ अब बहुत तेज़ हो गई थीं। वो जोर-जोर से “आह्ह… म्म्म… आन्न्ह” की आवाज़ें निकाल रही थीं। अचानक उनकी बॉडी अकड़ने लगी। उन्होंने मुझे अपनी पूरी ताकत से चिपकाया और एक ज़ोरदार “आह्ह्ह” के साथ झड़ गईं। मैं भी अब नहीं रुक सका। मैंने अपनी पूरी स्पीड से धक्के मारे, और मेरी गोटियों में जमा माल उनकी चूत की गहराई में छूट गया। उनकी चूत की मांसपेशियाँ मेरे लंड को इस तरह चूस रही थीं जैसे कोई भैंस के थन से दूध निकाल रहा हो। मेरा लंड बार-बार जटके खा रहा था, और माल निकलता रहा।
पाँच मिनट तक हम दोनों वैसे ही पड़े रहे। मैं उनके ऊपर था, और मेरा लंड उनकी चूत में। आंटी मेरे बाल, पीठ, और हिप्स को सहला रही थीं। धीरे-धीरे हम शांत हुए, और मुझे कब नींद लग गई, पता ही नहीं चला। सुबह 9 बजे मेरी आँख खुली। मैंने देखा कि मैं चादर ओढ़े नंगा था, और आंटी बेड पर नहीं थीं। शायद वो सुबह जल्दी उठ गई थीं। मैं उठा, कपड़े पहने, और बाथरूम गया। आंटी किचन में नाश्ता बना रही थीं। मैं फ्रेश होकर बाहर आया, तो आंटी ने मुझे चाय दी। हम एक-दूसरे से नज़रें नहीं मिला पा रहे थे। कुछ देर बाद आंटी ने किचन से आवाज़ लगाई, “बेटा, तुम्हारी ट्रेन कितने बजे है?” मैंने कहा, “3 बजे।” वो बोलीं, “लंच करके 2 बजे निकल जाना, रास्ते में देर न हो जाए। अब जाकर नहा लो।”
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मैं नहाने चला गया। दोपहर 2 बजे मैं बैग लेकर निकलने को तैयार था। आंटी ने कहा, “बेटा, संभलकर घर जाना।” मैं इंदौर वापस आ गया। उस रात के बाद मैं दो बार और उनके घर गया, लेकिन वैसा कुछ नहीं हुआ। ना आंटी ने उस रात के बारे में कुछ कहा, ना मैं हिम्मत कर पाया। ये था मेरा पहला सेक्स अनुभव, जो मेरे लिए जिंदगी का सबसे यादगार पल बन गया।