नमस्ते मेरे दोस्तों, आप सब ठीक-ठाक हैं ना? मेरा नाम दिनेश काश है, उम्र 21 साल, और मैं चुदाई की कहानियों का जबरदस्त शौकीन हूँ। मुझे देसी चोदा-पेली की फिल्मों से कहीं ज्यादा मज़ा इन कहानियों को पढ़ने में आता है, खासकर जब वो सच्ची और देसी हों। आज मैं आपके साथ एक ऐसी घटना शेयर करने जा रहा हूँ, जो 12 अगस्त को मेरे साथ हुई और मेरे दिमाग से उतर ही नहीं रही। ये कहानी सौ फीसदी सच्ची है, और मैं इसे अपनी पुरानी यादों की तरह आपके सामने रख रहा हूँ। मेरी छोटी बहन प्रियंसी, उम्र 19 साल, एकदम गजब का माल है। ना जाने कब से मैं उसे देखकर तड़पने लगा। उसकी हर अदा, उसका हर अंग मेरे दिलो-दिमाग पर छा गया है, लेकिन मैं उसे जरा भी नहीं जताता कि मेरे मन में उसके लिए चुदाई की आग भड़क रही है। अगर वो मुझे मिल जाए, तो मुझे दुनिया की कोई और चीज़ नहीं चाहिए। शायद आप समझ रहे होंगे कि भाई-बहन के बीच ये छुपी हुई इच्छा कितनी गहरी होती है।
मैंने कभी इस रास्ते पर कदम नहीं बढ़ाया। मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, और सच कहूँ तो मैं लड़कियों के मामले में थोड़ा कच्चा हूँ। लेकिन मोटी गांड वाली लड़कियों का जलवा, दोस्तों, वो तो बस लाजवाब है! प्रियंसी की नाभि, उसके गोरे-गोरे, रसीले बूब्स, उसकी उभरी हुई छाती, उसकी पतली कमर, और वो भारी-भरकम गांड – सब कुछ मेरे दिमाग में एक हसीन तस्वीर बनाकर बस गया है। हर रात मैं उसके नाम की मुठ मार लेता हूँ। वो भी इस उम्र में दिन-ब-दिन और सेक्सी होती जा रही है। मैंने सोचा, क्यों ना उससे खुलकर बातें शुरू करूँ, ताकि उसकी पसंद-नापसंद का पता लगे। उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं था, और मुझे लगा कि ये मौका मुठ मारने से कहीं बढ़कर है। मैंने एक फेक आईडी बनाई और उसे सेक्सी कहानियाँ मेल करने लगा – कभी लेस्बियन, कभी देसी चुदाई वाली। मुझे नहीं पता था कि वो पढ़ती है या नहीं, बस मैं ये जानना चाहता था कि वो भाई-बहन की चुदाई के बारे में क्या सोचती है। लड़कियाँ कितनी चुदक्कड़ होती हैं, दोस्तों, ये तो आप भी मानेंगे!
मैं उसकी पैंटी और ब्रा सूंघकर मुठ मारने लगा। जब भी वो बाथरूम में अपनी पैंटी या ब्रा छोड़ देती, उनकी खुशबू मुझे पागल कर देती। उसकी गंध मेरे अंदर आग लगा देती थी। मैं उससे खुलकर बातें करने लगा, कभी-कभी उसे गले लगाता, ताकि उसके बूब्स का नरम अहसास ले सकूँ। मैं उसे अपनी बाइक पर घुमाने ले जाता, और जब वो पीछे बैठती, उसके बूब्स मेरी कमर से टकराते। “आह्ह…” मेरा लंड तुरंत तन जाता। मैं एक नंबर का चोदू हूँ, दोस्तों, चुदाई का कोई मौका नहीं छोड़ता। एक दिन, बाइक पर घूमते वक्त उसने मुझे एक जनरल स्टोर के बाहर रुकने को कहा। बोली, “भैया, 15 मिनट रुको, मैं अभी आती हूँ।” मैंने ज्यादा नहीं सोचा, लेकिन बाद में पता चला कि वो नई ब्रा और पैंटी खरीदने गई थी। दो-तीन दिन बाद बाथरूम में उसकी नई पैंटी और ब्रा पड़ी थीं। मैंने उन्हें सूंघा, और मेरा लंड इतना सख्त हुआ कि मैंने तुरंत मुठ मार ली। क्या गर्मी थी, दोस्तों!
