Nand sex story – Pahli chudai sex story: मैं जॉयदीप हूँ। वो दिन मेरी जिंदगी का सबसे यादगार पल बन गया—जब मैं अपनी बहन के घर गया था। मेरी बहन रिया शादीशुदा थी, उसका घर दिल्ली के एक शांत इलाके में। मैं वहाँ कुछ दिनों के लिए रुका था, काम के सिलसिले में। लेकिन वो घर मुझे एक ऐसी रात दे गया, जो मैं कभी नहीं भूल सकता।
मेरी बहन की ननद, यानी उसकी पति की बहन, नाम था प्रिया। प्रिया 22 साल की थी, एकदम जवान, गोरी-चिट्टी, लंबे बालों वाली, और उसकी आँखों में एक मासूम सी चमक थी जो मुझे पहली नजर में ही आकर्षित कर गई। वो कॉलेज की छात्रा थी, घर में रहकर पढ़ाई करती थी। हम दोनों की उम्र में ज्यादा फर्क नहीं था—मैं 25 का था—और शायद यही वजह थी कि हमारी बातचीत जल्दी ही दोस्ताना हो गई।
पहले दिन तो सब सामान्य था। बहन और जीजाजी काम पर चले जाते थे, और मैं घर में प्रिया के साथ अकेला रहता। हम साथ में चाय पीते, टीवी देखते, और हल्की-फुल्की बातें करते। लेकिन दूसरे दिन शाम को, जब बारिश हो रही थी, कुछ ऐसा हुआ जो सब बदल गया। मैं बालकनी में खड़ा बारिश देख रहा था, ठंडी हवा मेरे चेहरे पर लग रही थी, और तभी प्रिया आई।
वो सफेद टॉप और शॉर्ट्स में थी, उसके बाल गीले थे जैसे वो अभी नहाकर आई हो। “भैया, क्या सोच रहे हो?” उसने मुस्कुराते हुए पूछा। मैंने मुड़कर देखा, और उसकी आँखों में एक अलग सी चमक थी। “कुछ नहीं, बस बारिश का मजा ले रहा हूँ,” मैंने कहा, लेकिन मेरी नजर उसके गीले होंठों पर अटक गई।
हम बात करने लगे, लेकिन मेरी नजरें उसके गीले बालों से टपकती बूंदों पर अटक गईं, जो उसके सफेद टॉप को पारदर्शी बना रही थीं, उसके निप्पल्स की हल्की आउटलाइन दिख रही थी जो मुझे पागल कर रही थी, मन में सोचा—ये गलत है, वो तेरी बहन की ननद है, लेकिन उसकी मुस्कान इतनी मासूम और उत्तेजक थी कि मैं खुद को रोक नहीं पाया। धीरे-धीरे वो मेरे करीब आ गई, बारिश की बूँदें बालकनी में छींटे मार रही थीं, ठंडी हवा हमारी त्वचा पर सरसराती हुई हमें और पास खींच रही थी, उसकी सांसों से आने वाली गर्माहट मेरे गाल पर लग रही थी, और उसकी खुशबू—नहाने के बाद की ताजा साबुन की मिली हुई उसकी प्राकृतिक मादक गंध—मुझे मदहोश कर रही थी। “भैया, आप बहुत हैंडसम हो,” उसने शरमाते हुए कहा, उसकी सांसें तेज हो गईं, उसकी छाती ऊपर-नीचे हो रही थी जैसे वो भी इस आकर्षण को महसूस कर रही हो। मैं हैरान था, लेकिन मेरे दिल में एक जंग छिड़ गई—इच्छा की आग जो मेरे लिंग को सख्त कर रही थी—”प्रिया, तुम भी बहुत खूबसूरत हो, इतनी कि मैं खुद को रोक नहीं पा रहा,” मैंने कहा और अनजाने में मेरा हाथ उसके कंधे पर रख दिया, उसकी त्वचा इतनी गर्म और नरम थी कि मेरी उंगलियां खुद-ब-खुद उसकी गर्दन की ओर सरकने लगीं।
