अम्मा बुर चुदवाने लगी बेटे के लंड से

मेरा नाम समीर है, मेरी उमर 32 साल है। मैं दिखने में बिल्कुल अच्छा नहीं हूँ। काला, गंजा, पतला-दुबला सा, और हर तरह की बुरी आदतें मुझमें भरी पड़ी हैं—बीड़ी, शराब, और नशा। मेरा शरीर सूखा-सूखा सा है, लेकिन मेरा लंड बड़ा और मोटा है, शायद यही मेरी एकमात्र खासियत है। गाँव में लोग मुझे “काला साँड” कहकर चिढ़ाते हैं, पर औरतों को मेरा लंड हमेशा पसंद आता है। ये कहानी मेरी और मेरी अम्मा की है, जिन्हें मैं शुरू से अम्मा कहता हूँ। उनका नाम कमला है, उमर 50 साल, लेकिन बदन अभी भी भरा-भरा और टाइट है। अम्मा हमेशा साड़ी पहनती हैं, बालों में मेहंदी लगाती हैं, और उनका गोरा रंग, बड़े-बड़े चूचे, और मोटी गांड किसी को भी दीवाना बना सकती है। उनके चेहरे पर एक अलग सी सादगी है, पर उनकी आँखों में छुपी हवस मैंने उस दिन देखी, जब हमारा रिश्ता बदल गया।

मेरे घर में मैं, अम्मा, और मेरा छोटा भाई रतन रहता है। रतन 28 साल का है, स्मार्ट, गोरा, और शहर में नौकरी करता है। उसकी बीवी, सोनाली, बहुत खूबसूरत है—गोरी, पतली कमर, और भरे हुए चूचे। शादी के एक साल में ही सोनाली ने एक बेटे को जन्म दिया, जिससे घर में खुशियाँ और बढ़ गईं। मेरी एक बहन थी, लेकिन उसकी बीमारी से मौत हो गई। अम्मा ने मेरे लिए कई लड़कियाँ देखीं, पर मेरे काले रंग और बुरी आदतों की वजह से कोई तैयार नहीं हुई। आखिरकार, मैंने हार मान ली और अम्मा से कहा, “मम्मी, तुम छोटे की शादी कर दो।” मेरे जोर देने पर अम्मा ने रतन की शादी सोनाली से कर दी।

मुझे जब भी चुदाई की जरूरत होती, मैं गाँव की कुछ औरतों को पैसे देकर उनकी चूत मार लेता था। मेरा लंड इतना तगड़ा है कि हर औरत मेरी तारीफ करती। हफ्ते में चार दिन मैं किसी न किसी की चुदाई करता। लेकिन एक दिन, मेरी जिंदगी बदल गई।

एक दोपहर, रोज़ की तरह मैं खेत के छोटे से कमरे में एक औरत को चोद रहा था। उसका नाम सोनम था, गाँव के राकेश की बीवी। सोनम गोरी, मोटी गांड वाली, और चुदाई में माहिर थी। मैं उसे पैसे देता था, और वो मेरे लंड की दीवानी थी। उस दिन, मैं उसे कुत्तिया बनाकर उसकी चूत में लंड पेल रहा था। कमरे का दरवाजा खुला था, क्योंकि दोपहर में कोई आता नहीं। मैं पूरी ताकत से धक्के मार रहा था, सोनम की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं—आह्ह… आह्ह… समीर, और जोर से! मेरा लंड उसकी चूत के पानी से गीला था, और कंडोम चढ़ा होने के बावजूद उसकी गर्मी मुझे पागल कर रही थी।

अचानक, दरवाजे की आवाज़ आई। मैंने सोचा, “कौन बेन्चोद है?” लेकिन जैसे ही मैंने मुड़कर देखा, अम्मा कमरे में खड़ी थीं। उनकी आँखें मेरे लंड पर टिकी थीं, जो सोनम की चूत से बाहर निकला हुआ था, गीला और खड़ा। सोनम ने जल्दी से अपनी साड़ी नीचे की और भागने की कोशिश की, लेकिन मैंने उसे पकड़ लिया।

“भैया, तुम्हारी अम्मा आ गई, अब छोड़ दो,” सोनम ने घबराते हुए कहा।

“देख, मेरा लंड कितना सख्त है। मेरा पानी निकाल दे, फिर जा। वैसे भी अम्मा चली गई,” मैंने कहा और उसे फिर से झुकाकर उसकी चूत में लंड डाल दिया। मैंने जोर-जोर से धक्के मारे, और कुछ ही मिनटों में मेरा पानी निकल गया। सोनम ने डरते हुए कहा, “अम्मा ने देख लिया, कहीं मेरे मरद को न बता दें, वो मुझे घर से निकाल देगा।”