धीरे-धीरे मुझे एहसास हुआ कि वो भी मेरी तरफ खिंच रही है। एक दिन मेरी फेक आईडी पर उसका जवाब आया कि उसे ऐसी चुदाई की कहानियाँ बहुत पसंद हैं। मेरा लंड तो सुनते ही खड़ा हो गया। अब मुझे यकीन था कि उसे फंसाने में मज़ा आएगा। लेकिन सवाल ये था कि उसे अपनी तरफ कैसे लाऊँ? मेरी फेक आईडी से उसे लगता था कि कोई लड़की उसे स्टोरी भेज रही है। एक दिन, जब वो स्कूल में थी और ऑनलाइन दिखी, मैंने फेक आईडी से चैट शुरू की। उसने खुलकर बताया कि वो अपने भाई के साथ चुदाई करना चाहती है। दोस्तों, मेरा लंड तो तन गया, लेकिन डर भी लग रहा था। अगर मैं सीधे पूछूँ, तो वो क्या सोचेगी? मैं शर्मीला हूँ, और डर था कि कहीं वो गुस्सा ना हो जाए।
फिर मैंने दिमाग लगाया। मेरे एग्जाम चल रहे थे। मैंने उससे कहा, “प्रियंसी, मुझे सुबह 6 बजे उठा देना।” वो रोज़ सुबह जल्दी उठकर मम्मी के साथ किचन में काम करती थी और एक्सरसाइज भी करती थी। मैंने भी अलार्म लगाया और सुबह जल्दी उठ गया। मैं उसके बारे में सोचने लगा – उसकी गोरी जाँघें, उसकी भारी गांड – और मेरा लंड खड़ा हो गया। मैं इंतज़ार करने लगा कि वो मुझे उठाए, और शायद मेरा तना हुआ लंड देख ले। थोड़ी देर बाद वो आई। मैंने नींद का नाटक किया। मैं ज़मीन पर गद्दा बिछाकर सोता हूँ, और वो बेड पर। वो झुककर मुझे उठाने लगी, और उसकी गोरी, उभरी हुई छाती मेरे सामने थी। “आह्ह…” मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने “गलती से” उसके बूब्स पर हाथ रख दिया। उसने कोई विरोध नहीं किया। फिर मैंने उसका हाथ अपने लंड पर छुआ दिया। उसने फिर भी कुछ नहीं कहा। मुझे लगा, बस, अब एक दिन तो मैं इसे चोद ही लूँगा। लेकिन शर्मीलापन और एग्जाम का टेंशन था, तो ये सब रोज़ होने लगा। वो कुछ नहीं बोलती, और मैं “गलती से” उसके बूब्स छू लेता।
एग्जाम खत्म हुए। एक दिन उसने कहा, “भैया, आप आजकल लेट उठते हो। रोज़ सुबह जल्दी उठो।” मैं समझ गया कि उसे भी लंड की तलब लग रही है। मैंने पूछा, “क्यों, जल्दी उठकर क्या करूँ?” वो बोली, “एक्सरसाइज करो, मैं भी करती हूँ। या मॉर्निंग वॉक पर चलो।” मैंने कहा, “ठीक है, कल से तेरे साथ करूँगा।” वो हँसी और बोली, “और क्या करेगा मेरे साथ, भैया?” मैंने कहा, “क्या मतलब?” वो बोली, “मॉर्निंग वॉक पर तो चलेंगे ना?” मैंने हाँ कहा। अब रोज़ एक्सरसाइज के बहाने मैं उसे छूने लगा। कभी उसकी कमर पकड़ता, कभी उसकी बाँहों को सहलाता। वो भी मज़े ले रही थी।
एक दिन मम्मी को मौसी के यहाँ जाना पड़ा। पापा ऑफिस में थे। दूसरा शनिवार था, हमारी छुट्टी थी। प्रियंसी ने कहा, “उठो भैया!” मैंने कहा, “नहीं, आज आलस आ रहा है। तू भी सो जा।” वो बोली, “क्या, मैं यहीं तेरे पास सो जाऊँ?” मैंने कहा, “हाँ, क्यों नहीं?” उसने कहा, “मम्मी मौसी के यहाँ गई हैं, घर में कोई नहीं है।” मैंने मज़ाक में कहा, “तो अब खाना कौन बनाएगा, तू?” वो बोली, “क्या यार, आपको उठने से पहले भूख लग जाती है?” मैं ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा। फिर उसने पूछा, “भैया, और बताओ, क्या चल रहा है?” मैंने कहा, “कुछ नहीं, यार।” वो बोली, “भाई, जब मैं आपको उठाने आती हूँ, आपका सुबह-सुबह ऐसा क्यों खड़ा रहता है?” मैं चौंक गया, खुश हुआ, नर्वस हुआ, और गरम भी। सब कुछ एक साथ। मैंने कहा, “मुझे पेशाब आ रहा है,” और बाथरूम चला गया।
