Bahen ki chudai uski saheli ke sath sex story – हेलो दोस्तों, मेरा नाम रतन है। मैं 22 साल का हूँ, 5 फुट 10 इंच का कद, गोरा रंग, और कॉलेज में पढ़ता हूँ। मेरी दीदी, जिनका नाम रीना है, 24 साल की हैं, 5 फुट 4 इंच की हाइट, 34-28-36 का फिगर, और उनकी गोरी त्वचा पर काले निप्पल्स इतने आकर्षक हैं कि किसी का भी मन डोल जाए। दीदी की एक सहेली है, मीरा, जो 23 साल की है, 5 फुट 1 इंच की हाइट, 32-28-36 का फिगर, और उसकी भूरी आँखें और गुलाबी होंठ उसे और भी सेक्सी बनाते हैं। मीरा और दीदी कॉलेज में साथ पढ़ती हैं और दोनों की दोस्ती इतनी गहरी है कि वो हर राज़ एक-दूसरे से शेयर करती हैं।
बात उस दिन की है जब मीरा दीदी से अपने मम्मी-पापा की चुदाई की बातें बता रही थी। उसने बताया कि कैसे एक दिन वो अपने बेडरूम में पढ़ रही थी कि अचानक उसे किचन से मम्मी की सिसकारियाँ सुनाई दीं—आआआह… उई माँ…! उत्सुकता में उसने धीरे से दरवाज़ा खोला तो देखा कि उसके पापा मम्मी को किचन की स्लैब पर बिठाकर उनकी चूत में अपना लंड पेल रहे थे। मम्मी की टाँगें हवा में थीं, और वो आँखें बंद करके मज़े में सिसक रही थीं। पापा ने मम्मी का ब्लाउज़ खोला भी नहीं था, बस उसे ऊपर उठाकर उनकी चूचियों को मुँह में ले लिया था। मीरा ने बताया कि मम्मी की गोरी जाँघें साफ दिख रही थीं, और पापा का लंड उनकी चूत में बार-बार अंदर-बाहर हो रहा था। मम्मी बार-बार कह रही थीं, “ज़रा धीरे… नीचे उतरो!” मीरा को लगा कि वो बाहर आ रहे हैं, तो उसने झट से दरवाज़ा बंद कर लिया।
लेकिन उत्सुकता ने उसे चैन न लेने दिया। उसके बेडरूम की खिड़की में एक छोटा सा सुराख था, जिससे किचन का पूरा नज़ारा दिखता था। उसने वहाँ से झाँका तो देखा कि पापा अब मम्मी की चूचियों को चूस रहे थे, और मम्मी की सिसकारियाँ अब और तेज़ हो गई थीं—आआआह… हाय… और ज़ोर से! ये सब देखकर मीरा की चूत में अजीब सी गुदगुदी होने लगी। उसका हाथ अपने आप उसकी चूचियों पर चला गया। वो धीरे-धीरे अपनी चूचियों को सहलाने लगी, और फिर उसकी उंगलियाँ उसकी चूत तक पहुँच गईं। उसने अपनी पैंटी में उंगली डाली और चूत को रगड़ना शुरू किया। पहले धीरे-धीरे, फिर ज़ोर-ज़ोर से। उसकी चूत इतनी गीली हो गई थी कि उसने उंगली से ही पानी छोड़ दिया। मज़ा इतना था कि उसका बदन काँप उठा।
ये बात सुनकर दीदी ने हँसते हुए कहा, “अगर ऐसा मज़ा चाहिए तो मेरे घर आ जा। हम दोनों मिलकर मस्ती करेंगे।” मीरा ने तुरंत हामी भरी और बोली, “आज शाम को मैं मम्मी से इजाज़त ले लूँगी। कहूँगी कि रीना के साथ प्रोजेक्ट के लिए रात को रुकना है।” मीरा पहले भी कई बार हमारे घर आ चुकी थी, तो उसकी मम्मी ने आसानी से इजाज़त दे दी। उसी दिन कॉलेज के बाद दीदी और मीरा हमारे घर आ गए। मैं उस वक्त घर पर नहीं था। जब मैं शाम को लौटा, तो देखा कि दीदी और मीरा मेरे बेडरूम में बैठी गप्पें मार रही थीं। मैंने सोचा, “हाय, आज तो सारा मज़ा चौपट हो गया!” मम्मी-पापा भी बाहर गए हुए थे, और घर में सिर्फ़ हम तीनों थे।