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“तू चिंता मत कर, मैं सब संभाल लूँगा,” मैंने उसे तसल्ली दी।

सोनम चली गई, और मैंने बीड़ी जलाई। मैं सोच में पड़ गया कि अम्मा ने मुझे इस हालत में देख लिया। शाम को जब मैं घर पहुँचा, अम्मा और बहू सब्जी काट रही थीं। अम्मा ने सामान्य लहजे में कहा, “आ गया बेटा? बहू, पानी लाओ।” मैं अम्मा से नजरें नहीं मिला पा रहा था। रात को खाना खाने के बाद रतन और सोनाली अपने कमरे में चले गए। हमारे घर में दो कमरे हैं—एक में रतन और सोनाली, और दूसरे में मैं और अम्मा। मैं अपने बिस्तर पर लेटा था, मन में उलझन थी कि अम्मा से कैसे बात करूँ।

अम्मा मेरे पास आईं और बिस्तर पर बैठ गईं। “बेटा, दोपहर वाली बात से परेशान मत हो। ये सब मर्द-औरत के बीच होता ही है,” उन्होंने धीरे से कहा। उनकी बात सुनकर मेरी जान में जान आई। लेकिन अचानक अम्मा रोने लगीं। “मुझे माफ कर दे, बेटा। मैं तेरी अम्मा होकर तेरे लिए एक लड़की नहीं ढूंढ सकी। अगर तेरी बीवी होती, तो तुझे बाहर ऐसा न करना पड़ता।”

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“अम्मा, तुम रो मत। मुझे कोई दुख नहीं,” मैंने कहा। फिर मैंने दो बीड़ियाँ जलाईं, एक अम्मा को दी। हम दोनों बीड़ी पीते हुए बात करने लगे।

“वैसे, वो औरत राकेश की बीवी सोनम थी न?” अम्मा ने पूछा।

“हाँ, अम्मा,” मैंने जवाब दिया।

“वो तेरे साथ क्यों कर रही थी? उसका मरद उसे खुश नहीं करता?” अम्मा का सवाल सुनकर मैं चौंक गया। पहली बार अम्मा ऐसी खुली बात कर रही थीं।

“अम्मा, मैं उसे पैसे देता हूँ,” मैंने कहा।

“पैसा तो सबको अच्छा लगता है, बेटा। पर औरत उसी के पास जाती है, जो पैसे के साथ उसे खुश भी कर दे,” अम्मा ने मुस्कुराते हुए कहा। उनकी बातों से मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा।

अम्मा ने आगे कहा, “जब मैं बाहर निकली, मुझे लगा तू भी बाहर आ जाएगा। पर तू तो फिर से उसकी चूत में घुस गया। उसकी आवाज़ें बाहर तक आ रही थीं। ऐसी आवाज़ें खुशी में ही निकलती हैं।” ये कहते हुए अम्मा ने मुझे गले लगा लिया। उनके बड़े-बड़े चूचे मेरी छाती से दबे, और मेरा लंड उनके पेट पर लग रहा था। मैंने खुद को पीछे खींचा, तो अम्मा की नजर मेरे लंड पर गई। वो हँसने लगीं, “क्या, फिर से सोनम की याद आ रही है?”

हम दोनों हँसने लगे। पहली बार अम्मा मुझसे इतना खुलकर बात कर रही थीं। रात को अम्मा नीचे गद्दे पर सो गईं, और मैं अपने दीवान पर। लेकिन उस रात मैं अम्मा को एक औरत की तरह देख रहा था। उनकी साड़ी में दबी मोटी गांड, ब्लाउज में भरे चूचे—सब कुछ इतना कामुक था कि मैं रातभर सोचता रहा और कब सो गया, पता ही नहीं चला।

सुबह अम्मा ने मुझे जगाया। मैं नहा-धोकर खेत चला गया, लेकिन मेरा ध्यान काम में नहीं था। बार-बार अम्मा का भरा हुआ बदन मेरे दिमाग में घूम रहा था। पिताजी को गुजरे पाँच साल हो चुके थे, और मुझे लग रहा था कि अम्मा की चूत को भी अब लंड की जरूरत है। दोपहर 12 बजे मैं खाना खाने घर की ओर निकला, तभी रास्ते में अम्मा दिखीं।