वो नहीं हटी, बल्कि और करीब आ गई, उसकी गर्म साँस मेरे गाल पर लगी, और मैंने महसूस किया कि उसका शरीर कितना नरम और उत्तेजक है। “क्या मैं तुम्हें छू सकता हूँ?” मैंने धीरे से पूछा, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि कुछ जबरदस्ती हो। “हाँ भैया… प्लीज,” उसने फुसफुसाते हुए कहा, उसकी आँखें बंद हो गईं। मैंने उसकी गर्दन पर अपना मुँह रखा, हल्के से चूमा, उसकी त्वचा का स्वाद हल्का नमकीन था, जैसे बारिश की बूंदों से मिला हुआ, और वो सिहर उठी, “ओह… जॉयदीप… ये इतना अच्छा लग रहा है,” उसने सिसकारी ली, उसके हाथ मेरी कमीज पकड़ने लगे। मैंने धीरे-धीरे उसके कंधे से हाथ नीचे सरकाया, उसके कमर को सहलाया, उसकी पीठ पर उंगलियाँ फेरते हुए, और वो मेरे सीने से सट गई, उसकी सांसें मेरी छाती पर लग रही थीं, गर्म और तेज।
हम कमरे में चले गए, जहाँ लाइट्स धीमी थीं और बाहर बारिश की आवाज आ रही थी। मैंने उसे बिस्तर पर बिठाया और धीरे से उसके गाल पर हाथ फेरा, उसकी त्वचा इतनी मुलायम थी जैसे रेशम। मैंने उसके होंठों पर अपना होंठ रखा, और वो पहला चुंबन इतना मीठा था कि मेरी सारी इंद्रियाँ जाग गईं, उसकी जीभ मेरी जीभ से मिली, गर्म और गीली, और हम दोनों की साँसें मिलकर एक हो गईं। “प्रिया, क्या तुम सच में चाहती हो ये? मैं तुम्हारी चूत में अपना लंड डालूं?” मैंने रुककर फुसफुसाया, मेरी सांसें उसकी गर्दन पर लग रही थीं। “हाँ जॉयदीप… पहली बार है, लेकिन तुम्हारे साथ—तुम्हारा मोटा लंड मुझे चोदे, प्लीज… मैं गीली हो चुकी हूँ तुम्हारे लिए,” उसने शरमाते हुए कहा, उसकी आवाज कांपती हुई, आँखों में इच्छा की चमक थी।
मैंने धीरे से उसका टॉप ऊपर किया, और उसके स्तनों को देखा—गोल, उभरे हुए, गुलाबी निप्पल्स जो सख्त हो चुके थे। मैंने उन्हें सहलाया, उँगलियों से दबाया, और प्रिया की सिसकारी निकल गई, “आह… जॉयदीप…” उसने मोआन किया, उसकी पीठ झुक गई। मैंने अपना मुँह उसके एक स्तन पर रखा, जीभ से चाटा और चूसा, उसका स्वाद नमकीन और मीठा था, और उसकी साँसें तेज हो गईं। दूसरे स्तन को हाथ से मसलते हुए, मैंने निप्पल को उंगलियों से घुमाया, हल्का खींचा, और वो सिसक उठी, “ओह्ह… जॉयदीप… चूसो इन्हें जोर से, मुझे दर्द और मजा दोनों चाहिए,” उसने फुसफुसाया, उसके हाथ मेरे बालों में उलझ गए। मैंने बारी-बारी से दोनों स्तनों को चाटा, चूसा, और काटा, उसकी त्वचा पर लाल निशान छोड़ते हुए, और वो कमर हिलाने लगी, जैसे इच्छा की आग में तड़प रही हो।
मेरे हाथ उसके शॉर्ट्स में घुस गए, और मैंने महसूस किया कि वो पहले से ही गीली हो चुकी थी। “तुम इतनी गर्म हो,” मैंने फुसफुसाया, और अपनी उँगलियाँ उसकी योनि पर फेरने लगा। वो काँप रही थी, उसकी टाँगें फैल गईं, और वो मेरे कंधे पकड़कर सिसक रही थी “ओह्ह… जॉयदीप… आह्ह… ह्ह्ह… इह्ह…” उसकी आवाज में दर्द और उत्तेजना का मिश्रण था लेकिन उत्साह साफ झलक रहा था। मैंने अपनी उँगलियाँ धीरे-धीरे उसकी योनि के होंठों पर