वापस आया तो उसने कहा, “आओ ना, मेरे साथ लेटो, कुछ बात करनी है।” मैं लेट गया। उसने पूछा, “मैं आपको कैसी लगती हूँ, भैया?” मैंने कहा, “तू बहुत अच्छी है। लेकिन तू ऐसा क्यों पूछ रही है?” वो बोली, “यार, आप बहुत शर्मीले हो। आपकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। मेरा भी कोई बॉयफ्रेंड नहीं है।” मैंने कहा, “हाँ, मेरी तो अभी तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं। लेकिन तेरा कोई बॉयफ्रेंड क्यों नहीं? तू तो दिखने में एकदम मस्त है।” वो हँसी और बोली, “भैया, आजकल अच्छे लड़के मिलते ही नहीं। सब गंदे हैं। मुझे आप जैसा अच्छा, केयरिंग लड़का चाहिए। आप कोई क्यों नहीं पटाते?” मैंने कहा, “हाँ यार, मैं तो शर्मीला हूँ।” मेरा लंड फिर से तन गया। उसने मेरा खड़ा लंड महसूस किया और मेरे गाल पर एक हल्का सा किस कर दिया। मैंने भी उसके माथे पर किस किया। वो बोली, “भैया, मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ। आप मेरा इतना ख्याल रखते हो।”
अब असली चुदाई की कहानी शुरू होती है। वो मेरे ऊपर लेट गई। मैं उसकी ब्रा और उसकी नरम, भारी गांड को पीछे से महसूस कर रहा था। उसने कहा, “भैया, अब शरमाओ मत। एक किस में ही आपका लंड खड़ा हो गया। प्लीज़ मुझे फिर से किस करो।” मैंने बिना सोचे उसके रसीले, गुलाबी होंठों को चूम लिया। “आह्ह…” उसकी सिसकारी निकली। उसके होंठ इतने नरम थे, जैसे मक्खन। मैंने उसके होंठों को चूसा, उसकी जीभ को अपनी जीभ से छेड़ा। “ऊम्म… भैया…” वो सिसकार रही थी। हम करीब 20 मिनट तक गीले-गीले किस करते रहे। मैं उसकी गांड को मसल रहा था, उसकी नरम, गोल गांड मेरे हाथों में पिघल रही थी। उसकी साँसें तेज़ थीं, “आह्ह… भैया… और चूसो मेरे होंठ…” मैंने उसकी गर्दन को चूमा, उसके कानों को हल्के से काटा। वो सिहर उठी, “आह्ह… भैया… ये क्या कर रहे हो…”
अचानक वो उठकर कोने में चली गई और रोने लगी। मैंने पूछा, “क्या हुआ, प्रियंसी? क्यों रो रही है?” वो बोली, “भैया, ये क्या हो गया? हमने क्या कर लिया? ये तो बहुत गलत है। सारी गलती मेरी है, मैंने आपको उकसाया।” मैंने उसे चुप कराते हुए कहा, “रो मत। अगर तुझे बुरा लग रहा है, तो कोई बात नहीं। लेकिन सच बताऊँ, वो सेक्सी कहानियाँ मैं ही भेजता था।” वो चौंक गई, “क्या? भैया, तुम पागल हो!” मैंने कहा, “माफ कर दे। वैसे, किस कैसा था?” वो हँस पड़ी और मेरी गोद में कूदकर फिर से किस करने लगी। इस बार और जोश था। उसने मेरी टी-शर्ट खींचकर उतार दी, और मैंने उसका टॉप उतार दिया। वो ब्रा में थी। दोस्तों, क्या माल लग रही थी! उसके 34D साइज़ के बूब्स ब्रा में उभरे हुए थे, जैसे दो रसीले, गोरे आम। मैंने फिर से उसे किस किया, उसकी जीभ को चूसा। वो बोली, “भैया, आपको सब आता है ना? चुदाई का पूरा तजुर्बा है?”