“अरे, अम्मा, तुम यहाँ?” मैंने पूछा।

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“मैं तेरे लिए खाना लाई हूँ,” अम्मा ने कहा। पहले वो मेरे और पिताजी के लिए खाना लाती थीं, लेकिन पिताजी के जाने के बाद मैंने उन्हें मना कर दिया था। आज फिर वो खाना लेकर आई थीं। हम खेत के कमरे में गए। अम्मा ने खाना निकाला, और मैं खाने लगा। उन्होंने हल्की सफेद साड़ी और काला ब्लाउज पहना था। ब्लाउज में उनकी सफेद ब्रा साफ दिख रही थी। साड़ी उनके घुटनों तक उठी थी, और उनकी गोरी टाँगें चमक रही थीं। मैं उनकी टाँगों को घूर रहा था, तभी अम्मा बोलीं, “आज सोनम नहीं आई?”

“अम्मा, वो रोज़-रोज़ थोड़े आएगी। कभी-कभी आती है,” मैंने कहा।

“बेटा, एक बात पूछूँ? तेरा और कितनी औरतों से जिस्मानी रिश्ता है?” अम्मा ने सीधे सवाल किया।

“चार औरतों से,” मैंने जवाब दिया।

“कोई कुंवारी हो तो शादी कर ले,” अम्मा बोलीं।

“सब शादीशुदा हैं, अम्मा। वैसे भी मेरे जैसे काले साँड से कौन शादी करेगा?” मैंने हँसते हुए कहा।

“अच्छा, तेरे नीचे तो बड़ी जल्दी लेट जाती हैं,” अम्मा ने चुटकी ली।

“सब पैसे के लिए, अम्मा,” मैंने कहा।

“पैसे से ज्यादा तेरा हथियार उन्हें पसंद आता है,” अम्मा ने कहा और हँसने लगीं।

“हथियार मतलब मेरा लंड?” मैंने खुलकर पूछा।

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“हाँ, तेरा लंड,” अम्मा ने बेझिझक कहा। उनके मुँह से “लंड” सुनकर मुझे अजीब सा मज़ा आया। फिर हम बचपन की एक लड़की, आरती, की बात करने लगे, जो मेरे लंड की दीवानी थी, पर मुझे पसंद नहीं करती थी। अम्मा ने कहा, “उससे शादी कर लेता।” मैंने बताया कि आरती सिर्फ मज़े के लिए मेरे पास आती थी। बातों-बातों में एक घंटा बीत गया।

अम्मा बोलीं, “बेटा, मैं जा रही हूँ। आज से तुझे देसी घी का दूध पिलाऊँगी, ताकि तुझमें कमजोरी न आए।” जब हम खड़े हुए, मेरा लंड पजामे में तंबू बनाकर खड़ा था।

“तेरा ये तो बड़ी जल्दी खड़ा हो जाता है,” अम्मा ने हँसते हुए कहा।

“हाँ, अम्मा, ये हमेशा खड़ा रहता है,” मैंने जवाब दिया।

“अभी इसकी गर्मी ठीक से नहीं निकली,” अम्मा ने कहा और चली गईं।

शाम को घर पहुँचा तो अम्मा सब्जी काट रही थीं। सोनाली बच्चे को दूध पिला रही थी, और उसके गोरे चूचे देखकर मेरा लंड फिर सलामी देने लगा। सोनाली कमरे में चली गई, और मैं अम्मा के पास बैठ गया। वो मुस्कुरा रही थीं। वो पानी लेने रसोई गईं, और मैं उनके पीछे चला गया। मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनके चूचे दबाने लगा।

“पागल है क्या, बेटा? बहू ने देख लिया तो गज़ब हो जाएगा,” अम्मा ने डरते हुए कहा।

“अम्मा, जब से तुम्हारी चुदाई की सोच रहा हूँ, मेरा मन कहीं नहीं लग रहा,” मैंने कहा और उनकी साड़ी ऊपर करके उनकी चूत में उंगली डाल दी। उनकी चूत पहले से गीली थी।

“बेटा, जब से तेरे पास से आई, मुझे भी तेरे ही ख्याल आ रहे हैं,” अम्मा ने सिसकारी लेते हुए कहा। मैंने अपना लंड निकाला और उनकी चूत में डाल दिया। दो धक्के मारे ही थे कि बाहर से सोनाली की आवाज़ आई, “अम्मा, कहाँ हो?”