फेरा, पहले बाहर से छेड़ते हुए, उसकी गीली चिकनाहट मेरी उँगलियों पर लग रही थी, उसकी मादक गंध—एक मीठी, मिट्टी जैसी सुगंध—कमरे में फैल रही थी जो मुझे और पागल बना रही थी, मन में सोचा—ये कितनी टाइट है, पहली बार की तरह, मैं इसे धीरे-धीरे खोलूंगा। फिर धीरे से एक उंगली अंदर डाली, उसकी दीवारें मेरी उंगली को जकड़ रही थीं, गर्म और स्पंजी, हर हलचल पर वो सिसकती ‘आऊ… ऊऊ… ऊउइ… जॉयदीप, प्लीज… और अंदर, धीरे मत करो,’ वो बोली, उसकी कमर ऊपर उठ रही थी, मैंने स्पीड बढ़ा दी, दो उंगलियां डालकर अंदर-बाहर करने लगा, उसके रस मेरी उँगलियों पर बहने लगे, चिपचिपे और गर्म, और वो जोर से काँपी, उसकी योनि की मांसपेशियां सिकुड़ रही थीं ‘उईईई… आह ह ह ह ह्हीईई… बस… नहीं रुकना!’ उसकी आवाज कमरे में गूँज रही थी, उसका पसीना उसके जांघों पर चमक रहा था।
फिर मैंने अपना मुँह उसकी योनि पर रखा, पहले जीभ से हल्के से चाटा, उसकी क्लिटोरिस को छेड़ा जो सख्त और सूजी हुई थी, मैंने उसे दाँतों से हल्का काटा और वो चीखी ‘ओह्ह… आह्ह… जॉयदीप… गी… गी… गों… इतना अच्छा लग रहा है, चाटो मुझे, पूरा खा जाओ!’ उसकी टाँगें मेरे सिर को दबा रही थीं, उसकी जांघों की गर्मी मेरे गालों पर लग रही थी, मैंने जीभ अंदर डालकर उसे खाया, घुमाकर हर कोने को छुआ, उसके रस का स्वाद मीठा और नमकीन था—एक नशीला अमृत—जो मुझे और उत्तेजित कर रहा था, मेरा लिंग दर्द कर रहा था रुकने की मिन्नत कर। मैंने जीभ से उसकी क्लिट को चूसा, उंगलियाँ अंदर डालकर मिलाकर, और वो तड़प उठी, “जॉयदीप… मैं नहीं सह पाऊंगी… आह्ह… ह्ह… ऊईईई… और चाटो, तुम्हारी जीभ जादू है!” उसकी आवाज में हल्की हँसी थी, जैसे मजा लेते हुए।
मैंने अपने कपड़े उतारे, और मेरा लिंग सख्त हो चुका था, उसे देखकर प्रिया की आँखें फैल गईं। “ये… इतना बड़ा, मोटा लंड,” उसने शरमाते हुए कहा, अपना हाथ उस पर रखा, ऊपर-नीचे सहलाते हुए, उसकी छुअन इतनी नरम थी कि मैं कराह उठा ‘आह… प्रिया… चूसो इसे, अपना मुंह भर लो मेरे लंड से,’ मैंने कमांडिंग टोन में कहा, और वो झुकी, पहले जीभ से टिप चाटी, फिर मुंह खोलकर अंदर लिया, ‘ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गी… गी… गोग… जॉयदीप, तुम्हारा स्वाद कितना नमकीन है, मैं पूरा गला उतारूंगी,’ उसने मुंह में लेते हुए हल्का गुनगुनाया, वो बचपन का गाना जो हमने पहले बात किया था, जो मेरे लंड पर कंपन पैदा कर रहा था, एक अनोखा सुख, “तेरा गुनगुनाना मुझे मार डालेगा,” मैंने कराहते हुए कहा, उसके बाल पकड़कर हल्का धक्का दिया।