मैंने दीदी से पानी माँगा। जब दीदी किचन में गई, तो मैं भी पीछे-पीछे चला गया। मैंने पूछा, “दीदी, मीरा कब आई?” दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा, “वो मेरे साथ आई है, और आज रात यहीं रुकेगी।” मैंने मुँह बनाते हुए कहा, “हाय, आज तो मेरी सुहागरात का प्लान था, अब सब बेकार!” दीदी ने शरारती अंदाज़ में कहा, “चिंता मत कर, रतन। आज तुझे घरवाली और बाहरवाली, दोनों का मज़ा मिलेगा।” मैं हैरान होकर बोला, “क्या मतलब? मीरा को सब पता है?” दीदी ने हँसकर कहा, “नहीं, बेवकूफ! तू बस रात को जल्दी सोने का नाटक करना, बाकी मैं संभाल लूँगी।”
शाम को मम्मी-पापा का फोन आया कि वो बाहर से खाना लेकर आ रहे हैं। दीदी ने उन्हें मीरा के बारे में बताया और कहा कि वो भी प्रोजेक्ट के लिए रुकेगी। रात को हम सबने साथ में खाना खाया। करीब 9 बजे हम सोने चले गए। हमारा पलंग काफी बड़ा था, तो दीदी ने कहा, “रतन, मीरा भी हमारे साथ पलंग पर सोएगी। तुझे कोई दिक्कत तो नहीं?” मैंने मज़ाक में कहा, “कोई बात नहीं, सोने दो।” पलंग पर मैं एक किनारे लेट गया, दीदी बीच में, और मीरा दूसरे किनारे। लाइट बंद करके हम सो गए।
आधे घंटे बाद दीदी ने धीरे से मीरा से कहा, “रतन सो गया है, चल शुरू करते हैं।” दीदी को पहले से मालूम था कि सेक्स का मज़ा कैसे लिया जाता है, क्योंकि वो मेरे साथ कई बार मस्ती कर चुकी थी। उसने धीरे-धीरे मीरा की नाइटी ऊपर की और उसकी ब्रा-पैंटी में हाथ डाल दिया। मीरा सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में रह गई थी। दीदी ने उसके निप्पल्स को सहलाना शुरू किया। मीरा की साँसें तेज़ हो गईं, और वो आआआह… उई माँ… करने लगी। उसकी सिसकारियाँ सुनकर दीदी को भी जोश चढ़ने लगा। दीदी ने अपने चूतड़ मेरी तरफ रगड़ने शुरू किए। मैं समझ गया कि अब खेल शुरू हो चुका है।
मैंने झट से दीदी की तरफ मुँह किया और अपना लंड, जो पहले से खड़ा था, उनकी नाइटी के ऊपर से उनकी चूत पर रगड़ने लगा। दीदी ने चुपके से अपनी नाइटी ऊपर उठाई और पैंटी को थोड़ा सा साइड में सरकाया। मेरा 7 इंच का लंड उनकी गीली चूत में फिसलता हुआ पूरा अंदर चला गया। दीदी ने एक हल्की सी सिसकारी भरी—आआआह…! वो मीरा से चिपक गईं, और मीरा भी दीदी से लिपट गई। दीदी ने मीरा की ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियों को मसलना शुरू किया। मीरा की सिसकारियाँ और तेज़ हो गईं—आआह… रीना… और करो…!
