अब्बा ने मेरी जवान बहनों को चोदा

बेटी चोद बाप की कहानी मेरे अपने घर की है. मेरे हरामी अब्बू ने मेरी दो जवान बहनों को चोद दिया. मेरा नीच अब्बा अपनी बेटियों को गुसलखाने में चोदता है.

मेरे प्यारे दोस्तो, आप सब को मेरा सलाम.

तो चलिए शुरू करते हैं बिना किसी बकचोदी के यह Beti Chod Baap ki Kahani जो कि मेरे बाप और मेरी बड़ी आपा के साथ साथ छोटी बहन की चुदाई की भी है.

मेरे यहां चुदाई कभी भी हो सकती है, उसका कोई प्लान नहीं होता है.
लेकिन चुदाई कैसे होगी, इसका प्लान ज़रूर बनता था.

तो हुआ कुछ यूं कि छोटा भाई और अम्मी घर चले गए थे, अब वो वहीं रहते थे.

मैं, मेरी छोटी बहन, बड़ी आपा, और अब्बा साथ रहते थे. उस समय मैं डिप्लोमा कर रहा था और लास्ट ईयर में था.

मेरा कॉलेज सरकारी था तो मैं ज़्यादा जाता नहीं था.
जब मन किया चला गया और जब मन नहीं किया, तो नहीं जाता था.
कॉलेज से इतना प्रेशर नहीं था.

मेरी छोटी बहन, जिसका फर्जी नाम लवलीन रख लेते हैं, बी.ए कर रही थी वो तो रोज़ कॉलेज जाती थी, कोई ऐसा दिन नहीं कि वह कॉलेज नहीं जाए.

मेरी बड़ी बहन जिसे मैं आपा कहता हूँ, उसका फर्जी नाम परवीन रख लेते हैं.
मेरी आपा का फ़िगर 32-30-34 का होगा.
उसके चूचे एकदम गोल तने हुए और गांड का तो जवाब ही नहीं, गोरी-गोरी गांड भारी-भारी जब चलती है, तो वो हलर हलर हिलता है.

आप सबको बता दूँ कि मेरी आपा परवीन एकदम गोरी है, उसके होंठ सोफिया अंसारी की तरह है और थोड़ी बहुत दिखती भी वैसे ही है.
लेकिन सोफ़िया अंसारी तो दूध की टंकी ले कर चलती है. उतना बड़ा नहीं है मेरी बहन का, क्योंकि शादी से पहले वैसे हो जाएगा तो गांव के लोग बातें बनाना शुरू कर देंगे.
इसलिए आपा अपने फिगर का ध्यान रखती थी.

तो हुआ कुछ यूं कि अब्बा का अपना ऑफ़िस था तो वो लेट जाते थे.
मैं घर पर ही रहता था छोटी बहन लवलीन 9:30 सुबह कॉलेज के लिए निकल जाती.

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आपा खाना बना कर रख देती और घर के काम निपटा देती.

अब्बा 11 से 11:30 बजे तक उठते और आपा से बोलते- चलो नहला दो.
आपा अब्बा को नहलाने चली जाती थी.

कहानी मैं ट्विस्ट यहीं पर है.

हम लोग एल. डी. ए की कॉलोनी में रहते हैं.
मेरा घर 2 फ़्लोर का था और बाथरूम एकदम टॉप फ़्लोर पर था जो कि पूरा बंद था.

अब्बा आपा को वहीं ले जाते और फिर वह पर आपा को चोदते.
आपा ने लॉन्ग स्कर्ट और टी-शर्ट पहनी थी.

वह छत पर गई तो मुझे तो लग गया कि आज फिर इसकी चुदाई होगी.
लेकिन वहाँ देखने का कोई प्रोग्राम नहीं बन पाता है, क्योंकि वो ऐसे बना ही है कि सीढ़ी से ऊपर जाने के लिए एक पतली से गली बनी है. जो सीढ़ी और बाथरूम को कनेक्ट करती थी.

उस गली के सीढ़ी की तरफ से 4 इंच की दीवाल बनी है जिस पर हम लोग अपने ज़रूरत की चीजें रखते हैं जैसे- ब्रश, टूथपेस्ट वगैरह की चीजें.

यहां पर हम लोगों ने एक फ़ोल्डिंग कुर्सी भी रखी है इसीलिए मैं देख नहीं सकता था.

उनको भी लगता था कि मैं ऊपर नहीं आऊंगा.
इसीलिए वे बिंदास चुदाई करते थे.

अगर मैं देखने गया तो वे लोग मुझे देख लेंगे.
इसीलिए मैं ऊपर नहीं जाता था.

जब अब्बा और आपा ऊपर चले जाते तब उसके थोड़ी देर बाद मैं फ़र्स्ट फ़्लोर पर सीढ़ी के पास खड़ा हो जाता और चुदाई की आवाज़ों को सुनता था और अपना लंड हिलाता.

इसलिए आगे जो कुछ भी लिखूंगा, वो अनुमान पर ही लिखूंगा क्योंकि मुझे केवल आवाज़ें सुनाई देती हैं.

तो हुआ कुछ यूं कि अब्बा ने आपा के कपड़े निकाल दिए और आपा को दीवाल के सहारे झुका दिया.