मैंने हँसकर कहा, “हाँ, मैंने ढेर सारी चोदा-पेली फिल्में देखी हैं।” वो बोली, “कंडोम है?” मैंने कहा, “अरे, उसकी क्या ज़रूरत? अभी तो बस मज़ा लेंगे।” मैंने उसकी ब्रा के हुक खोले। उसके बूब्स आज़ाद हो गए। दोस्तों, क्या नज़ारा था! गोरे, गोल, 34D साइज़ के बूब्स, और हल्के गुलाबी निप्पल्स। मैंने एक बूब्स को मुँह में लिया और चूसने लगा। “आह्ह… भैया… और चूसो…” वो सिसकार रही थी। मैंने दूसरे बूब्स को हाथ से दबाया, उसके निप्पल को उंगलियों से छेड़ा। “ऊम्म… भैया… कितना मज़ा आ रहा है…” मैंने करीब 15 मिनट तक उसके दोनों बूब्स को बारी-बारी चूसा, दबाया, और निप्पल्स को जीभ से छेड़ा। उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… भैया… मेरे बूब्स को और ज़ोर से दबाओ…” मेरा लंड लोवर में तंबू बना रहा था।
वो बोली, “भैया, अब आपका लंड दिखाओ ना, प्लीज़।” मैंने मज़ाक में कहा, “पहले तू अपनी चूत दिखा।” वो हँसी, “आप तो पूरी ज़िंदगी शर्मीले ही रहोगे। खुद ही देख लो।” मैंने उसकी पैंट उतार दी। उसकी गोरी, चिकनी जाँघें देखकर मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने उसके पैरों को चूमा, उसकी जाँघों को चाटा। उसकी गुलाबी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को सूंघा। “आह्ह…” वो सिहर उठी। मैंने पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को चाटा। “आह्ह… भैया… ये क्या कर रहे हो…” वो इतने में ही झड़ गई। उसकी पैंटी गीली हो गई। उसने कहा, “भैया, पैंटी उतारो, मेरा रस तो बाहर आ गया।” मैंने जोश में उसकी पैंटी फाड़ दी। उसकी चूत, दोस्तों, बिल्कुल गुलाबी, हल्के-हल्के बालों वाली। मैंने कहा, “प्रियंसी, अब तेरी चूत को चूसकर मज़ा लूँगा।” वो बोली, “चाटो भैया, मुझे कोई ऐतराज़ नहीं।”
मैंने उसकी चूत को चूसना शुरू किया। उसका रस नमकीन और मीठा था। “आह्ह… भैया… और तेज़…” मैंने उसकी चूत के दाने को जीभ से छेड़ा, और वो सिसकारने लगी, “ऊम्म… भैया… कितना मज़ा आ रहा है…” मैंने उसकी चूत को और गहराई से चाटा, मेरी जीभ उसके रस से भीग गई। वो मेरे बाल खींच रही थी, “आह्ह… भैया… मैं झड़ने वाली हूँ…” उसका शरीर काँपने लगा, और वो फिर से झड़ गई। “आह्ह… भैया… तुमने मेरी चूत का सारा रस पी लिया…” उसने मेरे सिर को अपनी जाँघों में दबा लिया। मैंने उसका सारा रस चाट लिया। फिर उसने कहा, “अब तुम्हारा लोवर उतारो।” मैंने कहा, “तू ही उतार दे।” उसने मेरा लोवर और अंडरवियर एक साथ खींच लिया। मेरा 6 इंच का लंड बाहर आ गया, हल्का गीला, और वीर्य टपक रहा था। उसने मेरे लंड को हाथ से सहलाया, और मैं तुरंत झड़ गया। मेरा वीर्य उसके बूब्स पर गिरा। उसने थोड़ा सा चाट लिया और बोली, “भैया, ये दोबारा कब खड़ा होगा?” मैंने कहा, “इसे मुँह में ले और ज़ोर-ज़ोर से चूस।”