वो थोड़ी देर चूसती रही, फिर मैंने उसे रोका क्योंकि मैं नहीं चाहता था जल्दी झड़ना। मैंने उसे लेटाया, उसके पैरों के बीच आया, और धीरे से अपना लिंग उसकी योनि पर रगड़ा, वो गीली थी, गर्म और तैयार। “क्या मैं अंदर डालूँ?” मैंने पूछा। “हाँ… प्लीज,” उसने कहा, उसकी आँखें बंद। मैंने धीरे से धक्का दिया, पहले सिर्फ टिप अंदर डाला, उसकी टाइट योनि की गर्मी मुझे घेर रही थी, दर्द और आनंद का मिश्रण उसकी चीख में—’आह इह्ह… ओह्ह… जॉयदीप… धीरे, लेकिन रुकना मत’—लेकिन वो नहीं रुकी, बल्कि अपनी कमर ऊपर उठाई, मुझे और अंदर खींचते हुए, उसकी योनि इतनी टाइट थी कि हर इंच पर आनंद की लहर दौड़ती थी, हमारी साँसें तेज, पसीना बह रहा था—उसकी पीठ पर चिपचिपा, मेरी छाती पर उसका मिश्रित—और कमरे में सिर्फ हमारी मोआनिंग, बारिश की थपथपाहट, और हमारे शरीरों की चपचपाहट थी। मन में सोचा—ये पाप है, लेकिन इतना मीठा कि मैं इसमें डूबना चाहता हूँ, पास ही टेबल पर रिया की फोटो थी, जो हल्की हिल रही थी हमारे धक्कों से, एक पल को अपराधबोध हुआ लेकिन वो इच्छा को और भड़का रहा था।
प्रिया की टाँगें मेरी कमर पर लिपट गईं और वो मेरे साथ ताल मिलाने लगी ‘जॉयदीप… तेज चोदो मुझे… आह… ह्ह्ह… इह्ह… ऊईईई, तेरे लंड ने मुझे पागल कर दिया, और जोर से पेलो!’ उसने सांस फूलते हुए कहा, और मैंने स्पीड बढ़ा दी, गहरे धक्के देते हुए। फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया, उसकी कमर पकड़ी, उसके गोल नितंबों को सहलाते हुए पीछे से धक्के दिए, हर थ्रस्ट पर उसके स्तन हिल रहे थे, मैंने उन्हें दबाया, निप्पल्स को मसलते हुए, बारिश की बूंदें खुली बालकनी से उसकी पीठ पर गिर रही थीं, ठंडी लेकिन हमारी गर्मी से भाप बन रही थीं, मैंने उन्हें चाटा, “ओह ! आह.. ह्ह्ह.. आऊ.. ऊऊ.. जॉयदीप, पीछे से इतना अच्छा लगता है, और जोर से! बारिश हमें आशीर्वाद दे रही है,” उसकी सिसकारियाँ तेज हो गईं, उसकी योनि मेरे लिंग को दूध रही थी, हल्की हँसी के साथ।
फिर मैंने उसे ऊपर बिठाया और वो मेरे लिंग पर बैठ गई, धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होने लगी, उसकी आँखें बंद, सिर पीछे झुका ‘आह ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह… जॉयदीप… इतना गहरा, तुम्हारा लंड मुझे भर रहा है’ उसकी आवाज में उत्तेजना थी और मैंने नीचे से धक्के दिए, उसके क्लिट को रगड़ते हुए, उसका शरीर काँप रहा था, उसके नाखून मेरी पीठ में गड़ रहे थे, खरोंचते हुए, और आखिरकार वो झड़ गई, उसकी योनि सिकुड़ती हुई, रस बहता हुआ, एक जोरदार सिसकारी के साथ ‘उईईई… आह्ह… ह्ह.. ओह्ह…! मैं आ रही हूँ, तुम्हारे लिए!’ उसने मेरे कंधे को काटते हुए कहा, वो काटना इतना उत्तेजक था कि मैं भी नहीं रुक सका।
मैं भी नहीं रुक सका और उसके अंदर ही झड़ गया, गर्म तरल उसकी योनि में भरते हुए। हम दोनों हाँफते हुए लेटे रहे, एक-दूसरे से लिपटे। “ये अद्भुत था,” उसने फुसफुसाया, और मैंने उसे चूमा। वो रात हमारी पहली थी, लेकिन हम दोनों जानते थे कि ये सिर्फ शुरुआत है
कहानी का अगला भाग: सगी दीदी ने नन्द को चोदते पकड़ा, फिर खुद चुद गई
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