तब अब्बू ने अपना लंड आपा की चूत पर सेट करके एक ही झटके में अंदर डाल दिया.

आपा के सिसकने की आवाज़ आई इसका मतलब यह था कि अब्बा आपा को पीछे से चोदे जा रहे थे.

तभी किसी का हाथ लगने से जो सामान दीवाल पर रखा था, वह नीचे गिर गया और मैं डर के मारे नीचे भाग गया.

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थोड़ी देर बाद तक चुदाई की आवाजें आती रही.
अब्बा आपा को ज़ोर ज़ोर से चोद रहे थे.
आपा भी ‘आ ऊ इ इ उई … आदि की सिसकारियां ले रही थी.

अब्बा बोल रहे थे कि तुम्हारी चूत ने तो मेरे लंड को पकड़ लिया है, चारों तरफ से गठिया गई है लगता है.

लेकिन आपा कोई जवाब नहीं दे रही थी बस सिसकारियां ले रही थी ‘आ ऊ आ … अब्बा आराम से … आ आ आ … आह आह आह …अब्बा अब्बा आराम से!

उसके बाद अब्बा कुर्सी पर बैठ गए और आपा को अपने लंड पर बैठा कर चोदने लगे.
कुर्सी से चू चां की आवाज़ें आने लगी और साथ मैं आपा की ‘आ ऊ आह’ चालू थी.

आपा अपनी चूत को अब्बा के लंड पर दबा दबा कर मज़े ले रही थी, अपनी गांड, अब्बा की जांघों पर पटक रही थी.

धीरे-धीरे स्पीड बढ़ती जा रहा थी.
इसी तरह आपा को अब्बा ने 10 मिनट तक और चोदा और झड़ गए.

इस तरह परवीन आपा की कई महीनों तक रोज़ चुदाई होती रही.

एक बात बता दूं कि अब्बा आपा को कभी कॉन्डम पहन कर नहीं चोदते थे और इससे आपा को कभी दिक्कत भी नहीं हुई.

केवल एक बार होटल में अब्बा ने आपा को कॉन्डम पहन कर पेला था.
लेकिन उस रात का शो मैं नहीं देख पाया था क्योंकि मैं सो गया था और रात मैं मेरी नींद नहीं खुली.

दोस्तों, होटल की चुदाई देखने मैं बहुत मज़ा आता है क्योंकि एक ही बेड पर सब होते हैं.

लेकिन वो मैंने मिस कर दिया था.

कुछ दिन बाद उसी कुर्सी पर अब्बा ने छोटी बहन परवीन की चूत मारी.

हुआ कुछ यूं कि सुबह के क़रीब 7:30 बज रहे थे मुझे पेशाब लगी, तो मैं उठा बाथरूम जाने के लिए भागा.

लेकिन तभी ऊपर जाने पर मुझे किसी के होने का अहसास हुआ.

मैं रुक गया क्योंकि छोटी वाली बहन के ना नुकर की आवाज़ आ रही थी.
लवलीन अब्बा को मना कर रही थी.

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लेकिन अब्बा ने थोड़ा ज़ोर देकर उसे भी राज़ी कर लिया और लवलीन की भी वहीं पर चुदाई की.
परन्तु उस वक्त की सिसकियों की आवाज़ नहीं आई.
अगर किसी आवाजें आई तो बस कुर्सी की चरमराने की क्योंकि कुर्सी फ़ोल्डिंग वाली थी तो जॉईंट से आवाज़ आती है.

मेरी छोटी बहन को आप कैसे भी चोदिए, बिना उसकी मर्ज़ी के आवाज़ नहीं निकाल सकते.
गांव की औरतें जैसी होती हैं कि चोदते जाओ कोई दिक़्क़त नहीं है वह कोई एक्स्प्रेशन नहीं देंगी.

लेकिन एक बात है कि मेरी बहन सहयोग पूरा करती थी, बस सिसकारियां ‘आ ऊ’ नहीं करती है.
वह चुदती एक नम्बर है बस गर्म होने तक की देरी है..

अब्बा ने लवलीन को भी अपने लंड पर बैठा कर चोदा था.
तो आप सोच लीजिए जो ना नकर कर रही हो, वह लंड पर बैठ कर खुद कूद-कूद कर लंड की सवारी कैसे करेगी.

मेरी बहन बहुत मज़े देती है लेकिन मेरे लिए उसकी चुदाई करना आसान नहीं है.
कई बार तो बहुत कोशिश करता हूं लेकिन वह मुझे देती नहीं अपनी चूत!

मैं सोच रहा हूं किसी दिन अकेले मिले तब रात को वियाग्रा खिला कर गर्म करके चोदूं तब मज़ा आएगा क्योंकि घर मैं सब लोगों के रहते चोदना ख़तरे से ख़ाली नहीं है.
सब कहीं जाएं और मैं और मेरी बहन बस घर पर अकेले हों.

मैं बेटी चोद बाप की कहानी बताते बताते कहां आ गया!
तो यह कहानी यहीं तक …

चुदाई होने के बाद अब्बा नहा कर नीचे आ गए.

कैसी लगी मेरी बेटी चोद बाप की कहानी?

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