तभी मीरा का हाथ दीदी की चूत पर गया, और उसे मेरा लंड महसूस हुआ। वो चौंककर बोली, “ये क्या डाल रखा है?” दीदी हँस पड़ीं और बोली, “यही तो असली मज़ा देता है, मेरी जान!” मीरा ने शरमाते हुए कहा, “तो मेरी चूत में भी डालो ना!” दीदी ने मज़ाक में कहा, “इसके लिए तो रतन को जगाना पड़ेगा।” मीरा घबरा गई और बोली, “क्या? रतन को?” दीदी ने हँसकर कहा, “हाँ, ये तो उसी का लंड है!” मैं भी हँस पड़ा और बोला, “मीरा, तू तो बड़ी नॉटी है। मैं शुरू से अपनी दीदी की चूत में लंड डाले पड़ा हूँ, और तू इधर खाली मज़े ले रही है!”
मीरा ने शरारती अंदाज़ में कहा, “रतन, तू तो बड़ा कमीना है! चल, अब मेरी बारी है।” मैंने दीदी की चूत से लंड निकाला और मीरा की तरफ खिसक गया। मीरा ने मेरी कमर पकड़ ली और मुझे अपनी तरफ खींच लिया। मैंने उसकी ब्रा के हुक खोले और उसकी गोरी चूचियाँ बाहर आ गईं। उसके निप्पल्स गुलाबी और कड़क थे। मैंने धीरे-धीरे उन्हें मसलना शुरू किया। मीरा की साँसें और तेज़ हो गईं—आआह… रतन… हाय…! मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी। उसकी चूत पूरी तरह गीली थी, और उसका दाना उभरा हुआ था। मैंने अपनी उंगली से उसकी चूत के दाने को सहलाया। मीरा का बदन सिहर उठा, और वो बोली, “रतन… बस कर… अब डाल दे…!”
इधर दीदी मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूस रही थी। उसने मेरे लंड को पूरा गीला कर दिया था। मैंने मीरा को पलंग पर लिटाया और उसकी टाँगें चौड़ी कीं। उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड आसानी से अंदर चला गया। मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए—फच… फच…! मीरा की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं—आआआह… रतन… और ज़ोर से…! मैंने अपनी रफ्तार बढ़ाई, और हर धक्के के साथ उसकी चूचियाँ उछल रही थीं। मैंने एक हाथ से उसकी चूची पकड़ी और दूसरा निप्पल मुँह में लेकर चूसने लगा। मीरा का बदन काँप रहा था, और वो बार-बार कह रही थी, “हाय… रतन… मेरी चूत फाड़ दे…!”
करीब 15 मिनट तक मैंने मीरा की चूत में धक्के लगाए। फिर मैंने दीदी को बुलाया और उनकी चूत में लंड डाला। दीदी की चूत पहले से गीली थी, और मेरा लंड फचाक-फचाक की आवाज़ के साथ अंदर-बाहर होने लगा। दीदी की चूचियाँ मेरे सामने हिल रही थीं। मैंने उनके निप्पल्स को चूसा और उनकी जीभ को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। दीदी सिसक रही थीं—आआआह… रतन… मेरी चूत में आग लग रही है…! मैंने उनकी चूत को और ज़ोर से पेला। करीब 10 मिनट बाद दीदी ने पानी छोड़ दिया। उनकी चूत का पानी मेरे लंड पर लिपट गया था। मैंने झट से उनकी चूत पर मुँह लगाया और हर बूँद चाट ली। दीदी मस्ती में चिल्ला रही थीं—आआह… रतन… तू तो मेरी जान ले लेगा…!