उसने मेरा लंड मुँह में लिया। “स्लर्प… स्लर्प…” उसकी गर्म जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी। वो मेरे लंड को चूस रही थी, जैसे कोई लॉलीपॉप चूस रहा हो। “आह्ह… प्रियंसी… और चूस…” मैं सिसकार रहा था। दो मिनट में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। उसने कहा, “भैया, इसे मेरे बूब्स के बीच में दबाकर मालिश करो।” मैंने अपने लंड को उसके गोरे, रसीले बूब्स के बीच रखा और धक्के मारने लगा। “आह्ह… भैया… कितना मज़ा आ रहा है…” वो सिसकार रही थी। मैंने करीब 5 मिनट तक उसके बूब्स के बीच धक्के मारे। उसकी नरम, गर्म त्वचा मेरे लंड को रगड़ रही थी। वो बोली, “भैया, अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा। प्लीज़ अपने लंड को मेरी चूत में डालो।” मैंने कहा, “मुझसे भी कंट्रोल नहीं हो रहा। लेकिन तू वर्जिन तो नहीं है ना? खून तो नहीं निकलेगा?” वो बोली, “भैया, मेरी सील साइकिल एक्सिडेंट में टूट गई थी। खून नहीं निकलेगा।”
मैंने उसकी गीली चूत को फिर से चूसा। “आह्ह… भैया… बस अब डाल दो…” वो चिल्ला रही थी। मैंने कहा, “ऊपर आ, और मेरे लंड को अपनी चूत में ले।” वो मेरे ऊपर आ गई। उसकी टाइट चूत में मेरा लंड डालने में थोड़ी मुश्किल हुई। “आह्ह… भैया… दर्द हो रहा है…” वो चीखी। मैंने धीरे-धीरे धक्का मारा, और मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया। “आह्ह… ऊम्म… भैया… और अंदर…” उसकी चूत गीली थी, लेकिन इतनी टाइट कि मेरा लंड उसमें फंस सा गया। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “पच… पच…” चुदाई की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। “आह्ह… भैया… और तेज़…” वो सिसकार रही थी। मैंने स्पीड बढ़ा दी। “पच… पच… पच…” उसकी चूत का रस मेरे लंड पर लिपट रहा था। वो चिल्ला रही थी, “भैया… चोदो मुझे… और ज़ोर से…” मैंने उसे पलटा और डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू किया। उसकी भारी गांड मेरे सामने थी। मैंने उसकी गांड पर एक चपत मारी। “आह्ह… भैया… और मारो…” वो चीखी।
मैंने एक हाथ से उसकी कमर पकड़ी और तेज़-तेज़ धक्के मारे। “थप… थप… पच… पच…” उसकी चूत का रस मेरे लंड को और फिसलन दे रहा था। “आह्ह… भैया… मैं झड़ने वाली हूँ…” उसका शरीर काँपने लगा, और वो फिर से झड़ गई। “आह्ह… भैया… तुमने मेरी चूत का भोसड़ा बना दिया…” मैंने और तेज़ धक्के मारे। “पच… पच… थप… थप…” मैंने उसकी गांड को दोनों हाथों से पकड़ा और ज़ोर-ज़ोर से चोदा। “आह्ह… प्रियंसी… तेरी चूत कितनी टाइट है…” वो बोली, “भैया… और चोदो… मेरी चूत को फाड़ दो…” मैंने उसे फिर से पलटा और मिशनरी स्टाइल में चोदना शुरू किया। उसकी गोरी जाँघें मेरे कंधों पर थीं। मैंने उसके बूब्स को दबाते हुए धक्के मारे। “आह्ह… ऊम्म… भैया… और ज़ोर से…” उसकी सिसकारियाँ और तेज़ हो गईं। “पच… पच… पच…” मैंने उसकी चूत में और गहराई तक धक्के मारे।
“आह्ह… भैया… मैं फिर से झड़ रही हूँ…” उसका शरीर काँपने लगा, और वो तीसरी बार झड़ गई। मैंने कहा, “प्रियंसी, अब मेरा होने वाला है।” वो बोली, “भैया, मेरी चूत में ही झड़ जाओ।” मैंने और तेज़ धक्के मारे, और मेरा वीर्य उसकी चूत में छूट गया। “आह्ह… ऊम्म…” हम दोनों पसीने से तर थे। मैंने उसे अपनी बाहों में लिया, और हम बिस्तर पर लेट गए। वो बोली, “भैया, ये गलत था, लेकिन इतना मज़ा आया कि मैं कभी नहीं भूलूँगी।”
दोस्तों, ये थी मेरी और प्रियंसी की चुदाई की कहानी। आपको कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसी गर्मागर्म चुदाई का मज़ा लिया है? कमेंट में ज़रूर बताएँ!
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