मैंने जल्दी से लंड निकाला, और अम्मा ने साड़ी ठीक की। सोनाली रसोई में आ गई, और मैं पानी लेकर बाहर निकल गया। बाद में अम्मा मेरे पास आईं और बोलीं, “आज तो तूने मरवा ही दिया था।”

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“अम्मा, मेरा भी यही हाल है,” मैंने उनके चूचे दबाते हुए कहा। तभी रतन घर आ गया, और हम सब चाय पीने बैठ गए।

रात को खाना खाकर मैं अपने कमरे में गया। मैंने कपड़े उतार दिए और सिर्फ बनियान और अंडरवियर में गद्दे पर लेट गया। अम्मा 10 बजे कमरे में आईं, उनके हाथ में दूध का गिलास था। दरवाजा बंद करते ही मैंने उन्हें बाहों में भर लिया।

“पहले दूध तो पी ले, मैं कहाँ भागी जा रही हूँ?” अम्मा ने हँसते हुए कहा। मैंने दूध पिया, और अम्मा ने साड़ी उतार दी। वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थीं। उनके निप्पल ब्लाउज में से साफ दिख रहे थे। मैंने उनके चूचे दबाने शुरू किए और ब्लाउज के ऊपर से चूसने लगा। अम्मा के चूचे मेरे थूक से गीले हो गए। मैंने उनका ब्लाउज फाड़ दिया। उनके गोरे चूचे बाहर आ गए, और काले निप्पल देखकर मेरा लंड और सख्त हो गया।

मैंने अम्मा को गद्दे पर लिटाया और उनके होंठ चूसने लगा। उनका पेटीकोट खोलकर मैंने उनकी चूत देखी—पूरा जंगल साफ था, जैसे अभी-अभी शेव किया हो। मैंने उनकी चूत का चमड़ा मुँह में लिया और चूसने लगा। अम्मा की सिसकारियाँ—आह्ह… म्म्म…—कमरे में गूँज रही थीं। उनकी चूत का पानी मेरे मुँह में आ रहा था। मैंने उनकी टाँगें फैलाईं और लंड उनकी चूत पर रखा। धीरे-धीरे लंड अंदर डाला, और अम्मा की आह निकल गई।

“बेटा, थोड़ा रुक जा। पाँच साल बाद लंड अंदर गया है, दर्द हो रहा है,” अम्मा ने कहा। मैंने उनके होंठ चूसते हुए धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उनका दर्द कम हुआ, और वो सिसकारियाँ लेने लगीं—आह्ह… आह्ह… और जोर से! मैंने उनकी कमर पकड़ी और तेज़ धक्के मारे। उनके चूचे उछल रहे थे, और हर धक्के में मेरा लंड उनकी बच्चेदानी से टकरा रहा था।

कुछ ही देर में अम्मा का पानी निकल गया। वो हाँफ रही थीं। मैंने लंड निकाला, जो उनकी चूत के पानी से गीला था। अम्मा कुत्तिया बन गईं, और मैंने पीछे से उनकी चूत में लंड डाल दिया। उनकी मोटी गांड पकड़कर मैंने धक्के मारे। कमरे में फच-फच की आवाज़ें गूँज रही थीं। अम्मा की सिसकारियाँ—म्म्म… आह्ह…—मुझे और जोश दिला रही थीं। मैंने उनके चूचे पकड़कर जोर से मसले, और वो बोलीं, “हरामी, आराम से दबा, दर्द हो रहा है।”

“अम्मा, अब ये जलन रोज़ होगी। इस मज़े की आदत डाल लो,” मैंने कहा। कुछ देर बाद मेरा पानी उनकी चूत में निकल गया। मैं उनके बगल में लेट गया, और वो मेरे सीने पर सर रखकर लेट गईं।

“अच्छा लगा, अम्मा?” मैंने पूछा।

“हाँ, बेटा। कई साल बाद ये सुख मिला,” अम्मा ने कहा।

“अम्मा, मेरा तो अंदर ही निकल गया,” मैंने कहा।

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“कोई बात नहीं, मैं संभाल लूँगी,” अम्मा ने जवाब दिया।

हमने उस रात तीन बार चुदाई की, और सुबह एक बार फिर। अम्मा मेरी चुदाई से बहुत खुश थीं।

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