दीदी थककर पलंग पर लेट गईं और बोलीं, “अब मीरा के साथ कर।” मीरा पहले से तैयार थी। उसने कहा, “रतन, मुझे कुतिया बनाकर चोद। मैंने इसके बारे में बहुत सुना है।” मैंने मीरा को पलंग पर घोड़ी बनाया। उसकी गोरी गाँड मेरे सामने थी। मैंने उसकी चूत पर थूक लगाया और अपना लंड धीरे से अंदर डाला। मीरा की सिसकारी निकली—आआआह… रतन… कितना मोटा है तेरा…! मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए—फच… फच…! मीरा अपने चूतड़ हिलाकर मेरे हर धक्के का जवाब दे रही थी। वो चिल्ला रही थी, “हाय… रतन… और ज़ोर से… मेरी चूत फाड़ दे…!” मैंने उसकी कमर पकड़ी और ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाए। उसकी चूचियाँ हवा में लटक रही थीं, और मैंने उन्हें पीछे से पकड़कर मसलना शुरू किया।
करीब 20 मिनट बाद मीरा ने इतना पानी छोड़ा कि पलंग गीला हो गया। वो हाँफते हुए बोली, “रतन… थोड़ा रुक… मेरी टाँगें दुख रही हैं।” मैंने उसे सीधा लिटाया और उसकी चूचियों को सहलाने लगा। उसका दाना अभी भी उभरा हुआ था। मैंने उसे उंगली से रगड़ा, और मीरा फिर से सिसकने लगी—आआह… राजा… बस कर… अब लंड डाल…! मैंने उसकी चूत में फिर से लंड डाला और धीरे-धीरे पेलना शुरू किया। मीरा नीचे से अपने चूतड़ हिला रही थी, जैसे कोई मशीन चल रही हो। उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं—आआआह… हाय… रतन… और ज़ोर से…!
आधे घंटे बाद मीरा फिर से झड़ गई। उसकी चूत से पानी बह रहा था, और वो कराहते हुए बोली, “रतन… थोड़ा दर्द हो रहा है।” मैंने कहा, “पहली बार है ना, थोड़ी तकलीफ़ तो होगी।” फिर मैंने दीदी को उठाया और उनके साथ शुरू हो गया। दीदी की चूचियाँ मेरे लिए हमेशा से जन्नत थीं। मैंने उनके निप्पल्स को चूसा, और वो काले जामुन जैसे कड़क हो गए। मैंने दीदी की चूत में लंड डाला और ज़ोर-ज़ोर से पेलना शुरू किया—फचाक… फचाक…! दीदी चिल्ला रही थीं—आआआह… रतन… मेरी चूत फाड़ दे…! मैंने उनकी जीभ चूसी, उनके निप्पल्स मसले, और उनकी चूत को बार-बार पेला।
दीदी ने फिर से पानी छोड़ा, और मैंने उनकी चूत का सारा पानी चाट लिया। दीदी निढाल होकर लेट गईं और बोलीं, “रतन… तूने तो जन्नत दिखा दी!” मैंने कहा, “दीदी, मेरा अभी बाकी है।” दीदी ने हँसकर कहा, “चल, अब मीरा तेरा पानी निकालेगी।” मैंने मीरा को अपनी बाँहों में उठाया। उसका वजन कम था, और वो मेरे गले से लिपट गई। मैंने उसे पलंग पर लिटाया और उसकी चूत में फिर से लंड डाला। मीरा चिल्ला रही थी—आआह… रतन… तेरा लंड मेरी चूत में आग लगा रहा है…! मैंने उसे अलग-अलग पोज़ में चोदा—पहले घोड़ी बनाकर, फिर उसकी टाँगें अपने कंधों पर रखकर। हर धक्के के साथ उसकी चूचियाँ उछल रही थीं।
करीब एक घंटे बाद मीरा थक गई और बोली, “रतन… बस… अब और नहीं!” दीदी ने मेरा लंड अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। वो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थीं जैसे कोई लॉलीपॉप हो। मैंने उनकी चूचियाँ मसलीं, और 20 मिनट बाद मेरा वीर्य छूट गया। दीदी ने मेरे वीर्य की हर बूँद पी ली। मीरा ये सब देख रही थी और बोली, “हाय… ये तो कुछ छूटा ही नहीं!” दीदी ने हँसकर कहा, “सब मेरे पेट में चला गया!” फिर दीदी और मीरा दोनों मेरे लंड को बारी-बारी से चूमने लगीं। तभी घड़ी का अलार्म बजा, और हमने देखा कि सुबह के 4 बज चुके थे। पापा के उठने का टाइम हो गया था। हमने जल्दी से कपड़े पहने और सही ढंग से सो गए।
उस रात के बाद जब भी मौका मिला, हमने खूब चुदाई की। मीरा और दीदी दोनों मेरे साथ मस्ती करती थीं, और हर बार नया मज़ा आता था।
दोस्तों, आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी? नीचे कमेंट करके ज़रूर बताएँ!